उत्तर प्रदेश Switch to English
अमेरिकी तकनीक से अलीगढ़ में बनेगी पिस्टल, रिवॉल्वर-कारतूस
चर्चा में क्यों?
19 जुलाई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर अलीगढ़ नोड में अमेरिकन कंपनी स्मिथ एंड वेसन की तकनीक से इसी साल पिस्टल, रिवॉल्वर व कारतूस का निर्माण शुरू होगा। इसके लिये भारत की वेरीविन डिफेंस कंपनी ने अमेरिका की हथियार बनाने वाली स्मिथ एंड वेसन से करार किया है।
प्रमुख बिंदु
- अलीगढ़ के खैर तहसील के अंडला में निर्माणाधीन डिफेंस कॉरिडोर में कंपनी दिसंबर 2023 में हथियार आर्मी, पुलिस व निजी लोगों के लिये मार्केट में उतार देगी। अलीगढ़ नोड में कंपनी पिस्टल, रिवॉल्वर की सेल्स के लिये चेन का निर्माण शुरू कर दिया है।
- अलीगढ़ नोड में हथियारों का उत्पादन शुरू करने वाली वेरीविन डिफेंस पहली कंपनी होगी। कंपनी ने फैक्ट्री का निर्माण 90 फीसदी से अधिक पूरा कर लिया है। गोदाम से लेकर विस्फोटक सामग्री रखने के लिये स्टोर तैयार किये गए हैं। स्थानीय प्रशासन ने इसको लेकर लोगों से अनापत्ति भी मांगी है। पिस्टल, रिवॉल्वर व कारतूस के लाइसेंस गृह मंत्रालय से स्वीकृत हो चुके हैं।
- वेरीविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड का मुख्य कार्यालय सिंगापुर में स्थित है।
- अमेरिकन कंपनी स्मिथ एंड वेसन के साझा करार में वेरीविन डिफेंस कंपनी सेना, पुलिस व निजी लोगों के लिये कई तरह की पिस्टल व रिवॉल्वर मार्केट में उतारेगी। कंपनी ने पिस्टल व रिवॉल्वर के मॉडल और खासियत जारी कर दी है। कीमत भी 1.70 लाख रुपए से अधिक की होगी। हालांकि अभी कंपनी इसमें निर्माण के बाद ही मूल्य निर्धारण करेगी, लेकिन प्राइमरी दरें तय कर दी गई हैं।
- वेरीविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अलीगढ़ की हार्डवेयर इकाइयों को भी काम देगी। डिफेंस कॉरिडोर में निवेश करने वाली यह एंकर इकाई है। लघु उद्योगों को इससे फायदा होगा। खासकर पहले रक्षा उत्पाद कर रहे निर्माताओं को काम मिलेगा।
- पिस्टल, कारतूस, रिवॉल्वर समेत अन्य रक्षा उपकरणों में छोटे-छोटे पार्ट्स की ज़रूरत होगी, जिसको सहायक इकाइयों से लिया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि वेरीविन ने अलीगढ़ में 85 करोड़ रुपए तो झांसी नोड में 127 करोड़ रुपए का निवेश किया है। अलीगढ़ में 4 एकड़ जमीन यूपीडा से ली गई है।
- वेरीविन डिफेंस कंपनी अलीगढ़ में हर माह दो लाख कारतूस बनाएगी। हालाँकि उत्पादन ऑर्डर के ऊपर निर्भर होगा, लेकिन क्षमता 2 लाख निर्माण की है।
- पुलिस व आर्मी के लिये 9 एमएम, सिविल के लिये 32, 45 व 380 एमएम की कारतूस बनेगी। कंपनी एक माह में 500 से अधिक हथियार का निर्माण करेगी। हथियार का निर्माण भी ऑर्डर पर ही निर्भर होगा। कंपनी की क्षमता 500 हथियार महीने की है।
- निदेशक वेरीविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड, मोहित शर्मा ने बताया कि वेरीविन डिफेंस कंपनी शस्त्र निर्माण के क्षेत्र में 40 सालों से काम कर रही है।
बिहार Switch to English
बिहार सरकार की ओर से राजभाषा पुरस्कार के लिये 24 साहित्यकार चयनित
चर्चा में क्यों?
18 जुलाई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार सरकार ने राजभाषा पुरस्कारों की घोषणा की है, जिसमें 2020-21 और 2021-22 के लिये हिन्दी सेवा सम्मान से नवाजे गए 24 साहित्यकारों को आगामी 31 जुलाई को पटना के अधिवेशन भवन में सम्मानित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- चयनित साहित्यकारों को पचास हज़ार से तीन लाख रुपए नकद तक की राशि पुरस्कार स्वरूप दी जाएगी।
- 2020-21 के लिये चयनित साहित्यकार:
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद शिखर सम्मान के लिये विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का चयन किया गया है। इन्हें तीन लाख रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।
- बीआर अंबेडकर पुरस्कार के लिये डॉ. अशोक कुमार का चयन किया गया है। इन्हें ढाई लाख रुपए नकद पुरस्कार स्वरूप दिये जाएंगे।
- जननायक कर्पूरी ठाकुर सम्मान मृणाल पांडेय को, बीपी मंडल पुरस्कार सुशीला टाकभरे को, नागार्जुन पुरस्कार कवि सत्यनारायण को, रामधारी सिंह दिनकर पुरस्कार रामश्रेष्ठ दीवान को तथा फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार प्रो. जाबिर हुसैन को दिया जाएगा। इन सभी को दो लाख रुपए नकद पुरस्कार स्वरूप दिये जाएंगे।
- महादेवी वर्मा पुरस्कार डॉ. पूनम सिंह को, बाबू गंगा शरण सिंह पुरस्कार डॉ. के बनर्जी को, विद्याकर कवि पुरस्कार दक्षिण भारत हिन्दी प्रसार प्रचार सभा को, विद्यापति पुरस्कार गीता श्री को, मोहन लाल महतो वियोगी पुरस्कार डॉ. राकेश कुमार सिन्हा रवि को, भिखारी ठाकुर पुरस्कार भगवतीप्रसाद द्विवेदी को, डॉ. ग्रियर्सन पुरस्कार डॉ. छाया सिन्हा को तथा डॉ. फादर कामिल बुल्के पुरस्कार अनंत विजय को दी जाएगी। इन सभी को पचास हज़ार रुपए नकद पुरस्कार स्वरूप दिये जाएंगे।
- 2021-22 के लिये चयनित साहित्यकार:
- मधुसूदन आनंद को डॉ. राजेंद्र प्रसाद शिखर सम्मान के लिये चयन किया गया है। इन्हें तीन लाख रुपए नकद पुरस्कार राशि दी जाएगी।
- बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर पुरस्कार के लिये बलराम का चयन किया गया है। इन्हें ढाई लाख रुपए पुरस्कार स्वरूप दिये जाएंगे।
- जननायक कर्पूरी ठाकुर पुरस्कार डॉ. चंद्र शिखा को, बीपी मंडल पुरस्कार डॉ. इरशाद कामिल को, नागार्जुन पुरस्कार भोला पंडित प्रणयी को, रामधारी सिंह दिनकर सम्मान अनिरुद्ध सिन्हा को तथा फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार डा. शहनाज फातमी को दिया जाएगा। इन्हें दो लाख रुपए नकद दिये जाएंगे।
- महादेवी पुरस्कार डॉ. भावना को एवं बाबू गंगा शरण सिंह पुरस्कार डॉ. गुरमीत सिंह को दिया जाएगा। इन्हें पचास हज़ार रुपए नकद दिये जाएंगे।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान कारागार विधेयक-2023 ध्वनिमत से पारित
चर्चा में क्यों?
18 जुलाई, 2023 को राजस्थान विधानसभा में राजस्थान कारागार विधेयक-2023 पर चर्चा के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर कारागार मंत्री टीकाराम जूली ने बताया कि प्रदेश की जेलों में बंदियों के लिये सुधारात्मक उपबंध, मूलभूत मानवाधिकारों के हक, उनके कौशल विकास एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम को सुनिश्चित करने के लिये राजस्थान कारागार विधेयक-2023 लाया गया है।
- विदित है कि वर्तमान में राज्य में 129 वर्ष पुराना प्रशासन एवं प्रबंधन कारागार अधिनियम-1894 एवं 63 वर्ष पुराना राजस्थान बंदी अधिनियम-1960 प्रभावी है।
- इन अधिनियमों में समय-समय पर किये गए विभिन्न संशोधनों को एकजाई कर राजस्थान कारागार विधेयक-2023 लाया गया है। यह विधेयक बंदियों के साथ ही जेलों में कार्यरत अधिकारियों-कर्मचारियों के लिये कार्य करेगा।
- कारागार मंत्री ने कहा कि विभाग द्वारा बंदी सुधार के लिये विभिन्न नवाचार किये जा रहे हैं, ताकि सजा पूरी होने के बाद उन्हें रोज़गार मिल सके। खुला बंदी शिविर, कौशल विकास कार्यक्रम एवं जेलों में पेट्रोल पंप खोलना इस दिशा में किये गए महत्त्वपूर्ण नवाचार हैं। खुले शिविर के मामले में राजस्थान पूरे देश में पहले स्थान पर है। देश के लगभग 40 प्रतिशत खुले बंदी शिविर राजस्थान में हैं।
- प्रदेश की जेलों में बंदियों द्वारा एलईडी बल्ब बनाये जा रहे हैं, जो बाजार से कम दाम पर उपलब्ध हैं। शीघ्र ही डूंगरपुर एवं झालावाड़ में नई जेलों का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा।
- प्रदेश में जेलों में सुविधाओं का विस्तार तीव्र गति से किया जा रहा है। प्रदेश की 96 प्रतिशत जेलों में वीसी के माध्यम से पेशी की सुविधा उपलब्ध है और जल्द ही शेष जेलों में भी यह सुविधा स्थापित कर ली जाएगी। साथ ही जेलों में सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासनिक, पुलिस एवं न्यायिक अधिकारियों द्वारा निरंतर निरीक्षण किये जा रहे हैं।
- इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिये परिचालित करने का प्रस्ताव ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।
राजस्थान Switch to English
राज्य में अब 19 ज़िलों में कुल 44 अधिसूचित वेटलैंड की सूची जारी
चर्चा में क्यों?
19 जुलाई, 2023 को राजस्थान वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल ने बताया कि पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा वेटलैंड्स के संरक्षण एवं एकीकृत प्रबंधन के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्य के 19 ज़िलों में कुल 44 अधिसूचित वेटलैंड्स की सूची जारी की गई है, जिसके अंतर्गत राज्य के बारां ज़िले मे सर्वाधिक 12 वेटलैंड्स होंगे।
प्रमुख बिंदु
- राज्य के 19 ज़िलों के 44 वेटलैंड्स से राज्य में पारिस्थितिकीय तंत्र सुदृढ़ होगा एवं वन्यजीवों के लिये बेहतर खाद्य श्रृंखला उपलब्ध हो सकेगी। पृथ्वी की किडनी के रूप में पहचाने जाने वाले वेटलैंड्स प्राकृतिक संतुलन को बनाये रखने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण एवं जल संचयन व शुद्धिकरण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
- पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार राज्य में अब कुल 44 अधिसूचित आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स) क्षेत्र होंगे, जिनके अंतर्गत बारां ज़िले में वेटलैंड्स एकलेरा सागर, कोटरापार तालाब, बेथाली डैम, हिंगलोत डैम, उतावली डैम, सेहरोल डैम, गरड़ा तालाब, नियाना तलाई, नाहरगढ़, तेजा जी की तलाई, पुष्कर तालाब, ल्हासी डैम शामिल हैं।
- बीकानेर ज़िला अंतर्गत देवी कुंड सागर एवं सूरसागर, बूंदी ज़िला के अंतर्गत नवल सागर लेक, चित्तौडगढ़ ज़िले में मंगलवाड़ तालाब, किशन कारेरी, बड़वई लेक, गंभीरी डैम, डूंगरपुर ज़िले में साबेला तालाब, जोधपुर ज़िला अंतर्गत कायलाना व सूरपुरा, कोटा के अंतर्गत पक्षी विहार कैनवास, किशोर सागर, हनोतिया, नागौर ज़िले में डीडवाना (खाल्दा), पाली ज़िले में लखोटिया तालाब एवं लोरडिया तालाब, राजसमंद ज़िला के अंतर्गत राज्यावास एवं राघव सागर वेटलैंड्स शामिल हैं।
- इनके अलावा सीकर ज़िले में रेवासा, टोंक ज़िले में बुद्धसागर, बीसलपुर, चंदलाई, मोतीसागर, गलवानिया, टोरडी सागर, उदयपुर ज़िले में मेनार तालाब वेटलैंड कॉम्प्लेक्स, भीलवाड़ा ज़िले में चावंडिया, प्रतापगढ़ ज़िले में केसरियावाड़, सिरोही ज़िले में लाखेराव तालाब, अजमेर ज़िले में बड़ा तालाब, जालौर ज़िले में रनखार, झालावाड़ ज़िले में बड़बेला तालाब शामिल है।
- अधिसूचना के अनुसार आर्द्रभूमि क्षेत्र एवं आस पास के क्षेत्र में किसी भी प्रकार के अतिक्रमण पर रोक रहेगी तथा किसी भी प्रकार का नया उद्योग स्थापित करने एवं मौजूदा उद्योगों के विस्तार पर प्रतिबंध रहेगा।
- साथ ही ठोस, खतरनाक व ई-अपशिष्ट पदार्थों के संग्रहण एवं निष्कासन पर प्रतिबंध रहेगा। मछलियों एवं माइग्रेटरी पक्षियों को आमजन द्वारा दिये जाने वाले खाद्य पदार्थों पर प्रतिबंध रहेगा। वाणिज्यिक खनन, पत्थर उत्खनन के साथ क्रशिंग इकाइयों पर भी प्रतिबंध रहेगा। किसी भी प्रकार के शिकार पर प्रभावी रोक रहेगी।
- आर्द्रभूमि के क्षेत्र एवं क्षमता को कम करने वाली गतिविधियों सहित प्रदूषण उत्सर्जन करने वाली समस्त वाणिज्यिक गतिविधियाँ प्रतिबंधित रहेंगी। साथ ही किसी भी प्रकार की भूजल निकासी प्रतिबंधित होगी।
- अधिसूचना के अनुसार वेटलैंड्स क्षेत्र में मछली पालन, नावों का संचालन, डिसिल्टिंग, अस्थायी निर्माण, विशेष उद्देश्य के लिये पानी की निकासी की जा सकेगी।
- क्या होते है वेटलैंड (आर्द्रभूमि):
- ‘किडनी ऑफ द लैंडस्केप’एवं बायोलॉजिकल सुपरमार्केट’के नाम से पहचानी जाने वाली ऐसी नम एवं दलदली भूमि, जो वर्ष भर आंशिक रूप से या पूर्णत: जल से भरी रहती है।
- वेटलैंड्स वो पारिस्थितिकीय तंत्र हैं, जो बाढ़ के दौरान जल के आधिक्य का अवशोषण कर लेते हैं, जिससे कि मानवीय आवास वाले क्षेत्र जलमग्न होने से बच जाते हैं।
- इसके अलावा ‘कार्बन अवशोषण’व ‘भू-जल स्तर’मे वृद्धि जैसी महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन कर वेटलैंड्स पर्यावरण संरक्षण में अहम् योगदान देते हैं।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान विनियोग (संख्या-3) विधेयक, 2023 पारित
चर्चा में क्यों?
19 जुलाई, 2023 को राजस्थान विधानसभा ने राजस्थान विनियोग (संख्या-3) विधेयक, 2023 को पारित कर दिया।
प्रमुख बिंदु
- यह विधेयक वित्तीय वर्ष 2023-24 की सेवाओं के लिये राज्य की समेकित निधि में से कतिपय और राशियों के संदाय और विनियोजन को प्राधिकृत करने के लिये लाया गया है।
- विधेयक पारित होने से 8 हज़ार 255 करोड़ 67 लाख 40 हज़ार रुपए की राशि संदत्त और उपयोजित की जा सकेगी।
- इससे पूर्व विधानसभा ने अनुपूरक अनुदान की मांगे वर्ष 2023-24 (प्रथम संकलन) को भी पारित की।
- प्रभारी मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने मांगों का उपस्थापन किया, जिसे सदन ने मुखबंद का प्रयोग कर पारित कर दिया।
मध्य प्रदेश Switch to English
मेपकॉस्ट एवं एनआईएफ गांधीनगर के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर: मध्य प्रदेश में बनेगा स्टेट इनोवेशन फाउंडेशन
चर्चा में क्यों?
19 जुलाई, 2023 को म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मेपकॉस्ट) भोपाल और नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन गांधीनगर के बीच सहमति-पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गए, जिसके अंतर्गत दोनों संस्थानों के बीच जमीनी स्तर के नवाचार, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर सहयोग के लिये प्रदेश में स्टेट इनोवेशन फाउंडेशन बनेगा।
प्रमुख बिंदु
- एमओयू पर म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की ओर से महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी और नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन-इंडिया की ओर से निदेशक डॉ. अरविंद सी. रानाडे ने हस्ताक्षर किये।
- एमओयू का मुख्य उद्देश्य दोनों संस्थानों के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में शोधकार्यों, नवाचारों, बौद्धिक संपदा अधिकारों और अकादमिक स्तर पर एक-दूसरे को सहयोग प्रदान करना है।
- मेपकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने बताया कि राज्य में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की सहायता से स्टेट इनोवेशन फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी। इस कार्य में एन.आई.एफ. के विशेषज्ञों से तकनीकी सहायता ली जाएगी।
- स्टेट इनोवेशन फाउंडेशन की सहायता से प्रदेश के नवाचारियों का एक डेटाबेस निर्मित कर उनके उत्पादों को कमर्शियल करने में सहायता प्राप्त होगी।
- एमओयू के अंतर्गत इनोवेशन फाउंडेशन-विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्र में शोधकार्य के लिये रिसर्च गाइड उपलब्ध कराएगा। ज़मीनी नवाचारों और बौद्धिक संपदा अधिकारों के जागरूकता अभियान के लिये तकनीकी विशेषज्ञता उपलब्ध कराई जाएगी। पारंपरिक ज्ञान को मजबूत करने के लिये तकनीकी सहयोग किया जाएगा।
- इसी प्रकार रिसर्च स्कॉलर्स को दोनों संस्थानों में उपलब्ध रिसर्च इंस्ट्रूमेंटेशन एवं पुस्तकालय सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी। दोनों संस्थान संयुक्त रूप से केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न स्कीमों के लिये संयुक्त रूप से परियोजना प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं।
- यह एमओयू 3 वर्ष के लिये किया गया है। इसकी अवधि 2 वर्ष और बढ़ाई जा सकती है। इस एम.ओ.यू. से प्रदेश के नवाचारियों को उचित मंच प्राप्त होगा, जिसकी सहायता से वह अपने उत्पादों को पेटेंट में परिवर्तित करा सकेंगे। इसके लिये उन्हें उचित तकनीकी परामर्श एवं संसाधन प्रदान किये जाएंगे।
- डॉ. अनिल कोठारी ने बताया कि दोनों संस्थाओं के बीच विज्ञान लोकप्रियकरण की गतिविधियों, कार्यक्रमों और परियोजना प्रस्तावों को तैयार करने में परस्पर सहयोग किया जाएगा। इसी प्रकार वैज्ञानिक प्रकाशन के क्षेत्र में आदान-प्रदान किया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि स्टडी प्रोग्राम, सेमिनार, सम्मेलन आदि के आयोजनों में परस्पर सहयोग किया जाएगा। साथ ही नवाचारी व्यक्तियों, अन्वेषकों और शोधार्थियों के लिये वैज्ञानिक विषयों और मुद्दों पर जानकारियों का साझा विनिमय किया जाएगा।
मध्य प्रदेश Switch to English
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने उच्च न्यायालय और ज़िला न्यायालयों के लिये आरटीआई के ऑनलाइन पोर्टल का शुभारंभ किया
चर्चा में क्यों?
18 जुलाई, 2023 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की मुख्य खंडपीठ जबलपुर में मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने आरटीआई के ऑनलाइन पोर्टल का शुभारंभ किया। पोर्टल से उच्च न्यायालय की तीनों खंडपीठ और ज़िला न्यायालय की जानकारियाँ मिल सकेंगी।
प्रमुख बिंदु
- मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने बताया कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय पूरे देश में प्रारंभ से अंत तक पेपरलेस मोड पर काम करने में अग्रणी है। पोर्टल को इंटीग्रेटेड क्लाउड बेस्ड बनाया गया, साथ ही इसे उच्च न्यायालय के डाटाबेस से भी इंटीग्रेटेड किया गया है।
- इस ऑनलाइन पोर्टल को सभी प्रकार के ऑनलाइन लेन-देन के लिये साइबर ट्रेजरी से भी जोड़ा गया है।
- मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि यह पोर्टल आरटीआई में चाही गई जानकारी को उपलब्ध कराने के लिये संबंधित अधिकारी, कर्मचारियों की ज़िम्मेदारी को तय कर उन्हें जबाबदेह बनाता है।
- यह सॉफ्टवेयर न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट www.mphc.gov.in के ई-आरटीआई टैब पर राज्य के लोक सूचना अधिकारी और संबंधित स्टाफ को, आरटीआई के संबंध में होने वाली ऐसी प्रत्येक गतिविधि की जानकारी, जो आवेदक द्वारा चाही गई है, एक क्लिक पर उपलब्ध कराता है।
हरियाणा Switch to English
राज्य के 143 खंडों में लगेंगी प्लास्टिक अपशिष्ट प्रसंस्करण मशीनें
चर्चा में क्यों?
17 जुलाई, 2023 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने चंडीगढ़ में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के कार्यान्वयन और एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध की समीक्षा के लिये विशेष कार्य बल की तीसरी बैठक की अध्यक्षता करते हुए बताया कि राज्य सरकार राज्य के हर ब्लॉक में प्लास्टिक कचरा प्रसंस्करण मशीनें लगाने का कार्य कर रही है।
प्रमुख बिंदु
- इनमें प्लास्टिक श्रेडर, बेलिंग मशीन और धूल हटाने वाली मशीनें शामिल हैं, जिन्हें लगभग 16 लाख रुपए प्रति यूनिट की लागत से लगाया जाएगा। इन इकाइयों से रिसाइक्लिंग की सुविधा आसान होगी और प्लास्टिक कचरे की मात्रा में भी कमी आएगी।
- इस दूरगामी पहल का उद्देश्य प्लास्टिक अपशिष्ट प्रदूषण और बेहतर सड़क बुनियादी ढांचे की आवश्यकता की दोहरी चुनौतियों से निपटना है।
- बैठक में बताया गया कि 1 जुलाई, 2022 से 31 मई, 2023 तक एकल-उपयोग प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने के लिये कार्य योजना के तहत 17,407 चालान काटे गए। राज्य भर में 15,045 किलोग्राम एकल-उपयोग प्लास्टिक ज़ब्त करके उन पर 1,46,62,750 रुपए का जुर्माना लगाया गया।
- मुख्य सचिव ने लोक निर्माण विभाग (बी एवं आर), शहरी स्थानीय निकाय, कार्यकारी अभियंता पंचायती राज तथा राज्य विपणन बोर्ड के अधिकारियों को सड़क परिवहन मंत्रालय एवं राष्ट्रीय राजमार्ग के नॉर्म अनुसार सड़क निर्माण में प्लास्टिक अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग अनिवार्य करने के निर्देश दिये।
- मुख्य सचिव ने वर्चुअल तरीके से उपायुक्तों और ज़िला नगर निगम आयुक्तों को प्लास्टिक प्रबंधन के लिये विशेष कार्य बल की नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिये।
- इसके अलावा उन्होंने पर्यावरणीय मुद्दे के समाधान हेतु समाज के सभी वर्गों, विशेषकर ग्रामीण स्तर पर जनता को जागरूक करने और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये भी अधिकारियों को निर्देश दिये।
हरियाणा Switch to English
मुख्यमंत्री ने किया 2741 करोड़ रुपए की 347 परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास
चर्चा में क्यों?
18 जुलाई, 2023 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य के नूंह ज़िला के फिरोजपुर झिरका से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 2741 करोड़ रुपए की 347 परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया।
प्रमुख बिंदु
- इन परियोजनाओं में 1270 करोड़ रुपए की लागत की 157 परियोजनाओं का उद्घाटन तथा 1462 करोड़ रुपए की लागत की 190 परियोजनाओं का शिलान्यास शामिल है।
- मुख्यमंत्री ने फिरोजपुर झिरका में नूंह ज़िला की भी 305 करोड़ रुपए की 9 परियोजनाओं को ज़िलावासियों को समर्पित किया। ज़िलों में आयोजित कार्यक्रमों में मंत्रीगण, सांसदों और विधायकों ने विकास परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया।
- मुख्यमंत्री ने नूंह विधानसभा क्षेत्र के 66 गाँवों के लिये 4 नई पेयजल परियोजनाओं की घोषणा की। इस पर लगभग 306 करोड़ रुपए खर्च होंगे। वहीं नूंह से मुंडा का गाँव तक की सड़क के निर्माण की भी घोषणा की।
- इसके अलावा, फिरोजपुर झिरका में 80 गाँवों में पेयजल क्षमता को 55 एलपीसीडी से बढ़ाकर 70 एलसीपीडी करने की भी घोषणा की।
- इन परियोजनाओं की 2741 करोड़ रुपए की लागत जोड़ने पर यह लगभग 15 हज़ार करोड़ हो जाती है। इस तरह डिजिटली एक ही स्थान से इतने व्यापक स्तर पर परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करना ई-गवर्नेंस का एक बड़ा उदाहरण है, इससे समय और पैसे की भी बचत हुई है।
- उद्घाटन की गई रैनीवेल आधारित पेयजल योजना नूंह ज़िला के लिये सबसे बड़ी परियोजना है, जिसका सीधा लाभ फिरोजपुर झिरका के क्षेत्रवासियों को होगा।
- विदित है कि इस इलाके के लोग जब रमजान में रोज़े रखते थे और सायंकाल के समय जब रोजा तोड़ते थे तो उनको पानी की आवश्यकता होती है, जो उन्हें मौल खरीदकर पानी लेना पड़ता था। अब इस परियोजना से लोगों को पानी खरीदना नहीं पड़ेगा।
हरियाणा Switch to English
श्री माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड पंचकुला का पुनर्गठन
चर्चा में क्यों?
18 जुलाई, 2023 को हरियाणा के राज्यपाल ने श्री माता मनसा देवी श्राइन एक्ट 1991 की धारा 4 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तत्काल प्रभाव से श्री माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड पंचकुला का पुनर्गठन किया।
प्रमुख बिंदु
- हरियाणा के मुख्यमंत्री इस बोर्ड के अध्यक्ष और शहरी स्थानीय निकाय मंत्री उपाध्यक्ष होंगे।
- बोर्ड के सदस्यों में मुख्य सचिव व शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव होंगे। श्री माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड, पंचकूला के उपायुक्त और मुख्य प्रशासक सदस्य सचिव होंगे।
- इसी प्रकार गैर-सरकारी सदस्यों में हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता, लतिका शर्मा, बंतो कटारिया, पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल, पंचकुला चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अरुण ग्रोवर और हरि चंद गुप्ता हैं।
- सहयोगी सदस्यों में विशाल सेठ और ईश्वर जिंदल को शामिल किया गया है।
झारखंड Switch to English
सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन के विजन डॉक्यूमेंट का हुआ विमोचन
चर्चा में क्यों?
19 जुलाई, 2023 को झारखंड की राजधानी रांची में वन विभाग एवं झारखंड राज्य प्रदूषण नियत्रंण परिषद के संयुक्त तत्त्वावधान में सीड द्वारा आयोजित कार्यक्रम में राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन की रूपरेखा से संबंधित विजन डॉक्यूमेंट ‘नव-निर्माण की ओर अग्रसर’पुस्तक का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- कार्यक्रम में देश में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते संकट को रोकने के लिये विजन 2070 के नेट-जीरो लक्ष्य को प्राप्त करने की बात कही गई है, जिसमें टास्क फोर्स की भूमिका अहम होगी।
- विदित है कि नवंबर 2022 से ही झारखंड इस दिशा में ‘टास्क फोर्स’ गठन करने वाला देश में पहला राज्य है।
- मुख्य सचिव ने कहा कि सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन टास्क फोर्स राज्य ही नहीं बल्कि भारत के क्लाइमेट चेंज से संबंधित महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों और ग्रीन इकोनॉमी के रास्ते पर चलने के लिहाज से अहम है।
- कार्बन-न्यूट्रल और जलवायु अनुकूल अर्थव्यवस्था की दिशा में बेहतर परिणाम के लिये राष्ट्रीय एवं राज्यस्तरीय प्रयासों में कन्वर्जेंस एप्रोच एवं व्यापक विजन बेहद महत्त्वपूर्ण है।
- झारखंड में रिन्यूएबल एनर्जी के माध्यम से पावर जेनरेट करने का लक्ष्य है, जिसमें सोलर एनर्जी, हाइड्रोजन एनर्जी आदि महत्त्वपूर्ण स्रोत होंगे। राज्य में कोयला और थर्मल पावर प्लांट तथा इससे संबद्ध स्थानीय अर्थव्यवस्था, लघु-सूक्ष्म उद्योगों और असंगठित क्षेत्र से लाखों लोग जीविका प्राप्त करते हैं।
- केंद्रीय कोयला सचिव अमृत लाल मीणा ने कार्यक्रम में ऑनलाईन माध्यम से बताया कि केंद्र सरकार ने विजन 2070 के नेट-जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर कदम बढ़ा दिया है। सस्टेनेबल ट्रांजिशन की रणनीतियों को निर्धारित करने के मामले में झारखंड ने अन्य राज्यों के समक्ष अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। विजन डॉक्यूमेंट राज्य सरकार और टास्क फोर्स का एक दूरगामी एवं सराहनीय प्रयास है।
- न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन के लिये सततशील एनर्जी ट्रांजिशन आवश्यक है। भविष्य में ऊर्जा की ज़रूरतों एवं एनर्जी ट्रांजिशन को गति देने में कोयले की महत्त्वपूर्ण भूमिका बनी रहेगी।
- केंद्रीय कोयला सचिव ने कहा कि यह विजन डॉक्यूमेंट देश में कार्बन उत्सर्जन-मुत्त अर्थव्यवस्था और सतत् विकास के लक्ष्यों से निर्देशित है, जिसे अंतर्विभागीय बैठकों, नेशनल एवं स्टेट कंसल्टेशन एवं सभी स्टेकहोल्डर्स की सहभागिता से तैयार किया गया है।
- यह विजन डॉक्यूमेंट एक समावेशी एवं सहभागी प्रक्रिया के तहत प्रसिद्ध रिसर्च पार्टनर्स एवं देश-दुनिया के बेस्ट-प्रैक्टिसेज के अध्ययन एवं विश्लेषण से तैयार किया गया है।
- प्राथमिकता के रूप में ट्रांजिशन रोडमैप विकसित करने के लिये आठ क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिनमें लाइवलीहुड ट्रांजिशन, एनर्जी ट्रांजिशन, डीकार्बोनाइजेशन पाथवे, कोयला ट्रांजिशन, सस्टेनेबल मोबिलिटी ट्रांजिशन, ग्रीन हाइड्रोजन, निवेश एवं वित्त और संस्थागत परिवर्तन प्रमुख हैं।
- यह विजन राज्य में पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक आकांक्षाओं को क्लाइमेट एवं नेट-जीरो के लक्ष्यों के अनुरूप हासिल करने पर बल देता है।
- सस्टेनेबल ट्रांजिशन की प्रक्रिया में कन्वर्जेंस एप्रोच की आवश्यकता पर जोर देते हुए सीड के सीईओ रमापति कुमार ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक एवं दूरदर्शी कदम है, क्योंकि देश में पहली बार किसी राज्य ने सस्टेनेबल ट्रांजिशन पर विजन डॉक्यूमेंट प्रस्तुत किया है। यह राज्य में क्लाइमेट गवर्नेंस की व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
- राज्य सरकार की यह पहल जलवायु समाधानों के राष्ट्रीय और वैश्विक प्रयासों को मज़बूती प्रदान करेगी। क्लाइमेट रेसिलियंट एवं फ्यूचर-रेडी इकोनॉमी के लिये इंटर-डिपार्टमेंटल कन्वर्जेंस आवश्यक है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
मुख्यमंत्री ने किया छत्तीसगढ़ी नाटक ‘सुराजी गांव’का विमोचन
चर्चा में क्यों?
18 जुलाई, 2023 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा परिसर स्थित अपने कार्यालय में दुर्गा प्रसाद पारकर की नाट्य रचना ‘सुराजी गांव’का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री को दुर्गा प्रसाद पारकर ने बताया कि यह छत्तीसगढ़ी नाटक राज्य सरकार की महत्त्वकांक्षी योजना ‘नरवा, गरूवा घुरूवा, बाड़ी’पर आधारित है। उन्होंने इस नाटक में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर रही योजना नरवा, गरूवा घुरूवा, बाड़ी से ग्रामीणों के जीवन में आ रहे बदलाव को रेखांकित किया है।
- ‘सुराजी गांव’रचना के माध्यम से उनका प्रयास राज्य सरकार की इस कल्याणकारी योजना के विषय में लोगों को जागरूक करना है, ताकि लोग इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठा सकें।
- उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश में जल संरक्षण, पशु संवर्द्धन, मृदा स्वास्थ्य और पोषण प्रबंधन को आमजन की सहभागिता से सफल बनाने के लिये ‘सुराजी गांव योजना’2 अक्तूबर, 2019 से शुरू की गई है। इस योजना के तहत नरवा (बरसाती नाले), गरवा (पशुधन), घुरवा (कंपोस्ट खाद निर्माण) और बाड़ी (सब्जी और फलोद्यान) के संरक्षण एवं संवर्द्धन का अभियान प्रारंभ किया गया है।
- नरवा कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के लगभग 29000 बरसाती नालों को चिन्हित कर उनका ट्रीटमेंट कराया जा रहा है। इससे वर्षाजल का संरक्षण होने के साथ-साथ संबंधित क्षेत्रों का भू-जलस्तर सुधर रहा है। नालों के जरिये ग्रामीणों को कृषि के लिये सिंचाई का पानी मिल रहा, मवेशियों को पीने के पानी की समस्या से निजात मिल रही, साथ ही गर्मी के दिनों में भी ग्रामीणों को निस्तारी के लिये पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। वन्य प्राणियों के लिये भी गर्मी के दिनों में पेयजल की किल्लत नहीं होती और उनके लिये हर वक्त पानी मिल रहा है।
- गरवा कार्यक्रम के तहत पशुधन के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये गाँवों में गौठान बनाकर वहाँ पशुओं को रखने की व्यवस्था की गई हैं। गौठानों में पशुओं के लिये डे-केयर की व्यवस्था है। इसके तहत चारे और पानी का नि:शुल्क प्रबंध किया गया है। इससे मवेशियों को चारे के लिये भी भटकना नहीं पड़ रहा है।
- घुरवा कार्यक्रम के माध्यम से जैविक खाद का उत्पादन कर इसके उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- बारी कार्यक्रम- छत्तीसगढ़ में बाड़ी को बारी कहा जाता है। ग्रामीणों के घरों से लगी भूमि में 3 लाख से अधिक व्यक्तिगत बाड़ियों को विकसित किया गया है। साथ ही गौठानो में बनाई गई करीब 4429 सामुदायिक बाड़ियों के जरिये फल, साग-सब्जियों के उत्पादन से कृषकों को आमदनी के साथ-साथ पोषण सुरक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। इस योजना के जरिये ग्रामों और बसाहटों में बाड़ियों को विकसित कर लोगों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
प्रदेश के दो ज़िला चिकित्सालय और एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को विभिन्न गुणवत्ता प्रमाण पत्रों से नवाज़ा गया
चर्चा में क्यों?
19 जुलाई, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्र में स्थित जगदलपुर ज़िला चिकित्सालय, बलरामपुर ज़िला चिकित्सालय तथा कोरबा ज़िले के करतला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं और मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिये विभिन्न गुणवत्ता प्रमाण पत्रों से नवाज़ा है।
प्रमुख बिंदु
- भारत सरकार ने बस्तर ज़िला अस्पताल को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (National Quality Assurance Standard), लक्ष्य (LaQshya) और मुस्कान (MusQan) कार्यक्रम के अंतर्गत गुणवत्ता प्रमाण पत्र जारी किया है। वहीं बलरामपुर ज़िला अस्पताल और करतला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का एनक्यूएस तथा लक्ष्य कार्यक्रम के तहत सर्टिफिकेशन किया गया है।
- सुदूर वनांचलों में स्थित शासकीय अस्पतालों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक, लक्ष्य और मुस्कान कार्यक्रम के अंतर्गत प्रमाण पत्र मिलना इस बात का संकेत है कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएँ सभी क्षेत्रों तक पहुँच रही हैं।
- विदित है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने इस साल मार्च से जून के बीच इन तीनों अस्पतालों का निरीक्षण कर मरीजों के लिये उपलब्ध सेवाओं की गुणवत्ता का परीक्षण किया था। टीम ने इस संबंध में मरीजों से भी फीडबैक लिया था।
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने बस्तर ज़िला चिकित्सालय के मूल्यांकन के बाद 12 विभागों को एनक्यूएस, लेबर रूम व मैटरनिटी ओटी सेवाओं के लिये लक्ष्य कार्यक्रम के तहत तथा पीडियाट्रिक एवं एसएनसीयू के लिये मुस्कान कार्यक्रम के तहत गुणवत्ता प्रमाण पत्र प्रदान किया है।
- करतला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भी सात विभागों को एनक्यूएस तथा लेबर रूम व मैटरनिटी ओटी के लिये लक्ष्य कार्यक्रम के तहत भारत सरकार द्वारा गुणवत्ता प्रमाण पत्र जारी किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक, लक्ष्य और मुस्कान कार्यक्रम के तहत सर्टिफिकेशन के पूर्व विशेषज्ञों की टीम द्वारा अस्पताल की सेवाओं और संतुष्टि स्तर का विभिन्न मानकों पर परीक्षण किया जाता है। इनमें उपलब्ध सेवाएँ, मरीजों के अधिकार, इनपुट, सपोर्ट सर्विसेस, क्लिनिकल सर्विसेस, इंफेक्शन कंट्रोल, गुणवत्ता प्रबंधन और आउटकम जैसे पैरामीटर शामिल हैं। इन कड़े मानकों पर खरा उतरने वाले अस्पतालों को ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गुणवत्ता प्रमाण-पत्र जारी किये जाते हैं।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में पाँच साल में आठ लाख से अधिक लोग हुए गरीबी रेखा से बाहर
चर्चा में क्यों?
17 जुलाई, 2023 को नई दिल्ली में जारी नीति आयोग की बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ कि वर्ष 2015-16 और 2019-21 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के पाँच साल के दौरान उत्तराखंड की बहुआयामी गरीबी में आठ फीसदी कमी आई है।
प्रमुख बिंदु
- इस तरह 2011 की जनगणना की आबादी के हिसाब से उत्तराखंड में 815,247 लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं।
- विदित है कि नीति आयोग ने दो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) के तुलनात्मक विश्लेषण के जरिये ये रिपोर्ट तैयार की है।
- रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 और 2019-21 के बीच उत्तराखंड में बहुआयामी गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 17.67 प्रतिशत से गिरकर 9.67 प्रतिशत हो गई है। इस तरह कुल आठ प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है।
- रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की बहुआयामी गरीबी में 11.03 प्रतिशत की कमी आई। 2015-16 में 21.87 प्रतिशत गरीब थे, जो घटकर 2019-21 में 10.84 रह गए।
- गांवों की तुलना में राज्य के शहरी क्षेत्रों में कम गरीबी है। 2015-16 और 2019 के बीच शहरों में बहुआयामी गरीबी में 9.89 प्रतिशत गिरकर सात फीसदी रह गई।
- गरीबी को कम करने में पोषण में सुधार, स्कूली शिक्षा, स्वच्छता, खान पकाने के ईंधन की सुलभता, बिजली, आवास, परिसंपत्ति, बैंक खाते, बाल एवं मातृ मृत्यु दर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- अल्मोड़ा ज़िले में सबसे अधिक 16.18 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से बाहर हुए। दूसरे स्थान पर उत्तरकाशी में 14.74 प्रतिशत लोग गरीबी से उबरे। तीसरे स्थान पर 12.82 प्रतिशत की गिरावट के साथ चंपावत, 12.49 गिरावट के साथ चौथे पर बागेश्वर ज़िला रहा।
- इनके अलावा ऊधमसिंह नगर ज़िले में 11.72 प्रतिशत, टिहरी गढ़वाल में 11.60 प्रतिशत, चमोली में 9.96 प्रतिशत, रुद्रप्रयाग में 8.77 प्रतिशत, हरिद्वार में 8.41 प्रतिशत, पिथौरागढ़ में 7.48 प्रतिशत, देहरादून में 3.86 प्रतिशत, नैनीताल में 3.31 प्रतिशत और पौड़ी गढ़वाल ज़िले में 3.01 प्रतिशत गरीब कम हुए।
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