उत्तर प्रदेश Switch to English
लखनऊ में धारा 144 लागू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने आगामी लोकसभा चुनाव और त्योहारों के मद्देनज़र लखनऊ में 17 मई, 2024 तक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू कर दी है।
मुख्य बिंदु:
- उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में आयोजित किया जाएगा।
- भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम, राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में गन्ना बेल्ट से शुरू होगा और पूर्वांचल में समाप्त होगा जिसे अक्सर यूपी का चावल का कटोरा कहा जाता है।
- वोटों की गिनती 4 जून, 2024 को होने वाली है।
CrPC की धारा 144
- यह कानून भारत में किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के मजिस्ट्रेट को एक निर्दिष्ट क्षेत्र में चार या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाने का आदेश पारित करने का अधिकार देता है।
- यह उन उपद्रव या किसी घटना के संभावित खतरे के मामलों में लगाया जाता है जिसमें मानव जीवन को परेशानी या संपत्ति को क्षति पहुंँचाने की संभावना होती है।
- यह आदेश किसी विशेष व्यक्ति या आम जनता के खिलाफ पारित किया जा सकता है।
- धारा 144 की विशेषताएँ:
- यह दिये गए क्षेत्राधिकार में किसी भी प्रकार के हथियार रखने या ले जाने पर प्रतिबंध लगाता है।
- इस तरह के कृत्य के लिये अधिकतम दंड तीन वर्ष है।
- इस धारा के अंतर्गत पारित आदेश के अनुसार, जनता की आवाजाही नहीं होगी और सभी शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे।
- साथ ही इस आदेश के संचालन की अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की जनसभा या रैलियांँ करने पर पूर्ण रोक होती है।
- कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा किसी गैर-कानूनी सभा को भंग न करना एक दंडनीय अपराध माना जाता है।
- यह अधिकारियों को क्षेत्र में इंटरनेट एक्सेस को ब्लॉक करने का अधिकार भी देता है।
- धारा 144 का अंतिम उद्देश्य उन क्षेत्रों में शांति और व्यवस्था बनाए रखना है जहांँ दैनिक गतिविधयों को बाधित करने से परेशानी हो सकती है।
- यह दिये गए क्षेत्राधिकार में किसी भी प्रकार के हथियार रखने या ले जाने पर प्रतिबंध लगाता है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
दीपक कुमार उत्तर प्रदेश के नए गृह सचिव
चर्चा में क्यों?
हाल ही में निर्वाचन आयोग ने वरिष्ठ IAS अधिकारी दीपक कुमार को उत्तर प्रदेश का नया गृह सचिव नियुक्त करने की मंज़ूरी दे दी है।
मुख्य बिंदु:
वर्ष 1990 बैच के IAS अधिकारी दीपक कुमार वर्तमान में वित्त एवं मूलभूत शिक्षा के अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं।
राज्य के मुख्य सचिव
- नियुक्ति:
- मुख्य सचिव का चुनाव (Chosen) मुख्यमंत्री द्वारा किया जाता है।
- चूँकि मुख्य सचिव की नियुक्ति मुख्यमंत्री की कार्यकारी आदेश से होती है, इसलिये इसे राज्य के राज्यपाल द्वारा नामित किया जाता है।
- पदास्थिति:
- मुख्य सचिव (Chief Secretary) भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सिविल सेवाओं का वरिष्ठतम पद है।
- यह पद भारतीय प्रशासनिक सेवा की संवर्ग या कॉडर (Cadre ) पद है।
- मुख्य सचिव राज्य प्रशासन (मंत्रिमंडल) से जुड़े सभी मामलों में मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार के रूप में कार्य करता है।
- कार्यकाल:
- मुख्य सचिव के पद को कार्यकाल प्रणाली के संचालन से बाहर रखा गया है।
- इस पद के लिये कोई निश्चित कार्यकाल निर्धारित नहीं है।
भारतीय निर्वाचन आयोग
- भारतीय निर्वाचन आयोग, एक स्वायत्त सांविधानिक प्राधिकरण है जो भारत में संघ और राज्य निर्वाचन प्रक्रियाओं के प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार है।
- इसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को संविधान के अनुसार की गई थी (राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है)। आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में है।
- यह निकाय भारत में लोकसभा, राज्यसभा एवं राज्य विधानसभाओं तथा देश में राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के पदों के लिये निर्वाचन का प्रबंधन करता है।
- इसका राज्यों में पंचायतों एवं नगर पालिकाओं के निर्वाचन से कोई सरोकार नहीं है। इसके लिये भारत का संविधान एक अलग राज्य चुनाव आयोग का प्रावधान करता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश में 3,500 'पिंक' बूथ स्थापित होंगे
चर्चा में क्यों?
राज्य में लगभग 3,500 'पिंक' बूथ स्थापित किये जाने की उम्मीद है, जिनका प्रबंधन विशेष रूप से महिला सरकारी कर्मियों द्वारा किया जाएगा।
मुख्य बिंदु:
- मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 की 29 सीटों के लिये चार चरणों में 19 अप्रैल, 26 अप्रैल, 7 मई और 13 मई को मतदान होगा तथा मतों की गिनती 4 जून को होगी।
- मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) अनुपम राजन के अनुसार, राज्य में 2.90 करोड़ पुरुष, 2.74 करोड़ महिला और 1,228 तृतीय लिंग मतदाताओं सहित 5.64 करोड़ मतदाता पंजीकृत हैं।
- इसके अलावा, 118 विदेशी मतदाता और 74,835 सेवा मतदाता (सीमाओं और अन्य स्थानों पर तैनात सेना के जवान) हैं, जिससे मध्य प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या 5.65 करोड़ से अधिक हो गई है।
- वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 77.82% था।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO)
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 13A और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 20 के अनुसार,किसी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश का मुख्य निर्वाचन अधिकारी निर्वाचन आयोग के समग्र अधीक्षण, निर्देशन एवं नियंत्रण के अधीन निर्वाचन कार्य की निगरानी के लिये अधिकृत है।
- भारत का निर्वाचन आयोग उस राज्य सरकार/केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन के परामर्श से सरकार के एक अधिकारी को मुख्य निर्वाचन अधिकारी के रूप में नामित करता है।
बिहार Switch to English
बेगुसराय: विश्व का सबसे प्रदूषित महानगर
चर्चा में क्यों?
स्विस संगठन IQAir द्वारा जारी विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2023 के अनुसार, बिहार का बेगुसराय विश्व का सबसे प्रदूषित महानगरीय क्षेत्र बन गया है।
मुख्य बिंदु:
- यह रिपोर्ट बांग्लादेश और पाकिस्तान के बाद 134 देशों के बीच वायु प्रदूषण के स्तर में तीसरे स्थान पर भारत की रैंकिंग को रेखांकित करती है।
- यह वर्ष 2022 से बदलाव का प्रतीक है जब भारत वायु प्रदूषण के मामले में विश्व स्तर पर आठवें स्थान पर था।
- 118.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की औसत PM2.5 सांद्रता के साथ, बेगुसराय ने अन्य सभी महानगरीय क्षेत्रों को पीछे छोड़ दिया है।
- दिल्ली को एक बार फिर सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाली राजधानी के रूप में नामित किया गया है। इसका PM2.5 स्तर भी वर्ष 2023 में 89.1 से घटकर 92.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया है।
- दिल्ली ने वर्ष 2018 से लगातार चौथे वर्ष सबसे प्रदूषित राजधानी का खिताब बरकरार रखा है।
- यह रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि:
- लगभग 1.36 अरब लोग विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के दिशा-निर्देश से अधिक PM 2.5 स्तर के संपर्क में हैं।
- 1.33 बिलियन व्यक्ति, जो कि भारतीय आबादी के 96% के बराबर है, WHO मानक से सात गुना अधिक PM2.5 स्तर से जूझ रहे हैं।
- इस रिपोर्ट के लिये डेटा विश्व में वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों और सेंसर के एक व्यापक नेटवर्क से संकलित किया गया था, जिसमें विभिन्न संस्थान, संगठन तथा नागरिक वैज्ञानिक शामिल थे।
- वर्ष 2023 की रिपोर्ट ने 134 देशों में 7,812 स्थानों को शामिल करने के लिये अपने कवरेज़ का विस्तार किया है, जबकि वर्ष 2022 में 131 देशों में 7,323 स्थानों को शामिल किया गया है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार:
- वायु प्रदूषण एक गंभीर वैश्विक मुद्दा बना हुआ है, जो विश्व में नौ में से लगभग एक मृत्यु का कारण बनता है।
- WHO का अनुमान है कि वायु प्रदूषण के कारण हर वर्ष सात मिलियन व्यक्तियों की समय से पहले मृत्यु हो जाती है, जिससे व्यक्ति अस्थमा, कैंसर, स्ट्रोक और फेफड़ों की बीमारी जैसी विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों से प्रभावित होते हैं।
- PM2.5 प्रदूषण के उच्च स्तर के संपर्क में आने से बच्चों के संज्ञानात्मक विकास, मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है और मधुमेह जैसी मौजूदा बीमारियाँ बढ़ सकती हैं।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में बुनियादी ढाँचे के विकास को स्वीकृति
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (MoMA) ने शैक्षिक बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये उत्तराखंड सरकार को 101.27 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
मुख्य बिंदु:
- शैक्षणिक संस्थान 1,05,818 लाख आबादी की ज़रूरतों को पूरा करेंगे, जिनमें से 25% से अधिक अल्पसंख्यक समुदायों से हैं।
- छात्रों की संपूर्ण शैक्षिक यात्रा के दौरान समावेशी और समग्र बुनियादी ढाँचे के महत्त्व को स्वीकार करते हुए, MoMA ने कॉलेजों में शैक्षिक बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये इन परियोजनाओं को स्वीकृति दे दी है।
- ये सुविधाएँ उच्च शिक्षा के महत्त्व को दर्शाती हैं, जिससे विश्लेषणात्मक मानसिकता, कौशल विकास, कैरियर उन्नति आदि के विकास में उच्च शिक्षा का योगदान होता है, जिससे राज्य के युवाओं का शैक्षणिक और व्यावसायिक विकास होता है।
अल्पसंख्यकों के लिये संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 29:
- इसमें प्रावधान है कि भारत के किसी भी हिस्से में रहने वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग की अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति हो, उसे उसको संरक्षित करने का अधिकार होगा।
- यह धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ भाषाई अल्पसंख्यकों दोनों को सुरक्षा प्रदान करता है।
- हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि इस अनुच्छेद का दायरा आवश्यक रूप से केवल अल्पसंख्यकों तक ही सीमित नहीं है, क्योंकि अनुच्छेद में 'नागरिकों का वर्ग' शब्द के उपयोग में अल्पसंख्यकों के साथ-साथ बहुसंख्यक भी शामिल हैं।
- अनुच्छेद 30:
- सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और संचालित करने का अधिकार होगा।
- अनुच्छेद 30 के तहत सुरक्षा केवल अल्पसंख्यकों (धार्मिक या भाषाई) तक ही सीमित है और नागरिकों के किसी भी वर्ग तक विस्तारित नहीं है (अनुच्छेद 29 के तहत)।
- अनुच्छेद 350-B:
- 7वें संवैधानिक (संशोधन) अधिनियम 1956 में इस अनुच्छेद को शामिल किया गया जो भारत के राष्ट्रपति द्वारा भाषाई अल्पसंख्यकों के लिये नियुक्त एक विशेष अधिकारी का प्रावधान करता है।
- संविधान के तहत भाषाई अल्पसंख्यकों के लिये प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जाँच करना विशेष अधिकारी का कर्त्तव्य होगा।
हरियाणा Switch to English
रोगजनकों के लिये भोजन का परीक्षण करने हेतु लैब नेटवर्क
चर्चा में क्यों ?
भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण देश भर में 34 माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है जो एस्चेरिचिया कोलाई (E. Coli), सैल्मोनेला और लिस्टेरिया सहित 10 रोगजनकों के लिये खाद्य उत्पादों का परीक्षण करने हेतु सुसज्जित होगा।
मुख्य बिंदु:
- ये प्रयोगशालाएँ भोजन में माइक्रोबियल संदूषण का परीक्षण करने में सहायता करेंगी जिससे भोजन खराब हो सकता है और इससे संभावित स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं।
- साप्ताहिक आधार पर कई बीमारियों की निगरानी करने वाले राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के आँकड़ों के अनुसार, देश में दो सबसे अधिक फैलने वाली घटनाएँ तीव्र दस्त/डायरिया संबंधी बीमारी और खाद्य विषाक्तता थीं।
- पिछले चार वर्षों में देश भर में तीव्र डायरिया रोग के 1,100 से अधिक मामले और खाद्य विषाक्तता के लगभग 550 मामले सामने आए हैं।
- चूँकि रोगजनकों के परीक्षण के लिये जीवित संदर्भ नमूनों, महँगे अभिकर्मकों और एक सूक्ष्म जीवविज्ञानी के रखरखाव की आवश्यकता होती है, इसलिये देश भर में 79 राज्य खाद्य परीक्षण सुविधाओं में से कोई भी अब ऐसा करने में सक्षम नहीं है।
एस्चेरिचिया कोलाई (E. coli)
- एस्चेरिचिया कोलाई खाद्य पदार्थों है जिसे सामान्यतः ई. कोलाई के नाम से जाना जाता है, मनुष्यों तथा जानवरों की आँत में पाया जाने वाला एक जीवाणु है।
- यह एंटरोबैक्टीरियासी वंश का एक छड़ी के आकार का जीवाणु है।
- यद्यपि ये जीवाणु अधिकांशतः हानिकारक नहीं होते हैं, परंतु इनमें से कुछ ‘डायरिया’ जैसे रोग का कारण बन सकते हैं जबकि कुछ अन्य के संक्रमण से श्वसन संबंधी बीमारी और निमोनिया जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं।
- रोगजनक एस्चेरिचिया कोलाई दूषित भोजन, जल या संक्रमित व्यक्तियों या जानवरों के मल के संपर्क के माध्यम से मनुष्यों में फैल सकता है।
सैल्मोनेला (Salmonella)
- यह बैक्टीरिया का एक समूह है जो सैल्मोनेलासिस नामक खाद्य-जनित बीमारियों का कारण बन सकता है।
- सैल्मोनेला बैक्टीरिया सामान्यतः जानवरों और मनुष्यों की आँतों में होते हैं तथा मल के माध्यम से उत्सर्जित होते हैं। मनुष्य अक्सर दूषित जल या भोजन के माध्यम से संक्रमित होते हैं।
- सैल्मोनेला के लक्षणों में संक्रमण होने के 12-72 घंटे बाद मतली, दस्त/डायरिया, बुखार और पेट में ऐंठन शामिल हैं।
- WHO ने सैल्मोनेला को डायरिया संबंधी बीमारियों के चार प्रमुख वैश्विक कारणों में से एक के रूप में पहचाना है।
लिस्टेरिया
- यह जीवाणु प्राकृतिक रूप से पर्यावरण में मौजूद है और कुछ जानवरों की आँतों के साथ-साथ मिट्टी व जल में भी पाया जा सकता है।
- इसमें फ्लू जैसे लक्षण परिलक्षित होते हैं, जो इसे 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और गर्भवती महिलाओं के लिये विशेष रूप से खतरनाक बनाता है।
- यह बिना पाश्चुरीकृत दूध और डेयरी उत्पादों के साथ-साथ कटे हुए खरबूजे जैसे कुछ पहले से तैयार फलों के सेवन से मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है।
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