उत्तर प्रदेश Switch to English
प्रधानमंत्री ने बस्ती ज़िले में सांसद खेल महाकुंभ 2022-23 के दूसरे चरण का उद्घाटन किया
चर्चा में क्यों?
18 जनवरी, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले में आयोजित सांसद खेल महाकुंभ 2022-23 के दूसरे चरण का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- इस खेल महाकुंभ के दौरान कुश्ती, कबड्डी, खो-खो, बास्केटबॉल, फुटबॉल, हॉकी, वॉलीबॉल, हैंडबॉल, शतरंज, कैरम, बैडमिंटन, टेबल टेनिस आदि जैसे इनडोर और आउटडोर दोनों तरह के खेलों में विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन किया जाता है। इनके अतिरिक्त, निबंध लेखन, पेंटिंग, रंगोली बनाने जैसी प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है।
- गौरतलब है कि खेल महाकुंभ का पहला चरण 10 से 16 दिसंबर, 2022 तक आयोजित किया गया था और खेल महाकुंभ का दूसरा चरण 18 से 28 जनवरी, 2023 तक निर्धारित है।
- इस सांसद खेल महाकुंभ का आयोजन बस्ती ज़िले के सांसद हरीश द्विवेदी द्वारा 2021 से किया जा रहा है। खेल महाकुंभ एक अनूठी पहल है जो ज़िला बस्ती और आसपास के क्षेत्रों के युवाओं को अपनी खेल प्रतिभा दिखाने का अवसर और मंच प्रदान करता है और उन्हें खेल को करियर विकल्प के रूप में लेने के लिये प्रेरित करता है। यह क्षेत्र के युवाओं में अनुशासन, टीम वर्क, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा, आत्मविश्वास और उनमें राष्ट्रवाद की भावना जगाने का भी प्रयास करता है।
- प्रधानमंत्री ने खेल महाकुंभ की व्यापकता की सराहना करते हुए आशा व्य क्त की है कि इस तरह के आयोजनों के माध्यम से खेलों में भारत की पारंपरिक विशेषज्ञता को एक नया आयाम मिलेगा। करीब 200 सांसद अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में इस तरह के खेल महाकुंभ का आयोजन कर चुके हैं।
- प्रधानमंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि इन खेलों के माध्यम से प्रदर्शन करने वाले एथलीटों को भारतीय खेल प्राधिकरण के तहत आगे के प्रशिक्षण के लिये चुना जा रहा है। पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 40,000 एथलीट खेल महाकुंभ में भाग ले रहे हैं।
- प्रधानमंत्री ने बताया कि खेलो इंडिया के माध्यम से 2500 एथलीटों को प्रति माह 50,000 रुपए की वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा रही है। टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) के तहत करीब 500 ओलंपिक संभावित खिलाडि़यों को तैयार किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए कुछ खिलाड़ियों को 2.5 करोड़ से 7 करोड़ रुपए तक की सहायता मिली है।
- देश भर में एक हज़ार से अधिक खेलो इंडिया ज़िला केंद्र स्थापित किये जा रहे हैं, जिनमें से 750 से अधिक केंद्र पूरे हो चुके हैं। देश भर के सभी खेल के मैदानों की जियो टैगिंग भी की जा रही है, ताकि खिलाड़ियों को ट्रेनिंग लेने में कोई दिक्कत न हो।
- उन्होंने बताया कि सरकार ने पूर्वोत्तर के युवाओं के लिये मणिपुर में एक खेल विश्वविद्यालय का निर्माण किया है और मेरठ, (उत्तर प्रदेश) में भी एक अन्य खेल विश्वविद्यालय का निर्माण किया जा रहा है।
बिहार Switch to English
ऐन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2022
चर्चा में क्यों ?
18 जनवरी, 2023 को जारी ऐन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2022 के अनुसार बिहार के स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की अंग्रेजी और गणित की क्षमता में इजाफा हुआ है, साथ ही निजी कोचिंग में बच्चों की रुचि बढ़ी है।
प्रमुख बिंदु
- इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार के प्राथमिक स्कूलों में विद्यार्थियों और शिक्षकों की उपस्थिति भी बढ़ी है, जबकि 15-16 साल की अनामांकित लड़कियों का अनुपात घटा है।
- रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में कक्षा 5 के बच्चों में अंग्रेजी पढ़ने की क्षमता में वर्ष 2016 से 2022 के बीच 3% की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2018 में ऐसे बच्चों की संख्या 18.1 थी, जो 2022 में 22.4% हो गई है।
- कक्षा 8 में अंग्रेजी पढ़ने की क्षमता 2022 में 2014 के समान ही 8% पर स्थिर है। इसी प्रकार राज्य में कक्षा 3 के 11.4 बच्चे अंग्रेजी के साधारण वाक्यों को पढ़ने में सक्षम और 54.5% बच्चे उनका अर्थ बताने में सक्षम थे।
- इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य में सरकारी या निजी स्कूलों के कक्षा 5के बच्चों में भाग करने की दक्षता वर्ष 2018 की तुलना में 5% बढ़ कर 2022 में 35.4% हो गई है। सरकारी स्कूलों में कक्षा 5 के ऐसे बच्चों की संख्या में 5.9% और कक्षा 8 में 2.4% की वृद्धि हुई है।
- कक्षा 8वीं तक के बच्चों में निजी कोचिंग के ट्रेंड 5% का इज़ाफा हुआ है। इस वर्ग के अंतर्गत 2018 में 62.2% बच्चे निजी ट्यूशन लेते थे, अब यह आँकड़ा 71.7% हो गया है।
- उल्लेखनीय है कि बिहार में निजी कोचिंग का ट्रेंड देश में सर्वाधिक है।
- कोविड के दौरान सरकारी स्कूल बंद होने के बाद भी 1% नामांकन बढ़े हैं। वर्ष 2022 तक बिहार के सरकारी स्कूलों में छह से 14 आयु वर्ग के बच्चों के नामांकन 82.2% है। इसी आयु वर्ग में निजी और सरकारी स्कूलों में कुल नामांकन 98% रहा है।
- वर्ष 2022 के दौरान बिहार में 11-14 वर्ष की अनामांकित लड़कियों की संख्या 8% रह गई है। 15-16 साल की अनामांकित लड़कियों का अनुपात घटकर 6.7% रह गया है। प्राथमिक स्कूलों में विद्यार्थियों की औसत उपस्थिति 2018 में 56.5% से बढ़ कर 2022 में 59.3% हो गई है। 30.2% प्राथमिक और 34.9% उच्च प्राथमिक स्कूलों में पाठ्य-पुस्तकें थीं।
- बिहार के स्कूलों में पूर्व-प्राथमिक तीन वर्ष तक के नामांकित बच्चे - 1%
- बिहार में 60 या उससे कम विद्यार्थियों वाले प्राथमिक सरकारी स्कूल - 8%
- बिहार में शिक्षकों की उपस्थिति 2018 में 68।5% की तुलना में बढ़ी - 9%
- गौरतलब है कि एक गैर-सरकारी संगठन ‘प्रथम’इस रिपोर्ट को जारी करता है।
राजस्थान Switch to English
अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन व्यापार मेला ‘FITUR-2023’ में राजस्थान पर्यटन विभाग के प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया
चर्चा में क्यों?
18 जनवरी, 2023 को राजस्थान पर्यटन विभाग के प्रतिनिधि मंडल ने स्पेन की राजधानी मैड्रिड में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन व्यापार मेला ‘FITUR-2023’ में भाग लिया।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि इस अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन व्यापार मेला का आयोजन 18 से 22 जनवरी 2023 तक किया जाएगा।
- पाँच सदस्यी प्रतिनिधिमंडल के रूप में राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ सहित पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़, आरटीडीसी के प्रबंध निदेशक विजयपाल सिंह, पर्यटन विभाग के अतिरित्त निदेशक सलीम खान एवं उपनिदेशक नवकिशोर बसवाल ने भाग लिया।
- आरटीडीसी अध्यक्ष राठौड़ ने बताया कि राजस्थान में स्पेन सहित अन्य यूरोपीय देशों से पर्यटकों की वर्षभर आवक रहती है। इस फेयर में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन विशेषज्ञों, ट्रेवल एजेंट्स, टूर एंड ट्रेवल ऑपरेटर्स एवं अन्य पर्यटन से जुडी एजेंसी से चर्चा की जाएगी ताकि राजस्थान के पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।
- उन्होंने कहा कि ‘FITUR-2023’ राजस्थान की पर्यटन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नई पहचान बनाने में मददगार होगा।
- आरटीडीसी अध्यक्ष ने कहा कि राजस्थान सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक दृष्टि से समृद्ध प्रदेश है। राजस्थान की पर्यटन की संभावनाओं को वैश्विक स्तर पर अवगत करवाने के उद्देश्य से पर्यटन से जुड़ी सभी टूर, ट्रेवल एजेंसियों एवं पर्यटन विशेषज्ञों को ‘पधारो म्हारे देश’के माध्यम से राजस्थान आने के लिये आमंत्रित किया जाएगा।
राजस्थान Switch to English
राज्य में पहले कंपोजिट रीजनल सेंटर की स्थापना के लिये केंद्र एवं राज्य सरकार के मध्य एमओयू
चर्चा में क्यों?
18 जनवरी, 2023 को दिव्यांगजनों को विभिन्न प्रकार की सेवाएँ एवं सुविधाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केंद्र सरकार एवं राजस्थान राज्य सरकार के मध्य समझौता पत्र करार किया गया जिसके अंतर्गत राज्य में प्रथम कंपोजिट रीजनल सेंटर की स्थापना जामडोली, जयपुर में की जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली की उपस्थिति में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मध्य समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये गए। केंद्र सरकार की ओर से मनीष वर्मा, निदेशक राष्ट्रीय दृष्टिबाधित दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान, देहरादून एवं राज्य सरकार की ओर से डॉ. समित शर्मा, शासन सचिव सामाजिक न्याय अधिकारिता ने हस्ताक्षर किये।
- कंत्री टीकाराम जूली ने बताया कि एमओयू के पश्चात् अस्थायी रूप से कंपोजिट रीजनल सेंटर का संचालन भारत सरकार द्वारा किया जाएगा। शीघ्र ही राज्य सरकार द्वारा कंपोजिट रीजनल सेंटर के स्थायी संचालन हेतु भूमि केंद्र सरकार को उपलब्ध करवाई जाएगी और चिन्हित भूमि पर भारत सरकार द्वारा कंपोजिट रीजनल सेंटर के भवन का निर्माण करवाया जाएगा।
- इस केंद्र के संचालन से राज्य के दिव्यांगजन लाभान्वित होंगे। दिव्यांगजनों को इस केंद्र से नि:शुल्क कृत्रिम अंग एवम् उपकरण की सुविधा प्राप्त होगी।
- इस केंद्र के माध्यम से दिव्यांगजनों को चिन्हित करना, फिजियोथैरेपी,ऑक्यूपेशनल थेरेपी इत्यादि की सुविधाएँ भी नि:शुल्क प्रदान की जाएगी, साथ ही साथ दिव्यांगजनों को यूडीआईडी कार्ड जारी करवाने में भी इस केंद्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
राजस्थान Switch to English
राज्यपाल ने ‘एग्जाम वॉरियर्स’ पुस्तक का किया लोकार्पण
चर्चा में क्यों?
18 जनवरी, 2023 को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘एग्जाम वॉरियर्स’ के हिंदी और अंग्रेजी संस्करण का राजभवन में लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) द्वारा इस पुस्तक का भारत भर में उपयोग सुनिश्चित करने के लिये इसका विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
- लोकार्पण के बाद राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों के लिये ही नहीं, यह शिक्षकों और अभिभावकों के लिये भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस पुस्तक में प्रधानमंत्री ने मूलत: परीक्षा के दौरान बच्चों में होने वाले तनाव के संदर्भ में लेखन किया है, साथ ही इसमें जीवन प्रबंधन पर भी विशिष्ट जानकारियाँ दी गई हैं।
- इस पुस्तक में विद्यार्थियों की सहायता के लिये योग के कई आसनों के साथ ही परीक्षा को उत्सव, उमंग और उल्लास से देने, परीक्षा पर हँसते हुए जाने और मुस्कराते हुए आने, वर्तमान में रहने, खेलों से जीवन सँवारने आदि पर भी महती सूत्र दिये गए हैं।
- इस पुस्तक में शिक्षकों को पत्र लिखने के साथ ही ज्ञान को स्थायी संपदा बताते हुए इसे जीवन भर सीखने का आह्वान किया गया है।
- एनबीटी के निदेशक युवराज मलिक ने बताया कि शिक्षा मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा असमी, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, उर्दू आदि भारतीय भाषाओं में इसके अनुदित संस्करण प्रकाशित किये गए हैं।
- उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ संवाद प्रयोजन से इस पुस्तक को लिखा था।
मध्य प्रदेश Switch to English
राज्यपाल ने पुरातत्त्व संग्रहालय उज्जैन के नवीन भवन और नई वीथिकाओं का भूमि- पूजन किया
चर्चा में क्यों?
18 जनवरी, 2023 को राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने विक्रम कीर्ति मंदिर उज्जैन स्थित पुरातत्त्व संग्रहालय परिसर में नवीन भवन सहित नई वीथिकाओं का भूमि-पूजन किया। साथ ही राज्यपाल एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने पुरातत्त्व संग्रहालय का निरीक्षण भी किया।
प्रमुख बिंदु
- उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय स्थित विक्रम कीर्ति मंदिर संग्रहालय में शहर के समृद्ध इतिहास के कुछ संग्रह हैं, जिसमें लगभग सभी अवधियों, शासकों की कलाकृतियाँ हैं।
- संग्रहालय में प्रागैतिहासिक युग की 650 कलाकृतियाँ और 30 हज़ार दुर्लभ पांडुलिपियों का विशाल संग्रह है। संग्रहालय का वर्तमान भवन जीर्ण-शीर्ण है। उज्जैन स्मार्ट सिटी द्वारा संग्रहालय के जीर्णोद्धार तथा उन्नयन का कार्य किया जाएगा। इसके लिये मेसर्स दोशी कंसल्टेंट प्रा.लि. इंदौर को कार्यादेश जारी किया जा चुका है।
- प्रस्तावित कार्य में 1200 वर्गमीटर के नये भवन का निर्माण, 4500 वर्गमीटर के मौजूदा ढाँचे का उन्नयन/नवीनीकरण और कलाकृतियों को प्रदर्शित करने के लिये नई गैलरी स्थापित करना, वातानुकूलन एवं आधुनिक भंडारण/प्रदर्शन, प्रकाश व्यवस्था और ऑडियो/डिजिटल माध्यम से कलाकृतियों एवं पांडुलिपियों के बारे में जानकारी देना तथा जन-सुविधाएँ विकसित करना आदि शामिल होंगे।
- पुरातत्त्व संग्रहालय भवन निर्माण सहित नई वीथिकाएँ 14 करोड़ रुपए की लागत से बनाई जाएंगी। संग्रहालय को आने वाले दिनों में सरकार द्वारा 14 करोड़ रुपए की लागत से सँवारने का कार्य किया जाएगा। इनमें संग्रहालय को अत्याधुनिक रूप देने एवं संरक्षित प्रतिमाओं और अवशेषों को संरक्षित रखने के कार्य किये जाएंगे।
- पुरातत्त्व संग्रहालय में रखी पुरातात्त्विक धरोहरों, पाँच लाख साल पुराना विश्व प्रसिद्ध हाथी का मस्तक, गेंडे का सींग, दरियाई घोड़े के दाँत, जंगली भैंसे का जबड़ा एवं अन्य 200 जीवाश्म तथा अन्य अवशेषों को विभिन्न वीथिकाओं में प्रदर्शित किया जाएगा।
- इस संग्रहालय में भीम बेटका के पुरातात्त्विक उत्खनन में डॉ.विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा एकत्रित आदि मानव द्वारा निर्मित प्रस्तर औज़ारों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
- इस संग्रहालय में उज्जैन के राजा चंडप्रद्योत के काल में निर्मित लकड़ी की दीवार एवं बंदरगाह के अवशेष के रूप में गढ़कालिका क्षेत्र स्थित शिप्रा नदी के तट से प्राप्त 10 लट्ठे, जो कि 2600 वर्ष पूर्व के हैं, को भी प्रदर्शित किया जाएगा। इसके साथ ही उज्जैन के ग्रामीण क्षेत्रों में कायथा, महिदपुर, आजाद नगर, रूणिजा, सोडंग, टकरावदा के उत्खनन के साथ प्राप्त चार हज़ार वर्ष पुरानी पुरातात्त्विक सामग्री प्रदर्शित की जाएगी।
- इसके अलावा संग्रहालय में मौजूद दुर्लभ प्रस्तर 472 प्रतिमाएँ, जो कि मौर्यकाल से लेकर मराठाकाल तक की हैं, को भी नवनिर्मित वीथिकाओं में प्रदर्शित कर संग्रहालय को समृद्ध बनाने की योजना बनाई गई है। प्रथम चरण में 7.5 करोड़ रुपए की लागत से भवन निर्माण तथा 6.5 करोड़ रुपए की लागत से इंटीरियर कार्य कराया जाएगा।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा सरकार ने प्रशासनिक कार्यों के सुचारू संचालन के लिये लिंक अधिकारी किये नामित
चर्चा में क्यों?
18 जनवरी, 2023 को हरियाणा सरकार ने प्रशासनिक कार्यों के सुगम संचालन हेतु विभिन्न अधिकारियों को लिंक अधिकारी के रूप में नामित किया है। इस संबंध में मुख्य सचिव संजीव कौशल द्वारा पत्र जारी किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- मुख्य सचिव संजीव कौशल ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि इन लिंक अधिकारियों में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव का प्रथम लिंक अधिकारी हरियाणा भूमि सुधार एवं विकास निगम लिमिटेड का प्रबंध निदेशक होगा और हरियाणा बीज विकास निगम के प्रबंध निदेशक द्वितीय लिंक अधिकारी होंगे।
- इसी प्रकार, हरियाणा कौशल विकास मिशन के मिशन निदेशक का प्रथम लिंक अधिकारी कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के निदेशक होंगे।
- हरियाणा कौशल रोज़गार निगम लिमिटेड, पंचकूला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का प्रथम लिंक अधिकारी हरियाणा परिवार पहचान अथॉरिटी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होगा।
- प्रबंध निदेशक, हरियाणा इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर मार्केटिंग कॉर्पोरेशन, गनौर का प्रथम लिंक अधिकारी हरियाणा मिनरल्स लिमिटेड, नई दिल्ली का प्रबंध निदेशक होगा।
- हरियाणा परिवार पहचान अथॉरिटी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी का प्रथम लिंक अधिकारी हरियाणा कौशल रोज़गार निगम लिमिटेड, पंचकूला का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होगा। हरियाणा मिनरल्स लिमिटेड, नई दिल्ली के प्रबंध निदेशक का प्रथम लिंक अधिकारी प्रबंध निदेशक, हरियाणा इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर मार्केटिंग कॉर्पोरेशन, गनौर होगा।
- मुख्य सचिव ने बताया कि आईएएस, एचसीएस अधिकारियों की अनुपस्थिति में विभागों, बोर्डों, निगमों के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिये उनके अवकाश, प्रशिक्षण, दौरे, चुनाव ड्यूटी पर होने या स्थानांतरण, सेवानिवृत्ति के कारण रिक्त या किसी अन्य कारण से 2 दिनों से अधिक के लिये बाहर रहने की स्थिति में संबंधित लिंक अधिकारियों द्वारा कार्य देखा जाएगा। प्रत्येक अधिकारी छुट्टी, प्रशिक्षण, दौरे, चुनाव ड्यूटी पर जाने से पूर्व लिंक अधिकारी को सूचित करेगा।
हरियाणा Switch to English
संस्कृत साहित्यकारों की सम्मान राशि में बढ़ोत्तरी
चर्चा में क्यों?
18 नवंबर, 2023 को हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा संस्कृत विद्वानों और साहित्यकारों के लिये बढ़ाई गई सम्मान राशि पर वित्त विभाग ने स्वीकृति दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- इसके अलावा सम्मान की नियमावली में भी फेरबदल किया गया है। सर्वोच्च सम्मान संस्कृत साहित्यालंकार और हरियाणा गौरव के लिये अब आयु सीमा का बंधन हटा दिया गया है। छात्रवृत्ति, अनुदान और वित्तीय सहायता योजना की राशि में भी कई गुना बढ़ोतरी की गई है।
- संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ.दिनेश शास्त्री ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अकादमी द्वारा संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार एवं संवर्द्धन हेतु विभिन्न योजनाएँ क्रियान्वित की जाती हैं।
- उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने फरवरी 2022 में आयोजित राज्य स्तरीय साहित्य पर्व के समय सम्मान राशि में वृद्धि करने की घोषणा की थी। इस बारे में प्रस्ताव तैयार कर मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा गया था। इसे मुख्यमंत्री द्वारा तीन माह पूर्व अनुमोदित कर दिया गया था। इसी कड़ी में प्रदेश के वित्त विभाग ने भी पुरस्कार की राशि वृद्धि पर स्वीकृति की मोहर लगा दी है।
- इससे इस बार से आवेदन करने वाले साहित्यकारों को इसका लाभ मिलेगा। इसके तहत सम्मान राशि में दो गुना से लेकर साढ़े 3 गुना की बढ़ोतरी की गई है।
- डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के सम्मान ‘संस्कृत साहित्यालंकार सम्मान’ में पहले 2 लाख रुपए की राशि मिलती थी, इसे अब सीधा साढ़े तीन गुना बढ़ाकर 7 लाख रुपए कर दिया गया है। इसी तरह ‘हरियाणा संस्कृत गौरव सम्मान’की पुरस्कार राशि दो लाख से सीधे ढाई गुना बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई है।
- इसी तरह महर्षि वाल्मीकि और महर्षि वेदव्यास सम्मान की राशि डेढ़ लाख से ढाई गुना बढ़ाकर तीन लाख कर दी गई है। महर्षि विश्वामित्र सम्मान में डेढ़ लाख की जगह ढाई लाख , आचार्य स्थाणु दत्त सम्मान में अब डेढ़ लाख की जगह दो लाख रुपए मिलेंगे।
- इसी क्रम में महाकवि बाणभट्ट सम्मान में एक लाख की जगह ढाई लाख रुपए मिलेंगे। साहित्यकार सम्मान राशि पहले 11 लाख थी जो अब बढ़कर 25 लाख हो गई है।
- डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि आचार्य सम्मान में भी पुरस्कार राशि 4 लाख से बढ़ाकर 8 लाख रुपए कर दी गई है। इसके तहत अब गुरु विरजानंद आचार्य सम्मान, विद्यामार्तंड पं.सीताराम शास्त्री आचार्य सम्मान, पं.युधिष्ठिर मीमांसक आचार्य सम्मान में अब एक लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपए प्रदान किये जाएंगे। स्वामी धर्मदेव संस्कृत समाराधक सम्मान को भी एक लाख से दो लाख रुपए कर दिया गया है।
- डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि मुख्यमंत्री ने संस्कृत की नवलेखन प्रतिभाओं के लिये पुस्तक पुरस्कार राशि को भी 31 हज़ार रुपए से बढ़ाकर 51 हज़ार रुपए कर दिया है। इससे साहित्य लेखन में प्रतिभाएँ और उत्साहपूर्वक कार्य करेंगी।
- पांडुलिपि प्रकाशनार्थ सहायता अनुदान में मानदेय राशि 10 हज़ार रुपए से बढ़ाकर 21 हज़ार रुपए कर दी गई है। लघु संस्कृत कथा लेखन, नाटक लेखन प्रतियोगिता में प्रथम को अब 10 हज़ार, द्वितीय को 8 हज़ार तथा तृतीय को 5 हज़ार रुपए का पुरस्कार मिलेगा।
- डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को भी सरकार ने विशेष तोहफा दिया है। इसके तहत प्रथमा, पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा, विशारद, प्राक् शास्त्री और शास्त्री कक्षा में अध्ययन करने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति राशि अब तीन हज़ार की जगह 8 हज़ार रुपए मिलेगी।
- इसी तरह आचार्य कक्षाओं के छात्रों को 10 हज़ार रुपए मिला करेंगे। डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि अभावग्रस्त संस्कृत लेखकों को चिकित्सा खर्च में एक वर्ष में तीन हज़ार की जगह 50 हज़ार की सहायता मिल सकेगी। इसी तरह लेखक को वित्त वर्ष में मिलने वाली वित्तीय अनुदान राशि को भी बढ़ाकर 6 हज़ार से सीधे 21 हज़ार रुपए कर दिया गया है।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा पुलिस और आईआईएम रोहतक के बीच हुआ समझौता ज्ञापन
चर्चा में क्यों?
18 जनवरी, 2023 को हरियाणा पुलिस ने अपने अधिकारियों में प्रबंधकीय कौशल विकसित करने के उद्देश्य से भारतीय प्रबंधन संस्थान, रोहतक के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किये।
प्रमुख बिंदु
- पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हरियाणा प्रशांत कुमार अग्रवाल और निदेशक आईआईएम रोहतक, प्रो. धीरज पी. शर्मा की उपस्थिति में पुलिस मुख्यालय में यह एमओए साइन हुआ।
- इस एमओए पर हरियाणा पुलिस की ओर से एडीजीपी (कानून व्यवस्था) हरियाणा, संदीप खिरवार और आईआईएम रोहतक से डॉ. शिवेंद्र कुमार पांडे, डीन (अनुसंधान और कार्यकारी शिक्षा) ने हस्ताक्षर किए।
- एमओए के अनुसार, भारतीय प्रबंधन संस्थान, रोहतक और हरियाणा पुलिस संयुक्त रूप से एक पाठ्यक्रम विकसित करने और राज्य पुलिस के आईपीएस और डीएसपी रैंक के ग्रुप-ए के अधिकारियों के लिये प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा आयोजित करने का प्रस्ताव है। साथ ही, विशेष रूप से पुलिसिंग अनुप्रयोगों के लिये डिजाइन किये गए डेटा एनालिटिक्स में एक एग्जीक्यूटिव सर्टिफिकेट प्रोग्राम आयोजित करने का भी प्रस्ताव है।
- इस समझौते के तहत पुलिस के काम और नागरिकों की अपेक्षाओं के बीच तालमेल बनाने के तौर-तरीकों को भी तलाशा जाएगा। राज्य सरकार पाठ्यक्रम में भाग लेने के लिये पुलिस अधिकारियों को नामित करेगी। यह समझौता पाँच साल की अवधि के लिये प्रभावी होगा।
- एमओए का मुख्य उद्देश्य पुलिस अधिकारियों और आईआईएम-रोहतक के फैकल्टी व छात्रों के बीच नॉलेज-शेयरिंग के लिये एक संस्थागत तंत्र स्थापित करना, क्षमता निर्माण और कौशल विकास में राज्य पुलिस की सहायता करना और मानद या परामर्श के आधार पर शैक्षणिक व शोध उद्देश्यों के लिये फैकल्टी और शोधार्थियों के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करना है।
- इस समझौते का उद्देश्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को प्रभावी मानव संसाधन और सामग्री संसाधन प्रबंधन के लिये प्रबंधकीय कौशल प्रदान करना है।
- यह समझौता हरियाणा पुलिस को मामलों की जाँच की गुणवत्ता में और सुधार लाने, रिकॉर्ड के कुशल प्रबंधन और मामलों के प्रभावी पर्यवेक्षण को सुनिश्चित करने के लिये नवीनतम तकनीकी हस्तक्षेपों के साथ पुलिस कर्मियों को अपडेट करने में सक्षम करेगा। वार्षिक संगोष्ठी, सेमिनार, सम्मेलन, कार्यशाला, अल्पावधि पाठ्यक्रम आदि भी इस एमओए का हिस्सा होंगे।
झारखंड Switch to English
ऐन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2022
चर्चा में क्यों ?
18 जनवरी 2023 को जारी ऐन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2022 के अनुसार झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी विद्यालयों में बच्चों का नामांकन बढ़ रहा है।
प्रमुख बिंदु
- ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में कक्षा 8 तक में नामांकित कुल बच्चों में से 3 फीसदी सरकारी विद्यालयों में पढ़ते हैं। असर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों में निजी विद्यालयों में मात्र 14.6 फीसदी बच्चे ही पढ़ते हैं।
- इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में राज्य के सरकारी विद्यालयों में नामांकित बच्चों की संख्या 78 फीसदी थी। इस दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकन लेने वाले बच्चों की संख्या में 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
- यह सर्वे राज्य के ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के बीच किया गया है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में में ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ रही है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में कक्षा 1 से 8 तक के 9 फीसदी बच्चे ट्यूशन पढ़ते थे, इस वर्ष इनकी संख्या बढ़ कर 45.3 फीसदी हो गई है। इस दौरान ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में आठ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इस दौरान ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
- राज्य में कक्षा बढ़ने के साथ ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ती है। सर्वे राज्य के 24 ज़िलों के 720 गाँवों में किया गया। इनमें तीन वर्ष से 16 वर्ष तक के 28196 बच्चों को शामिल किया गया।
- इस रिपोर्ट के अनुसार कक्षा 3 के बच्चे पढ़ाई में पहले की तुलना में कमज़ोर हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में कक्षा 3 के 7 फीसदी बच्चे कक्षा 2 के स्तर का पाठ पढ़ सकते थे, पर वर्ष 2022 में यह संख्या घटकर 14.3 फीसदी हो गई।
- इस रिपोर्ट के अनुसार कक्षा तीन के 4 फीसदी बच्चे अक्षर नहीं पहचान पाते हैं।
- कक्षा पाँच के 2 फीसदी बच्चे ही कक्षा एक के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार कक्षा पाँच में पढ़ने वाले 30.7 फीसदी बच्चे 11 से 99 तक के अंक को पहचान पाते हैं, जबकि 78 फीसदी बच्चे घटाव तो 76 फीसदी बच्चे भाग नहीं बना पाते।
- कक्षा छह के 3 फीसदी बच्चे घटाव तो 30.7 फीसदी बच्चे भाग बना पाते हैं। कक्षा सात के 25.4 फीसदी बच्चे घटाव तो 41.1 फीसदी बच्चे भाग बना पाते हैं। कक्षा आठ के 25.8 फीसदी बच्चे घटाव तो 45.3 फीसदी बच्चे भाग बना पाते हैं।
- इस रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में अंग्रेजी की पढ़ाई में बच्चे कमज़ोर हैं। कक्षा एक के 1 फीसदी बच्चे बड़े अक्षर नहीं पहचान पाते हैं। कक्षा के दो के 30 फीसदी, कक्षा तीन के 18.2 फीसदी, कक्षा चार के 12.2 फीसदी व कक्षा पाँच के 7.8 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के बड़े अक्षर नहीं पहचान पाते हैं।
- कक्षा तीन के 8 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के वाक्य पढ़ सकते हैं, जबकि कक्षा आठ में 33.5 फीसदी बच्चे वाक्य पढ़ पाते हैं। ऐसे में कक्षा आठ के लगभग 77 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के सरल वाक्य नहीं पढ़ पाते हैं।
- इस रिपोर्ट की मुख्य बातें- 1 फीसदी स्कूलों में पेयजल की सुविधा है लेकिन 11.3 फीसदी स्कूलों में पेयजल नहीं, राज्य के 21.1 फीसदी स्कूलों में शौचालय उपयोग के लायक नहीं, 27.1 फीसदी विद्यालयों में पुस्तकालय के पुस्तकों का उपयोग नहीं हो रहा, 92.1 फीसदी स्कूलों में बिजली कनेक्शन पर सर्वेक्षण के दिन 73.1 फीसदी स्कूलों में बिजली नहीं थी, 91.5 फीसदी स्कूलों में बच्चों के उपयोग के लिये कंप्यूटर नहीं, राज्य में 89.6 फीसदी ऐसे विद्यालय हैं, जहाँ कक्षा एक व दो के बच्चे एक साथ बैठते हैं।
- गौरतलब है कि एक गैर-सरकारी संगठन ‘प्रथम’इस रिपोर्ट को जारी करता है।
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कस्टम मिलिंग चावल उपार्जन में मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर ज़िला प्रदेश में अव्वल
चर्चा में क्यों?
18 जनवरी, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर ज़िला कस्टम मिलिंग के चावल उपार्जन के मामले में प्रदेश में प्रथम स्थान पर है।
प्रमुख बिंदु
- ज़िले में इस साल 4,60,300 क्विंटल चावल उपार्जन के लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 2,96,870 क्विंटल चावल का उपार्जन किया जा चुका है, जो कि कुल लक्ष्य का 49 प्रतिशत है।
- ज़िले में धान खरीदी के साथ-साथ उपार्जित धान के उठाव एवं कस्टम मिलिंग का कार्य तेजी से कराया जा रहा है। सीमावर्ती ज़िला होने की वजह से सभी चेक पोस्ट पर मालवाहकों की सघन जाँच अनवरत रूप से जारी है।
- गौरतलब है कि मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर ज़िले में 23 उपार्जन केंद्रो में कुल पंजीकृत 16,022 किसानों में से 18 जनवरी तक 13,066 किसानों से 6,56,681 क्विंटल धान की खरीदी की जा चुकी है।
- उपार्जित धान में से 5,27,263 क्विंटल धान का परिवहन राईस मिलरों के द्वारा किया जा चुका है, जो कि कुल खरीदी का 80 प्रतिशत है। ज़िले में धान खरीदी का कुल अनुमान 7,95,200 क्विंटल है।
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गौठानों के प्रबंधन चुस्त-दुरूस्त बनाने के लिये एक फरवरी से पशुपालन विभाग चलाएगा विशेष अभियान
चर्चा में क्यों?
18 जनवरी, 2023 को छत्तीसगढ़ के कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित पशुपालन विभाग की समीक्षा बैठक में विभागीय अधिकारियों को गाँवों में बनाए गए गौठानों से गौ-मूत्र की खरीदी और मल्टीयुटीलिटी सेंटर सहित अन्य सुविधाओं को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से एक फरवरी से विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिये।
प्रमुख बिंदु
- कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कहा कि सभी गाँवों में पशुपालन विभाग के अधिकारी भ्रमण कर गौठानों में पशुओं के लिये डे-केयर की व्यवस्था, पशुओं के लिये चारे का प्रबंध सहित गौठानों के संचालन व्यवस्था का अवलोकन करेंगे।
- उन्होंने कहा कि मैदानी अमले द्वारा यह देखा जाए कि गौठानों में आने वाले पशुओं के लिये चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो। वे किसानों को पैरादान करने के लिये प्रेरित करें साथ ही दान किये गए पैरा को गौठान प्रबंधन समिति के माध्यम से गौंठानों तक पहुँचाना सुनिश्चित करें।
- डॉ. कमलप्रीत ने अधिकारियों से कहा कि देशी गायों के नस्ल सुधार से ही पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि संभव हैं, अत: पशु नस्ल सुधार कार्य में आशातीत प्रगति लाई जाए। उन्होंने कहा कि राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना अंतर्गत कलस्टर में मिल्क रूट पर डेयरी इकाईयाँ स्वीकृत करें।
- डॉ. सिंह ने पशु चिकित्सक विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे विभाग के अंतर्गत योजनाओं के भौतिक एवं वित्तीय लक्ष्य फरवरी तक पूर्ण करें। योजनाओं का क्रियान्यवयन कलस्टर बनाकर करें एवं भविष्य में तिमाही लक्ष्य तय कर पूर्ण उपलब्धि सुनिश्चित की जाए।
- बैठक में पशुओं में लंपी डिसीज के संक्रमण की रोकथाम के लिये विभागीय अमले के कार्यों और गलघोटू, एकटंगिया, खुरा पका की रोकथाम हेतु संपादित टीकाकरण कार्य की भी सराहना की गई।
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200 फुट की ऊँचाई पर धरमजयगढ़ क्षेत्र की पहाड़ी में मिला शैलचित्र
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ में गुफा अन्वेषण और शैलचित्र खोज के लिये विख्यात प्रो. डी.एस.मालिया को रायगढ़ ज़िले के धरमजयगढ़ में 200 फुट की ऊँचाई पर स्थित शैलाश्रय में प्रागैतिहासिककालीन शैलचित्र प्राप्त हुए हैं।
प्रमुख बिंदु
- प्रो. डी.एस.मालिया के द्वारा जारी सघन गुफा खोज अभियान में ये शैलचित्र प्राप्त हुए। प्रो. मालिया ने कहा कि गुफा अन्वेषण अभियान अभी जारी है, अभियान पूर्ण होने पर विस्तृत जानकारी साझा किया जाएगा।
- गौरतलब है कि रायगढ़ ज़िले में अभी तक कबरा पहाड़, सिंघनपुर, ओंगना व उषाकोठी, बाँसाझार, बोतल्दा सहित कुछ अन्य स्थानों से शैलचित्र प्राप्त हुए हैं जो राज्य संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग द्वारा चिन्हांकित हैं।
- प्रो. डी.एस. मालिया द्वारा 1994 से गुफा अन्वेषण अभियान चलाया जा रहा है और 16 अन्य स्थलो पर प्रागैतिहासिककालीन शैलचित्र की खोज की गई है जिसमें 2003 में शोखामुड़ा की पंचभया पहाड़ी श्रृंखला से प्राप्त वंदनखोह गुफा के शैलचित्र सबसे महत्त्वपूर्ण है जिसे राज्य संस्कृति विभाग के तत्त्कालीन उप संचालक डॉ. जी एल बादाम ने नवीन खोज करार दिया था।
- राज्य सरकार के पुरातत्त्व संचालनालय के अधिकारियों के अनुसार राज्य में मध्याश्मीय काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक के शैलाश्रय मौजूद हैं, जो इतिहास और पुरातत्त्व के मानचित्रों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हो चुके हैं।
- राज्य में सर्वप्रथम चित्रित शैलाश्रयों की खोज सन् 1910 में अंग्रेज अनुसंधानकर्त्ता एंडरसन के द्वारा की गई थी। इसके बाद वर्ष 1918 में इंडिया पेंटिंग्स में और इनसाईक्लोपीड़िया ब्रिटेनिका के तेरहवें अंक में रायगढ़ ज़िले के सिंघनपुर की पहाड़ियों के शैल चित्रों का प्रकाशन हुआ।
- भारतीय इतिहासकार अमरनाथ दत्त ने सन् 1923 से 1927 के बीच रायगढ़ ज़िले में व्यापक सर्वेक्षण कर और भी अनेक शैल चित्रों का पता लगाया। उनके बाद डॉ. एन. घोष, डी.एच. गार्डन और पंडित लोचन प्रसाद पांडेय ने भी इस दिशा में अध्ययन और अनुसंधान के महत्त्वपूर्ण कार्य किये।
- रायगढ़ ज़िले में सिंघनपुर के शैल चित्र ज़िला मुख्यालय रायगढ़ से पश्चिम दिशा में लगभग 20 किमी. ऊँची पहाड़ी पर निर्मित हैं। इनकी गिनती दुनिया के सर्वाधिक पुराने शैल चित्रों में होती है। ये शैल चित्र अब लगभग धुंधले हो चले हैं। इनमें सीढ़ीनुमा पुरूषाकृति, मत्स्य-कन्या और पशु आकृतियों सहित शिकार के दृश्य भी अंकित हैं।
- सिंघनपुर के अलावा ज़िला मुख्यालय रायगढ़ से केवल आठ किमी. पूर्व में स्थित कबरा पहाड़ पर निर्मित चित्र गैरिक रंग के हैं। इनमें जंगली भैंसा, कछुआ और पुरूष आकृतियों के साथ ज्यामितिक अलंकरण विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
- आदि मानवों के शैल चित्रों की दृष्टि से रायगढ़ ज़िला काफी समृद्ध है। सिंघनपुर के शैलाश्रयों से दक्षिण पश्चिम में लगभग 17 किमी. की दूरी पर ग्राम बसनाझर (तहसील खरसिया) की पहाड़ियों में तो आदि मानवों द्वारा तीन सौ से अधिक चित्र अंकित किये गए हैं। जिनमें हाथी, गेंडा, जंगली भैंसा, सामूहिक नृत्य और शिकार आदि के दृश्य अंकित हैं।
- तहसील मुख्यालय खरसिया से केवल आठ किमी. ग्राम बोतल्दा के नज़दीक स्थित पहाड़ियों में करीब दो हज़ार फीट की ऊँचाई पर सिंह गुफा स्थित है, जिसकी दीवारों पर पशुओं के शिकार दृश्य और ज्यामितीय अलंकरण हज़ारों वर्ष पहले के मानव जीवन की हलचल का संकेत देते हैं।
- तहसील मुख्यालय खरसिया से बारह किमी. पर सूती घाट के नज़दीक ग्राम पतरापाली के पास की पहाड़ियों में भंवरखोल नामक प्रसिद्ध शैलाश्रय है, जिसकी दीवारों पर मत्स्य-कन्या, जंगली भैंसा, भालू, मानव हथेली और भारतीय संस्कृति के शुभंकर ‘स्वास्तिक’ चिन्ह भी अंकित हैं। ज़िला मुख्यालय से लगभग 72 किमी. पर उत्तर दिशा में धरमजयगढ़ के नजदीक ओंगना पहाड़ पर इस प्रकार के एक सौ से अधिक शैलचित्र देखे जा सकते हैं। इसमें बैलों के समूह और यहाँ तक कि दस सिरों वाली मानव आकृति भी शामिल हैं।
- इतना ही नहीं बल्कि ज़िला मुख्यालय से ही तीस किमी. पर कर्मागढ़ की पहाड़ियों में तो सवा तीन सौ से भी ज्यादा चित्रांकन हज़ारों वर्ष पहले किये गए हैं। इनमें ज्यामिती आकृति सहित अन्य कई आकार प्रकार के चित्र उल्लेखनीय हैं।
- रायगढ़ से ही बारह किमी. पर टीपा खोल जलाशय के नजदीक खैरपुर की पहाड़ी में पशु-पक्षियों की आकृति वाले शैल चित्र भी दर्शकों के लिये कौतुहल का केंद्र हैं। खरसिया से दो किमी. पर ग्राम सोनबरसा की पहाड़ी में अमर गुफा, ज़िला मुख्यालय रायगढ़ से 32 किमी. पर ग्राम भैंसगढ़ी, बिलासपुर-रायगढ़ मार्ग पर सूती घाट तथा ज़िले के ही तहसील मुख्यालय सारंगढ़ के नज़दीक ग्राम गाताडीह और सिरौली डांगरी की पहाड़ियों में बने शैलाश्रय और शैल चित्र भी पुरातत्त्वविदों के लिये अनुसंधान का विषय बने हुए हैं।
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