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प्राथमिक स्तर के बाद अब उच्च शिक्षा में भी लागू हो सकती है नई शिक्षा नीति
चर्चा में क्यों?
18 सितंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में प्राथमिक स्तर के बाद इसी माह उच्च शिक्षा में नई शिक्षा नीति को लागू किया जा सकता है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान उच्च शिक्षा में नई नीति की शुरुआत करेंगे।
प्रमुख बिंदु
- उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि उच्च शिक्षा में नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम तैयार कर लिया गया है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में फैकल्टी की कमी के चलते वार्षिक परीक्षा प्रणाली को लागू किया गया था, लेकिन अब इसे समाप्त कर सेमेस्टर सिस्टम को लागू किया जाएगा।
- नई शिक्षा नीति के तहत जो पाठ्यक्रम तैयार किया गया है, उसमें 70 फीसदी पाठ्यक्रम सभी विश्वविद्यालयों में समान रूप से लागू रहेगा, जबकि 30 फीसदी पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालय अपने हिसाब से बदल सकेंगे। पाठ्यक्रम को रोज़गारपरक भी बनाया गया है।
- विदित है कि राज्य विश्वविद्यालयों की ओर से नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम तैयार किये जाने के लिये माध्यमिक शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में टास्क फोर्स गठित की गई थी। उच्च शिक्षा मंत्री को इसका उपाध्यक्ष बनाया गया था।
- इसके अलावा कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति एनके जोशी की अध्यक्षता में दून विश्वविद्यालय, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय एवं अल्मोड़ा विश्वविद्यालय के कुलपतियों को सदस्य नामित कर पाठ्यक्रम निर्माण समिति गठित की गई थी।
- गौरतलब है कि जुलाई 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में नई शिक्षा नीति-2020 के तहत ‘बाल वाटिका’ शुरू की थी। इससे उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना, जिसने अपने यहाँ नई शिक्षा नीति सबसे पहले लागू की।
- इसके तहत प्राथमिक स्कूल परिसर में चल रहे 4447 आंगनबाड़ी केंद्रों को बाल वाटिका के रूप में शुरू किया गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों में प्री प्राइमरी को ‘बाल वाटिका’ का नाम दिया गया है। इसके लिये अलग से पाठ्यक्रम तैयार किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि प्रदेश में वर्तमान में 21 निजी विश्वविद्यालय, तीन डीम्ड यूनिवर्सिटी, एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी और 12 राज्य विश्वविद्यालय संचालित हैं।
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उत्तराखंड में स्थापित होगा 100 बेड क्षमता का आयुष ग्राम
चर्चा में क्यों?
18 सितंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति और निवेश को बढ़ावा देने के लिये 100 बेड क्षमता का आयुष ग्राम स्थापित किया जाएगा। इसके लिये केरल की आर्य वैद्यशाला ने सहमति जताते हुए आयुर्वेद विश्वविद्यालय के साथ एमओयू करने की बात कही।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि उत्तराखंड को आयुष हब बनाने की दिशा में हाल ही में आयुर्वेद क्षेत्र में काम कर रही केरल की आर्य वैद्यशाला के प्रतिनिधिमंडल ने हरिद्वार स्थित ऋषिकुल और गुरुकुल आयुर्वेद कॉलेज का दौरा किया और राज्य के साथ मिलकर आयुर्वेद पर शोध कार्यों के लिये विश्वविद्यालय के साथ एमओयू करने पर सहमति जताई।
- प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.), मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु, आयुष सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय के साथ बैठक कर आयुर्वेद को बढ़ावा देने के रोडमैप पर विस्तार से चर्चा की।
- राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को पंचकर्म, मर्म चिकित्सा को बढ़ावा देने और प्रचार-प्रसार को प्राथमिकता देने की बात कही। साथ ही, दैनिक जीवन में सगंध पौध व जड़ी-बूटी के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 179 से अधिक एरोमा और 200 से अधिक जड़ी-बूटी पाई जाती है।
- प्रतिनिधिमंडल में शामिल आर्य वैद्यशाला के सीईओ डॉ. जीसी गोपाला पिल्लई ने आयुर्वेद क्षेत्र से जुड़े ‘वेलनेस’शब्द की जगह ‘वेलबीइंग’का प्रयोग करने का सुझाव दिया।
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