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गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की 13 यूनिट शुरू
चर्चा में क्यों?
19 फरवरी, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार राज्य में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिये स्थापित गौठानों में विविध आयमूलक गतिविधियों के संचालन के साथ-साथ नवाचार के रूप में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिये 13 यूनिटें शुरू हो चुकी हैं।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिये स्थापित गौठान तेजी से ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित होने लगे हैं। गौठानों में विविध आयमूलक गतिविधियों के संचालन के साथ-साथ नवाचार के रूप में गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन किया जा रहा है।
- फिलहाल 21 ज़िलों के 32 चिन्हित गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की यूनिट स्थापना अंतिम चरण में है, जहाँ शीघ्र ही प्राकृतिक पेंट का उत्पादन होने लगेगा।
- गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिये कुल 45 पेंट उत्पादन यूनिट की स्वीकृति दी गई है, जिसमें 13 की स्थापना पूरी कर वहाँ उत्पादन शुरू कर दिया गया है।
- रायपुर ज़िले में 2 यूनिट स्थापित हुई हैं, जबकि कांकेर, दुर्ग, बालोद, कोरबा, कोरिया, कोण्डागाँव, दंतेवाड़ा, बीजापुर, बेमेतरा, सूरजपुर एवं बस्तर ज़िले में 1-1 यूनिट स्थापित एवं क्रियाशील हो चुकी है।
- क्रियाशील यूनिटों के माध्यम से अब तक 30,218 लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 14,358 लीटर प्राकृतिक पेंट के विक्रय से 29 लाख 70 हज़ार 300 रुपए की आय हुई है।
- रायपुर ज़िले की 2 यूनिटों में अब तक सर्वाधिक 11 हज़ार लीटर, कांकेर में 7768 लीटर, दुर्ग में 2900, बालोद में 700, कोरबा में 284, कोरिया में 800, कोण्डागाँव में 2608, दंतेवाड़ा में 1443, बीजापुर में 800, बेमेतरा में 300, सूरजपुर में 500 एवं बस्तर में 1160 लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन हुआ है। उत्पादित पेंट का विक्रय भी किया जा रहा है।
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छत्तीसगढ़ के प्रस्ताव पर जी.एस.टी परिषद की बैठक में ट्रिब्यूनल में दो न्यायिक सदस्य एवं दो तकनीकी सदस्य रखे जाने पर बनी आम सहमति
चर्चा में क्यों?
18 फरवरी, 2023 को वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित जी.एस.टी परिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ की ओर से ट्रिब्यूनल में दो न्यायिक सदस्य एवं दो तकनीकी सदस्य (एक राज्य और एक केंद्र) रखे जाने के प्रस्ताव पर परिषद में आम सहमति बनी।
प्रमुख बिंदु
- इससे सहकारी संघवाद का समुचित ध्यान रखते हुए राज्यों को भी उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त हो सकेगा। राज्यों को उनके भौगोलिक एवं अन्य परिस्थितियों के आधार पर ट्रिब्यूनल के बेंच की संख्या का निर्धारण का अधिकार भी होगा।
- विदित है कि जी.एस.टी. परिषद की 49वीं बैठक नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित हुई। बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी व अन्य राज्यों के वित्तमंत्री, अधिकारीगण तथा छत्तीसगढ़ आयुक्त, वाणिज्यिक कर भीम सिंह भी शामिल हुए।
- यह प्रस्ताव छत्तीसगढ़ के वाणिज्यिक कर मंत्री टी.एस. सिंहदेव द्वारा रखा गया था। छत्तीसगढ़ द्वारा क्षतिपूर्ति की राशि शीघ्र प्रदान करने की मांग की गई। केंद्र शासन द्वारा 505 करोड़ रुपए क्षतिपूर्ति राशि तत्काल दिये जाने का निर्णय लिया गया।
- बैठक में मुख्य मुद्दा जी.एस.टी. अपीलीय अधिकरण (ट्रिब्यूनल) का रहा। मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा मद्रास बार एसोसिएशन के प्रकरण में टीएनजीएसटी के ट्रिब्यूनल संबंधी प्रावधान को अवैधानिक घोषित करने के पश्चात् अधिकरण संबंधी प्रावधान पर पुनर्विचार हेतु मंत्री समूह का गठन किया गया था। इस मंत्री समूह का प्रतिवेदन बैठक में प्रस्तुत किया गया।
- तेंदूपत्ता पर जी.एस.टी. की दर को शून्य करने के उड़ीसा के प्रस्ताव पर मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ ने यथास्थिति बनाए रखने का समर्थन किया। पूर्व में परिषद की 22वीं एवं 37वीं बैठक में दर अपरिवर्तनीय रखने के निर्णय एवं मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के अभिमत के आधार पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय लिया गया।
- उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों के कारण तेंदूपत्ता संग्राहकों को देश भर में सर्वाधिक लाभ प्रदान किया जाता है। अधिकतम लाभ अंतरित किये जाने से कर का भार संग्राहको को वहन नही करना पड़ता है साथ ही तेंदूपत्ता पर आरसीएम (रिवर्स चार्ज) होने से भी कर का भार शासन द्वारा वहन किया जाता है।
- भारतीय किसान संघ, छत्तीसगढ़ प्रदेश द्वारा कर का भुगतान करने के पश्चात् खरीदे गए खाद, कृषि यंत्र आदि पर ऐसे आगत कर किसानों को भी देने (जैसा कि अन्य निर्माताओं को दिया जाता है) का प्रस्ताव दिया गया।
- गौरतलब है कि आगत कर की पात्रता, पंजीयन एवं कर योग्य विक्रय होने पर ही होती है। पंजीयन एवं कर योग्य विक्रय नही होने पर किसानों की आगत कर की पात्रता नहीं हैं। अत: छत्तीसगढ़ की ओर से इस प्रस्ताव को रूपांतरित कर किसानों द्वारा उपयोग किये जा रहे समस्त सामग्रियों को जी.एस.टी. से सरकार मुक्त रखने का प्रस्ताव परिषद के समक्ष रखा गया, जिसे विचारार्थ फिटमेंट कमिटी को प्रेषित किये जाने हेतु अनुशंसा की गई।
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मध्यान्ह भोजन में मिलेट्स को शामिल करने के मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को भारत सरकार ने दी मंजूरी
चर्चा में क्यों?
18 फरवरी, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा मध्यान्ह भोजन योजना में मिलेट्स को शामिल करने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- केंद्र की मंजूरी के पश्चात् अब प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना के तहत छत्तीसगढ़ के 12 ज़िलों में सोया चिक्की के स्थान पर सप्ताह में चार दिन स्कूली बच्चों को मिलेट्स से निर्मित खाद्य पदार्थ वितरित किये जाएंगे।
- विदित है कि छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा के अनुरूप लोक शिक्षण संचालनालय ने केंद्र सरकार को इस योजना को आंशिक रूप से संशोधित करते हुए सोया चिक्की के स्थान पर मिलेट्स से बने खाद्य सामग्री वितरित किये जाने का प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के डायरेक्टर, पीएम पोषण द्वारा मंजूरी दी गई है।
- उल्लेखनीय है कि राज्य में मिलेट्स के उत्पादन के लिये किसानों को भरपूर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। कोदो, कुटकी-रागी जैसे मिलेट का समर्थन मूल्य पर उपार्जन किया जा रहा है। इसके अलावा मिलेट मिशन के अंतर्गत राज्य के मिलेट्स उत्पादक किसानों को 9 हज़ार रुपए की इनपुट सब्सिडी प्रदान की जा रही है। वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है।
- गौरतलब है कि पूर्व में प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना की वार्षिक कार्ययोजना में केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के 7 ज़िलों में बच्चों को पूरक पोषण आहार के अंतर्गत 55 दिनों के लिये सोया चिक्की प्रदान करने के लिये केंद्रांश के रूप में 1787.20 लाख रुपए और राज्यांश के रूप में 1198.14 लाख रुपए इस प्रकार कुल 2995.34 लाख रुपए की मंजूरी दी गई थी।
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