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बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 19 Dec 2022
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बिहार को मिलेगी एक नए एक्सप्रेस-वे की सौगात, 2023 में शुरू होगा रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे का निर्माण

चर्चा में क्यों?

18 दिसंबर, 2022 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार को जल्द ही एक नए एक्सप्रेस-वे की सौगात मिलने जा रही है। प्रदेश के रक्सौल से पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिये डीपीआर तैयार की जा रही है। एक्सप्रेस-वे का निर्माण 2023 में शुरू होगा।

प्रमुख बिंदु

  • सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब 695 किमी. लंबाई में रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे के निर्माण में करीब 54 हज़ार करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसके साथ ही इस सड़क को पूरा करने की समय-सीमा 2025 तय की गई है।
  • गौरतलब है कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने नेपाल पोर्ट से पश्चिम बंगाल के हल्दिया पोर्ट की कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये रक्सौल से हल्दिया एक्सप्रेस-वे की स्वीकृति दी है। इस सड़क के बन जाने से देवघर से काठमांडू की दूरी महज़ 12 घंटे में पूरी की जा सकेगी।
  • रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे बिहार के कई ज़िलों से होकर झारखंड व पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक पहुँचेगा। इस दौरान यह राज्य के करीब नौ ज़िलों से होकर गुज़रेगा। इनमें पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुज़फ्फरपुर, सारण, पटना, बिहारशरीफ, शेखपुरा, जमुई और बाँका शामिल हैं। इसके बाद यह एक्सप्रेस-वे झारखंड में प्रवेश कर सरैयाहाट, नोनीहाट व दुमका से पश्चिम बंगाल के पानागढ़ से हल्दिया पोर्ट चला जाएगा।
  • दरअसल नेपाल के लिये भारत के अलावा ज़्यादातर माल अन्य देशों से आता है, लेकिन नेपाल जाने के लिये माल हल्दिया सी-पोर्ट पर ही उतरता है। हल्दिया पोर्ट पर जहाज़ से माल उतरता है और ट्रक व ट्रेन के माध्यम से रक्सौल के सिरिसिया स्थित ड्राइपोर्ट पहुँचता है। यहाँ से माल की डिलिवरी रक्सौल व भारत के नज़दीकी शहरों में होती है। वहीं, नेपाल में आने वाला माल रक्सौल ड्राइपोर्ट से झारखंड व पश्चिम बंगाल के लिये भेजा जाता है। नया एक्सप्रेस-वे बनने से माल भेजने में भी सुविधा मिलेगी।

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बिहार का हरित बजट पिछले साल की तुलना में 3.26 फीसदी हुआ कम

चर्चा में क्यों?

16 दिसंबर, 2022 को बिहार का तीसरा वित्तीय वर्ष 2022-23 का हरित बजट शीतकालीन सत्र में पेश किया गया। पिछले वर्षों की तुलना में हरित बजट में 3.26 फीसदी की कमी आई है।

प्रमुख बिंदु

  • हरित बजट के अंतर्गत चिह्नित विभागों की योजनाओं और कार्यक्रमों पर बजट आवंटन में कमी आई है। वर्ष 2021-22 में बजट 79359 करोड़ रुपए था, जो 2022-23 में घटकर 79255 करोड़ रुपए हो गया है, जबकि कार्यक्रमों का कुल बजट आवंटन भी 29337 करोड़ रुपए से कम होकर 28380 करोड़ रुपए हो गया।
  • गौरतलब है कि बिहार देश का पहला ऐसा राज्य है, जो हरित बजट पेश करता रहा है। इससे विभागों द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिये चलाई जा रही योजनाओं के क्रियान्वयन में मदद मिलती है। इस बजट की मदद से पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बजटीय प्रावधानों का अध्ययन एवं आकलन किया जाता है।
  • राज्य सरकार जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए इस बजट पर फोकस कर रही है। बिहार देश के उन गिने-चुने राज्यों में से एक है, जो जलवायु परिवर्तन के हिसाब से कृषि को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
  • हरित बजट में स्कीम मदों में सर्वाधिक आवंटन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा किया जाता है। चालू वित्तीय वर्ष में इस विभाग में स्कीम मद का आवंटन 663 करोड़ रुपए में से हरित योजनाओं के लिये 655 करोड़ रुपए आरक्षित किया गया है। यह कुल स्कीम मद का 98.74 फीसदी है।
  • इस मामले में गन्ना उद्योग विभाग दूसरे स्थान पर है। विभाग में स्कीम मद का आवंटन 100 करोड़ रुपए था, जिसमें 98.70 करोड़ रुपए हरित योजनाओं के लिये आवंटित किये गए। वहीं, तीसरे स्थान पर लघु जल संसाधन है, जिसके स्कीम मद का कुल आवंटन 827 करोड़ रुपए में से हरित योजनाओं के लिये 796 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है।

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