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स्टेट पी.सी.एस.

  • 20 Sep 2022
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उत्तर प्रदेश Switch to English

मुरादाबाद मंडल में बनेगा नंदी अभयारण्य

चर्चा में क्यों?

19 सितंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडलायुक्त आन्जनेय सिंह ने बताया कि आवारा पशुओं की समस्या को दूर करने के लिये मुरादाबाद मंडल में नंदी अभयारण्य बनाए जाने की पहल की जा रही है।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य में गायों के रखरखाव के लिये बड़ी संख्या में गोशालाएँ बनाई गईं हैं तथा उनकी व्यवस्था सुधारी गई है, लेकिन नंदियों की देखभाल का कोई इंतजाम नहीं हो सका। इस समस्या के समाधान के क्रम में इन अभयारण्यों की स्थापना की योजना बनाई गई है।
  • मंडलायुक्त ने बताया कि मुरादाबाद मंडल के तीन ज़िलों- संभल, अमरोहा और बिजनौर में इसकी पहल की जा रही है। यहाँ नंदी अभयारण्य की स्थापना का काम शुरू कर दिया गया है।
  • इन अभयारण्य में नंदी बिना किसी डर के घूम सकेंगे। इसके लिये फिलहाल यहाँ आसपास करौंदा के पेड़ लगाए जाएंगे। इसके बाद बाँस समेत कई ऐसे पौधे लगाए जाएंगे, जिनसे आमदनी भी होगी।
  • नंदी अभयारण्यों की आय के अपने स्रोत होंगे, जिससे इनके संचालन में किसी तरह की समस्या भविष्य में न हो। नंदियों को चरने के लिये चारागाह और घास की व्यवस्था भी होगी।
  • तीनों ज़िलों में सफलतापूर्ण संचालन के बाद इस प्रोजेक्ट को राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा। सबकुछ ठीक रहा तो भविष्य में इस तरह के अभयारण्य आवारा पशुओं से प्रभावित अन्य ज़िलों में बनाए जा सकेंगे।
  • नंदियों को एक स्थान पर लाकर, उनके लिये भयमुक्त वातावरण के साक्षी यह नंदी अभयारण्य बनेंगे। पेड़-पौधों और घास के बीच नंदी विचरण करेंगे। पीने के पानी के लिये अगर कोई जलाशय होगा, उससे भी इन अभयरण्यों को जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही ट्यूबवेल का भी इंतजाम किया जाएगा।
  • इसके लिये संबंधित ग्रामसभा के ग्राम प्रधान की सलाह और सहयोग भी इसमें शामिल होगा। अपर आयुक्त बीएन यादव को इस योजना पर मॉनीटरिंग की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
  • मंडलायुक्त ने कहा कि इस प्रोजेक्ट का प्रयोग सफल हो गया तो यह राज्य के सभी ज़िलों में कारगर होगा। इसी मंशा से इसकी शुरुआत की गई है।

बिहार Switch to English

बिहार में अशोक शिलालेख व दो अन्य स्थल एएसआई अधिसूचना के लिये विचाराधीन

चर्चा में क्यों?

19 सितंबर, 2022 को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों ने कहा कि बिहार के दो स्मारक- अशोक शिलालेख और दो प्राचीन टीले वर्तमान में केंद्र-संरक्षित स्मारकों की स्थिति के अनुसार विचाराधीन हैं, जिन पर जल्द फैसला लिया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पटना सर्किल ने पिछले 14 वर्षों की अवधि में इन सिफारिशों को अधिसूचना के लिये भेजा था।
  • अशोक शिलालेख स्थल रोहतास ज़िले में है और इसकी एएसआई अधिसूचना के लिये सिफारिश 2008 में भेजी गई थी, इसके बाद 2010 और 2021 में सिफारिशों के साथ-साथ बिहार में दो प्राचीन टीलों को केंद्र-संरक्षित स्मारकों के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
  • भागलपुर ज़िले में विक्रमशिला स्थल के पास जंगलिस्तान क्षेत्र में एक टीले के लिये सिफारिश 2010 में भेजी गई थीं। बिहार के एक अलग हिस्से में रानीवास टीले की सूची के लिये इसे 2021 में भेजा गया था।
  • वर्तमान में बिहार में 70 साइट एएसआई के पास हैं, जो इसके पटना सर्किल के तहत काम करती है। यह भारत के सबसे पुराने क्षेत्रीय सर्किलों में से एक है।
  • दिल्ली में एएसआई मुख्यालय के सूत्रों ने कहा कि पटना सर्किल द्वारा भेजी गई ये सिफारिशें प्रक्रिया के तहत हैं। अंतिम निर्णय लेने से पहले क्षेत्रीय सर्किलों द्वारा सावधानीपूर्वक दस्तावेज़ों के रूप में भेजे गए प्रस्तावों या सिफारिशों की एएसआई मुख्यालय में एक टीम द्वारा जाँच की जाती है। सबसे पहले एक अनंतिम अधिसूचना जारी होती है और फिर एक अंतिम राजपत्रित अधिसूचना जारी की जाती है।
  • गौरतलब है कि एएसआई द्वारा संरक्षित भारत में कुल 3,693 विरासत स्थल हैं। इनमें से कई यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जैसे- आगरा का ताजमहल, दिल्ली का लाल किला, कुतुबमीनार और हुमायूँ का मकबरा तथा बिहार में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर।
  • अधिकारियों ने कहा कि गया में शिव मंदिर को 1996 में एएसआई द्वारा अधिसूचित किया गया था, तब से बिहार में कोई भी नया स्थल एएसआई के दायरे में नहीं लाया गया है।

मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश में बनेगा देश का पहला साइंटिस्ट मेमोरियल

चर्चा में क्यों?

19 सितंबर, 2022 को मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की कार्य समिति की 61वीं बैठक में तय किया गया कि विज्ञान के प्रसार में अग्रणी और प्राचीन उज्जैन नगर में देश के पहले साइंटिस्ट मेमोरियल की स्थापना की जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • कार्य समिति की 61वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा कि प्रदेश की विज्ञान एवं प्रौद्योगिक नीति शीघ्र ही घोषित की जाएगी तथा विज्ञान पर्यटन को बढ़ावा देते हुए साइंस सिटी और संभाग स्तर पर रीजनल साइंस सेंटर के निर्माण पर फोकस किया जाए।
  • परिषद के महानिदेशक ने बताया कि देश में साइंस मेमोरियल तो हैं, लेकिन उज्जैन के तारामंडल में साइंटिस्ट मेमोरियल बनाने का यह पहला प्रकरण है। युवा वैज्ञानिकों की एक प्रतियोगिता में इस तरह का प्रस्ताव आया है। परिषद ने प्रस्ताव पर तत्काल कार्य प्रारंभ करने की सहमति दी है।
  • इसी तरह विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिये विज्ञान पर्यटन विकसित करने पर भी चर्चा की गई। जबलपुर और उज्जैन में बनने वाले रीजनल साइंस सेंटर के कार्यों के अनुमोदन के दौरान तय किया गया है कि हर 300 किमी. पर साइंस सेंटर और संभाग स्तर पर रीजनल साइंस सेंटर बनाए जाएंगे।
  • बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश के सभी ज़िलों में ड्रोन ट्रेनिंग के इंतजाम किये जाएँ और सभी ज़िलों में एक जैसी ट्रेनिंग के स्थान पर ड्रोन की अलग-अलग तकनीकी का प्रशिक्षण दिया जाए। प्रदेश के ज़िलों को ड्रोन ट्रेनिंग के लिये प्रारंभिक तौर पर 10-10 लाख रुपए उपलब्ध कराए गए हैं।
  • मंत्री सखलेचा ने ज़िलों के डिजिटल एटलस बनाने की कार्य-योजना की समीक्षा कर निर्देश दिये कि मध्य प्रदेश के एटलस में ज़िले के महत्त्वपूर्ण प्रोडक्ट और प्रोजेक्ट को शामिल करें। इससे दुनिया से कोई भी यह जान सके कि किस उत्पाद की कहाँ उपलब्धता है। उन्होंने इस कार्य में कॉलेज के विज्ञान विद्यार्थियों का सहयोग लेने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिये पुरस्कृत करने के निर्देश भी दिये।
  • मंत्री सखलेचा ने कहा कि देश के ख्यातिलब्ध 15 से 20 वैज्ञानिक और विशेषज्ञों का एक सलाहकार बोर्ड भी बनाया जाए। यह बोर्ड हर दो माह में रिसर्च और तकनीकी आधारित ज्ञान को साझा करेगा, जो प्रदेश में विज्ञान गतिविधियों के प्रसार में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि युवा और नव उद्यमियों को विज्ञान और तकनीकी का लाभ सुनिश्चित करने के लिये माह में 2 बार सेमिनार और वेबिनार किये जाएँ।
  • समिति में तय किया गया कि बाँस, केला और नारियल से फाइबर बनाने की तकनीक पर काम किया जाएगा। परंपरागत फर्नीचर के स्थान पर मानव की ज़रूरत के मान से फर्नीचर उत्पादन में वैज्ञानिक और तकनीक आधारित बदलाव लाए जाएंगे। साथ ही हेल्थ डाटाबेस तैयार करने पर भी परिषद कार्य करेगी, जिससे स्वास्थ्य बीमा पर होने वाले व्यय को 50 प्रतिशत तक कम किया जा सके।
  • परिषद द्वारा हर वर्ष युवा वैज्ञानिकों को दी जाने वाली कनिष्ठ और वरिष्ठ स्तर की शोध अध्येतावृत्ति को बढ़ाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई। इसमें क्रमश: 5 और 10 हज़ार रुपए की वृद्धि की गई है।
  • कार्य-समिति में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभिन्न नवीन आयामों से सतत रूप से सभी विभागों और मंत्रियों को अवगत कराने के प्रस्ताव पर सहमति दी गई। यह भी तय किया गया कि सभी विभागों की संरचना के दृष्टिगत अलग-अलग माड्यूल बनाया जाए।
  • बैठक में परिषद में कार्यरत् परियोजना अमले की फेलोशिप में वृद्धि करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई। संभाग और ज़िला स्तर पर विज्ञान फिल्मों के विकास और निर्माण के साथ ही विज्ञान फिल्म फेस्टीवल किये जाने पर भी निर्णय लिया गया।

हरियाणा Switch to English

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को सफल बनाने में हरियाणा की नई पहल

चर्चा में क्यों?

19 सितंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य में ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ को सफल बनाने हेतु मत्स्य पालक किसानों के लिये एक नई पहल की घोषणा की।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री ने नई पहल के रूप में बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत केंद्र सरकार से आने वाली जो सब्सिडी देर से आती है, वह सब्सिडी अब हरियाणा सरकार एडवांस में देगी।
  • इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने सिरसा ज़िले के मछली पालकों के लिये सिरसा में ही मछलीपालन से संबंधित टेस्टिंग लैब स्थापित करने की घोषणा की, जिससे यहाँ के झींगा मछली पालकों को सीधे लाभ होगा। इससे पहले यहाँ के मछली पालकों को रोहतक जाकर लैब टेस्टिंग की सुविधा लेनी पड़ती थी।
  • इसके साथ-साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मछली की खरीद व बिक्री के लिये झज्जर या गुरुग्राम में से किसी एक ज़िले में थोक मछली मार्केट स्थापित करने की भी घोषणा की, जिससे किसानों को आर्थिक तरक्की में लाभ मिलेगा।
  • मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि भिवानी ज़िले के गरवा गाँव में 30 करोड़ रुपए की लागत से एक्वापार्क बनाया जाएगा। यह एक्वापार्क 25 एकड़ में होगा। इसमें मछली पालन से जुड़े नए-नए शोध, मछली पालन की नई किस्म, बीज पर शोध किया जाएगा। इससे मछली पालकों को सीधे लाभ मिलेगा।

हरियाणा Switch to English

हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी-2022 का प्रारूप तैयार

 चर्चा में क्यों?

19 सितंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में राज्य में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर पूर्णरूप से रोक लगाने तथा पराली का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित करने हेतु नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी-2022 का प्रारूप तैयार किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी-2022 के प्रारूप को अंतिम मंज़ूरी मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा प्रदान की जाएगी।
  • मुख्य सचिव ने बताया कि हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी-2022 का उद्देश्य पराली आधारित बायोमास, बिजली परियोजनाओं, उद्योगों, कम्प्रैस्ड बायोगैस संयंत्रों, अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्रों, ईंट-भट्ठों, पैकेजिंग सामग्री इत्यादि में निवेश को आकर्षित करने के लिये अनुकूल वातावरण बनाना है। इसके साथ ही किसानों को अपने खेत में पराली को काटने, गठरी बनाने और स्टोर करने हेतु प्रोत्साहित करना तथा विभिन्न परियोजनाओं में उपयोग के लिये इसे बेचने की सुविधा प्रदान करना है।
  • इस नीति के माध्यम से फसल के अवशेषों की मांग और आपूर्ति प्रबंधन के लिये किसानों व उद्योगों/गोशालाओं/उपयोगकर्त्ताओं के बीच लिंक स्थापित किया जाएगा। साथ ही, विद्युत संयंत्रों, औद्योगिक बॉयलरों, ईंट-भट्ठों या किसी अन्य औद्योगिक, वाणिज्यिक या संस्थागत प्रतिष्ठानों में पराली का उपयोग करने पर भी ज़ोर दिया जाएगा।
  • नई प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) को बढ़ावा देना भी इस नीति के मुख्य उद्देश्यों में से एक है।
  • राज्य में पावर प्रोजेक्ट्स, सीबीजी प्लांट, एथनॉल और अन्य बायोफ्यूल के उपयोग को प्रचलित करने के लिये इस नीति के प्रारूप में विभिन्न वित्तीय प्रोत्साहनों का भी प्रावधान किया गया है।
  • मुख्य सचिव ने कहा कि पराली की मांग के लिये ज़िलावार मैपिंग करने की रणनीति को भी नीति में शामिल किया गया है।
  • उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा राज्य में फसल अवशेष प्रबंधन के लिये किसानों को जागरूक व प्रोत्साहित करने हेतु निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। विभाग द्वारा व्यक्तिगत श्रेणी के तहत किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर तथा कस्टमर हायरिंग सेंटर खोलने के लिये 80 प्रतिशत सब्सिडी पर बेलिंग यूनिट (हे-रेक, शर्ब मास्टर और स्ट्रॉ बेलर) उपलब्ध करवाई जा रही है।         

झारखंड Switch to English

झारखंड में खुलेगा डिजिटल व अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय

चर्चा में क्यों?

19 सितंबर, 2022 को राज्यपाल रमेश बैस ने झारखंड विधानसभा से मानसून सत्र में पारित कौशल विद्या उद्यमिता, डिजिटल एवं स्किल विश्वविद्यालय विधेयक, 2022 और अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय विधेयक, 2022 को मंज़ूरी प्रदान कर दी।

प्रमुख बिंदु

  • कौशल विद्या उद्यमिता, डिजिटल एवं स्किल विश्वविद्यालय राज्य सरकार और प्रेझा फाउंडेशन (पैन आइटी एलुमुनी रिच फॉर झारखंड फाउंडेशन) के सहयोग से चलेगा। इसका मुख्यालय खूंटी में होगा।
  • इस विश्वविद्यालय से शुरुआत में आठ पॉलिटेक्निक संस्थानों को जोड़ा जाएगा। यहाँ से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर आदि अन्य शैक्षणिक पाठ्यक्रम चलेंगे।
  • निजी विश्वविद्यालय के रूप में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय का मुख्यालय राँची में होगा। राज्य सरकार इटकी में ज़मीन उपलब्ध करा रही है। इस विवि से इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट आदि व्यावसायिक कोर्स शुरू होंगे।
  • डिजिटल विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राज्यपाल होंगे, जबकि विश्वविद्यालय में अध्यक्ष ही प्रमुख होंगे। इनकी नियुक्ति तीन वर्ष के लिये नोडल एजेंसी द्वारा चयन समिति की अनुशंसा पर होगी। कुलपति की नियुक्ति तीन वर्ष के लिये अध्यक्ष द्वारा चयन समिति की अनुशंसा पर होगी, जबकि अन्य विश्वविद्यालय में राज्यपाल सह कुलाधिपति द्वारा कुलपति की नियुक्ति की जाती है। इसके अलावा विश्वविद्यालय में कुलपति, प्रतिकुलपति, कुलसचिव, मुख्य वित्त और लेखा पदाधिकारी, डीन आदि की नियुक्ति होगी।
  • अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय झारखंड का 16वाँ निजी विश्वविद्यालय होगा। इसमें पाँच प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के छात्रों के लिये, जबकि 25 फीसदी सीटें झारखंड के विद्यार्थियों के लिये आरक्षित रहेंगी, विश्वविद्यालय को राज्य सरकार या केंद्र सरकार से कोई सहायता अनुदान या अन्य वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी। वीसी, प्रोवीसी, रजिस्ट्रार, शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी।
  • डिजिटल विवि का उद्देश्य-
    • उद्यमिता में सीधे प्रवेश करने या स्टार्टअप के इच्छुक छात्रों को करियर-उन्मुख शिक्षा और कौशल प्रदान करना।
    • ऑनलाइन शिक्षा व अन्य माध्यमों से विभिन्न पाठ्यक्रमों के ज़रिये छात्रों को जीवन भर प्रशिक्षण का अवसर देना।
    • योग्यता आधारित कौशल और व्यावसायिक शिक्षा के लिये एक विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली तैयार करना।
    • बाज़ार और उद्योग के अनुरूप व्यावहारिक, पेशेवर व कौशल आधारित प्रशिक्षण केंद्रित अध्यापन प्रदान करना।   

छत्तीसगढ़ Switch to English

50 फीसदी से अधिक आरक्षण हाईकोर्ट में असंवैधानिक करार

चर्चा में क्यों?

19 सितंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की डिवीज़न बेंच ने आरक्षण सीमा को बढ़ाकर 58% किये जाने की राज्य शासन की अधिसूचना को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया।

प्रमुख बिंदु

  • हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य शासन अब सरकारी नियुक्तियों, प्रोफेशनल कॉलेजों में एडमिशन पर कुल 50% ही आरक्षण दे सकेगा।
  • हाईकोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए यह स्वीकार किया कि राज्य शासन की अधिसूचना से असंवैधानिक स्थिति पैदा हो गई है। 50% से अधिक का आरक्षण किसी भी परिस्थिति में उचित और युक्तियुक्त नहीं है।
  • गौरतलब है कि आरक्षण नियमों में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने वर्ष 2012 में ही संशोधन कर दिया था। अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण प्रतिशत 16 से घटाकर 12% कर दिया गया। इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति का 20% से बढ़ाकर 32% किया गया। अन्य पिछड़ा वर्ग का कोटा 14% ही बरकरार रहा। ऐसा किये जाने से कुल आरक्षण का प्रतिशत 50 से बढ़कर 58 हो गया। यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और कानूनी प्रावधानों के विपरीत था।
  • आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के ताजा निर्णय से जहाँ राज्य सरकार द्वारा 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण की चल रही तैयारियों को बड़ा झटका लगा है, वहीं एसटी के 32% आरक्षण को समाप्त कर दिया गया है और सरकार को 50% की सीमा के अंतर्गत कानून बनाने का निर्देश दिया गया है।

उत्तराखंड Switch to English

भारत-नेपाल के बीच काली नदी पर प्रस्तावित 110 मीटर स्पान डबल लेन मोटर पुल का शिलान्यास

चर्चा में क्यों?

19 सितंबर, 2022 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धारचूला के मल्ला छारछुम में भारत-नेपाल के बीच काली नदी पर प्रस्तावित 110 मीटर स्पान डबल लेन मोटर पुल का शिलान्यास किया।

प्रमुख बिंदु

  • जिस समय छारछुम में प्रस्तावित मोटर पुल का शिलान्यास मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया, ठीक उसी समय नेपाल में वहाँ के वाणिज्य मंत्री दिलेंद्र प्रसाद बडू ने भी शिलान्यास किया।
  • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह पुल एक साल के अंदर बनकर तैयार हो जाएगा। यह पुल 32 करोड़ 98 लाख 40 हज़ार रुपए की लागत से बनेगा।
  • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भारत-नेपाल के बीच गडत्त चौकी के बाद छारछुम में बनने वाला यह पुल उत्तराखंड में दूसरा मोटर पुल होगा। इस पुल पर छोटे-बड़े सभी प्रकार के वाहन चल सकेंगे।
  • इस पुल के बनने से भारत और नेपाल के बीच आवागमन सुगम होगा। इससे भारत-नेपाल के बीच व्यापारिक संबंध बढ़ेंगे। क्षेत्र में पर्यटन, व्यापार बढ़ने से स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा।

उत्तराखंड Switch to English

दूसरे राज्यों से उत्तराखंड आने वाले वाहनों पर लगेगा एक फीसदी ग्रीन सेस

चर्चा में क्यों?

19 सितंबर, 2022 को उत्तराखंड के परिवहन मंत्री चंदन रामदास ने मीडिया से बातचीत में बताया कि दूसरे राज्यों से उत्तराखंड आने वाले वाहनों पर सरकार ग्रीन सेस लगाएगी। इसके लिये प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जो कि जल्द ही कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • परिवहन मंत्री चंदन रामदास ने कहा कि दूसरे राज्यों से उत्तराखंड आने वाले वाहनों पर एक प्रतिशत ग्रीन सेस लगाया जाएगा। इस सेस का इस्तेमाल सड़क सुरक्षा के कार्यों में किया जाएगा। इससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी, जिससे सड़क सुरक्षा मज़बूत होगी।
  • परिवहन विभाग बाहर से आने वाले कमर्शियल वाहनों से एंट्री टैक्स वसूल करता है, लेकिन अब कमर्शियल और निजी वाहनों से एक प्रतिशत ग्रीन सेस वसूला जाएगा। इसके लिये परिवहन विभाग सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है।
  • उन्होंने कहा कि ग्रीन सेस ऐसा होगा कि इससे जनता पर ज़्यादा बोझ न पड़े। दोपहिया वाहन और ट्रैक्टर को छोड़कर दूसरे राज्यों से आने वाले सभी वाहनों पर यह सेस लगेगा।
  • यह ग्रीन सेस वाहनों की हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के आधार पर लगाया जाएगा। इसके लिये सभी चेकपोस्ट पर ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों की मदद से ही उत्तराखंड की सीमा में घुसने वाले प्रत्येक वाहन का टैक्स चेक किया जा सकेगा। इसके आधार पर वसूली की जाएगी। ग्रीन सेस के लिये व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।   

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