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रायपुर और हल्द्वानी कॉलेज में सबसे पहले शुरू होगी जियो फेंसिंग हाजिरी
चर्चा में क्यों?
18 दिसंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में सबसे पहले जियो फेंसिंग से हाजिरी देहरादून के रायपुर पीजी कॉलेज और हल्द्वानी के एमबी पीजी कॉलेज में शुरू होगी। प्रदेश उच्च शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
- प्रदेश के तमाम दुर्गम इलाकों तक के डिग्री कॉलेजों में बायोमीट्रिक या रजिस्टर पर हाजिरी हमेशा से ही विवादों में रही है। कहीं बायोमीट्रिक मशीनें काम नहीं करतीं तो कहीं रजिस्टर पर बाद में प्रोफेसर एक साथ हाजिरी लगा देते हैं। छात्रों की हाजिरी अभी तक केवल रजिस्टर पर ही होती आई है। इसमें बदलाव करने के लिये ही प्रदेश सरकार ने जियो फेंसिंग से हाजिरी की कवायद शुरू की है।
- इसके तहत जो भी शिक्षक या छात्र कॉलेज परिसर में प्रवेश करेगा तो उसके मोबाइल से ही उसकी हाजिरी लग जाएगी। इसके लिये मोबाइल जियो फेंसिंग के दायरे में आना ज़रूरी है।
- पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह शुरुआत देहरादून के मालदेवता रायपुर स्थित राजकीय पीजी कॉलेज और हल्द्वानी स्थित एमबी पीजी कॉलेज में होगी। यहाँ जल्द ही पायलट प्रोजेक्ट शुरू होने जा रहा है। पायलट सफल होने के बाद अन्य कॉलेजों में इसे लागू किया जाएगा।
- विदित है कि जियो फेंसिंग सैटेलाइट आधारित प्रणाली है, जिसमें एक विशेष क्षेत्र की जियो फेंसिंग यानी बाउंड्री बना दी जाती है। इस दायरे में जो भी डिवाइस आएगी, वह रिकॉर्ड में आ जाएगी। जियो फेंसिंग के भीतर आने पर ही मोबाइल का वह ऐप काम करेगा, जो कि इससे संबंधित होता है।
- जब कोई छात्र या शिक्षक अपने मोबाइल के साथ कैंपस में प्रवेश करेंगे तो उन्हें इसमें डाउनलोड किया गया हाजिरी का ऐप खोलना होगा। यह ऐप केवल कॉलेज के भीतर, यानी जियो फेंसिंग दायरे में आने पर ही काम करेगा। इस ऐप को खोलने के बाद एक ओटीपी उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आएगा। इसे फीड करेंगे तो ही हाजिरी लग सकेगी। जैसे ही छात्र, शिक्षक उस कैंपस से बाहर जाएंगे तो उनका रिकॉर्ड स्वत: ही अपडेट हो जाएगा।
- गौरतलब है कि इससे पहले परिवहन निगम अपने सभी बस अड्डों पर इसे लागू कर चुका है, जिसके तहत बस अड्डे की जियो फेंसिंग की गई है।
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