झारखंड Switch to English
लो विजिबिलिटी में कॉमर्शियल विमान को लैंड करने वाला देवघर एयरपोर्ट बना देश का पहला एयरपोर्ट
चर्चा में क्यों?
16 नवंबर, 2023 को डीजीसीए ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि देवघर एयरपोर्ट महज 3200 मीटर की विजिबिलिटी में भी कॉमर्शियल विमान को लैंड करने वाला देश का पहला एयरपोर्ट बन गया है। देवघर एयरपोर्ट से स्पेशल वीएफआर परिचालन पहली बार कॉमर्शियल उड़ानों के लिये शुरू किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- डीजीसीए के अनुसार एयरलाइंस सेवा में स्पेशल वीएफआर परिचालन एक आदर्श बदलाव का प्रतीक है, जो लो विजिबिलिटी के कारण उड़ानों में देरी व रद्दीकरण की समस्या को खत्म करेगा। साथ ही ऐसे अन्य छोटे हवाई क्षेत्रों के लिये कनेक्टिविटी बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिससे उड़ान प्रोजक्ट को भी बढ़ावा मिलेगा।
- देवघर एयरपोर्ट पर अब 3200 मीटर की विजिबिलिटी में 180 यात्रियों की क्षमता वाला ए-320 विमान आसानी से लैंड कर सकेगा। वहीं 3600 मीटर की विजिबिलिटी टेक ऑफ भी होगा। साथ ही 78 यात्री की क्षमता वाले विमान एटीआर-72 विमान 2800 मीटर की विजिबिलिटी में लैंड कर सकेगा व 3200 मीटर की विजिबिलिटी में टेकऑफ होगा।
- विदित हो कि पहले पाँच हज़ार की विजिबिलिटी में विमान देवघर एयरपोर्ट पर लैंड नहीं कर पा रहा था, इस कारण कई उड़ानें रद्द हो चुकी थीं। अब स्पेशल वीएफआर परिचालन पहली बार कॉमर्शियल उड़ानों के लिये शुरू किया जा रहा है।
- वीएफआर के संचालन के लिये देवघर में कंट्रोल जोन व एप्रोच कंट्रोल यूनिट की स्थापना की गई। इस दौरान पायलट व एटीसी के अधिकारियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी गई। प्रशिक्षण के बाद एयरलाइन ऑपरेटरों, पायलट, एटीसी व वायु सेना के बीच प्रक्रिया व समन्वय बनाने के लिये बगैर यात्री के देवघर एयरपोर्ट में कम विजिबिलिटी में विमान का ट्रायल किया गया। यह ट्रायल पूरी तरह से संतोषजक पाये जाने के बाद डीजीसीए ने देवघर एयरपोर्ट पर लैंडिंग व टेकऑफ स्पेशल वीएफआर की मंज़ूरी दी है।
झारखंड Switch to English
अब झारखंड में 1950 के ज़िला व थाना क्षेत्र के आधार पर सीएनटी ज़मीन की हो सकेगी खरीद-बिक्री
चर्चा में क्यों?
16 नवंबर, 2023 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में जनजाति परामर्शदातृ परिषद् (ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल, टीएसी) की बैठक में सीएनटी एक्ट के अंतर्गत 26 जनवरी, 1950 के समय राज्य के भीतर, जो ज़िले और थाने थे, उन्हीं को ज़िला और थाना मानते हुए धारा-46 के तहत ज़मीन की खरीद-बिक्री के लिये मान्यता प्रदान कर सहमति दी गई।
प्रमुख बिंदु
- विदित हो कि 1950 में अविभाजित बिहार के झारखंड प्रक्षेत्र में मात्र 7 ज़िले थे। संतालपरगना, हजारीबाग, रांची, पलामू, मानभूम, धनबाद और सिंहभूम। टीएसी के प्रस्ताव पर सरकार आगे बढ़ती है, तो इन ज़िलों के विभाजन के बाद ज़िलों के लोग भी सीएनटी एक्ट के प्रावधान के अनुरूप अलग-अलग ज़िलों में ज़मीन खरीद सकेंगे।
- इन ज़िलों को बाँट कर ही वर्तमान में 24 ज़िले बने हैं। ऐसे में सीएनटी के अंतर्गत आने वाले एससी और ओबीसी वर्ग के बीच ज़मीन खरीद-बिक्री का दायरा बढ़ेगा।
- सीएनटी एक्ट के मामले में अब आगे क्या हो सकता है-
- टीएसी विधि विशेषज्ञों से राय लेकर एक सर्वसम्मत प्रस्ताव तैयार कर सकती है और इसे राज्य सरकार के पास भेज सकती है।
- टीएसी इस मामले को गवर्नर को नहीं भेजेगी, क्योंकि गवर्नर को टीएसी से अलग किया गया है।
- पाँचवीं अनुसूची में टीएसी के कस्टोडियन गवर्नर होते हैं, लेकिन राज्य सरकार ने नयी नियमावली तैयार कर ली है।
- सीएनटी एक्ट में सरकार कोई संशोधन करती है, तो उसे विधानसभा से पारित कराना होगा। विधानसभा से पारित होने के बाद ही इसको मूर्तरूप दिया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
‘वोटर टर्नआउट एप’
चर्चा में क्यों?
16 नवंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार भारत निर्वाचन आयोग के मोबाइल एप्लीकेशन ‘वोटर टर्नआउट एप’ के माध्यम से छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 17 नवंबर को मतदान प्रतिशत की अद्यतन स्थिति की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
प्रमुख बिंदु
- निर्वाचन में नागरिकों की सहभागिता बढ़ाने और मतदान के दिन वोटर टर्नआउट की त्वरित जानकारी उपलब्ध कराने के लिये भारत निर्वाचन आयोग द्वारा इस एप्लीकेशन को लॉन्च किया गया है।
- चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव में पहली बार ‘वोटर टर्न आउट एप’ लॉन्च किया है। इससे कोई भी व्यक्ति आसानी से किसी भी विधानसभा क्षेत्र का मतदान प्रतिशत जान सकेगा। इससे पहले इस एप का उपयोग 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार किया गया था। इसे 18 अप्रैल, 2019 को लॉन्च किया गया था।
- वोटर टर्नआउट एप का उपयोग प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र/संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में पुरुष, महिला और थर्ड जेंडर सहित रियल टाइम वोटर टर्नआउट विवरण को प्रदर्शित करने के लिये किया जाता है। इस एप का उपयोग नागरिकों द्वारा लाइव वोटर टर्नआउट डाटा कैप्चर करने के लिये किया जा सकता है।
- वोटर टर्नआउट एप नागरिकों को प्रत्येक राज्य के लिये अलग-अलग अनुमानित मतदाता प्रतिशत की जानकारी प्राप्त करने की सुविधा देता है। यह एप उपयोगकर्ताओं को अपने संपर्क के लोगों को फेसबुक, ट्विटर, जीमेल और वाट्सएप के जरिये मतदान प्रतिशत साझा करने की भी सुविधा देता है। यानी रियल टाइम मतदान के प्रतिशत को कोई भी व्यक्ति अपने सोशल मीडिया एकाउंट में शेयर भी कर सकता है।
- वोटर टर्नआउट एप में कोई डेटा पहले से फीड नहीं किया जा सकता है। वोटर टर्नआउट एप को प्रत्येक राज्य के लिये अनुमानित वोटर टर्नआउट दिखाने के लिये डिजाइन किया गया है और इसका प्रयोग ज़िला और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर तक किया जा सकता है। मतदान के दिन इस पर राज्यवार, ज़िलेवार और विधानसभा क्षेत्रवार वोटर टर्नआउट का अपडेट देखा जा सकता है।
उत्तराखंड Switch to English
राज्य सचिवालय में मिलेट बेकरी आउटलेट का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
16 नवंबर, 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के मोटे अनाज़ों पर आधारित उत्पादों को बढ़ावा देने और महिला स्वयं सहायता समूहों की आजीविका में वृद्धि करने के उद्देश्य से सचिवालय परिसर में मिलेट बेकरी आउटलेट का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- विदित हो कि राज्य में ग्रामीण महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्थानीय मंडुआ, झंगोरा, ज्वार, चौलाई इत्यादि अनाज़ों का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इन उत्पादों के मूल्य संवर्धन के लिये देहरादून के रायपुर ब्लॉक व पौड़ी ज़िले के पौड़ी ब्लॉक में दो मिलेट उत्पादों की बेकरी शुरू की गई है।
- मिलेट बेकरी में मंडुआ व झंगोरा का प्रसंस्करण कर बिस्किट, ब्रेड व पिज्जा बेस व अन्य उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के अंतर्गत स्थानीय मोटे अनाज़ों के उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिये प्रदेश में अनेक कार्यक्रम किये जा रहे हैं।
- उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 तक सवा लाख महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। अभी तक 40,270 महिलायें लखपति दीदी बनाई जा चुकी हैं।
- चयनित स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को बेकरी विशेषज्ञ के माध्यम से बेकरी उत्पाद हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, जिससे अधिक संख्या में समूहों द्वारा बाज़ार की माँग के अनुरूप उच्च गुणवत्ता तथा पोषण से युक्त बेकरी उत्पाद तैयार कर लोगों को उपलब्ध करा सके।
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