खाद्य प्रसंस्करण मिशन: साढ़े चार साल में 737 इकाईयों में 1398 करोड़ रुपए का हुआ निवेश | छत्तीसगढ़ | 20 May 2023
चर्चा में क्यों?
18 मई, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में लागू ‘छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य प्रसंस्करण मिशन’के तहत राज्य में पिछले साढ़े चार सालों में 737 नई इकाईयाँ स्थापित हुई जिनमें 1397 करोड़ 24 लाख रुपए का पूंजी निवेश हुआ और 6 हज़ार 896 लोगों को रोज़गार मिला है।
प्रमुख बिंदु
- मिशन के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों का तकनीकी उन्नयन, स्थापना व आधुनिकीकरण कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है, जिसमें संयंत्र एवं मशीनरी तथा तकनीकी सिविल कार्यों की लागत का 25 प्रतिशत (अधिकतक 50 लाख रुपए) तक अनुदान दिया जा रहा है।
- इसी प्रकार उद्यानिकी एवं गैर उद्यानिकी क्षेत्रों में नवीन कोल्डचेन हेतु, मूल्य संवर्धन एवं संरक्षण अधोसंरचना का विकास कार्यक्रम के अंतर्गत परियोजना की लागत का 35 प्रतिशत (अधिकतम 5 करोड़ रुपए) तथा बैंक या वित्तीय संस्थाओं द्वारा 5 वर्षों की अवधि के लिये 2 करोड़ रुपए तक की राशि का अनुदान वार्षिक दर पर दिया जा रहा है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र व संग्रहण केंद्र की स्थापना कार्यक्रम के तहत परियोजना लागत का 50 प्रतिशत (2.50 करोड़ रुपए अधिकतम) तक अनुदान दिया जा रहा है। वहीं, रीफर वाहन योजना के अंतर्गत कूलिंग की लागत का 50 प्रतिशत (अधिकतम 50 लाख रुपए) तक का अनुदान अद्यमियों को प्रदाय किया जा रहा है।
- गौरतलब है कि खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना के लिये अनुदान शर्तों में आवेदक की पृष्ठभूमि मजबूत होनी चाहिये यानी आवेदक का नेटवर्थ आवेदन किये गए अनुदान का 1.5 गुणा से अधिक होना चाहिये। सावधि ऋण का लाभ उठाया जाना चाहिये, सावधि ऋण परियोजना लागत का 25 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिये।
- बैंक व वित्तीय संस्थान की परियोजना मूल्यांकन रिपोर्ट में सभी परियोजना घटक शामिल किये जाने चाहिये, जिनके लिये अनुदान मांगा गया है। वाणिज्यिक उत्पादन की तिथि आवेदन पत्र प्रस्तुत करने की तिथि से पहले नहीं होनी चाहिये। योजना के लिये निर्धारित घटकों में से किन्हीं 2 परियोजना घटकों की स्थापना करनी होगी।
- उल्लेखनीय है कि कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति के तहत प्रदेश में एक नई योजना ‘छत्तीसगढ़ राज्य खाद्य प्रसंस्करण मिशन’लागू है।
- खाद्य प्रसंस्करण मिशन का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को स्थापित करना, राज्य में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अधिक से अधिक निवेश लाना, उत्पादों को उन्नत करने व उनकी क्षमता को बढ़ाने, कृषि उत्पादों का संग्रहण तथा प्रसंस्करण से कृषकों को आर्थिक लाभ देना, खाद्य सुरक्षा तथा स्वच्छता के मानकों में सुधार करना और संगठित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिये बेहतर सहायक प्रणाली की व्यवस्था करना है।