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स्टेट पी.सी.एस.

  • 19 Jul 2023
  • 2 min read
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उत्तर प्रदेश Switch to English

नीति आयोग ने जारी की रिपोर्ट : गरीबी कम करने में उत्तर प्रदेश सभी राज्यों में अव्वल

चर्चा में क्यों?

17 जुलाई, 2023 को नीति आयोग ने सभी राज्यों की प्रगति के संबंध में मल्टीडाइमेंशनल पावर्टी इंडेक्स-2023 की नवीनतम रिपोर्ट जारी की, जिसमें उत्तर प्रदेश गरीबों की संख्या घटाने के मामले में पूरे देश में अव्वल रहा है।  

प्रमुख बिंदु  

  • मल्टीडाइमेंशनल पावर्टी इंडेक्स-2023 की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में गरीबी का प्रतिशत 24.85 से घटकर 14.96 प्रतिशत हो गया है। बहुस्तरीय गरीबी में शिक्षा स्वास्थ्य व जीवन स्तर के मानक भी शामिल हैं।  
  • उत्तर प्रदेश में 3 करोड़ 42 लाख 72 हज़ार 484 लोग बहुस्तरीय गरीबी से बाहर आ गए हैं। इस कारण 2015-16 के मुकाबले 2019-21 में राज्य में कुल आबादी में गरीबों का प्रतिशत 37.68 से घटकर 22.93 हो गया है।  
  • इसके बाद बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा व राजस्थान गरीबी दूर करने में प्रमुख राज्य रहे हैं।  
  • बहुस्तरीय मानक पर गरीबों की संख्या प्रतिशत में : 

गरीबी के मानक

वर्ष 2015-16

वर्ष 2019-21

पोषण

30.40

18.45  

शिशु मृत्यु दर

3.81

2.20

मातृ स्वास्थ्य

25.20

15.97

स्कूल उपस्थिति

9.96

7.62

ईंधन

34.24

17.95

सफाई

31.74

11.91

पेयजल

2.09

0.93

बिजली

18.34

4.98

आवास

33.35

19.56

संपत्ति

8.86

4.22

बैंक खाते

4.8

2.96

  • गरीबी में कमी वाले उत्तर प्रदेश के दस ज़िले: 

ज़िले

आई कमी (प्रतिशत में)

महाराजगंज

-29.64

गोंडा

-29.55

बलरामपुर

-27.90

कौशांबी

-25.75

खीरी

-25.23

श्रावस्ती

-24.42

जौनपुर

-24.65

बस्ती

-23.36

गाजीपुर

-22.83

कुशीनगर

-22.28

चित्रकूट

-21.40


बिहार Switch to English

बिहार के 5 ज़िलों को मिला ‘भूमि सम्मान 2023’

चर्चा में क्यों?

18 जुलाई, 2023 को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में भूमि प्रबंधन और प्रशासन के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये बिहार के भू-अभिलेख विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा और 5 ज़िलों के कलेक्टर्स को ‘भूमि सम्मान 2023’ प्रदान किया।  

प्रमुख बिंदु  

  • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू ने 9 राज्यों के सचिवों और 68 कलेक्टर्स को पुरस्कार दिए।  
  • बिहार की राज्यस्तरीय टीम और ज़िला टीम को छह क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य के लिये सम्मानित किया गया। इनमें भू अभिलेखों का कंप्यूटरीकरण, राज्य के राजस्व मानचित्रों का डिजिटलाइजेशन, अधिकार अभिलेखों का कैडस्ट्रल, मानचित्रों के साथ संबंधन, निबंधन विभाग का कंप्यूटरीकरण, निबंधन कार्यालय एवं भू अभिलेखों का एकीकरण और अंचल स्तरीय आधुनिक अभिलेखागार तैयार करना शामिल है। 
  • बिहार के भू-अभिलेख विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा निदेशक भू अभिलेख एवं परिमाप सह सचिव जय सिंह और आइटी प्रबंधक आनंद शंकर को सम्मानित किया गया। 
  • इनके अलावा नालंदा, जहानाबाद, लखीसराय, भोजपुर और किशनगंज ज़िलों को भूमि सम्मान से नवाज़ा गया। इन ज़िलों के कलेक्टर्स को प्लेटिनम श्रेणी के लिये प्लेटिनम सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया।  
  • उल्लेखनीय है कि डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मैनेजमेंट प्रोग्राम केंद्र सरकार के शत-प्रतिशत वित्तपोषण से डिपार्टमेंट ऑफ लैंड रिसोर्सेस द्वारा वर्ष 2008-9 से चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नागरिकों की सुविधा की दृष्टि से आधुनिक, विस्तृत और पारदर्शी भू-अभिलेख प्रबंधन प्रणाली विकसित करना है।  
  • कार्यक्रम के अंतर्गत जनवरी 2022 के बाद से अच्छा कार्य करने वाले ज़िलों को पुरस्कृत करने के लिये, उनके द्वारा कार्यक्रम के एमआईएस पर अंकित डाटा के आधार पर, मंथली ग्रेडिंग प्रणाली लागू की गई है। इसमें 90% से 95% तक सिल्वर, 95% से 99% तक गोल्ड और 99% से अधिक कार्य दक्षता पर प्लैटिनम ग्रेड प्रदान की जाती है। 


राजस्थान Switch to English

राजस्थान संगठित अपराध का नियंत्रण विधेयक-2023 ध्वनिमत से पारित

चर्चा में क्यों?

18 जुलाई, 2023 को राजस्थान विधानसभा में राजस्थान संगठित अपराध का नियंत्रण विधेयक-2023 पर चर्चा के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।  

प्रमुख बिंदु  

  • यह विधेयक प्रदेश में संगठित अपराधों पर रोक लगाने तथा पुलिस को सशक्त बनाने के लिये लाया गया है। इस अधिनियम के प्रावधान राज्य में संगठित अपराध को नियंत्रित करने में कारगर साबित होंगे। 
  • विधेयक में अपराधियों द्वारा अर्जित संपत्ति को जब्त करने के साथ ही विशेष न्यायालयों की स्थापना एवं विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति करने के प्रावधान किये गए हैं, ताकि मुकदमों का शीघ्र निस्तारण हो सके। इसमें अपराधियों की जमानत एवं अग्रिम जमानत नहीं होने के भी प्रावधान किये गए हैं। 
  • संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने बताया कि राज्य में अपराध की प्रवृत्तियों के अध्ययन से यह प्रकट हुआ है कि पिछले दशक में राज्य में अपराध के पैटर्न में बदलाव आया है। आपराधिक गिरोहों ने शूटर, मुखबिर, गुप्त सूचना देने वाले और हथियार आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलकर संगठित नेटवर्क स्थापित कर लिये हैं।  
  • ये संगठित गिरोह मुख्य रूप से कॉन्ट्रेक्ट किलिंग, व्यवसायियों को धमकी देकर फिरौती मांगने, मादक पदार्थों की तस्करी जैसे संगीन अपराधों में लिप्त हैं। ये गिरोह कानून और प्रक्रिया के सुधारात्मक और पुनर्वास संबंधी पहलुओं का लाभ उठाते हुए अपराध करने के लिये अभिरक्षा से रिहा भी हो जाते हैं। कुछ समय से इन अपराधियों ने जनता में डरावनी छवि बना ली है। इसलिये इन अपराधियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये आवश्यक कठोर कानून की यह विधेयक पूर्ति करेगा। 
  • इस अधिनियम की धारा-28 के अंतर्गत उच्च न्यायालय को विशेष न्यायालयों के संबंध में नियम बनाने की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। वहीं धारा-29 के अंतर्गत राज्य सरकार अधिनियम के प्रयोजनों को क्रियान्वित करने के लिये नियम बना सकेगी।  
  • दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-5 के अंतर्गत राज्य सरकार विशेष प्रक्रिया के कानून बना सकती है, जिसके अंतर्गत यह विधेयक लाया गया है। इस तरह का कानून बनाने वाला राजस्थान देश का चौथा राज्य है। पूर्व में महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं गुजरात में इस तरह के कानून लागू किये जा चुके हैं। 
  • इससे पूर्व जनमत जानने हेतु विधेयक को परिचालित करने का प्रस्ताव सदन ने ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।

राजस्थान Switch to English

प्रदेश के 36 विद्यालयों में 45 नवीन विषय होंगे प्रारंभ

चर्चा में क्यों?

18 जुलाई, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में महत्त्वपूर्ण निर्णय लेते हुए प्रदेश के 36 विद्यालयों में 45 नवीन विषय शुरू करने तथा इन विषयों के अध्यापन के लिये आवश्यक पदों के सृजन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है।  

प्रमुख बिंदु  

  • प्रदेश के 36 विद्यालयों में से 27 में 1-1 विषय और 9 विद्यालयों में 2-2 विषय शुरू होंगे। इनमें जयपुर के 6, अलवर के 4, भरतपुर, दौसा, जालौर के तीन-तीन, बांसवाड़ा, चूरू, झुंझुनूं, हनुमानगढ़, नागौर के दो-दो, अजमेर, भीलवाड़ा, श्रीगंगानगर, करौली, सीकर, टोंक तथा उदयपुर एक-एक विद्यालय शामिल हैं।  
  • इन विद्यालयों में नवीन विषयों की शुरुआत के लिये प्रति विषय स्कूल व्याख्याता का एक-एक पद सृजित किया जाएगा। इस प्रकार कुल 45 पदों का सृजन होगा।  
  • इसके अतिरिक्त अलवर एवं उदयपुर के एक-एक विद्यालय में जीव विज्ञान विषय प्रारंभ किया जाएगा। इन विद्यालयों हेतु प्रयोगशाला सहायक के एक-एक पद का भी सृजन किया जाएगा।  
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने वर्ष 2023-24 बजट में नवीन विषय प्रारंभ करने की घोषणा की थी।  
  • इस मंजूरी से विद्यार्थियों को अपने-अपने निवास के पास ही पसंदीदा विषय चुनकर पढ़ने के अवसर मिलेंगे।  

मध्य प्रदेश Switch to English

राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने प्रदेश के सचिव राजस्व एवं आयुक्त भू-अभिलेख और 15 ज़िलों के कलेक्टर्स को ‘भूमि सम्मान 2023’ प्रदान किये

चर्चा में क्यों?

18 जुलाई, 2023 को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में भूमि प्रबंधन और प्रशासन के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये मध्य प्रदेश के सचिव राजस्व एवं आयुक्त भू-अभिलेख डॉ. संजय गोयल और 15 ज़िलों के कलेक्टर्स को ‘भूमि सम्मान 2023’ प्रदान किया। 

प्रमुख बिंदु  

  • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 9 राज्यों के सचिवों और 68 कलेक्टर्स को पुरस्कार दिये।  
  • मध्य प्रदेश राज्य शासन की ओर से सचिव राजस्व एवं आयुक्त भू-अभिलेख डॉ. संजय गोयल एवं अपर सचिव चंद्रशेखर वालिम्बे ने अपनी टीम के साथ पुरस्कार ग्रहण किया।  
  • डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स आधुनिकीकरण के क्षेत्र में मध्य प्रदेश ने राज्य व ज़िला दोनों ही श्रेणियों में देश भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया। यह राज्य व केंद्र सरकार के समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहाँ शत-प्रतिशत राशि केंद्र सरकार द्वारा प्रदाय की जाती है, वहीं राज्य सरकारों द्वारा कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जाता है। 
  • कार्यक्रम में प्रदेश के 15 ज़िलों- आगर मालवा, अलीराजपुर, अनूपपुर, भोपाल, गुना, हरदा, इंदौर, खरगौन, नीमच, सीधी, सिंगरौली, टीकमगढ़, उज्जैन, उमरिया और विदिशा के कलेक्टर्स को भूमि सम्मान प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया गया।  
  • मध्य प्रदेश के इन ज़िलों द्वारा डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम के सभी घटकों में शत-प्रतिशत उपलब्धि पर उन्हें प्लेटिनम ग्रेडिंग प्रदान की गई है। ये घटक है- लैंड रिकॉर्ड्स का कंप्यूटराइजेशन, भू-कर मानचित्रों का डिजिटाइजेशन, पंजीयन का कंप्यूटराइजेशन, पंजीयन का भू-अभिलेखों के साथ एकीकरण, भू-कर मानचित्र का भू-अभिलेखों के साथ लिंकेज और आधुनिक रिकॉर्ड रूम। 
  • उल्लेखनीय है कि डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मैनेजमेंट प्रोग्राम केंद्र सरकार के शत-प्रतिशत वित्तपोषण से डिपार्टमेंट ऑफ लैंड रिसोर्सेस द्वारा वर्ष 2008-9 से चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नागरिकों की सुविधा की दृष्टि से आधुनिक, विस्तृत और पारदर्शी भू-अभिलेख प्रबंधन प्रणाली विकसित करना है।  
  • कार्यक्रम के अंतर्गत जनवरी 2022 के बाद से अच्छा कार्य करने वाले ज़िलों को पुरस्कृत करने के लिये, उनके द्वारा कार्यक्रम के एमआईएस पर अंकित डाटा के आधार पर मंथली ग्रेडिंग प्रणाली लागू की गई है। इसमें 90% से 95% तक सिल्वर, 95% से 99% तक गोल्ड और 99% से अधिक कार्य दक्षता पर प्लैटिनम ग्रेड प्रदान की जाती है।


हरियाणा Switch to English

एमएसएमई में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये अधिसूचना जारी

चर्चा में क्यों?

17 जुलाई, 2023 को हरियाणा सरकार ने वैश्विक स्तर पर भविष्य में बढ़ रही ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिये हरित ऊर्जा व अन्य वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता के मद्देनज़र सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये अधिसूचना जारी की है। 

प्रमुख बिंदु  

  • उद्योग एवं वाणिज्य विभाग द्वारा जारी इस आशय की अधिसूचना के अनुसार राज्य नवीकरणीय ऊर्जा स्कीम के अंतर्गत एमएसएमई उद्योग को नवीकरणीय ऊर्जा के जिन स्रोतों को अपनाना होगा, इनमें औद्योगिक अनुप्रयोग आधारित नवीकरणीय ऊर्जा, सोलर पीवी ऊर्जा उत्पादन, सोलर थर्मल अनुप्रयोग (सोलर हॉट वाटर जनरेटर व हॉट एयर  जनरेटर),  बायोमास गैसीफायरस, बायोमास प्लांट्स, बायोमास आधारित बॉयलर का अप-ग्रेडेशन तथा नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित अन्य औद्योगिक उपकरण व मशीनरी शामिल हैं।  
  • राज्य सरकार की ओर से ऐसे उद्योगों को 3 वर्ष के लिये प्रतिवर्ष अधिकतम 10 लाख रुपए के सावधि ऋण पर 5 प्रतिशत की दर से ब्याज सब्सिडी दी जायेगी।  
  • सब्सिडी का लाभ लेने के लिये निर्धारित प्रोफार्मा में दस्तावेज विभाग की वेबसाइट पर वित्त वर्ष की समाप्ति से 3 महीने पहले तक अपलोड किये जा सकते हैं। ये प्रोत्साहन देने के लिये महानिदेशक, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग, हरियाणा सक्षम प्राधिकारी होंगे। 
  • अधिसूचना अनुसार यदि कोई आवेदक गलत तथ्यों के आधार पर उक्त लाभ लेता पाया जाता है तो उसे 12 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज दर के साथ प्रोत्साहन राशि रिफंड करनी होगी और उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।  
  • इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से किसी भी प्रकार की दी जाने वाले प्रोत्साहन/सहायता ग्रांट से वंचित किया जा सकता है।  
  • विदित है कि हरियाणा की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नीति, 2019 से 25 अप्रैल, 2024 तक के लिये अधिसूचित की गई है।


झारखंड Switch to English

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के 9 ज़िलों को ‘भूमि सम्मान 2023’ से सम्मानित किया

चर्चा में क्यों?

18 जुलाई, 2023 को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में भूमि संबंधित दस्तावेज़ों के राइट ऑफ रिकॉर्ड का बेहतर ढंग से डिजिटलाइजेशन करने को लेकर झारखंड के नौ ज़िलों को ‘भूमि सम्मान 2023’ से सम्मानित किया।  

प्रमुख बिंदु  

  • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) के तहत 9 राज्यों के सचिवों और 68 कलेक्टर्स को पुरस्कार दिये। 
  • भूमि सम्मान 2023 के लिये झारखंड के नौ ज़िलों का चयन हुआ। इसके तहत गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, चतरा, गिरिडीह, खूंटी, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम और दुमका ज़िले को यह सम्मान मिला है।  
  • इन ज़िलों के डीसी के नेतृत्व में संबंधित अपर समाहर्ता एवं अन्य राजस्व पदाधिकारी द्वारा डिस्ट्रिक्ट टीम की ओर से राष्ट्रपति के हाथों यह पुरस्कार ग्रहण किया गया। वहीं राज्य की ओर से राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव अमिताभ कौशल के नेतृत्व में भू-अर्जन, भू-अभिलेख एवं परिमाप के निदेशक उमा शंकर सिंह और संयुक्त निबंधन महानिरीक्षक शहाब सिद्दीकी द्वारा यह पुरस्कार ग्रहण किया गया। 
  • गुमला डीसी सुशांत गौरव को भूमि सम्मान से नवाज़ा गया। ज़िले में 99 प्रतिशत से अधिक राइट ऑफ रिकॉर्ड जैसे सेल डीड, खतियान एवं अन्य भूमि संबंधित दस्तावेज़ों का डिजिटलाइजेशन किया गया है। इस साल गुमला ज़िले के लिये यह दूसरा सुनहरा अवसर रहा, जब ज़िले को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिला। इससे पूर्व गुमला ज़िले को देश का प्रतिष्ठित पीएम अवॉर्ड भी मिल चुका है। 
  • सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त अरवा राजकमल को भूमि सम्मान 2023 से सम्मानित किया गया। ज़िले में भी भूमि सबधी सभी कार्य ऑनलाइन हुए हैं, जिसके कारण उपायुक्त एवं टीम को भूमि सम्मान-2023 प्लेटिनम सर्टिफिकेट प्रदान कर भूमि रिकॉर्ड सुधार के लिये संचालित अभियान में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये सम्मानित किया गया।  
  • इसके अलावा भूमि रिकॉर्ड सुधार के लिये संचालित अभियान में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने हेतु खूंटी उपायुक्त शशि रंजन और टीम को राष्ट्रपति ने भूमि सम्मान 2023 प्लेटिनम सर्टिफिकेट प्रदान किया। खूंटी को छह अलग-अलग बिंदुओं पर सम्मानित किया गया है।  
  • डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) में सौ फीसदी पूर्णता हासिल करने को लेकर लोहरदगा ज़िला के डीसी डॉ. वाघमारे प्रसाद कृष्ण को भूमि सम्मान 2023 से सम्मानित किया गया।  
  • उल्लेखनीय है कि डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) के तहत लैंड रिकॉर्ड के आधुनिकीकरण, समुचित संरक्षण एवं कुशल प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को भूमि सम्मान दिया जाता है। इसके तहत देश के 28 राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के 766 ज़िले में भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण की प्रक्रिया चल रही है। भूमि सम्मान के रूप में उत्कृष्ट ज़िलों को प्लैटिनम ग्रेडिंग सर्टिफिकेट दिया जाता है। 
  • विदित है कि डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मैनेजमेंट प्रोग्राम केंद्र सरकार के शत-प्रतिशत वित्तपोषण से डिपार्टमेंट ऑफ लैंड रिसोर्सेस द्वारा वर्ष 2008-9 से चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नागरिकों की सुविधा की दृष्टि से आधुनिक, विस्तृत और पारदर्शी भू-अभिलेख प्रबंधन प्रणाली विकसित करना है।  
  • कार्यक्रम के अंतर्गत जनवरी 2022 के बाद से अच्छा कार्य करने वाले ज़िलों को पुरस्कृत करने के लिये उनके द्वारा कार्यक्रम के एमआईएस पर अंकित डाटा के आधार पर मंथली ग्रेडिंग प्रणाली लागू की गई है। इसमें 90% से 95% तक सिल्वर, 95% से 99% तक गोल्ड और 99% से अधिक कार्य दक्षता पर प्लैटिनम ग्रेड प्रदान की जाती है।

  


छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ को राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मू के हाथों मिला भूमि सम्मान

चर्चा में क्यों?

18 जुलाई, 2023 को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के हाथों नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ को भूमि सम्मान से नवाज़ा गया। इसके साथ ही प्रदेश के दो ज़िलों सरगुजा और बेमेतरा को भी भूमि प्रबंधन और प्रशासन के लिये भूमि सम्मान प्लेटिनम सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया।  

प्रमुख बिंदु  

  • डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) के मौजूदा चार घटकों के बेहतर क्रियान्वयन के लिये प्रदेश और दो ज़िलों को यह सम्मान मिला है। 
  • समारोह में राज्य स्तर पर भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और प्रबंधन के लिये सचिव राजस्व विभाग नीलम नामदेव एक्का, महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक किरण कौशल, संचालक भू-अभिलेख रमेश शर्मा ने राष्ट्रपति के हाथों भूमि सम्मान प्राप्त किया।  
  • इसी प्रकार ज़िला स्तर पर भू-अभिलेखों के डिजिटाइजेशन और प्रबंधन के लिये बेमेतरा कलेक्टर पीएस एल्मा और सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार को भी भूमि सम्मान प्लेटिनम सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।
  • गौरतलब है कि डीआईएलआरएमपी के अंतर्गत प्रदेश में भूमि प्रबंधन से जुड़े 95 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुके हैं। इसी तरह भूमि प्रबंधन से जुड़े चार घटकों लैंड रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन, पंजीयन कार्यालय का तहसील कार्यालय से समन्वय, मॉर्डन रिकॉर्ड रूम तथा सर्वे-रिसर्वे का कार्य प्रदेश के सरगुजा और बेमेतरा ज़िले में शत-प्रतिशत पूर्ण हो चुका हैं। ये ज़िले भूमि प्रबंधन में देश के शीर्ष ज़िलों में शामिल हैं।
  • भूमि संबंधी सभी रिकॉर्ड्स के डिजिटाइजेशन से लोगों को अपनी ज़मीन से जुड़ी जानकारियाँ रियल-टाइम पर उपलब्ध हो रही हैं। इस जानकारी को मोबाइल से कहीं से भी और किसी भी वक्त इंटरनेट के माध्यम से देखा जा सकता है। भूमि संबंधी रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन और इसके प्रबंधन से भूमि संबंधी जानकारी अब लोगों की आसान पहुँच में है। लोगों को भूमि संबंधी अभिलेख प्राप्त करने के लिये शासकीय कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ रहे हैं।  
  • लोगों को आसानी से सभी अभिलेख मिलने से ज़मीन से जुड़े धोखा-धड़ी के मामले में भी कमी आई है। भूमि संबंधी न्यायालयों में मुकदमे भी कम हुए हैं। भू-अभिलेखों के कंप्यूटरीकरण से ऐसे प्रमाण-पत्र, जिनमें भू-अभिलेखों की जानकारी की आवश्यकता होती है, उन प्रमाण पत्रों के लिये आसानी से दस्तावेज़ उपलब्ध हुए हैं। इससे लोगों को आसानी से आय, जाति, निवास प्रमाण-पत्र मिल रहा है। इस पूरी व्यवस्था का उद्देश्य नागरिक को राईट ऑफ रिकॉर्ड (रिकॉर्ड का अधिकार) भी सुनिश्चित करना है।

  


उत्तराखंड Switch to English

नीति आयोग द्वारा जारी निर्यात तैयारी सूचकांक में हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड पहले स्थान पर

चर्चा में क्यों?

17 जुलाई, 2023 को नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने देश के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिये ‘निर्यात तैयारी इंडेक्स (ईपीआई) 2022’ नामक रिपोर्ट का तीसरा संस्करण जारी किया, जिसमें हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड ने अपना पहला स्थान बरकरार रखा है। 

प्रमुख बिंदु  

  • ईपीआई 2022 रिपोर्ट में क्षेत्र विशिष्ट अंतर्दृष्टि के साथ निर्णय लेने में सहायता करने, मज़बूती की पहचान, कमियों को दूर करने और भारत के राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में बड़े पैमाने पर वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकारों को अधिकार दिये जाने की वकालत की गई है। 
  • रिपोर्ट वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत के निर्यात कारोबार का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जिसमें क्षेत्र-विशेष के साथ ही ज़िला स्तर पर वस्तु निर्यात के रुझान भी शामिल हैं।  
  • ईपीआई 2022 रिपोर्ट राज्यों के प्रदर्शन का चार स्तंभों में मूल्यांकन करती है- नीति, व्यावसायिक परिवेश, निर्यात इकोसिस्टम और निर्यात प्रदर्शन।  
  • इंडेक्स में 56 संकेतकों का इस्तेमाल किया गया है जिनसे राज्यों और यूटी की निर्यात मामले में राज्य व ज़िला दोनों स्तर पर निर्यात तैयारियों की समग्र तस्वीर सामने आ जाती है। 
  • इंडेक्स में चार स्तंभों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है - 
    • नीति स्तंभ में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की राज्य और ज़िला स्तर पर निर्यात से जुड़े नीतिगत इकोसिस्टम और इसके इर्द-गिर्द खड़ी संस्थागत संरचना पर आधारित मूल्यांकन किया जाता है। 
    • व्यावसायिक परिवेश में कारोबार को समर्थन देने वाली ढाँचागत सुविधाओं, राज्य/यूटी परिवहन संपर्क के साथ ही राज्य/यूटी में मौजूदा व्यावसायिक परिवेश का आकलन किया जाता है। 
    • निर्यात इकोसिस्टम में निर्यातकों को दिया जाने वाला व्यापार समर्थन और नवाचार को बढ़ावा देने के लिये राज्य में व्याप्त अनुसंधान और विकास कार्यों के साथ राज्य में निर्यात से जुड़ी ढाँचागत सुविधाओं पर गौर किया जाता है। 
    • निर्यात प्रदर्शन एक आउटपुट आधारित संकेतक है, जिसमें पिछले साल के मुकाबले राज्य की निर्यात वृद्धि को मापा जाता है और उसके निर्यात केंद्रित कार्यों और वैश्विक बाज़ार में उपस्थिति को आंका जाता है। 
  • ये स्तंभ आगे दस उप-स्तंभों पर आधारित हैं- इनमें निर्यात संवर्द्धन नीति, संस्थागत रूपरेखा ढाँचा, व्यावसायिक परिवेश, ढाँचागत सुविधाएँ, परिवहन संपर्क, निर्यात सुविधाएं, व्यापार समर्थन, अनुसंधान एवं विकास अवसंरचना, निर्यात में विविधता और वृद्धि को बढ़ावा देने जैसे कदम शामिल हैं। 
  • ईपीआई रिपोर्ट 2022 में देखा गया है कि ज्यादातर ‘तटीय राज्यों’ने अच्छा प्रदर्शन किया है। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात पूरे देश में सभी श्रेणी के राज्यों में निर्यात तैयारियों के मामले में सबसे आगे रहे हैं। 
  • उत्तराखंड ने निर्यात तैयारी सूचकांक में लंबी छलांग लगाई है। इस सूचकांक रैंकिंग में राज्य ने सुधार कर देश में नौवां स्थान हासिल किया है, जबकि निर्यात तैयारी सूचकांक 2021 की रैंकिंग में उत्तराखंड देश भर में 19वें स्थान पर था।  
  • वहीं हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड के बाद दूसरे स्थान पर हिमाचल और तीसरे स्थान पर मणिपुर है।  
  • विदित है कि राज्य ने नई निर्यात और लॉजिस्टिक नीति लागू भी की है। इसके अलावा, निर्यात बढ़ाने के लिये प्रत्येक ज़िले में दो उत्पादों का चयन किया है। 
  • ज़िला स्तर पर भी निर्यात के लिये बुनियादी ढाँचे और सुविधाओं को मज़बूत किया जा रहा है, जिससे उत्तराखंड ने सूचकांक रैंकिंग में देश भर में नौवाँ स्थान हासिल किया, जबकि तमिलनाडु पहले और मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है। 
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिये कई सुधार किए हैं। राज्य में विश्व स्तरीय एकीकृत औद्योगिक एस्टेट विकसित किया गया है। पंतनगर और काशीपुर में एकीकृत कंटेनर डिपो और पंतनगर में मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क हैं। 
  • राज्य के देहरादून और पंतनगर हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हवाई अड्डा बनाने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं। हवाई यात्रा को बढ़ावा देने के लिये टर्बो फ्यूल में 18 प्रतिशत की कमी की गई है।  
  • राज्य में अरोमा पार्क, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर, फार्मा सिटी-दो, प्लास्टिक पार्क विकसित किये जा रहे हैं।  
  • प्रदेश से फार्मा, ऑटोमोबाइल, डेयरी उत्पाद, वनस्पति उत्पाद, शहद, खाद्य पदार्थ, खनिज उत्पाद, रसायनिक उत्पाद, प्लास्टिक, रबड़, लकड़ी से बने उत्पाद, कपड़ा, परिवहन संबंधित उत्पाद, रक्षा संबंधी औजार का प्रमुख रूप से निर्यात किया जाता है। 
  • राज्य में अल्मोड़ा में अचार, प्राकृतिक रेशे, ताम्र शिल्प, बागेश्वर में ऑर्गेनिक ऊन, चंपावत में लौह बर्तन, डेयरी उत्पाद, उत्तरकाशी में सेब, चमोली में मछली व जड़ी-बूटी, देहरादून में मक्का उत्पाद, फार्मा, हरिद्वार में गन्ना उत्पाद, ऑटोमोबाइल, फार्मा, नैनीताल में ऐपण शिल्प, पौड़ी में काष्ठ शिल्प, मल्टी ग्रेन, पिथौरागढ़ में कार्पेट, रुद्रप्रयाग में शहद, जड़ी बूटी, टिहरी में मसाला, ऊधमसिंह नगर में बेकरी उत्पादन, चावल, मैंथा का निर्यात बढ़ाया जाएगा।
  • प्रदेश में वर्ष वार निर्यात की स्थिति: 

वर्ष

निर्यात (करोड़ रुपए में)

2014-15

8509

2015-16

7350

2016-17

6011

2017-18

10837

2018-19

16285

2019-20

16971


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