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नई दिल्ली में कालबेलिया शिल्प पुनरुद्धार प्रोजेक्ट प्रदर्शनी की शुरुआत
चर्चा में क्यों?
19 जुलाई, 2022 को राजस्थान के कालबेलिया समुदाय के उत्थान के प्रयास की दिशा में नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में कालबेलिया शिल्प पुनरुद्धार प्रोजेक्ट प्रदर्शनी की शुरुआत की गई।
प्रमुख बिंदु
- कालबेलिया क्राफ्ट रिवाइवल प्रोजेक्ट प्रदर्शनी कालबेलिया समुदाय की महिलाओं द्वारा बनाए जाने वाले हस्तशिल्प उत्पादों, विशेषकर कालबेलिया रजाईयाँ और गुदड़ियों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करने का महत्त्वपूर्ण माध्यम साबित होगी।
- उल्लेखनीय है कि राजस्थान का कालबेलिया समुदाय अपनी कला के लिये पूरी दुनिया में जाना जाता है, लेकिन उनके रोज़गार के संसाधन सीमित होने और आर्थिक तंगी के कारण उनकी कला एवं शिल्प को बाज़ार तक पहुँचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
- प्रदर्शनी के क्यूरेटर डॉ. मदन मीना ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की परिकल्पना कोविडकाल से विकसित हुई थी, जब राजस्थान के कालबेलिया के कई परिवार तालाबंदी के कारण अपने पैतृक गाँव लौट आए थे। कालबेलिया कलाकारों का काम भी पर्यटन की सुस्ती के कारण ठप हो गया। ऐसे में उन्हें उनके गाँव के भीतर वैकल्पिक आजीविका का अवसर प्रदान करने के लिये कोटा हैरिटेज सोसाइटी द्वारा कालबेलिया क्राफ्ट रिवाइवल प्रोजेक्ट की परिकल्पना की गई थी।
- इसे शुरू में निफ्ट-जोधपुर केंद्र और भारतीय शिल्प एवं डिजाइन संस्थान, जयपुर द्वारा अपने छात्रों को इंटर्नशिप प्रदान करने के लिये स्पॉन्सर किया गया था। वर्तमान में बूंदी और जयपुर की कालबेलिया महिलाएँ इस परियोजना में काम कर रही हैं।
- इस परियोजना का उद्देश्य कालबेलिया समुदाय की रजाई बनाने की परंपरा को संरक्षित करना और उन्हें अपने समुदाय एवं उनके शिल्प के निर्वाह के लिये उनके गाँवों के भीतर बेहतर आजीविका के अवसर प्रदान करना है।
- डॉ. मदन मीना ने बताया कि इस प्रोजेक्ट से जुड़ी कालबेलिया महिलाओं को विभिन्न कलात्मक उत्पाद बनाने के लिये प्रतिदिन 300 रुपए प्रति महिला दिया जाता है। इस धनराशि को विभिन्न स्रोतों से जुटाया जाता है तथा स्पॉन्सरशिप से भी धनराशि प्राप्त होती है, जिसका उपयोग इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिये किया जा रहा है।
- इस परियोजना में भाग लेने वाली कालबेलिया महिलाओं में जयपुर से मेवा सपेरा, बूंदी से मीरा बाई, लाड बाई, रेखा बाई, नट्टी बाई और बनिया बाई प्रमुख रूप से शामिल हैं।
- कार्यक्रम में जयपुर से आई अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिनाम कालबेलिया गायक और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकीं मेवा सपेरा ने बताया कि कालबेलिया रजाई और उनकी गुणवत्ता घर की महिलाओं की समृद्धि, कौशल और प्रतिभा को दर्शाती है। एक परिवार रजाई के ढेर रखता है, जो मेहमानों की यात्रा के दौरान बाहर निकाला जाता है। ये रजाईयाँ बेटियों को उपहार देने का हिस्सा होती हैं।
- उन्होंने बताया कि खाली समय में कालबेलिया समुदाय की महिलाएँ अपने संग्रह के लिये हमेशा रजाई बनाती हैं। एक रजाई या गुदड़ी को पूरा होने में दो से तीन महीने का समय लगता है।
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उत्सव पोर्टल पर राज्यों का रिपोर्ट कार्ड जारी, राजस्थान चुना गया सर्वश्रेष्ठ राज्य
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘उत्सव पोर्टल’ पर जारी सूची में राजस्थान को सर्वश्रेष्ठ राज्य चुना गया है। इस सूची में केरल को दूसरा, उत्तर प्रदेश को तीसरा व अंडमान और निकोबार को चौथा स्थान मिला है।
प्रमुख बिंदु
- राजस्थान को आउटस्टैंडिंग परफॉर्मेंस के आधार पर प्रथम स्थान मिला है। राजस्थान ने सर्वाधिक 22 मेलों और उत्सवों से संबंधित समस्त सूचनाओं को उत्सव पोर्टल वेबसाइट पर अपलोड किया है।
- राजस्थान अपने समृद्ध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक विरासत, धार्मिक स्थलों, प्रसिद्ध मंदिरों, प्राचीन दुर्गों, महलों, स्वादिष्ट व्यंजन और प्राकृतिक सौंदर्य के लिये देश-दुनिया में जाना जाता है।
- राजस्थान में श्री गोविंद देवजी और मोती डूंगरी गणेश मंदिर (जयपुर) जैसे कई धार्मिक स्थलों के लाइव दर्शन लिंक के अलावा पुष्कर मेला (अजमेर), मेवाड़ उत्सव (उदयपुर), तीज उत्सव (जयपुर), कुंभलगढ़ उत्सव (राजसमंद), ब्रज होली महोत्सव (भरतपुर), गणगौर उत्सव (जयपुर), मरू महोत्सव (जैसलमेर) जैसे कई मेलों और उत्सवों की सूचना पोर्टल पर दर्ज की गई है।
- उल्लेखनीय है कि उत्सव पोर्टल वेबसाइट एक डिजिटल पहल है। इसे केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने देश के पर्यटन स्थलों को वैश्विक पटल पर लाने और पर्यटकों की मदद के लिये कोरोना महामारी के समय वर्ष 2021 में शुरू किया था।
- इसका उद्देश्य देश के विभिन्न राज्यों के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों को देश-दुनिया में लोकप्रिय बनाने, मेलों, त्योहारों और प्रमुख मंदिरों में होने वाली पूजा-अर्चना, आरती का लाइव प्रसारण करना है, ताकि लोग घर बैठे इनका आनंद उठा सकें। साथ ही उन्हें आगामी यात्रा कार्यक्रम को बनाने में आसानी हो।
- उत्सव पोर्टल पर पर्यटन संबंधित संपूर्ण जानकारी आसानी से उपलब्ध हो रही है। पोर्टल पर आधिकारिक सोशल मीडिया लिंक, आधिकारिक वेबसाइटें, विवरणिका और आयोजन समिति के संपर्क विवरण तथा हवाई, रेल और सड़क मार्ग से आसानी से गंतव्य तक पहुँचने की जानकारी प्रदान की जा रही है। इससे पर्यटकों को पर्यटन स्थलों तक पहुँचने की योजना बनाने में सहायता मिल रही है।
- वेबसाइट पर 28 राज्यों और 9 केंद्रशासित प्रदेशों के विभिन्न धार्मिक मंदिरों की पूजा-आरती, पर्यटन स्थलों, कार्यक्रमों, मेलों और उत्सवों के लाइव दर्शन की जानकारी दी गई है। पर्यटकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए वेबसाइट को लगातार अपडेट किया जा रहा है। पर्यटन क्षेत्र में आने वाले सभी मेलों और उत्सवों से संबंधित नई जानकारी तेज़ी से वेबसाइट पर अपडेट की जा रही है।
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मुख्यमंत्री ने किया जमनालाल बजाज ऑडिटोरियम का शिलान्यास
चर्चा में क्यों?
19 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सीकर में बनने वाले जमनालाल बजाज ऑडिटोरियम का शिलान्यास किया।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि राज्य के बजट में 17 ज़िलों में ऑडिटोरियम के निर्माण का प्रावधान किया गया है।
- 30 करोड़ रुपए की लागत से बनने जा रहा यह ऑडिटोरियम 3 हेक्टेयर में फैला हुआ है तथा इसमें 800 लोगों के बैठने की क्षमता है।
- इस ऑडिटोरियम में स्थानीय स्थापत्य कला के अनुसार आर्ट गैलरी, पुस्तकालय, 22 गेस्ट रूम, 2 बेन्क्वेट हॉल, मल्टीपर्पज हॉल, कॉन्फ्रेंस रूम एवं ऑफिस का निर्माण होगा। इसमें आधुनिक तकनीक के अनुरूप सभी ऑडियो-वीडियो और लाइव कार्यक्रम की व्यवस्था होगी।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सीकर के काशी का वास गाँव में जन्में जमनालाल बजाज का आज़ादी के आंदोलन में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
- जमनालाल बजाज ने गांधीजी के जीवन मूल्यों से प्रभावित होकर अपनी पत्नी एवं बच्चों सहित आश्रम में रहना शुरू कर दिया था तथा स्वतंत्रता आंदोलन में जेल भी गए थे। वर्धा में उन्होंने छूआछूत निवारण के लिये लक्ष्मीनारायण मंदिर में हरिजनों का प्रवेश कराया था।
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