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‘नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा’के तहत झारखंड की पाँच नदियों का होगा विकास
चर्चा में क्यों?
16 अप्रैल, 2023 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार के ‘नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा’कार्यक्रम के तहत देश भर की 109 नदियों को विकसित किया जाएगा। इसमें झारखंड के पाँच ज़िलों की नदियों को भी शामिल किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- योजना के क्रियान्वयन के लिये केंद्र ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर यहाँ के पाँच ज़िलों में स्थित नदियों का मैनेजमेंट प्लान मांगा है। चयनित पाँचों नदियाँ शहरी क्षेत्र में स्थित होनी चाहिये।
- केंद्र सरकार ने झारखंड के पाँच शहरों का चयन पहले चरण में किया है। इसमें आदित्यपुर, राँची, मेदिनीनगर, गिरिडीह और धनबाद में स्थित नदियों का मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जाएगा।
- इन नदियों के विकास के लिये केंद्र सरकार आर्थिक मदद मुहैया कराएगी।
- उक्त योजना का उद्देश्य शहर की नदियों को संरक्षित करना है। इससे पर्यावरण का संरक्षण होगा। सामाजिक व आर्थिक गतिविधियाँ भी बढ़ेंगी। झारखंड सरकार की ओर से नदियों की सूची उपलब्ध कराए जाने के बाद उनके विकास की योजना तैयार की जाएगी।
- यह प्लान नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अरबन अफेयर्स (एनआईयूए) मिलकर तैयार करेंगे।
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ग्राम पंचायत कपिलो को मिला राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2023
चर्चा में क्यों?
17 अप्रैल, 2023 को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में पंचायतों को प्रोत्साहन पर राष्ट्रीय सम्मेलन में झारखंड की ग्राम पंचायत कपिलो को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार 2023 प्रदान किया।
प्रमुख बिंदु
- गिरिडीह ज़िले के बिरनी प्रखंड की ग्राम पंचायत कपिलो को सभी 9 एलएसडीजी विषयों और हरित पहल से संबंधित विशेष श्रेणियों के तहत समग्र प्रदर्शन के लिये नानाजी देशमुख सर्वोत्तम पंचायत सतत् विकास पुरस्कार (एनडीएसपीएसवीपी) प्रदान किया गया।
- विदित है कि इससे पूर्व भी बिरनी प्रखंड की कपिलो पंचायत को उत्कृष्ट कार्यों के लिये नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार 2021 से पुरस्कृत किया गया था।
- निम्नलिखित विभिन्न श्रेणियों में चुनी गईं पंचायतों को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किये गए-
- व्यक्तिगत एलएसडीजी विषय वस्तुओं के तहत प्रदर्शन के लिये दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सतत् विकास पुरस्कार (डीडीयूपीएसपी)
- सभी 9 एलएसडीजी विषयों और हरित पहल से संबंधित विशेष श्रेणियों के तहत समग्र प्रदर्शन के लिये नानाजी देशमुख सर्वोत्तम पंचायत सतत् विकास पुरस्कार (एनडीएसपीएसवीपी)
- ग्राम ऊर्जा स्वराज विशेष पंचायत पुरस्कार
- कार्बन न्यूट्रल विशेष पंचायत पुरस्कार।
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लाह की खेती को मिला कृषि का दर्जा
चर्चा में क्यों?
17 अप्रैल, 2023 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य में लाह की खेती को कृषि का दर्जा देने पर सहमति दी गई।
प्रमुख बिंदु
- कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने बताया कि लाह को कृषि का दर्जा मिलने से खूंटी, गुमला, सिंहभूम, लातेहार, गढ़वा, हज़ारीबाग ज़िला समेत राज्य के 12 ज़िलों के करीब पाँच लाख किसान परिवार को लाभ मिलेगा।
- गौरतलब है कि लाह का उत्पादन करने में झारखंड राज्य देश में पहले स्थान पर है। झारखंड में लाह की खेती सबसे अधिक की जाती है क्योंकि यहाँ के किसानों के पास लाह की खेती करने के लिये पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं जो उन्हें इस खेती को करने में बेहद मदद करते हैं। इसके अलावा झारखंड का मौसम भी लाह की खेती करने के लिये उत्तम होता है।
- आँकड़ों के अनुसार झारखंड राज्य में प्रति वर्ष 15-16 हज़ार टन लाह का उत्पादन किया जाता है। यहाँ के अधिकतर लोगों की यह खेती जीवन जीने का एक बेहतरीन स्त्रोत है। लाह की खेती से जुड़े किसानों को कुल आय का 25 फीसदी लाह से ही प्राप्त होता है।
- विदित है कि लाख या लाह एक प्राकृतिक राल है, इसी कारण इसे ‘प्रकृति का वरदान’ कहते हैं। लाख के कीट अत्यंत सूक्ष्म होते हैं तथा अपने शरीर से लाख उत्पन्न करके हमें आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। वैज्ञानिक भाषा में लाख को ‘लेसिफर लाखा’कहा जाता है।
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