नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 20 Feb 2023
  • 0 min read
  • Switch Date:  
मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश का सिंचाई के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिये उत्कृष्ट राज्य के रूप में चयन

चर्चा में क्यों?

19 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक में जानकारी दी गई कि मध्य प्रदेश को सिंचाई के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिये उत्कृष्ट राज्य के रूप में चुना गया है। 

प्रमुख बिंदु

  • बैठक में जानकारी दी गई कि केंद्रीय सिंचाई एवं ऊर्जा ब्यूरो द्वारा मध्य प्रदेश को सीबीआईपी अवार्ड प्रदान किया गया है।
  • मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में विगत 15 वर्षों में सिंचाई क्षमता को 7 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 45 लाख हेक्टेयर तक पहुँचाया गया है।
  • विगत 3 वर्षों में मध्य प्रदेश पाईप प्रणाली के माध्यम से अधिकतम क्षेत्र में सिंचाई करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।

मध्य प्रदेश Switch to English

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में लिये गए महत्त्वपूर्ण निर्णय

चर्चा में क्यों?

19 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में शराब को हतोत्साहित करने के निर्णय के साथ ही कई अन्य महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए।

प्रमुख बिंदु

  • मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में शराब को हतोत्साहित करने के लिये कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये हैं।
  • प्रदेश में शराब के सभी अहाते और शॉप बार बंद किये जाएंगे।
  • मदिरा दुकानों में बैठकर मदिरा पीने की अनुमति नहीं होगी।
  • शराब की दुकान के लिये शैक्षणिक और धार्मिक संस्थानों के आसपास के 50 मीटर के दायरे को बढ़ाकर 100 मीटर किया जाएगा।
  • शराब पीकर वाहन चलाने वालों के ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित करने एवं सजा के प्रावधान कड़े किये जाएंगे।
  • मंत्रि-परिषद ने राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 परिशिष्ट-1 में संशोधन करते हुए राहत राशि में वृद्धि करने का निर्णय लिया है।
  • निर्णय अनुसार शरीर के किसी अंग अथवा आँख/आँखों की हानि के लिये 40% और 60% तक अपंगता होने पर 59 हज़ार 100 रुपए के स्थान पर 74 हज़ार रुपए प्रति व्यक्ति तथा 60% से अधिक अपंगता होने पर 2 लाख रुपए के स्थान पर 2 लाख 50 हज़ार रुपए दिया जाएगा।
  • इसी तरह गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को एक सप्ताह से अधिक दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने पर 12 हज़ार 700 रुपए के स्थान पर 16 हज़ार रुपए प्रति व्यक्ति तथा एक सप्ताह से कम अवधि के लिये अस्पताल में भर्ती होने पर 4 हज़ार 300 रुपए के स्थान पर 5 हज़ार 400 रुपए प्रति व्यक्ति दिया जाएगा।

बाढ़ की स्थिति में भूमि और अन्य नुकसान के लिये सहायता-

  • कृषि योग्य भूमि वाले खेतों में रेत या पत्थर (3 इंच से अधिक) आ जाने पर पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि पर मलबा हटाने के लिये, फिश फार्म में डिसेल्टिंग या पुनस्थापन अथवा मरम्मत सफाई के लिये राहत 12 हज़ार 200 रुपए के स्थान पर 18 हज़ार रुपए प्रति हैक्टेयर दिया जाएगा।
  • इसी तरह भूस्खलन, हिमस्खलन, नदियों के रास्ता बदलने के कारण सीमांत या लघु कृषक के भूमि स्वामित्व की भूमि के नष्ट होने पर राहत 37 हज़ार 500 रुपए के स्थान पर 47 हज़ार रुपए प्रति हेक्टेयर दिया जाएगा।

पशु-पक्षी (मुर्गा/मुर्गी) हानि के लिये आर्थिक सहायता-

  • दुधारू पशु गाय/भैंस/ऊँट आदि के लिये राहत राशि 30 हज़ार प्रति पशु के स्थान पर 37 हज़ार 500 रुपए एवं भेड़ बकरी/ सूअर के लिये राहत 3 हज़ार रुपए के स्थान पर 4 हज़ार रुपए दिया जाएगा।
  • गैर-दुधारू पशु ऊँट/घोड़ा/बैल/भैंसा आदि के लिये राहत राशि 25 हज़ार रुपए प्रति पशु के स्थान पर 32 हज़ार रुपए प्रति पशु किया जाएगा एवं बछड़ा (गाय, भैंस)/ गधा /पोनी/ खच्चर हेतु राहत 16 हज़ार रुपए प्रति पशु के स्थान पर 20 हज़ार रुपए दिया जाएगा।
  • अस्थायी पशु शिविर में रखे गए बड़े पशुओं के लिये 70 रुपए पशु प्रति दिवस के स्थान पर 80 रुपए एवं छोटे पशुओं के 35 रुपए प्रति पशु प्रति दिवस के स्थान पर 45 रुपए दिया जाएगा।
  • इसी तरह पक्षी (मुर्गी/ मुर्गा) हानि के लिये 60 रुपए (10 सप्ताह से अधिक आयु के) प्रति पक्षी के स्थान पर 100 रुपए प्रति पक्षी दिया जाएगा।

बाढ़ एवं तूफान से प्रभावित मछुआरों को दी जाने वाली सहायता-

  • नाव की आंशिक क्षति होने पर मरम्मत के लिये 4 हज़ार 100 रुपए के स्थान पर 6 हज़ार रुपए दिया जाएगा।
  • जाल या अन्य उपकरणों की मरम्मत के लिये 2 हज़ार 100 रुपए के स्थान पर 3 हज़ार रुपए दिया जाएगा।
  • नाव नष्ट होने पर 12 हज़ार रुपए के स्थान पर 15 हज़ार रुपए दिया जाएगा।
  • इसी तरह नैसर्गिक आपदा यथा सूखा, अतिवृष्टि, बाढ़, भूस्खलन, भूकंप आदि से मछली पालने वालों को मछली बीज नष्ट होने पर प्रभावित को 8 हज़ार 200 रुपए के स्थान पर 10 हज़ार रुपए प्रति हेक्टेयर दिया जाएगा।

बुनकरों/हस्तशिल्पियों को दी जाने वाली सहायता-

  • नैसर्गिक आपदा से प्रभावित बुनकर/परंपरागत शिल्प के क्षेत्र में काम करने वाले हस्त शिल्पी को उनके उपकरण/औज़ार और उनके द्वारा तैयार माल अथवा कच्चे माल के क्षतिग्रस्त होने पर कच्चे माल या धागा और अन्य तत्संबंधी रंग, रसायन आदि क्रय करने पर प्रति बुनकर/शिल्पी हेतु राहत राशि अधिकतम 4 हज़ार 100 रुपए के स्थान पर 5 हज़ार रुपए प्रति शिल्पकार दिया जाएगा।

नष्ट हुए मकानों के लिये आर्थिक अनुदान सहायता-

  • पूर्ण नष्ट (मरम्मत योग्य नहीं) और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त (जहाँ क्षति 50 प्रतिशत से अधिक हो) पक्के/कच्चे मकान के लिये वास्तविक क्षति के आकलन के आधार पर राहत राशि अधिकतम 95 हज़ार 100 रुपए के स्थान पर मैदानी इलाकों में 1 लाख 20 हज़ार एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 1 लाख 30 हज़ार रुपए दी जाएगी।
  • झुग्गी झोपड़ी (झुग्गी/झोपड़ी से तात्पर्य है कच्चे घर से निम्नतर फूस मिटेी प्लास्टिक सीट आदि से निर्मित घर) पूर्ण नष्ट होने पर राहत राशि 6 हज़ार के स्थान पर 8 हज़ार रुपए दी जाएगी।
  • इसी तरह आशिक क्षतिग्रस्त (जहाँ क्षति 15 प्रतिशत से 50 प्रतिशत हो) पक्के मकान के लिये राहत राशि 5 हज़ार 200 के स्थान पर 6 हज़ार 500 रुपए एवं कच्चे मकान के लिये 3 हज़ार 200 के स्थान पर 4 हज़ार रुपए दी जाएगी। साथ ही मकान से संलग्न पशु घर के लिये राहत राशि 2 हज़ार 100 के स्थान पर 3 हज़ार रुपए प्रति पशु घर दी जाएगी।
  • मंत्रि-परिषद ने नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 एवं मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की कतिपय धाराओं में संशोधन किये जाने के लिये म.प्र. नगर पालिक विधि (संशोधन) विधेयक 2023 को मंजूरी दी है। यह विधेयक विभाग के अंतर्गत प्रशासित अधिनियमों के कतिपय प्रावधानों को डिक्रिमिनालाइज करने के संबंध में लाया जा रहा है।
  • मंत्रि-परिषद ने मध्य प्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों को प्रदाय किया जाना) संशोधन विधेयक 2023 को मंजूरी दी है। इससे शहरों में गरीबों की आवास की समस्या के निराकरण के उद्देश्य से मध्य प्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों को प्रदाय किया जाना) अधिनियम 1984 के अंतर्गत गरीबों को आवासीय भूमि के पट्टे देने की पात्रता तिथि में वृद्धि करके कटऑफ तिथि 31 दिसंबर, 2014 से 31 दिसंबर, 2020 की जा रही है।
  • मंत्रि-परिषद ने ग्वालियर में नवीन तहसील ग्वालियर ग्रामीण के सृजन को मंजूरी दी है।

मध्य प्रदेश Switch to English

मुख्यमंत्री ने कूनो में 12 और चीतों को छोड़ा

चर्चा में क्यों?

18 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्योपुर ज़िले में स्थित कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों को बाड़े में छोड़ा। इनमें 7 नर चीते और 5 मादा चीते शामिल हैं। 

प्रमुख बिंदु

  • दक्षिण अफ्रीका से लाए गए इन 12 चीतों को मिलाकर अब कूनो में 20 चीते हो गए हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्म-दिन 17 सितंबर, 2022 को नामीबिया से लाए 8 चीतों को कूनो में छोड़ा था।
  • उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश का पालपुर कुनो राष्ट्रीय उद्यान वन्य-जीव प्रेमियों के लिये सबसे अनूठा गंतव्य है। कूनों में करधई, खैर और सलाई की बहुतायत वाले लुभावने जंगल हैं और विशाल घास के मैदानों में दर्जनों की संख्या में घास चरते हुए वन्यजीव हैं।
  • यह क्षेत्र लगभग 350 वर्ग किमी. के अभयारण्य के रूप में शुरू हुआ था और एक पत्ती के आकार का था जिसके बीचों - बीच में एक रीढ़ की हड्डी की तरह कुनो नदी बहती है। यह नदी न केवल जंगल में एक निरंतर पानी की आपूर्ति रखने और जंगल की सिंचाई करने में मदद करती है, बल्कि इससे इस संरक्षित क्षेत्र का नाम भी पड़ा है।
  • कूनो नेशनल पार्क/कूनो वन्य-जीव डिवीजन और आसपास का क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से वन्य-जीवों से समृद्ध रहा है। यह क्षेत्र प्राचीन काल में भी घने जंगल के रूप में जाना जाता था। कूनो नदी के आसपास का क्षेत्र प्राचीन काल से जैव विविधता से समृद्ध रहा है।
  • राज्य सरकार ने इस स्थान के महत्त्व को महसूस करते हुए वर्ष 1981 में लगभग 3300 वर्ग किमी. के बड़े वन क्षेत्र के अंतर्गत लगभग 345 वर्ग किमी. के कूनो वन्य-जीव अभयारण्य की स्थापना की। वन्य-जीव संरक्षण को और मजबूत करने और इस क्षेत्र के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिये अतिरिक्त 891 वर्ग किमी. क्षेत्र को बफर के रूप में जोड़कर वर्ष 2002 में 1235 वर्ग किमी. के कूनो वन्य-जीव प्रभाग की स्थापना की गई।
  • क्षेत्र में शुष्क घास के मैदान और उष्णकटिबंधीय नदी वाले वन शामिल हैं। यह पशुओं की विभिन्न प्रजातियों में समान रूप से समृद्ध है। यह क्षेत्र वन्य-जीव के लिये विभिन्न अनुकूल कारकों का एक दुर्लभ रहवास स्थल है। इस क्षेत्र को चीतों के के पुनर्वास लिये सबसे उपयुक्त स्थान के रूप में पहचाना गया।
  • कूनो नेशनल पार्क के वन क्षेत्र में मुख्य रूप से करधई, सलाई, खैर के पेड़ों का वर्चस्व है, जो ज्यादातर मिश्रित जंगलों के बीच हैं। इससे वनस्पतियों और जीवों की विभिन्न प्रकार की प्रजातियाँ होने में भी मदद मिलती है। कुल मिलाकर, 123 प्रजातियों के पेड़, झाड़ियों की 71 प्रजातियाँ, बेलों और विदेशी वनस्पति की 32 प्रजातियाँ, बाँस और घास की 34 प्रजातियाँ कूनो नेशनल पार्क में पाई जाती हैं।

 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow