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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 19 Nov 2022
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उत्तर प्रदेश के प्रमुख खाद्य उत्पादों को जीआई टैग जल्द

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के कृषि विपणन और कृषि विदेश व्यापार विभाग ने विभिन्न ज़िलों का प्रतिनिधित्व करने वाले उत्तर प्रदेश के विशेष व्यंजनों को जीआई टैग प्रदान करने की तैयारी तेज़ कर दी है।

प्रमुख बिंदु 

  • उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव डीएस मिश्रा के समक्ष कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग की ओर से भौगोलिक संकेतक वेबिनार में ‘अतुल्य भारत की अमूल्य निधि’विषय पर प्रदेश के कृषि उत्पादों को लेकर संभावनाओं पर प्रस्तुति दी गई।
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्त्वाकांक्षी वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) योजना की शानदार सफलता के बाद, राज्य सरकार स्थानीय वस्तुओं को व्यापक मान्यता प्रदान करने के उद्देश्य से प्रदेश के प्रमुख व्यंजनों, जैसे- मथुरा का ‘पेड़ा’, आगरा का ‘पेठा’, कानपुर का ‘सत्तू’और ‘बुकुनू’तथा अन्य व्यंजनों पर GI टैग प्रदान करेगी।
  • उत्तर प्रदेश के वाराणसी के ‘चौसा आम’, ‘बनारसी पान’तथा ‘जौनपुर की इमरती’जैसे कृषि और प्रसंस्कृत उत्पादों के लिये जीआई टैग हेतु आवेदन पहले ही प्रस्तुत किये जा चुके हैं और पंजीकरण प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
  • गौरतलब है कि कृषि से जुड़े छह उत्पादों सहित राज्य के कुल 36 उत्पादों को जीआई टैग दिया गया है। वहीं, भारत के कुल 420 उत्पाद जीआई टैग के तहत पंजीकृत हैं, जिनमें से 128 उत्पाद कृषि से संबंधित हैं।
  • वर्तमान में जीआई टैग के साथ पंजीकृत उत्तर प्रदेश के छह उत्पादों में इलाहाबादी सुरखा अमरूद, मलिहाबादी दशहरी आम, गोरखपुर-बस्ती और देवीपाटन का काला नमक चावल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बासमती चावल, बागपत का रटौल आम और महोबा का देसावर पान (पान) शामिल हैं।
  • करीब 15 कृषि और प्रसंस्कृत उत्पाद ऐसे हैं, जिनकी जीआई टैगिंग के लिये पंजीकरण प्रक्रिया लगभग अंतिम चरण में है। इनमें शामिल हैं- वाराणसी का लंगड़ा आम, बुंदेलखंड का कठिया गेहूँ, प्रतापगढ़ का आँवला, वाराणसी का लाल पेड़ा, वाराणसी का लाल भरवाँ मिर्च, उत्तर प्रदेश का गौरजीत आम, वाराणसी का चिरईगाँव करोंदा, पश्चिम उत्तर प्रदेश का चौंसा आम, पूर्वांचल का आदम चीनी चावल, बनारसी पान, वाराणसी की ठंडाई, जौनपुर की इमरती, मुज़फ्फरनगर का गुड़, वाराणसी की तिरंगी बर्फी और रामनगर का भांटा।
  • इसके अलावा, जीआई टैगिंग के लिये जिन संभावित कृषि और प्रसंस्कृत उत्पादों का उल्लेख किया गया है, उनमें मलवां का पेड़ा, मथुरा का पेड़ा, फतेहपुर सीकरी का नमक खताई, आगरा का पेठा, अलीगढ़ की चमचम मिठाई, कानपुर नगर का सत्तू और बुकुनू, प्रतापगढ़ का मुरब्बा, मैगलगंज का रसगुल्ला, संडीला का लड्डू और बलरामपुर का तिन्नी चावल शामिल हैं।
  • इसके अलावा गोरखपुर का पनियाला फल, मूंगफली, गुड़-शक्कर, हाथरस का गुलाब, बिठूर का जामुन, फर्रुखाबाद का हाथी सिंगार (सब्जी), बाराबंकी का याकुटी आम, अंबेडकरनगर की हरी मिर्च, गोंडा का मक्का, सोनभद्र का सावा कोदों, बुलंदशहर का कटारिया गेहूँ, जौनपुर का मक्का, बुंदेलखंड की अरहर भी शामिल हैं।
  • इस सूची में लखनऊ की रेवड़ी, सफेदा आम, सीतापुर की मूंगफली, बलिया का साठी चावल, सहारनपुर का देसी तिल और जौनपुर की मूली जैसे उत्पाद भी शामिल हैं। सरकार के प्रयासों से जल्द ही इन उत्पादों को जीआई टैग नामांकन के लिये प्रस्तावित किया जाएगा।
  • जीआई टैग किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले कृषि उत्पाद को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। जीआई टैग द्वारा कृषि उत्पादों के अनधिकृत उपयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है, क्योंकि यह किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित कृषि उत्पादों के महत्त्व को बढ़ाता है।
  • जीआई टैग को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में ट्रेडमार्क के रूप में माना जाता है। यह निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय आय में वृद्धि करता है और विशिष्ट कृषि उत्पादों की पहचान करके भारत के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में निर्यात और बढ़ावा देना आसान है।   

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