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स्टेट पी.सी.एस.

  • 19 Nov 2022
  • 1 min read
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उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश के प्रमुख खाद्य उत्पादों को जीआई टैग जल्द

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के कृषि विपणन और कृषि विदेश व्यापार विभाग ने विभिन्न ज़िलों का प्रतिनिधित्व करने वाले उत्तर प्रदेश के विशेष व्यंजनों को जीआई टैग प्रदान करने की तैयारी तेज़ कर दी है।

प्रमुख बिंदु 

  • उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव डीएस मिश्रा के समक्ष कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग की ओर से भौगोलिक संकेतक वेबिनार में ‘अतुल्य भारत की अमूल्य निधि’विषय पर प्रदेश के कृषि उत्पादों को लेकर संभावनाओं पर प्रस्तुति दी गई।
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्त्वाकांक्षी वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) योजना की शानदार सफलता के बाद, राज्य सरकार स्थानीय वस्तुओं को व्यापक मान्यता प्रदान करने के उद्देश्य से प्रदेश के प्रमुख व्यंजनों, जैसे- मथुरा का ‘पेड़ा’, आगरा का ‘पेठा’, कानपुर का ‘सत्तू’और ‘बुकुनू’तथा अन्य व्यंजनों पर GI टैग प्रदान करेगी।
  • उत्तर प्रदेश के वाराणसी के ‘चौसा आम’, ‘बनारसी पान’तथा ‘जौनपुर की इमरती’जैसे कृषि और प्रसंस्कृत उत्पादों के लिये जीआई टैग हेतु आवेदन पहले ही प्रस्तुत किये जा चुके हैं और पंजीकरण प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
  • गौरतलब है कि कृषि से जुड़े छह उत्पादों सहित राज्य के कुल 36 उत्पादों को जीआई टैग दिया गया है। वहीं, भारत के कुल 420 उत्पाद जीआई टैग के तहत पंजीकृत हैं, जिनमें से 128 उत्पाद कृषि से संबंधित हैं।
  • वर्तमान में जीआई टैग के साथ पंजीकृत उत्तर प्रदेश के छह उत्पादों में इलाहाबादी सुरखा अमरूद, मलिहाबादी दशहरी आम, गोरखपुर-बस्ती और देवीपाटन का काला नमक चावल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बासमती चावल, बागपत का रटौल आम और महोबा का देसावर पान (पान) शामिल हैं।
  • करीब 15 कृषि और प्रसंस्कृत उत्पाद ऐसे हैं, जिनकी जीआई टैगिंग के लिये पंजीकरण प्रक्रिया लगभग अंतिम चरण में है। इनमें शामिल हैं- वाराणसी का लंगड़ा आम, बुंदेलखंड का कठिया गेहूँ, प्रतापगढ़ का आँवला, वाराणसी का लाल पेड़ा, वाराणसी का लाल भरवाँ मिर्च, उत्तर प्रदेश का गौरजीत आम, वाराणसी का चिरईगाँव करोंदा, पश्चिम उत्तर प्रदेश का चौंसा आम, पूर्वांचल का आदम चीनी चावल, बनारसी पान, वाराणसी की ठंडाई, जौनपुर की इमरती, मुज़फ्फरनगर का गुड़, वाराणसी की तिरंगी बर्फी और रामनगर का भांटा।
  • इसके अलावा, जीआई टैगिंग के लिये जिन संभावित कृषि और प्रसंस्कृत उत्पादों का उल्लेख किया गया है, उनमें मलवां का पेड़ा, मथुरा का पेड़ा, फतेहपुर सीकरी का नमक खताई, आगरा का पेठा, अलीगढ़ की चमचम मिठाई, कानपुर नगर का सत्तू और बुकुनू, प्रतापगढ़ का मुरब्बा, मैगलगंज का रसगुल्ला, संडीला का लड्डू और बलरामपुर का तिन्नी चावल शामिल हैं।
  • इसके अलावा गोरखपुर का पनियाला फल, मूंगफली, गुड़-शक्कर, हाथरस का गुलाब, बिठूर का जामुन, फर्रुखाबाद का हाथी सिंगार (सब्जी), बाराबंकी का याकुटी आम, अंबेडकरनगर की हरी मिर्च, गोंडा का मक्का, सोनभद्र का सावा कोदों, बुलंदशहर का कटारिया गेहूँ, जौनपुर का मक्का, बुंदेलखंड की अरहर भी शामिल हैं।
  • इस सूची में लखनऊ की रेवड़ी, सफेदा आम, सीतापुर की मूंगफली, बलिया का साठी चावल, सहारनपुर का देसी तिल और जौनपुर की मूली जैसे उत्पाद भी शामिल हैं। सरकार के प्रयासों से जल्द ही इन उत्पादों को जीआई टैग नामांकन के लिये प्रस्तावित किया जाएगा।
  • जीआई टैग किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले कृषि उत्पाद को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। जीआई टैग द्वारा कृषि उत्पादों के अनधिकृत उपयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है, क्योंकि यह किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित कृषि उत्पादों के महत्त्व को बढ़ाता है।
  • जीआई टैग को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में ट्रेडमार्क के रूप में माना जाता है। यह निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय आय में वृद्धि करता है और विशिष्ट कृषि उत्पादों की पहचान करके भारत के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में निर्यात और बढ़ावा देना आसान है।   

बिहार Switch to English

बिहार के हर ज़िला मुख्यालय में सिमुलतला मॉडल का होगा एक स्कूल

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2022 को बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने पटना के विकास भवन स्थित सचिवालय में संवाददाताओं से चर्चा करते हुए बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने की दिशा में राज्य के हर ज़िला मुख्यालय स्तर पर सिमुलतला आवासीय विद्यालय की तर्ज़ पर स्कूल खोले जाएंगे।

प्रमुख बिंदु

  • प्रो. चंद्रशेखर ने बताया कि सिमुलतला आवासीय विद्यालय स्कूली शिक्षा का बेहतर मॉडल है। इस विद्यालय ने कई टॉपर्स दिये हैं तथा इस स्कूल में प्रवेश परीक्षा के ज़रिये प्रवेश दिया जाता है।
  • उन्होंने बताया कि बिहार में शिक्षकों के 38 लाख पद खाली हैं। हालाँकि, इतने पद भरने के लिये समुचित संख्या में सीटीईटी/एसटीईटी पास अभ्यर्थी ही नहीं हैं। इन सबके बाद भी सातवें चरण का शिक्षक नियोजन जल्द शुरू होगा और इसकी तैयारी अंतिम दौर में है।
  • उन्होंने बताया कि शिक्षकों के स्थानांतरण के लिये ठोस नीति बनाई जाएगी। शिक्षकों में विशेषतौर पर महिला, दिव्यांग और ज़रूरतमंद शिक्षकों के तबादले ज़रूरी हो गए हैं। सरकार इस दिशा में गंभीर कदम उठाएगी।  

राजस्थान Switch to English

विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह 18 से 24 नवंबर तक

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2022 को राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने जयपुर स्थित अपने राजकीय आवास से गुब्बारे उड़ाकर वर्ल्ड एंटीमाइक्रोबियल अवेयरनेस वीक (18 से 24 नवंबर) का शुभारंभ किया और रोगाणुरोधी प्रतिरोध के जागरूकता पोस्टर का विमोचन भी किया।

प्रमुख बिंदु 

  • इस कार्यक्रम का आयोजन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं इस कार्यक्रम के डेवलपमेंट पार्टनर पाथ के सहयोग से किया जा रहा है।
  • उल्लेखनीय है कि आमजन में रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रति जागरूकता लाने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वैश्विक कैम्पेन के रूप में प्रदेश में 18 से 24 नवंबर तक वर्ल्ड एंटीमाइक्रोबियल रेसिसटेंस अवेयरनेस वीक का आयोजन किया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ द्वारा इस वर्ष की थीम ‘प्रिवेंटिव एंटीमाइक्रोबियल रेसिसटेंस टूगेदर’निर्धारित की गई है।
  • इस अवसर पर परसादी लाल मीणा ने प्रदेशवासियों से अपील की कि किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचने के लिये अपने आसपास स्वच्छता रखें तथा गुणवत्तायुक्त स्वच्छ पौष्टिक भोजन का सेवन करें। ‘मुख्यमंत्री नि:शुल्क निरोगी राजस्थान योजना’ के तहत सभी राजकीय चिकित्सा संस्थानों में सभी प्रकार की आईपीडी एवं ओपीडी सेवाएँ प्रदेशवासियों के लिये नि:शुल्क उपलब्ध हैं।
  • उन्होंने बताया कि इस सप्ताह के दौरान रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रति आमजन को जागरूक करने के लिये प्रदेश भर में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। प्रदेशस्तरीय कार्यक्रमों के साथ-साथ ज़िलास्तर पर क्विज़ और शपथ कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे, ताकि लोग एंटीमाइक्रोबियल रेसिसटेंस के प्रति जागरूक हों।
  • एंटीमाइक्रोबियल रेसिसटेंस या रोगाणुरोधी प्रतिरोध एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रोग पैदा करने वाले रोगाणु, जैसे- बैक्टीरिया, वायरस, फंजाई तथा पैरासाइट्स दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं। आम बोलचाल की भाषा में किसी सूक्ष्मजीव (वायरस, बैक्टीरिया आदि) के संक्रमण के ईलाज के लिये प्रयुक्त होने वाली दवा के प्रति उस सूक्ष्मजीव द्वारा प्रतिरोध क्षमता हासिल कर लेना ही एंटीमाइक्रोबियल रेसिसटेंस है। इसके परिणामस्वरूप मानक उपचार अप्रभावी या कम असरदार रहते हैं तथा इससे बीमारी के फैलने तथा मृत्यु की संभावना रहती है। दवाओं के कम प्रभावी रहने से यह संक्रमण शरीर में बना रह जाता है तथा दूसरों में फैलने का खतरा बरकरार रहता है। इससे इलाज की लागत बढ़ती है तथा मृत्युदर में इजाफा होने की संभावना बनी रहती है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एंटीमाइक्रोबियल रेसिसटेंस को वैश्विक स्वास्थ्य के लिये शीर्ष 10 खतरों में से एक के रूप में पहचाना है। ग्लोबल एंटीमाइक्रोबियल रेसिसटेंस सर्विलांस सिस्टम के डाटा के अनुसार महत्त्वपूर्ण एंटीमाइक्रोबियल के प्रति प्रतिरोध क्षमता में वैश्विक स्तर पर इजाफा हो रहा है।
  • एंटीमाइक्रोबियल रेसिसटेंस फ्री राजस्थान के लिये राजस्थान सरकार द्वारा ऐतिहासिक कदम उठाते हुए स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। इस सप्ताह के दौरान सोशल मीडिया पर भी विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।      

मध्य प्रदेश Switch to English

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला में हुआ मध्य प्रदेश दिवस समारोह

चर्चा में क्यों? 

18 नवंबर, 2022 को प्रगति मैदान नई दिल्ली में चल रहे 41वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 2022 में मध्य प्रदेश दिवस समारोह का सांस्कृतिक भव्यता के साथ आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ लघु उद्योग निगम अध्यक्ष इमरती देवी, सचिव सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम पी. नरहरि, महाप्रबंधक लघु उद्योग निगम रोहित सिंह और आवासीय आयुक्त पंकज राग द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।

प्रमुख बिंदु 

  • सचिव पी. नरहरि ने बताया कि आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ पर आयोजित इस व्यापार मेले में मध्य प्रदेश मंडप का निर्माण ‘वोकल फॉर लोकल और लोकल टू ग्लोबल’थीम पर किया गया है।
  • यह मंडप इंदौर में निकट भविष्य में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और प्रवासी भारतीय दिवस में भाग लेने के लिये आगंतुकों को निमंत्रित करता है। यह मंडप आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश रोड मैप सहित प्रदेश की नीतियों, उपलब्धियों, सांस्कृतिक धरोहर, कला और संस्कृति का अवलोकन करने का अवसर प्रदान करता है। छतरपुर की माटी शिल्प और भोपाल की जरी-जरदोजी कला का सजीव प्रदर्शन भी मंडप में किया जा रहा है।
  • मध्य प्रदेश दिवस समारोह में प्रदेश की समृद्ध संगीत और नृत्य विरासत का प्रदर्शन किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में भेरू सिंह चौहान और समूह ने मालवा क्षेत्र के कबीर लोकगायन और संजय महाजन एवं समूह ने निमाड़ क्षेत्र के गणगौर लोक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी।
  • समारोह में शासकीय और निजी क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये पुरस्कार भी वितरित किये गए। मध्य प्रदेश माटी कला बोर्ड को पहला पुरस्कार और मध्य प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन को दूसरा पुरस्कार प्राप्त हुआ। 

हरियाणा Switch to English

साइबर सिटी गुरुग्राम की अब होगी अपनी मेट्रो ट्रेन

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2022 को चंडीगढ़ में हुई हरियाणा मास रैपिड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचएमआरटीसी) के निदेशक मंडल की 50वीं बैठक में हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि राज्य की साइबर सिटी गुरुग्राम की अब अपनी मेट्रो ट्रेन होगी।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्य सचिव ने बताया कि मेट्रो ट्रेन के लिये केंद्र सरकार के सार्वजनिक निवेश बोर्ड (पीआईबी) ने गुरुग्राम में हुडा सिटी सेंटर से साइबर सिटी के बीच 28.5 किलोमीटर लंबी मेट्रो कनेक्टिविटी को मंज़ूरी दे दी है। यह पूरे गुरुग्राम शहर को कवर करेगी।
  • मुख्य सचिव ने बताया कि यह मेट्रो रेल विशेषरूप से गुरुग्राम और इसके आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को कुशल तथा पर्यावरण के अनुकूल परिवहन प्रणाली प्रदान करेगी। इससे गुरुग्राम और आसपास के छात्रों, महिलाओं, कामकाजी वर्ग एवं कार्यालय जाने वाले व्यक्तियों को काफी मदद मिलेगी।
  • उन्होंने बताया कि गुरुग्राम में रेजांगला चौक से सेक्टर-21 द्वारका तक कनेक्टिविटी को मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा पहले ही अनुमोदित किया जा चुका है और उसके बाद भारत सरकार को भी मंज़ूरी के लिये भेजा जा रहा है।
  • यह मेट्रो रेल गुरुग्राम से दिल्ली के आईजीआई हवाई अड्डे तक निर्बाध कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगी।
  • गौरतलब है कि राजस्व की दिशा में गुरुग्राम मेट्रो ने पिछले वर्ष की तुलना में इस वित्तीय वर्ष में अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। पिछले साल की 84 करोड़ रुपए आय की तुलना में अक्टूबर 2022 तक 21.6 करोड़ रुपए की आय हो चुकी है। वित्तीय प्रदर्शन में 230 प्रतिशत की बढ़ी हुई प्रतिशतता के साथ यात्रियों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ वाणिज्यिक गतिविधियों के माध्यम से किराया और गैर-किराया राजस्व से भी आय में वृद्धि हुई है।
  • उन्होंने बताया कि इस मेट्रो रेल में सवारियों की संख्या 8500 प्रतिदिन से बढ़कर 40,000 प्रतिदिन हो गई है। इन प्रयासों से पहली बार रैपिड रेल मेट्रो गुरुग्राम, जो घाटे में चल रही संस्था थी, ‘ऑपरेशनल प्रॉफिट’में आने वाली है।
  • गुरुग्राम एचएमआरटीसी द्वारा अपने मेट्रो स्टेशन क्षेत्रों में नीचे चार्जिंग और पार्किंग की सुविधा देने की भी कवायद की जा रही है जो अंतिम मील तक कनेक्टिविटी में मदद करेगी। जनता की सुविधा और यात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिये मेट्रो स्टेशनों से अंतिम मील तक कनेक्टिविटी प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं।  

छत्तीसगढ़ Switch to English

मत्स्य पालन के लिये मिला बेस्ट इनलैंड स्टेट का पुरस्कार

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार देश में मत्स्यपालन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को बेस्ट इनलैंड स्टेट पुरस्कार के लिये चुना गया है। छत्तीसगढ़ को यह पुरस्कार केंद्रशासित प्रदेश दमन में 21 नवंबर को दिया जाएगा।

प्रमुख बिंदु 

  • मत्स्य पालन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार यह पुरस्कार विश्व मत्स्य दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड द्वारा दिया जाता है।
  • विदित है कि राज्य में मत्स्य उद्योग एक मत्स्य पालन आधारित है, जिसमें ‘मेजर कार्प’ मत्स्य की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। राज्य के 91,928 तालाब (094 लाख हेक्टेयर) कल्चर फिशरीज का मुख्य आधार हैं। इसका 92 प्रतिशत जलक्षेत्र मत्स्य पालन के अंतर्गत है।
  • प्रदेश में वर्ष 2020-21 में 77 लाख टन मत्स्योत्पादन हुआ, जो वर्ष 2007-08 में 1.39 लाख टन था। वर्ष 2007-08 से 2020-21 तक मत्स्य उत्पादन में कुल वृद्धि 315 प्रतिशत दर्ज की गई।
  • मत्स्य पालन को लेकर किसानों में रुचि बढ़ी है। एक तरफ जहाँ 2012-13 में कम संख्या में किसानों ने मत्स्य पालन के लिये तालाब बनाने हेतु शासन की मदद ली थी, वहीं बीते कुछ वर्षों में हज़ारों की संख्या में लोगों ने इसमें रुचि दिखाई है।
  • वर्तमान में प्रदेश के 20 लाख व्यक्ति मत्स्य पालन में संलग्न हैं एवं 318 लाख मानव दिवस रोज़गार सृजन हो रहा है।
  • राज्य में 88,671 ग्रामीण तालाब जलक्षेत्र 094 हेक्टेयर तथा 1,770 सिंचाई जलाशय 0.826 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र, कुल 1.920 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र मछली पालन हेतु 2021-22 में उपलब्ध है। वर्ष 2021-22 तक उपलब्ध जलक्षेत्र में से 1.812 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र, ग्रामीण तालाब 1.011 लाख एवं सिंचाई जलाशय 0.801 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र मत्स्य पालन के अंतर्गत लाया जा चुका है।
  • गौरतलब है कि मत्स्य विभाग प्रदेश के ग्रामीण लोगों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिये तकनीकी मार्गदर्शन देते हुए प्रशिक्षण देने का काम कर रहा है। मछली बीज भी उपलब्ध कराता है। शासन की योजनाएँ आज गाँव के स्वरूप को नई आकृति प्रदान कर रही हैं।  

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड सौर ऊर्जा नीति 2022 का ड्राफ्ट जारी

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2022 को उत्तराखंड की ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने उत्तराखंड सौर ऊर्जा नीति-2022 का ड्राफ्ट जारी करते हुए इस पर सुझाव मांगे हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • आर. मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि राज्य में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 2000 मेगावाट तक की क्षमता है। इसमें बड़े प्रोजेक्ट के लिये 600 मेगावाट, आवासीय प्रोजेक्ट के लिये 250 मेगावाट, कमर्शियल व इंडस्ट्री प्रोजेक्ट के लिये 750 मेगावाट, इंस्टीट्यूशंस के लिये 350 मेगावाट और एग्रीकल्चर के लिये 50 मेगावाट की क्षमता आँकी गई है।
  • उत्तराखंड सोलर पॉलिसी-2022 में यह प्रावधान किया गया है कि यूपीसीएल सौर ऊर्जा का एक ग्रीन टैरिफ प्रस्ताव तैयार करेगा, जो कि नियामक आयोग को भेजा जाएगा। नियामक आयोग उपभोक्ताओं के लिये ग्रीन टैरिफ चुनने का विकल्प दे सकता है। इसके अलावा पीक आवर्स में ग्रिड में सौर ऊर्जा देने वालों को फीड इन टैरिफ से प्रोत्साहित कर सकता है। आसान पहुँच व निगरानी के लिये वर्चुअल नेट मीटरिंग (वीएनएम) और ग्रुप नेट मीटरिंग (जीएनएम) का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • नई पॉलिसी में उरेडा की ज़िम्मेदारियाँ भी बढ़ाई गई हैं। इसके तहत उरेडा को एक सोलर पॉलिसी सेल की स्थापना करनी होगी, जिसके तहत सिंगल विंडो के माध्यम से सोलर प्रोजेक्ट को पास किया जाएगा। इसके आवेदन के लिये 10 हज़ार रुपए प्रति मेगावाट के हिसाब से शुल्क देय होगा।
  • उरेडा को लैंडबैंक भी बनाना होगा। सभी सरकारी ज़मीनें और भवनों की सूची बनानी होगी, जहाँ सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लग सकते हैं। इसी प्रकार, ऐसी निजी भूमि भी चिह्नित करनी होंगी, जिन पर कोई प्राइवेट व्यक्ति लीज़ पर अपना प्रोजेक्ट लगा सके।
  • ज़मीन की लीज़ डीड या ज़मीन खरीदने पर स्टांप ड्यूटी में 100 प्रतिशत की छूट रहेगी। निजी कृषि भूमि पर सोलर प्लांट लगाने पर लैंड यूज़ बदलने की फीस पर 100 प्रतिशत छूट मिलेगी। रजिस्ट्रेशन या लीज़ के कागज़ों में कोर्ट फीस पूरी तरह से माफ होगी। सौर ऊर्जा वाले ईवी चार्जिंग स्टेशन सरकारी भूमि पर लगाने वाले व्यक्तियों को लीज मूल्य में 50 प्रतिशत छूट दी जाएगी।
  • नई पॉलिसी में स्थानीय युवाओं के रोज़गार की भी गारंटी दी गई है। इसमें बताया गया है कि जो भी सरकारी भूमि को लीज़ पर लेकर अपना सोलर प्रोजेक्ट लगाएगा, उसे 70 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को रोज़गार देना होगा। उरेडा अपने टेंडर में इस शर्त को जारी करेगा।
  • 25 मेगावाट तक के सौर ऊर्जा प्लांट के आवंटन के लिये ऊर्जा सचिव की अध्यक्षता में स्टेट लेवल स्क्रीनिंग एंड इंपावर्ड कमेटी (एसएलएससी) बनेगी। प्रोजेक्ट के एप्रूवल से अलग आने वाली परेशानियों को दूर करने, पॉलिसी में किसी तरह का संशोधन करने के लिये स्टेट लेवल एनर्जी कमेटी (एसएलईसी) का गठन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होगा। इसमें ऊर्जा सचिव सहित आठ सदस्य होंगे। भूमि संबंधी मामलों पर निर्णय लेने के लिये उत्तराखंड सोलर पावर लैंड अलॉटमेंट कमेटी (यूएसपीएलएसी) का गठन भी मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होगा। इसमें ऊर्जा सचिव सहित चार सदस्य होंगे।

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में बनाई जाएगी पोल्ट्री वैली

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2022 को उत्तराखंड के पशुपालन एवं दुग्ध विकास सचिव डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने देहरादून में हुई परियोजना निदेशकों की बैठक में बताया कि पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिये प्रदेश सरकार गोट वैली के बाद राज्य में पोल्ट्री वैली योजना शुरू करने जा रही है।

प्रमुख बिंदु

  • डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि राज्य में एक साल पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चकराता में पोल्ट्री वैली बनाई गई थी, जिसमें सफलता मिलने पर अब अन्य ज़िलों में पोल्ट्री वैली बनाई जाएगी।
  • उन्होंने कहा कि दुग्ध विकास विभाग के माध्यम से राज्य के सभी ज़िलों में आंचल कैफे खोले जाएंगे। जहाँ पर दूध व अन्य उत्पाद एक ही जगह मिल सकेंगे। आंचल कैफे और पोल्ट्री वैली की शुरुआत 25 नवंबर को की जाएगी। इसके लिये अधिकारियों को तैयारियाँ पूरी करने के निर्देश दिये गए।
  • उन्होंने बताया कि आंचल कैफे के लिये 41 स्थानों का चयन किया गया है। आंचल कैफे में दूध के अलावा शेक, आइसक्रीम, पिज्जा, दूध से बने उत्पाद मिलेंगे। कैफे से स्थानीय लोगों को रोज़गार मिलेंगे। साथ ही, किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।
  • परियोजना निदेशक डेयरी जयदीप अरोड़ा ने बताया कि देहरादून के घंटाघर में एमडीडीए कॉम्प्लेक्स में आंचल कैफे तैयार कर दिया गया है। 

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