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मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस
चर्चा में क्यों?
भारत में 19 फरवरी 2025 को 10वाँ मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस मनाया गया।
मुख्य बिंदु
- दिवस के बारे में:
- इस दिवस का मुख्य उद्देश्य किसानों को मृदा स्वास्थ्य के महत्त्व और मृदा परीक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूक करना है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
- परिचय
- इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री ने 19 फरवरी, 2015 को राजस्थान के सूरतगढ़ में की थी।
- इस योजना की थीम है: स्वस्थ धरा, खेत हरा।
- उद्देश्य
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हर 2 वर्ष के अंतराल पर किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित करना
- किसानों को मृदा स्वास्थ्य और इसकी उर्वरता में सुधार के लिये आवश्यक निर्देश देना
- पोषक तत्त्वों की उचित मात्रा के साथ-साथ किसानों को मिट्टी की पोषक स्थिति की जानकारी देना
- मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं (STL) को सशक्त करना
- राज्यों में मिट्टी की उर्वरता की समस्या का समाधान करना
- सुधारात्मक उपाय प्रदान करना
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- पोर्टल
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल देश भर में सभी प्रमुख भाषाओं और 5 बोलियों में एक समान और मानकीकृत प्रारूप में किसानों के लाभ के लिये मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार करने की सुविधा प्रदान करता है।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड में 12 मापदंडों के संबंध में मिट्टी की स्थिति शामिल होती है, जैसे
- मैक्रो पोषक तत्त्व: नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P), पोटेशियम (K)
- द्वितीयक पोषक तत्त्व: सल्फर (S)
- सूक्ष्म पोषक तत्त्व: जिंक (Zn), आयरन (Fe), कॉपर (Cu), मैंगनीज (Mn), बोरान (B)
- भौतिक पैरामीटर: pH, Electrical Conductivity (EC), Organic Carbon (OC)
- इसके आधार पर, कार्ड खेत के लिये आवश्यक उर्वरक अनुशंसाओं और मिट्टी संशोधन को भी बताता है।
- मिट्टी के नमूने आम तौर पर साल में दो बार लिये जाते हैं, क्रमशः रबी और खरीफ फसल की कटाई के बाद या जब खेत में कोई खड़ी फसल न हो।