उत्तर प्रदेश Switch to English
लखनऊ, गाज़ियाबाद, प्रयागराज में कूड़े से बनेगी सीएनजी
चर्चा में क्यों?
17 अक्टूबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने बताया कि इंदौर की तर्ज़ पर प्रदेश के तीन शहरों- लखनऊ, गाज़ियाबाद, प्रयागराज में कूड़े से सीएनजी निर्माण के प्लांट लगाए जाने के आदेश जारी कर दिये गए हैं।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि इंदौर की तर्ज़ पर उत्तर प्रदेश के भी 4 शहरों में गीले कचरे से सीएनजी बनाने की तैयारी है। कूड़े से सीएनजी बनाए जाने की मंज़ूरी के बाद लखनऊ, गाज़ियाबाद, प्रयागराज में पीपीपी मॉडल पर सीएनजी प्लांट लगाए जाएंगे, जबकि गोरखपुर भी कतार में है।
- इनमें रोज़ाना 34000 किलो सीएनजी बनेगी तथा इसे बनाने में रोज़ाना करीब 1000 टन कचरा इस्तेमाल होगा। इससे 3.65 लाख मीट्रिक टन कचरा कूड़ा निस्तारण प्लांट में जाने से बचेगा।
- लखनऊ और गाज़ियाबाद में एक ही कंपनी एवर इनवायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड कूड़े से सीएनजी बनाएगी, जबकि प्रयागराज में इंडो इनवायरो इंटीग्रेटेड सोल्यूशन लिमिटेड कंपनी को ज़िम्मेदारी दी गई है। इन कंपनियों को खुद अपने खर्चे पर प्लांट लगाना होगा। नगर निगम की तरफ से इन्हें कोई भी आर्थिक मदद नहीं दी जाएगी।
- लखनऊ तथा गाज़ियाबाद नगर निगम कंपनी को एक रुपए की लीज़ पर 12-12 एकड़ ज़मीन देंगे, जबकि प्रयागराज और गोरखपुर नगर निगम को 10-10 एकड़ ज़मीन देना होगा। इस ज़मीन के बदले नगर निगम को रॉयल्टी भी मिलेगी। सीएनजी बनाने वाली कंपनी लखनऊ और गाज़ियाबाद को प्रतिवर्ष 74-74 लाख तथा प्रयागराज और गोरखपुर नगर निगम को 56-56 लाख रुपए रॉयल्टी देगी।
- कूड़े से सीएनजी बनाने का प्लांट लगने के बाद इन चारों शहरों में रोज़ाना 2.50 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड तथा ग्रीनहाउस गैसेज़ कम होंगी।
- लखनऊ तथा गाज़ियाबाद के लिये सीएनजी बनाने में 300-300 टन गीले कचरे का इस्तेमाल किया जाएगा, जबकि प्रयागराज और गोरखपुर के प्लांट में 200-200 टन कचरा रोज़ाना इस्तेमाल होगा। इस तरह चारों शहरों में रोज़ाना 1000 टन कचरे से 34000 किलो सीएनजी बनेगी।
- शासन की कमेटी ऑफ सेक्रेट्रीज ने बताया कि जिन स्थानों पर सीएनजी प्लांट लगाए जाएंगे, वहाँ आने-जाने का रास्ता नगर निगमों को बनाना होगा तथा इसके साथ ही बिजली, पानी, मार्ग प्रकाश व्यवस्था, जल निकासी तथा सीवर की सुविधा भी नगर निगम को देनी होगी, जिससे प्लांटों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 8000 लोगों को रोज़गार भी मिलेगा।
- सीएनजी प्लांट से जो जैविक खाद उत्पन्न होगी, उसे किसानों को दिया जाएगा, जिसे गंगा व राज्य की अन्य नदियों के किनारे खेती के लिये इस्तेमाल किया जाएगा। इससे रासायनिक खाद का प्रयोग कम होगा और मिट्टी की उर्वराशक्ति बढ़ेगी। साथ ही नदी के पानी में रासायनिक उर्वरकों का मिश्रण भी रुकेगा।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान आवासन मंडल द्वारा विकसित जयपुर में सिटी पार्क का लोकार्पण
चर्चा में क्यों?
17 अक्टूबर, 2022 को राजस्थान के आवासन मंडल आयुक्त पवन अरोड़ा ने बताया कि राजस्थान आवासन मंडल द्वारा जयपुर के मानसरोवर में विकसित सिटी पार्क का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा 21 अक्टूबर को लोकार्पण किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- आवासन आयुक्त ने बताया कि इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना के प्रथम चरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। प्रथम चरण में मध्यम मार्ग पर निर्मित भव्य एंट्री प्लाजा का गुंबदनुमा स्टील स्ट्रक्चर, आकर्षक फाउंटेन तथा राजस्थान का सबसे ऊँचा (213 फीट) राष्ट्रीय ध्वज एवं इसके निकट करीब 2 हज़ार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में मनोरम लोअर लेक इस पार्क की प्रमुख विशेषता हैं।
- पार्क में 20 फीट चौड़ा एवं 3.5 कि.मी. लंबा जॉगिंग ट्रैक बनाया गया है, जिस पर भ्रमण करते हुए लोग आकर्षक लाइटिंग एवं म्यूजिक का आनंद ले सकेंगे।
- प्रथम चरण के कार्यों के लिये 61.31 करोड़ रुपए के कुल 34 कार्यादेश जारी किये गए, जिनके विरुद्ध 54.99 करोड़ रुपए की राशि से इन सभी कार्यों को पूरा कर लिया गया है।
- आवासन आयुक्त ने बताया कि दूसरे चरण में फाउंटेन स्क्वायर, वी.टी. रोड, अरावली मार्ग एवं न्यू सांगानेर रोड पर एंट्री प्लाजा, बॉटेनिकल गार्डन, एक्सपोजिशन ग्राउंड, जयपुर चौपाटी की तर्ज़ पर फूड कोर्ट का निर्माण तथा 2500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में अपर लेक के कार्य निर्माणाधीन हैं, जिनकी पूर्णता पर 58.54 करोड़ रुपए की राशि व्यय होना संभावित है।
- उन्होंने बताया कि करीब 52 एकड़ भूमि पर विकसित इस पार्क के बनने से मानसरोवर एवं इसके आस-पास की कॉलोनियों में बसे लाखों लोगों को स्वच्छ आबोहवा मिलेगी। यहाँ 32 विभिन्न प्रजातियों के 25 हज़ार फूलदार एवं फलदार पौधे तथा लगभग 40 हज़ार फुलवारी लगाए गए हैं। इस पार्क में जापानी मियावाकी पद्धति से पौधारोपण किया गया है।
- आवासन आयुक्त ने बताया कि सिटीपार्क के लोकार्पण के अलावा मुख्यमंत्री कार्यक्रम में राज्य के 11 विभिन्न शहरों की 15 आवासीय योजनाओं में निर्मित 2967 आवासों का लोकार्पण भी करेंगे। मंडल द्वारा आवंटियों को इन आवासों का कब्ज़ापत्र दिया जाएगा।
- ये आवास वाटिका एवं महला आवासीय योजना (जयपुर) तथा महात्मा गांधी संबल आवासीय योजना फेज प्रथम एवं द्वितीय बड़ली (जोधपुर) के साथ ही नसीराबाद, किशनगढ़, निवाई, आबू रोड, उदयपुर, भीलवाड़ा, शाहपुरा, भिंडर तथा बांसवाड़ा जैसे छोटे शहरों की योजनाओं में बनाए गए हैं।
- इनमें ज्यादातर मकान ईडब्ल्यूएस एवं एलआईजी श्रेणी के हैं। इससे ज़रूरतमंद वर्ग का लोगों के घर का सपना साकार हो सकेगा।
राजस्थान Switch to English
ऊर्जा मंत्री ने सौर कृषि आजीविका योजना पोर्टल का शुभारंभ किया
चर्चा में क्यों?
17 अक्टूबर, 2022 को राजस्थान के ऊर्जा मंत्री भँवर सिंह भाटी ने विद्युत भवन में ‘सौर कृषि आजीविका योजना’ के पोर्टल का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- यह पोर्टल किसानों एवं विकासकर्त्ताओं को किसानों की बंजर/अनुपयोगी भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना में मदद करेगा।
- भँवर सिंह भाटी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यरूप से कृषि भार वाले लोड सेंटर पर पीएम-कुसुम कम्पोनंट-सी (फीडर लेवल सोलराईजेशन) के तहत विकसित किये जा रहे विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्रों को बढ़ावा देने के उद्देश्य के लिये राज्य सरकार ने सौर कृषि आजीविका योजना तैयार की है।
- उन्होंने बताया कि इस योजना के पोर्टल को लाँच करने का उद्देश्य यह है कि किसानों को सोलर के माध्यम से अपने नज़दीक के 33/11 जीएसएस से दिन में बिजली प्राप्त हो सके। इसके साथ ही इस योजना के माध्यम से किसानों व भूमि मालिकों को सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिये पूर्व निर्धारित राशि के आधार पर अपनी बंजर/अनुपयोगी भूमि को लीज़ पर देने का अवसर देकर राज्य के प्रचुर भूमि संसाधनों का उपयोग किया जाएगा।
- भाटी ने बताया कि इस ऑनलाईन पोर्टल पर किसी भी गाँव में 33/11 केवी जीएसएस के आसपास के किसान सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिये अपनी ज़मीन को लीज़ पर देने हेतु पंजीकृत कर सकते हैं और सौर ऊर्जा संयंत्र के विकासकर्त्ता भी पंजीकृत किसानों/भूमि मालिकों तक पहुँचने के लिये पोर्टल पर पंजीकृत कर सकते है।
- उन्होंने बताया कि सोलर प्लांट की स्थापना के बाद 33/11 केवी जीएसएस के आसपास के जितने भी कृषि उपभोक्ता हैं, उन सभी को सोलर के माध्यम से दिन के समय अच्छी गुणवत्ता की बिजली मिलेगी और उनकी बिजली की समस्या का समाधान होगा।
- उन्होंने बताया कि भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा कुसुम कंपोनेंट सी (फीडर लेवल सोलराईजेशन) के तहत् इस योजना में केंद्रीय वित्तीय सहायता का भी प्रावधान है।
- प्रमुख शासन सचिव ऊर्जा एवं अध्यक्ष डिस्कॉम्स भास्कर ए.सावंत ने बताया कि डिस्ट्रीब्यूटेड मैनर में ये प्लांट लगेंगे। इस योजना में छोटे प्लांट लगेंगे, जिससे उत्पादित बिजली का लाभ प्लांट के आसपास के क्षेत्र के किसानों को ही मिलेगा।
- इस योजना के तहत् जिन क्षेत्रों में कृषि बिजली का भार अधिक है, उन जीएसएस को चिह्नित करके पीएम-कुसुम योजना-सी में फीडर लेवल सोलराईजेशन के तहत् संयंत्र स्थापित किये जाएंगे।
- उन्होंने बताया कि अभी 781 जीएसएस चिह्नित किये हैं जहाँ कृषि लोड ज़्यादा है, जिन पर 971 प्रोजेक्ट लग सकते हैं और इनसे 3079 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इससे 2 लाख 71 हज़ार पंप सोलराइज हो जाएंगे।
- विदित है कि अभी एमएनआरई ने एक लाख पंप की स्वीकृति दी है, जिसे धीरी-धीरे 2 लाख पंप सोलराइजेशन तक ले जाया जाएगा।
- इस पोर्टल का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि पोर्टल पर किसान द्वारा अपनी भूमि का पंजीकरण करने के पश्चात् विकासकर्त्ता देख पाएगा कि कितनी भूमि सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिये कास्तकार ने पोर्टल पर पंजीकृत की है। सभी सूचनाएँ पोर्टल पर मिलने से सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा।
- उन्होंने बताया कि किसानों को समय पर पूरी लीज राशि मिलने की व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा निर्धारित कर दी गई है। इसके तहत डिस्कॉम को दी जाने वाली बिजली का भुगतान विकासकर्त्ता को किये जाने वाले भुगतान में से डिस्कॉम द्वारा लीज़ राशि काट कर सीधे कास्तकार को भुगतान किया जाएगा व शेष राशि का भुगतान विकासकर्त्ता को किया जाएगा।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा के 20 लाख किसानों को मिली 340 करोड़ रुपए की सम्मान निधि
चर्चा में क्यों?
17 अक्टूबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के लगभग 20 लाख किसानों को दो हज़ार रुपए की 12वीं किस्त जारी कर 340 करोड़ रुपए की सम्मान निधि का लाभ दिया।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि राज्य के किसानों को केंद्र सरकार की ओर से ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ स्कीम के तहत खेती करने के लिये 2018 से आर्थिक सहायता दी जा रही है तथा इससे पहले 11 किस्तों में हरियाणा के किसानों को 3754.67 करोड़ रुपए की राशि मिल चुकी है।
- उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि भारत सरकार की महत्त्वपूर्ण योजनाओं में से एक योजना है। इस योजना के अंतर्गत ऐसे छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जिनके पास दो हेक्टेयर (4.9 एकड़) से कम भूमि है।
- मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि हरियाणा के 97 प्रतिशत किसानों को पीएम किसान योजना का सीधे लाभ मिला है।
- उन्होंने बताया कि किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम के तहत सालाना छह हज़ार रुपए दिये जाते हैं। इसका भुगतान दो-दो हज़ार रुपए की तीन किस्तों में किया जाता है। यह पैसा सरकार द्वारा सीधा किसानों के खाते में ट्रांसफर किया जा रहा है।
- पीएम किसान सम्मान निधि की पहली किस्त फरवरी 2019 में जारी हुई थी। इसके बाद दूसरी किस्त 2 अप्रैल, 2019, तीसरी अगस्त 2019, चौथी किस्त जनवरी 2020, पाँचवीं किस्त 1 अप्रैल, 2020 को जारी हुई। इसी प्रकार छठी किस्त 1 अगस्त, 2020, सातवीं किस्त दिसंबर 2020, आठवीं किस्त एक अप्रैल 2021, नौवीं किस्त 9 अगस्त, 2021, 10वीं किस्त जनवरी 2022, 11वीं किस्त मई 2022 और अब 12वीं किस्त 17 अक्टूबर, 2022 को जारी की गई है।
- ज्ञातव्य है कि पीएम मोदी ने दीवाली का तोहफा देते हुए देश के 12 करोड़ से अधिक अन्नदाताओं को 16 हज़ार करोड़ रुपए की सम्मान निधि उनके बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर की है।
उत्तराखंड Switch to English
निर्भया फंड से 10 पर्वतीय ज़िलों में बनेंगे महिला हॉस्टल
चर्चा में क्यों?
17 अक्टूबर, 2022 को उत्तराखंड के महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास सचिव एच.सी. सेमवाल ने बताया कि निर्भया फंड के परियोजना स्वीकृति बोर्ड की नई दिल्ली में हुई बैठक में उत्तराखंड के 10 पर्वतीय ज़िलों में महिला हॉस्टल के निर्माण के सुझाव को बोर्ड ने सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- एच.सी. सेमवाल ने बताया कि हरिद्वार, देहरादून व ऊधमसिंह नगर ज़िलों को छोड़ कर राज्य के शेष 10 पर्वतीय ज़िलों में इन हॉस्टल का निर्माण कामकाजी महिलाओं और अध्ययनरत् बालिकाओं को सुरक्षित व संरक्षित वातावरण प्रदान करने के उद्देश्य से निर्भया फंड से किया जाएगा।
- विदित है कि निर्भया फंड केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से संचालित किया जा रहा है।
- सेमवाल ने बैठक में बताया कि राज्य के पाँच ज़िलों- बागेश्वर, अल्मोड़ा, नैनीताल, हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में निर्भया फंड से 2522 महिलाओं व बालिकाओं को आत्मरक्षा से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा चुका है। साथ ही राज्य के लिये दीर्घकालिक योजना बनाने पर भी ज़ोर दिया जा रहा है।
- महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास सचिव ने कहा कि सतत् विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण में महिला व बाल विकास को केंद्र में रखना आवश्यक है। यदि पंचायतें महिला व बाल हितैषी बनेंगी तो इससे कई समस्याओं का स्वयं ही समाधान हो जाएगा।
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