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साइबर अपराधियों से संबंधित खातें फ्रीज़
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड में कथित तौर पर साइबर अपराधियों से संबंधित 8,674 बैंक खातों को इस संदेह में फ्रीज़ कर दिया गया है कि इनका इस्तेमाल फिशिंग गतिविधियों के लिये किया जा रहा था।
- देवघर ज़िले में सबसे ज़्यादा 2002 खाते फ्रीज़ किये गए, इसके बाद धनबाद में 1,183 और रांची में 959 खाते फ्रीज़ किये गए।
मुख्य बिंदु:
- फ्रीज़ किये हुए खातों का विवरण भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र से प्राप्त किया गया और ऐसी सूचनाओं की ज़िला तथा बैंकवार सूची तैयार की गई।
- खातों के सत्यापन के लिये डेटा सभी ज़िलों और बैंकों के पुलिस अधीक्षकों के साथ साझा किया जाएगा।
- अपराध जाँच विभाग (CID) झारखंड में साइबर अपराधियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चला रहा है।
- पिछले तीन महीनों में कथित तौर पर साइबर अपराधों में शामिल होने के आरोप में 495 लोगों को गिरफ्तार किया गया और साइबर धोखाधड़ी के लिये 107 लोगों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गई है।
- साइबर अपराधों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान 1,164 मोबाइल फोन और 1,725 सिम कार्ड भी ज़ब्त किये गए हैं।
- देवघर, गिरिडीह, बोकारो, जामताड़ा और रांची समेत विभिन्न ज़िलों में साइबर अपराधियों के खिलाफ लगातार छापेमारी की जा रही है।
साइबर अपराध
- साइबर अपराध को ऐसे अपराध के रूप में परिभाषित किया जाता है जहाँ कंप्यूटर अपराध का माध्यम होता है या अपराध करने के लिये एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- इसमें अवैध या अनधिकृत गतिविधियाँ शामिल हैं जो विभिन्न प्रकार के अपराध करने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाती हैं।
- प्रकार:
- डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस (DDoS) अटैक: इसका प्रयोग किसी ऑनलाइन सेवा को अनुपलब्ध बनाने और विभिन्न स्रोतों से वेबसाइट पर अत्यधिक ट्रैफिक के माध्यम से नेटवर्क को बाधित करने के लिये किया जाता है।
- बॉटनेट: यह कंप्यूटर का एक ऐसा नेटवर्क है जिसे दूर बैठे हैकर्स द्वारा बाह्य रूप से नियंत्रित किया जाता है। रिमोट हैकर्स या तो स्पैम भेजते हैं या इन बॉटनेट के माध्यम से अन्य कंप्यूटरों पर हमला करते हैं।
- पहचान की चोरी (Identity Theft): यह साइबर अपराध तब होता है जब कोई अपराधी किसी उपयोगकर्त्ता की व्यक्तिगत या गोपनीय जानकारी तक पहुँच प्राप्त कर लेता है, जिसके परिणामस्वरूप वह प्रतिष्ठा धूमिल करने या फिरौती मांगने की कोशिश करता है।
- साइबर स्टॉकिंग: इस प्रकार के साइबर अपराध में ऑनलाइन उत्पीड़न शामिल होता है जहाँ उपयोगकर्त्ता को ढेर सारे ऑनलाइन संदेशों और ईमेल का सामना करना पड़ता है। सामान्यतः साइबर स्टॉक किसी उपयोगकर्ता को डराने के लिये सोशल मीडिया, वेबसाइट और सर्च इंजन का उपयोग करते हैं।
- फिशिंग: यह एक प्रकार का सोशल इंजीनियरिंग हमला है जिसका उपयोग अक्सर उपयोगकर्त्ता का डेटा चुराने के लिये किया जाता है, जिसमें लॉगिन क्रेडेंशियल और क्रेडिट कार्ड नंबर शामिल हैं। ऐसा तब होता है जब एक हमलावर एक विश्वसनीय संस्था के रूप में किसी पीड़ित को ईमेल, त्वरित संदेश या टेक्स्ट संदेश के माध्यम से धोखा देता है।
आपराध जाँच विभाग (CID)
- ब्रिटिश सरकार द्वारा वर्ष 1902 में स्थापित, CID राज्य पुलिस का एक जाँच और खुफिया विभाग है। दूसरी ओर, CBI केंद्र सरकार की एक एजेंसी है।
- CID संबंधित उच्च न्यायालयों के निर्देशानुसार हत्या, हमले, दंगा या किसी भी मामले की जाँच कर रही है।
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