फसलों के उत्पादन व नुकसान के आकलन के लिये अब AI की मदद लेगा हरियाणा | हरियाणा | 19 Aug 2023
चर्चा में क्यों?
17 अगस्त, 2023 को हरियाणा कृषि विभाग के निदेशक नरहरि सिंह बांगड़ ने बताया कि हरियाणा कृषि विभाग अब फसलों के उत्पादन और नुकसान के आकलन के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद लेगा। अभी राज्य सरकार यह कार्य कर्मचारियों के माध्यम से करवाती है।
प्रमुख बिंदु
- निदेशक नरहरि सिंह बांगड़ ने बताया कि केंद्र व राज्य सरकार ने इसकी मंज़ूरी दे दी है। इसके लिये एजेंसियों से आवेदन आमंत्रित कर दिये गए हैं। सरकार की योजना है कि आगामी रबी के सीजन में इस तकनीक से काम हो। इस प्रोजेक्ट पर करीब सात करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
- एआई (Artificial Intelligence) एक ऐसी तकनीक है जो मानव मानसिकता की प्रक्रियाओं को मॉडल करके स्वतंत्रता से सोचने और निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है। हरियाणा कृषि विभाग ने इस तकनीक का उपयोग करके खेती से लेकर उत्पादन तक की प्रक्रिया को सुगम और सुरक्षित बनाने का लक्ष्य रखा है।
- कृषि विभाग हर साल फसलों के लिये रकबे के हिसाब से अनुमानित उत्पादन का आकलन करता है। इसके लिये कृषि विभाग के कर्मचारी ज़िलों में निश्चित क्षेत्र को चयनित कर उस क्षेत्र में हुए फसल उत्पादन से अंदाज़ा लगाते हैं। साथ ही बीमारी या अन्य कारणों से फसलों में नुकसान के आकलन के लिये भी विभाग कर्मचारियों पर निर्भर है।
- हरियाणा कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार एआई मॉडल में सैटेलाइट व अन्य माध्यमों से हर सप्ताह फसल के फोटो लिये जाएंगे। हर सप्ताह दिये जाने वाले फोटो में फसल के रंग, पौधे की लंबाई, पत्तियों का एआई मॉडल अध्ययन करेगा। इसमें अत्याधुनिक कंप्यूटर का प्रयोग किया जाएगा।
- एआई मॉडल फसल के बीच में व कटाई से पहले दो बार रिपोर्ट देगा। इससे उत्पादन का अनुमान लगाया जाएगा। इसी तरह की तकनीक फसल नुकसान के आकलन में प्रयोग की जाएगी। इससे पता चलेगा कि फसल में किस तरह की बीमारी का प्रकोप है, अगर है तो इसका उत्पादन पर कितना असर पड़ सकता है।
- नुकसान के आकलन में कई बार किसानों की शिकायतें रहती हैं कि आकलन सही नहीं हुआ। उन्हें पूरा मुआवजा नहीं मिलेगा। एआई की रिपोर्ट से नुकसान का आकलन सही होने पर किसानों की भी इस तरह की शिकायतें नहीं रहेंगी तथा उन्हें नुकसान का पूरा मुआवज़ा मिल सकेगा।
- एआई से जो डाटा एकत्रित होगा, उस डाटा का कर्मचारियों द्वारा एकत्रित किये गए डाटा के साथ मिलान किया जाएगा। यदि दोनों में समानता रहती है या फिर ज़्यादा अंतर नहीं रहता है तो विभाग बाद में यह कार्य एआई से ही करवा सकता है।
- योजना में पहले चरण में धान, गेहूँ, सरसों व कपास को शामिल किया जाएगा। योजना में सबसे पहले करनाल व हिसार ज़िले का चयन किया गया है। दोनों ज़िलों में करीब सात करोड़ रुपए योजना पर खर्च किये जाएंगे। इसके बाद सात ज़िलों में, फिर पूरे प्रदेश में योजना को लागू किया जाना प्रस्तावित है।
- योजना पर केंद्र द्वारा 60 प्रतिशत व प्रदेश सरकार द्वारा 40 प्रतिशत खर्च वहन किया जाएगा।
- तकनीक से ये होंगे फायदे-
- एआई की मदद से फसल के उत्पादन का सही आकलन होने पर फसल के भाव तय करने में आसानी होगी।
- तकनीक के प्रयोग से मानव श्रम और समय की बचत होगी।
- पुरानी तकनीक पर लागत खर्च में भी कमी आएगी।