उत्तर प्रदेश Switch to English
प्रदेश के 44 हज़ार प्राइमरी विद्यालयों को निपुण विद्यालय का दर्जा
चर्चा में क्यों?
19 मार्च, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिये राज्य सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग को नया लक्ष्य दिया है, जिसके तहत इस साल के अंत तक प्रदेश में 44 हज़ार प्राइमरी विद्यालयों को निपुण विद्यालय का दर्जा हासिल करना होगा।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बीते दिनों की गई समीक्षा में इस लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये गए थे।
- उल्लेखनीय है कि निपुण भारत मिशन का उद्देश्य यह तय करना है कि देश में प्रत्येक बच्चा अनिवार्य रूप से 2026-27 तक ग्रेड 3 के अंत तक मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्राप्त कर ले।
- यह मिशन, जिसे समग्र शिक्षा की केंद्र प्रायोजित योजना के तत्वावधान में शुरू किया गया है, स्कूली शिक्षा के मूलभूत वर्षों में बच्चों तक पहुँच प्रदान करने और उन्हें स्कूल में बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- बेसिक शिक्षा विभाग को दिये गए निर्देशों के अनुसार प्रत्येक एआरपी (एकेडमिक रिसोर्स पर्सन) को दिसंबर तक 10 स्कूलों को निपुण बनाना होगा। इस तरह इस वर्ष के अंत तक ही 44 हज़ार से ज्यादा स्कूलों को निपुण बनाना लक्ष्य है।
- इसी तरह शिक्षक संकुलों के लिये जुलाई 2023 तक अपने स्कूलों को निपुण बनाना अनिवार्य होगा। इसके माध्यम से 41 हज़ार से ज्यादा स्कूलों को निपुण बनाने का लक्ष्य है।
- इसके अलावा राज्य के प्रत्येक ज़िले में कम से कम एक ब्लॉक को भी निपुण बनाने के निर्देश दिये गए हैं। इस तरह दिसंबर 2023 तक 75 ब्लॉक को निपुण बनाने का लक्ष्य तय किया गया है।
- निर्देशों के साथ-साथ टूलकिट भी तय की गई है। इसके तहत निर्देशिका में उल्लेखित लेसन प्लान को 100 प्रतिशत कक्षाओं में लागू करना होगा। निपुण तालिका के द्वारा 100 प्रतिशत स्कूल बेस्ड असेसमेंट पूर्ण करना होगा।
- इसके अलावा मेंटर्स के द्वारा स्पॉट असेसमेंट किया जाएगा, जबकि डायट स्टूडेंट्स द्वारा स्पॉट असेसमेंट सुनिश्चित किया जाएगा।
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