छत्तीसगढ़ में मत्स्य उत्पादकता में दो गुना से अधिक की वृद्धि | छत्तीसगढ़ | 18 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
17 जुलाई, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार राज्य में मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिये मछुआरों व मत्स्य कृषकों को दिये जा रहे प्रोत्साहन के चलते राज्य में मत्स्य उत्पादकता में दो गुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है।
प्रमुख बिंदु
- वर्ष 2000 में राज्य की औसत मत्स्य उत्पादकता 1850 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर थी। वर्तमान में राज्य की औसत मत्स्य उत्पादकता 4,000 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो गई है।
- प्रगतिशील मत्स्य कृषक मछलीपालन की नवीन तकनीकी अपनाकर एवं उन्नत प्रजातियों का पालन कर प्रति हेक्टेयर 8,000-10,000 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन करने लगे हैं।
- वर्ष 2000 में राज्य का मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में 9वाँ स्थान था। राज्य में मत्स्य बीज का उत्पादन कम होने के कारण मत्स्य बीज अन्य प्रदेशों से आयात किया जाता था। वर्तमान में छत्तीसगढ़ मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होकर देश में पाँचवें स्थान पर एवं मत्स्योत्पादन में छठे स्थान पर आ गया है।
- वर्ष 2000 में उपलब्ध मात्र 538 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र में से 1.335 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र में मछलीपालन किया जाता था। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 2 लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र उपलब्ध है, जिसमें से लगभग 1.961 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मछलीपालन का कार्य किया जा रहा है।
- राज्य की भौगोलिक एवं कृषि जलवायवीय परिस्थितियाँ मछलीपालन के लिये अनुकूल होने के कारण परंपरागत मछुआ वर्ग के लोगों के साथ-साथ अन्य वर्गों के लोग भी मछलीपालन करने लगे हैं।
- राज्य में मछलीपालन को कृषि का दर्जा देने तथा किसानों के समान ही मछलीपालकों को ऋण की सुविधा तथा विद्युत एवं जलकर छूट देने से राज्य में मछलीपालन को बढ़ावा मिला है। अब यह एक लाभकारी व्यवसाय बन गया है, जिसे लोग तेजी से अपनाने लगे हैं।
- राज्य में मछलीपालन के क्षेत्र में हो रही उत्तरोत्तर वृद्धि को देखते हुए, इसके तीव्र विकास के लिये मछुआरों की भागीदारी सुनिश्चित करने, मत्स्य सहकारी समितियों के विकास, शासकीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों का लाभ मत्स्य व्यवसाय से जुड़े लोगों तक पहुँचाने तथा नवीन तकनीकों के प्रशिक्षण, नवीन प्रजातियों के पालन व देशी मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण एवं विकास के लिये छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नवीन मछलीपालन नीति, 2022 लागू की गई है। इससे राज्य में मत्स्यपालन को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।