झारखंड मनरेगा घोटाले में संपत्तियाँ ज़ब्त | झारखंड | 19 Apr 2024
चर्चा में क्यों?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) घोटाले के मामले में आरोपियों की 22.47 लाख रुपए मूल्य की चार अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से ज़ब्त कर लिया है।
मुख्य बिंदु:
जाँच एजेंसी ने झारखंड के खूंटी ज़िले में मनरेगा कार्य में 18 करोड़ रुपए के गबन के संबंध में झारखंड पुलिस द्वारा दर्ज 16 FIR के आधार पर जाँच शुरू की थी।
धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (PMLA)
- परिचय:
- यह आपराधिक कानून है जो धन शोधन/मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और धन शोधन से संबंधित मामलों से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति की ज़ब्ती का प्रावधान करने के लिये बनाया गया है।
- यह धन शोधन से निपटने के लिये भारत द्वारा स्थापित कानूनी ढाँचे का मूल है।
- इस अधिनियम के प्रावधान सभी वित्तीय संस्थानों, बैंकों (RBI सहित), म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्थों पर लागू होते हैं।
- PMLA के प्रमुख प्रावधान:
- अपराध और दंड: PMLA धन शोधन अपराधों को परिभाषित करता है और ऐसी गतिविधियों के लिये ज़ुर्माना लगाता है। इसमें अपराधियों के लिये कठोर कारावास और ज़ुर्माना शामिल है।
- संपत्ति की कुर्की और ज़ब्ती: अधिनियम धन शोधन में शामिल संपत्ति की कुर्की और ज़ब्ती की अनुमति देता है। यह इन कार्यवाहियों की निगरानी के लिये एक निर्णायक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान करता है।
- रिपोर्टिंग आवश्यकताएँ: PMLA कुछ संस्थाओं, जैसे बैंकों और वित्तीय संस्थानों, को लेन-देन के रिकॉर्ड बनाए रखने तथा वित्तीय खुफिया इकाई (Financial Intelligence Unit- FIU) को संदिग्ध लेन-देन की रिपोर्ट करने का आदेश देता है।
- नामित प्राधिकरण और अपीलीय अधिकरण: अधिनियम धन शोधन अपराधों की जाँच और अभियोजन में सहायता के लिये एक नामित प्राधिकरण की स्थापना करता है। यह न्यायनिर्णयन प्राधिकारी के आदेशों के खिलाफ अपील सुनने के लिये एक अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना का भी प्रावधान करता है।
- वर्ष 2023 में PMLA, 2002 में संशोधन:
- अपराध से प्राप्त आय की स्थिति के बारे में स्पष्टीकरण: अपराध की आय में न केवल अनुसूचित अपराध से प्राप्त संपत्ति शामिल है, बल्कि इसमें अनुसूचित अपराध से संबंधित या समान किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल होने या प्राप्त की गई कोई अन्य संपत्ति भी शामिल होगी।
- पुनर्परिभाषित धन शोधन: धन शोधन एक स्वतंत्र अपराध नहीं था बल्कि यह किसी अन्य अपराध पर निर्भर था, जिसे विधेय अपराध या अनुसूचित अपराध के रूप में जाना जाता है। संशोधन का उद्देश्य धन शोधन को एक अलग अपराध मानना है।