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एलोपैथी की तर्ज़ पर होम्योपैथी में भी सुपर स्पेशियलिटी उपचार
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा होम्योपैथी में फेलोशिप पाठ्यक्रम को मंज़ूरी दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि होम्योपैथी में सुपर स्पेशलिस्ट तैयार करने के लिये देश में पहली बार भोपाल के सरकारी होम्योपैथी कॉलेजों में छह महीने का पेलोशिप कोर्स वर्तमान सत्र से शुरू किया जा रहा है।
- फेलोशिप के लिये 20 विषयों, जैसे- डायबिटीज मैनेजमेंट, अस्पताल प्रबंधन, फॉर्माकोविजिलेंस आदि का चयन किया गया है।
- इस पहल से होने वाले लाभ निम्न प्रकार हैं-
- होम्योपैथी कॉलेजों में विशेषज्ञ क्लीनिक शुरू हो सकेंगे।
- इन चिकित्सकों का उपयोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसी सरकारी योजनाओं में किया जा सकेगा, जिससे चिकित्सकों की उपलब्धता के संबंध में क्षेत्रीय विषमता कम होगी।
- होम्योपैथी अस्पतालों में खास तरह की बीमारियों जैसे- ओबेसिटी, जेरियाट्रिक बीमारियाँ, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर आदि के इलाज के लिये अलग से इकाई बनाई जा सकेगी। परिणामस्वरूप द्वितीयक एवं तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं तक लोगों की आसान पहुँच हो सकेगी।
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इलेक्ट्रॉन बीम विकिरण से लाल मक्के के डीएनए में परिवर्तन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इंदौर के कस्तूरबा ग्राम स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में इलेक्ट्रॉन बीम विकिरण की सहायता से लाल मक्के के बीज के डीएनए में सकारात्मक परिवर्तन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- यह प्रयोग कृषि विज्ञान केंद्र इंदौर द्वारा राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र के सहयोग से किया गया है।
- गौरतलब है कि लाल मक्के में कैंसररोधी गुण के साथ-साथ प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है अत: इसका उत्पादन बढ़ाने के लिये यह प्रयोग किया गया है।
- इस आनुवंशिक परिवर्तन से न केवल लाल मक्के की ऊँचाई कम होगी, बल्कि इसके भुट्टे की लंबाई में वृद्धि होगी।
- उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रॉन बीम विकिरण का प्रयोग अन्य क्षेत्रों में भी किया जा रहा है, जैसे- कैंसर उपचार, पर्यावरणीय प्रदूषकों, जैसे- VOCs (Volatile organic compounds) के उपचार, खाद्य परिरक्षण आदि।
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