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स्टेट पी.सी.एस.

  • 19 Jul 2022
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उत्तर प्रदेश Switch to English

मदरसों में दाखिले की न्यूनतम उम्र तय करने के लिये राज्य सरकार बनाएगी समिति

चर्चा में क्यों?

16 जुलाई, 2022 को उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने बताया कि राज्य के मदरसों में दाखिले के लिये न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित करने को लेकर एक समिति बनाई जाएगी, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर आयु निर्धारण संबंधी निर्णय लिया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने बताया कि राज्य सरकार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) और काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) समेत विभिन्न शिक्षा परिषदों की तर्ज़ पर राज्य के मदरसों में भी दाखिले के लिये न्यूनतम आयु सीमा तय करेगी।
  • इसी के साथ उन्होंने छात्रों की अधिकतम आयु सीमा तय करने पर विचार किये जाने की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मदरसों में दाखिले के लिये अधिकतम उम्र तय करने का सरकार का कोई विचार नहीं है।
  • प्रदेश के मदरसा शिक्षकों के संगठन ‘टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया उत्तर प्रदेश’ के महासचिव दीवान साहब जमां खाँ ने बताया कि राज्य के मदरसों में कक्षा एक में प्रवेश के लिये छात्रों की न्यूनतम आयु पाँच साल और कक्षा 10 में दाखिले के लिये न्यूनतम आयु 14 साल पहले से ही निर्धारित है।
  • उत्तर प्रदेश में 16,461 मदरसे हैं, जिनमें से 560 को सरकारी अनुदान प्राप्त होता है। अनुदान के अंतर्गत मदरसों के शिक्षकों और गैर-शिक्षणकर्मियों को वेतन-भत्ते का भुगतान किया जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि मई 2022 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से पेश किये गए प्रस्ताव पर यह फैसला लिया गया कि राज्य में अब नए मदरसों को सरकारी अनुदान नहीं मिलेगा।

राजस्थान Switch to English

डेजर्ट नेशनल पार्क में शुरू किये गए ‘ग्रीन एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट’ की समीक्षा

चर्चा में क्यों?

18 जुलाई, 2022 को राजस्थान की मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने बाड़मेर और जैसलमेर ज़िलों में ‘डेजर्ट नेशनल पार्क’ में जैव-विविधता और वन परिदृश्यों के संरक्षण के लिये शुरू किये गए ‘ग्रीन एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट’ की तैयार कार्य योजना की समीक्षा की।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने दोनों ज़िलों के कलेक्टर्स को आपसी समन्वय से कार्य करते हुए इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता में लेने के निर्देश दिये।
  • बैठक में कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव दिनेश कुमार ने बताया कि जैसलमेर एवं बाड़मेर ज़िलों की 52 ग्राम पंचायतों के 10 हज़ार 400 कृषक परिवारों के लिये स्थानीय खरीद को सुगम बनाने के साथ स्थानीय उपज की खरीद और उनका बाज़ार से जुड़ाव के प्रयास किये जाएंगे।
  • इस प्रोजेक्ट के तहत किसान पाठशालाओं के आयोजन से ग्रामवासियों के जीवनस्तर को उठाया जाएगा, साथ ही 6 हज़ार परिवारों के पोषण में वृद्धि के लिये उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। 200 प्राणिमित्रों, पशु सखियों को किसानों की सहायता के लिये प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • प्रोजेक्ट के तहत हरित परिदृश्य परियोजना द्वारा संबंधित गाँवों के 50 परिवारों को कृमि मुक्ति और पशुओं के टीकाकरण से लाभान्वित किया जाएगा। फार्म्स फील्ड स्कूलों के माध्यम से जैव-विविधता और स्थानीय संरक्षण के प्रयास किये जाएंगे।
  • बैठक में कृषि आयुक्त कानाराम ने कहा कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य जैव-विविधता और वन परिदृश्य का संरक्षण करना है। 4 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट की वर्ष 2026 तक पूरे होने की संभावना है।
  • प्रोजेक्ट के तहत आने वाले गाँवों में पारंपरिक प्राकृतिक स्रोतों, जैसे- गोचर, ओरण एवं टांका आदि को पुनर्जीवित किया जाएगा। गाँवों में विलायती बबूलों को हटाकर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के प्रयास किये जाएंगे।

राजस्थान Switch to English

प्रदेश में खुलेंगे 5 विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय

चर्चा में क्यों?

18 जुलाई, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में 5 विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय खोलने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से न्यायालय में लंबित प्रकरणों का जल्द निस्तारण हो सकेगा।

प्रमुख बिंदु

  • प्रस्ताव अनुसार अजमेर, उदयपुर, जयपुर महानगर प्रथम, जयपुर महानगर द्वितीय व जोधपुर महानगर में पायलट स्टडी के रूप में विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (एन.आई. एक्ट प्रकरण) न्यायालय खोले जाएंगे।
  • प्रत्येक न्यायालय में सेवानिवृत्त न्यायाधीश सहित कुल 10 विभिन्न पदों पर फिक्स मानदेय के आधार पर सेवाएँ ली जाएंगी। इन न्यायालयों की समयावधि 09.2022 से 31.08.2023 तक एक वर्ष की होगी।
  • उल्लेखनीय है कि राज्य के उन ज़िलों में, जहाँ एन.आई. एक्ट प्रकरणों की संख्या ज़्यादा है, वहाँ पायलट स्टडी विशेष न्यायालय खोले जाने हैं।

राजस्थान Switch to English

छबड़ा एवं कालीसिंध में अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल यूनिट के पावर प्रोजेक्ट होंगे स्थापित

चर्चा में क्यों?

18 जुलाई, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के छबड़ा तथा कालीसिंध में अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्रोजेक्ट स्थापित करने के प्रस्तावों का अनुमोदन किया।

प्रमुख बिंदु

  • अनुमोदित प्रस्ताव के अनुसार छबड़ा तापीय विद्युत परियोजना का विस्तार कर 06 करोड़ रुपए लागत की 660-660 मेगावाट क्षमता की 2 अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल तकनीक आधारित इकाइयाँ स्थापित होंगी।
  • इसके साथ ही कालीसिंध तापीय विद्युत परियोजना का विस्तार करते हुए 58 करोड़ रुपए लागत की 800 मेगावाट क्षमता की 1 अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल तकनीक आधारित इकाई स्थापित हो सकेगी।
  • प्रदेश में विद्युत उत्पादन बढ़ाने की दिशा में छबड़ा एवं कालीसिंध में कुल 2120 मेगावाट क्षमता की विद्युत परियोजनाओं के स्थापित होने से जहाँ राज्य विद्युत उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से अग्रसर होगा, वहीं स्थानीय क्षेत्र के विकास एवं रोज़गार के क्षेत्र में वृद्धि होगी।
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2022-23 में उत्पादन निगम के थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले की बचत, प्रदूषण में कमी एवं पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल तकनीक आधारित थर्मल पावर प्रोजेक्ट की स्थापना हेतु घोषणा की थी।

हरियाणा Switch to English

रोहतक में 500 एकड़ में बनेगा ‘फुटवियर-लेदर’ क्लस्टर

चर्चा में क्यों?

18 जुलाई, 2022 को हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने एमएसएमई के अधिकारियों व फुटवियर इंडस्ट्री एसोसिएशन के पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक में कहा कि राज्य के अधिक-से-अधिक युवाओं को रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार रोहतक में लगभग 500 एकड़ में ‘फुटवियर-लेदर’ क्लस्टर बनाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि रोहतक शहर के आस-पास के आईटीआई संस्थानों के विद्यार्थियों को फुटवियर इंडस्ट्री से जोड़कर ट्रेनिंग भी दी जाएगी, ताकि लेदर इंडस्ट्री के उद्योगपतियों को स्थानीय स्तर पर ही कुशल युवा मिल सकें और युवाओं को उनके घर के नज़दीक रोज़गार हासिल हो सके।
  • उप-मुख्यमंत्री ने फुटवियर इंडस्ट्री एसोसिएशन के पदाधिकारियों को बताया कि राज्य सरकार प्रदेश में उद्योगपतियों को काफी सहूलियतें दे रही है, ताकि उनको अपना उद्योग चलाने में कोई परेशानी न हो, इससे स्थानीय युवाओं को भी रोज़गार के अवसर मिल सकेंगे।
  • रोहतक में बनने वाले ‘फुटवियर-लेदर’ क्लस्टर में उद्योगपतियों को हर प्रकार से मदद की जाएगी। करीब दो दर्जन उद्योगों के चालू होते ही वहाँ पर एक साल में कॉमन सर्विस सेंटर बना दिया जाएगा, जिससे उद्योगपतियों को अपने कार्य में आसानी हो सकेगी।
  • उन्होंने बताया कि राज्य में ‘लेदर-इंडस्ट्री’ के उद्योगपतियों की मदद के लिये लेदर से संबंधित एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी बनाया जाएगा। एसोसिएशन के पदाधिकारियों की मांग पर दुष्यंत चौटाला ने ‘फुटवियर-लेदर’ क्लस्टर के पास ही लेबर हॉस्टल बनाने का आश्वासन भी दिया, ताकि वहाँ काम करने वाले मज़दूरों को रहने व इंडस्ट्री तक आने-जाने में परेशानी न हो।
  • उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में जहाँ प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान हासिल हुआ है, वहीं वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी ‘स्टेट ईज ऑफ डूईंग बिज़नेस’ के पाँचवें संस्करण में हरियाणा को टॉप अचीवर्स कैटेगरी में स्थान मिला है।
  • हरियाणा सरकार की उद्योगों को अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने की प्रतिबद्धता के कारण ही हरियाणा की ईज़ ऑफ डूईंग बिज़नेस, ईज़ ऑफ लॉजिस्टिक्स और एक्सपोर्ट रेडीनेस में उत्कृष्ट रैंकिंग आई है। इसके अतिरिक्त, निर्यात तैयारी सूचकांक (भूमि बंद श्रेणी)-2021 में राज्य को पहला तथा ‘लॉजिस्टिक्स ईज़ एक्रॉस डिफरेंट स्टेट्स सर्वे-2021’ में दूसरा स्थान मिला है।

झारखंड Switch to English

राज्य के विश्वविद्यालयों में एनईपी लागू करने के लिये ड्राफ्ट तैयार

चर्चा में क्यों?

हाल ही में झारखंड राज्य सरकार द्वारा यूजीसी की ओर से एनईपी लागू करने के लिये दिये गए प्रारूप के आधार पर राज्य के सभी सात विश्वविद्यालयों में इसी अकादमिक सत्र से नई शिक्षा नीति-2022 (एनईपी) लागू करने के लिये ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इसके अनुसार स्नातक अब चारवर्षीय होगा। साथ ही एक वोकेशनल विषय पढ़ना अनिवार्य होगा। इसके अलावा कोर में दो नए अनिवार्य विषय शामिल किये गए हैं।
  • ड्राफ्ट उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग को सौंपा जाना है। इस पर स्वीकृति मिलने के बाद सभी विश्वविद्यालय सिलेबस तैयार कर सब्जेक्ट मैपिंग करेंगे, जिसके बाद यह चांसलर पोर्टल पर डाला जाएगा।
  • गौरतलब है कि उच्च तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग की ओर से राज्य के विश्वविद्यालयों में एनईपी-2022 लागू करने के लिये एक कमेटी गठित की गई थी, जिसकी बैठक 2 से 14 जुलाई तक चली।
  • प्रारूप के तहत चारवर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम 160 क्रेडिट का होगा, प्रति सेमेस्टर 20 क्रेडिट होंगे। तीन सेमेस्टर तक वोकेशनल का एक विषय और कोर के दो नए विषय पढ़ना अनिवार्य होगा। इसके बाद जिस विषय में प्रदर्शन अच्छा होगा, उसी में आगे की पढ़ाई विद्यार्थी कर सकेंगे।
  • विषयों को बहुविषय (मल्टीडिसिप्लीनरी) बनाया गया है। कोर में जो दो नए विषय जुड़ने जा रहे हैं, उनमें अंडरस्टैंडिंग इंडिया और मैथेमेटिकल एनालिसिस एंड कंप्यूटेशनल थिंकिंग शामिल हैं।
  • वोकेशनल विषयों में बीबीए, बीसीए, हेल्थ एंड हाइजीन एंड योगा वेलनेस अनिवार्य विषय के रूप में डाले गए हैं। इनमें एक विषय पढ़ना होगा।

उत्तराखंड Switch to English

अनाथालयों में रह रहे बच्चों के भी बनेंगे आयुष्मान कार्ड, मिलेगा मुफ्त इलाज़

चर्चा में क्यों?

18 जुलाई, 2022 को उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य के अनाथालयों में रहने वाले बेसहारा बच्चों को भी ‘आयुष्मान योजना’ में मुफ्त इलाज़ की सुविधा मिलेगी। सरकार ने ऐसे बच्चों का आयुष्मान कार्ड बनाने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि इस संबंध में योजना को संचालित करने हेतु राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अधिकारियों को निर्देश दिये गए हैं।
  • ‘आयुष्मान योजना’ के तहत नवजात से लेकर चार साल तक के दस हज़ार से अधिक बीमार नौनिहालों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध की गई। उन्हें रोगमुक्त रखने के उद्देश्य से ब्लॉक स्तर पर स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं।
  • उन्होंने बताया कि योजना के तहत अब तक दस हज़ार से अधिक बीमार बच्चों को नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिसमें 1,397 बालक एवं 8,700 बालिकाएँ शामिल हैं। इस पर सरकार ने 38 करोड़ रुपए की राशि खर्च की है।
  • डॉ. रावत ने बताया कि ‘आयुष्मान योजना’ का बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, सभी लाभ उठा रहे हैं। योजना में 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज़ की सुविधा है। राज्य में अब तक 32 लाख आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं। लाभार्थियों के विभिन्न रोगों के उपचार पर 868 करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके हैं।
  • प्रदेश में आयुष्मान कार्ड बनाने से वंचित रह गए लोगों के कार्ड बनाए जा रहे हैं, जिससे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के दौरान नि:शुल्क उपचार उपलब्ध हो सके।

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