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स्टेट पी.सी.एस.

  • 18 Oct 2021
  • 1 min read
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राजस्थान Switch to English

‘रंग भरे गुब्बारे’

चर्चा में क्यों?

16 से 18 अक्तूबर, 2021 तक जयपुर के जवाहर कला केंद्र की सुरेख आर्ट गैलरी में भारतीय प्रशासनिक सेवा की पूर्व अधिकारी शुचि शर्मा की चित्रकला प्रदर्शनी ‘रंग भरे गुब्बारे’ का प्रदर्शन किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • इस प्रदर्शनी का उद्घाटन कला, साहित्य एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ तथा राजस्थान आवासन मंडल आयुक्त पवन अरोड़ा ने किया। 
  • इस चित्र प्रदर्शनी में शुचि शर्मा के जलरंगों से बने पॉर्ट्रेट, लैंड्स्केप्स, स्टिल लाइफ व अन्य जीवन से प्रभावित चित्रों का प्रदर्शन किया गया। 
  • शुचि शर्मा ने बताया कि पिछले एक वर्ष में उन्होंने 120 से अधिक चित्र बनाये हैं, जिन्हें यहाँ प्रदर्शित किया गया है। इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित चित्रों से होने वाली आय ऐसे बच्चों के सहायतार्थ खर्च की जाएगी, जो कोविड महामारी के कारण अनाथ हो गए हैं।

मध्य प्रदेश Switch to English

यूथ नेशनल सैलिंग चैंपियनशिप-2021

चर्चा में क्यों?

11 से 16 अक्तूबर, 2021 तक मलाड (मुंबई) में याचिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित यूथ नेशनल सैलिंग चैंपियनशिप-2021 में नेशनल सैलिंग स्कूल, भोपाल के खिलाड़ियों ने 3 स्वर्ण, 4 रजत और 1 कांस्य सहित कुल 8 पदक जीते।

प्रमुख बिंदु

  • विधित हो कि यह इवेंट एशियन गेम्स के चयन ट्रायल का दूसरा दौर है।
  • इस चैंपियनशिप में रितिका दांगी ने लेजर 4.7 इवेंट में स्वर्ण पदक जबकि नेहा ठाकुर ने रजत पदक जीता।
  • ऑप्टिमिस्ट ओवरऑल में एकलव्य बाथम ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इसी स्पर्धा में बालिका वर्ग में दिव्यांशी मिश्रा ने ओवरऑल तीसरे स्थान पर रहते हुए मध्य प्रदेश को रजत पदक दिलाया। 
  • 420 मिक्सड क्लास इवेंट में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक भी मध्य प्रदेश ने जीते। इस इवेंट में नैंसी राय और अनी राज सेंधव की जोड़ी ने स्वर्ण, विद्यांशी मिश्रा और मनीश शर्मा की जोड़ी ने रजत तथा पुष्कर बामरे व वंशिका सिंह परिहार की जोड़ी ने कांस्य पदक जीते। 
  • अंडर-12 ऑप्टीमिस्ट क्लास में शगुन झा ने मध्य प्रदेश को रजत पदक दिलाया। 
  • उल्लेखनीय है कि ये सभी खिलाड़ी राजधानी भोपाल की बड़ी झील स्थित नेशनल सैलिंग स्कूल में अर्जुन अवार्डी प्रशिक्षक जी.एल. यादव से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश Switch to English

एमएसएमई की नई पॉलिसी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार के सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम विभाग ने मध्य प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने तथा उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिये नई एमएसएमई विकास नीति बनाई है।

प्रमुख बिंदु

  • इस नीति में प्रदेश में निवेश बढ़ाने के साथ ही स्थानीय युवाओं को रोज़गार मुहैया कराने के हर संभव प्रावधान किये गए हैं। मध्य प्रदेश कृषि उत्पादों में देश में काफी आगे है और इन उत्पादों का प्रदेश में ही प्रसंस्करण के लिये बनाई गई नीति में इन इकाइयों को अनेक सुविधाओं के साथ रियायतें दिये जाने की घोषणा की गई है।
  • नीति में नवीन खाद्य प्रसंस्करण इकाई, जिसमें यंत्र-संयंत्र में 10 करोड़ रुपए से अधिक एवं 50 करोड़ रुपए तक का निवेश किया गया हो, को अनेक प्रकार की सहायता, सुविधाएँ प्रदत्त की जाएँगी। 
  • नीति के मुताबिक विद्युत खपत सहायता के अंतर्गत प्रचलित विद्युत टैरिफ में उच्च दाब उपभोक्ताओं को नवीन संयोजन प्राप्त करने पर एक रुपए प्रति यूनिट अथवा 20 प्रतिशत की छूट, जो भी कम हो, प्रदान की जाएगी। यह छूट खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिये उत्पादन, व्यावसायिक परिचालन की तिथि से 05 वर्ष तक की अवधि के लिये देय होगी। 
  • ऑफ-सीजन में कॉन्ट्रेक्ट डिमांड के 10 प्रतिशत अथवा वास्तविक रिकॉर्ड की गई डिमांड में से जो भी अधिक होगा, उसकी बिलिंग सामान्य टैरिफ पर की जाएगी, यह छूट संबंधित श्रेणी की खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को देय होगी। 
  • इसी तरह मंडी शुल्क से छूट का प्रावधान भी नीति में है। ऐसे सभी पात्र खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को संयंत्र एवं मशीनरी में निवेश का अधिकतम 50 प्रतिशत या पाँच वर्ष की अवधि, इनमें से जो भी कम हो के लिये, मंडी शुल्क से छूट दी जाएगी। शुल्क से छूट की यह सुविधा उन इकाइयों को ही होगी, जो इस राज्य के कृषि उपजों का क्रय करेंगी। 
  • अधोसंरचना विकास सहायता के अंतर्गत मध्य प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं की स्थापना को प्रोत्साहित करने एवं अधोसंरचनाओं को बेहतर बनाने के लिये भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित मेगा फूड पार्क की स्थापना की योजना के मार्गदर्शी निर्देशों के अनुसार निजी क्षेत्र द्वारा मेगा फूड पार्क की स्थापना पर परियोजना लागत का 15 प्रतिशत या अधिकतम राशि 5 करोड़ रुपए की सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। 
  • यह सहायता विकसित पार्क में न्यूनतम 10 इकाइयों की स्थापना पर देय होगी। यह सहायता टॉप-अप के रूप में देय होगी। स्टांप डयूटी की सहायता के तहत मेगा फूड पार्क की स्थापना के लिये प्रवर्तकों द्वारा स्पेशल परपज ह्वीकल (SPV) को स्थानांतरित भूमि में प्रवर्तकों द्वारा भुगतान किये गए स्टांप ड्यूटी की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
  • इस विशेष पैकेज का लाभ प्राप्त करने वाली इकाइयाँ इस नीति के अंतर्गत घोषित अन्य शेष सुविधाएँ, जो समान प्रकार की न हों भी पात्रतानुसार प्राप्त कर सकेगी।

हरियाणा Switch to English

ई-ट्रैक्टर

चर्चा में क्यों?

17 अक्तूबर, 2021 को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर पर अनुसंधान करने वाला देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय बन गया है।

प्रमुख बिंदु

  • विश्वविद्यालय के कृषि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कॉलेज ने इस ई-ट्रैक्टर को तैयार किया है। यह अनुसंधान उपलब्धि कृषि मशीनरी और फार्म इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक एवं वर्तमान निदेशक, उत्तरी क्षेत्र कृषि मशीनरी परीक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, हिसार डॉ. मुकेश जैन के मार्गदर्शन में प्राप्त की गई है।
  • विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. कांबोज ने बताया कि यह ई-ट्रैक्टर 23.17 किमी. प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चल सकता है, व 1.5 टन वजन के ट्रेलर के साथ 80 किमी. तक का सफर कर सकता है। इस ट्रैक्टर के प्रयोग से किसानों की आमदनी में भी इज़ाफा होगा। 
  • कुलपति ने बताया कि ई-ट्रैक्टर में 16.2 किलोवाट की लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल किया गया है। इस बैटरी को 09 घंटे में फुल चार्ज किया जा सकता है। इस दौरान 19 से 20 यूनिट बिजली की खपत होती है। 
  • इसमें फास्ट चार्ज़िग का भी विकल्प उपलब्ध है, जिसकी मदद से ट्रैक्टर की बैटरी महज 4 घंटे में चार्ज कर सकते हैं। ट्रैक्टर में बहुत अच्छा 77 प्रतिशत का ड्राबार पुल है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर के संचालन की लागत के हिसाब से यह डीजल ट्रैक्टर के मुकाबले में 32 प्रतिशत और 25.72 प्रतिशत तक सस्ता है। 
  • इस ट्रैक्टर में 52 प्रतिशत कंपन और 20.52 प्रतिशत शोर बीआईएस कोड की अधिकतम अनुमेय सीमा से कम पाया गया। 
  • ट्रैक्टर में ऑपरेटर के पास इंजन न होने के कारण तपिश भी पैदा नहीं होती, जो ऑपरेटर के लिये बिल्कुल आरामदायक साबित होगा।

हरियाणा Switch to English

मुख्यमंत्री ने 71 ‘हर हित स्टोर’ का लोकार्पण किया

चर्चा में क्यों?

17 अक्तूबर, 2021 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरुग्राम से प्रदेश में 71 स्थानों पर एक साथ ‘हर हित स्टोर’ का लोकार्पण किया। इन स्टोरों के माध्यम से राज्य सरकार ने 2025 तक प्रदेश के हर परिवार को रोज़गार से जोड़ने का लक्ष्य रखा है।

प्रमुख बिंदु

  • सर्वप्रथम मुख्यमंत्री ने गुरुग्राम ज़िला के फरूखनगर कस्बा में एक ‘हर हित स्टोर’ का मौके पर जाकर उद्घाटन किया तथा उस स्टोर के पहले ग्राहक बने। 
  • तदुपरान्त मुख्यमंत्री सुल्तानपुर के रोजी पेलिकन टूरिस्ट कॉम्पलेक्स से ऑनलाइन माध्यम से प्रदेशभर में 70 ‘हर हित स्टोर’ का लोकार्पण किया। 
  • इस मौके पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि इन स्टोरों से जहाँ एक ओर युवाओं को रोज़गार के अवसर मिल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लोगों को सस्ती दरों पर शुद्ध, सर्टिफाइड व गुणवत्तापरक सामान अपने घर के नज़दीक ही मिलेगा।
  • मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक तीन हज़ार आबादी पर तथा शहरी क्षेत्र में 10 हज़ार आबादी पर ‘हर हित स्टोर’ खोला जाएगा। 
  • इन स्टोरों पर घरेलू उपयोगी 60 कंपनियों के 550 उत्पाद उपलब्ध करवाए गए हैं। एमएसएमई, लघु औद्योगिक ईकाइयों तथा सहकारी क्षेत्र की ईकाइयों के अलावा महिलाओं के सैल्फ हैल्प ग्रुप द्वारा तैयार गुणवत्ता के उत्पाद यहाँ पर बाज़ार से कम भाव पर मिलेंगे। सारे सामान की बिक्री कंप्युटरीकृत प्रणाली से होगी। इसके बाद प्रदेश में वीटा के बूथ भी खोले जाएंगे।
  • परिवार पहचान पत्र के आँकडों के माध्यम से प्रत्येक परिवारों को चिह्नित करके उनके लिये यह योजनाएँ शुरू की गई हैं। 
  • इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिये सरकार ने देश का पहला कौशल विकास विश्वविद्यालय हरियाणा में पलवल ज़िला के दुधोला गाँव में खोला है।
  • उन्होंने बताया कि गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले (बीपीएल) परिवारों के मानक बदले गए हैं। अब जिस परिवार की सभी स्रोतों से वार्षिक आय 1 लाख 80 हज़ार रुपए तक है, वे बीपीएल के दायरे में आएंगे, जबकि पहले आय की सीमा 1 लाख 20 हज़ार रुपए वार्षिक थी।

छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ टी कॉफी बोर्ड

चर्चा में क्यों?

17 अक्तूबर, 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के स्थानीय कृषकों एवं प्रसंस्करणकर्त्ताओं को अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने और राज्य में चाय-कॉफी की खेती को बढ़ावा देने के लिये कृषि मंत्री की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ टी कॉफी बोर्ड का गठन किये जाने का निर्णय लिया।

प्रमुख बिंदु

  • इस बोर्ड में उद्योग मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। बोर्ड में मुख्यमंत्री सचिवालय के अतिरिक्त मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, सीएसआईडीसी के प्रबंध संचालक, कृषि उद्यानिकी तथा वन विभाग के एक-एक अधिकारी सहित दो विशेष सदस्य भी शामिल किये जाएंगे।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 3 वर्षों में कम-से-कम दस-दस हज़ार एकड़ में चाय एवं कॉफी की खेती करने का लक्ष्य अर्जित किया जाएगा। चाय एवं कॉफी की खेती करने वाले किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना एवं कृषि विभाग की अन्य सुविधाएँ दी जाएँगी। 
  • उल्लेखनीय है कि राज्य के उत्तरी भाग, विशेषकर जशपुर ज़िले में चाय तथा दक्षिणी भाग, विशेषकर बस्तर ज़िले में कॉफी की खेती एवं उनके प्रसंस्करण की व्यापक संभावनाएँ हैं। 
  • इसमें उद्यानिकी एवं उद्योग विभाग की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित संस्थानों से तकनीकी मार्ग-दर्शन लेने के साथ ही निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों, निवेशकों एवं कंसल्टेंट्स की सहायता भी ली जाएगी।

छत्तीसगढ़ Switch to English

कलागुड़ी

चर्चा में क्यों?

17 अक्तूबर, 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर ज़िले के मुख्यालय जगदलपुर में दलपत सागर के निकट बनाए गए कलागुड़ी (बस्तर आर्ट गैलरी) का लोकार्पण किया। साथ ही, मुख्यमंत्री की मौजूदगी में बस्तर शिल्पकलाओं के विक्रय हेतु बस्तर ज़िला प्रशासन और फ्लिपकार्ट के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • इस अवसर पर बस्तर कलेक्टर रजत बंसल ने बस्तर की हस्तशिल्प कलाओं के जीवंत प्रदर्शन के लिये निर्मित इस परिसर के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि ब्रिटिश शासन काल के दौरान यह भवन अत्यंत जर्जर स्थिति में पहुँच चुका था। वर्तमान में इसका उपयोग लोक निर्माण विभाग द्वारा अभियांत्रिकी कार्यशाला के रूप में किया जा रहा था। 
  • बस्तर की पारंपरिक हस्तशिल्प कलाओं से सैलानियों के साथ युवा पीढ़ी को परिचित कराने के लिये इस परिसर में स्थित जर्जर भवनों का पुनर्निर्माण किया गया है। 
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने यहाँ बनाए गए आर्ट गैलरी का भ्रमण कर लोक कलाकारों द्वारा निर्मित लौह शिल्पकारी, मृदा शिल्पकारी, बेलमेटल की शिल्पकारी और सीसल शिल्पकारी का जीवंत प्रदर्शन देखा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यहाँ कैफेटेरिया में बस्तर कॉफी का स्वाद भी लिया।
  • इस आर्ट गैलरी में यहाँ 30 वर्षों से सूखी लकड़ियों के माध्यम से कला का प्रदर्शन कर रहे डाइट के सहायक प्राध्यापक सुभाष श्रीवास्तव के ड्रिफआर्ट और कोलाज पर कागज से निर्मित कलाकृतियों के साथ ही बेलमेटल से निर्मित कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया था। इसके साथ ही यहाँ एक अन्य कक्ष में लक्ष्मी जगार और धनकुल जगार के अवसर पर भित्तियों में बनाई जाने वाली जगार चित्र की कार्यशाला भी लगाई गई थी।

छत्तीसगढ़ Switch to English

मुरिया दरबार

चर्चा में क्यों?

17 अक्तूबर, 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा के तहत सिरहासार में आयोजित ‘मुरिया दरबार’ में शामिल हुए तथा जनप्रतिनिधियों द्वारा की गई माँगों को पूरा करते हुए विभिन्न घोषणाएँ कीं।

प्रमुख बिंदु

  • मुरिया दरबार में शामिल होने के लिये सिरहासार पहुँचने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का स्वागत मांझी-चालकियों द्वारा पारंपरिक पगड़ी पहनाकर किया गया।
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने टेंपल कमेटी के लिये एक लिपिक और एक भृत्य की भर्ती की घोषणा करने के साथ ही यहाँ स्थित शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय का नामकरण वीर झाड़ा सिरहा के नाम पर करने की घोषणा की। उन्होंने दंतेश्वरी मंदिर में आधुनिक ज्योति कक्ष के निर्माण की घोषणा भी की।
  • बस्तर में मुरिया दरबार की शुरुआत 8 मार्च, 1876 को हुई थी, जिसमें सिरोंचा के डिप्टी कमिश्नर मेक जार्ज ने मांझी- चालकियों को संबोधित किया था। बाद में लोगों की सुविधा के अनुरूप इसे बस्तर दशहरा का अभिन्न अंग बनाया गया, जो परंपरानुसार 145 साल से जारी है।
  • उल्लेखनीय है कि बस्तर रियासत द्वारा अपने राज्य में परगना स्थापित कर यहाँ के मूल आदिवासियों से मांझी (मुखिया) नियुक्त किया गया था, जो अपने क्षेत्र की हर बात राजा तक पहुँचाया करते थे, वहीं राजाज्ञा से ग्रामीणों को अवगत भी कराते थे। मूरिया दरबार में राजा द्वारा निर्धारित 80 परगना के मांझी ही उन्हें अपने क्षेत्र की समस्याओं से अवगत कराते हैं।
  • मुरिया दरबार में पहले राजा और रियासत के अधिकारी कर्मचारी मांझियों की बातें सुना करते थे और तत्कालीन प्रशासन से उन्हें हल कराने की पहल होती थी। आज़ादी के बाद मुरिया दरबार का स्वरूप बदल गया। 1947 के बाद राजा के साथ जनप्रतिनिधि भी इसमें शामिल होने लगे।
  • 1965 के पूर्व बस्तर महाराजा स्व. प्रवीर चंद्र भंजदेव दरबार की अध्यक्षता करते रहे। उनके निधन के बाद राज परिवार के सदस्यों मुरिया दरबार में आना बंद कर दिया था। वर्ष 2015 से राज परिवार के कमलचंद्र भंजदेव इस दरबार में शामिल हो रहे हैं।
  • बस्तर के मुरिया दरबार में अब बस्तर संभाग के निर्वाचित जन-प्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहते हैं। वे ग्रामीणों से आवेदन लेते हैं। मांझी, चालकी और मेंबर-मेंबरीन इनके सामने ही अपनी समस्या रखते हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी 2009 -10 से लगभग हर मुरिया दरबार में शामिल हो रहे हैं।

छत्तीसगढ़ Switch to English

बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लेंग्वेज (बादल)

चर्चा में क्यों?

17 अक्तूबर, 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर के समीप आसना ग्राम में बस्तर के लोक नृत्य, स्थानीय बोलियाँ, साहित्य एवं शिल्पकला के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लेंग्वेज (बादल) का लोकार्पण किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस अवसर पर बादल एकेडमी और इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के मध्य एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया। इसके तहत इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय द्वारा बादल एकेडमी में लोक नृत्य और लोक संगीत के लिये साझा तौर पर कार्य किया जाएगा। विश्वविद्यालय द्वारा बादल एकेडमी को मान्यता प्रदान करते हुए अपने पाठ्यक्रमों से संबंधित विधाओं का संचालन किया जाएगा। 
  • बादल अकादमी में लाइब्रेरी, रिकॉर्ड़िग रूम, ओपन थिएटर, डांस गैलरी, चेंजिंग रूम, गार्डन एवं रेसिडेंशियल हाउस, पाथवे, एग्जीबिशन हॉल, कैफेटेरिया बनाए गए हैं। 
  • बादल एकेडमी के जरिये बस्तर की विभिन्न जनजातीय संस्कृतियों को एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक हस्तांतरण करना, बाकी देश-दुनिया से इनका परिचय कराना, शासकीय कार्यों का सुचारू संपादन के लिये यहाँ के मैदानी कर्मचारी-अधिकारियों को स्थानीय बोली-भाषा का प्रशिक्षण देना आदि कार्य किया जाएगा।
  • इस अकादमी में प्रमुख रूप से लोकगीत एवं लोक नृत्य प्रभाग, लोक साहित्य प्रभाग, भाषा प्रभाग और बस्तर शिल्प कला प्रभाग की स्थापना की गई है। 
  • लोक गीत एवं लोक नृत्य प्रभाग के तहत बस्तर के सभी लोक गीत, लोक नृत्य गीत का संकलन, ध्वन्यांकन, फिल्मांकन एवं प्रदर्शन का नई पीढ़ी को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें गंवर सिंग नाचा, डंडारी नाचा, धुरवा नाचा, परब नाचा, लेजागीत, मारीरसोना, जगार गीत आदि प्रमुख हैं। 
  • लोक साहित्य प्रभाग के तहत बस्तर के सभी समाजों के धार्मिक रीति-रिवाज, सामाजिक ताना-बाना, त्योहार, कविता, मुहावरा आदि का संकलन लिपिबद्ध कर जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया जाएगा। 
  • भाषा प्रभाग के तहत बस्तर की प्रसिद्ध बोली हल्बी, गोंडी, धुरवी और भतरी बोली का स्पीकिंग कोर्स तैयार कर लोगों को इन बोलियों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। 
  • इसी तरह बस्तर शिल्प कला प्रभाग के तहत बस्तर की शिल्प कलाओं में काष्ठकला, धातु कला, बाँसकला, जूटकला, तुंबा कला आदि का प्रदर्शन एवं निर्माण करने की कला सिखाई जाएगी।
  • बादल एकेडमी में निर्मित तीन भवनों का नामकरण वीर शहीदों के नाम पर किया गया है। इनमें प्रशासनिक भवन का नाम शहीद झाड़ा सिरहा के नाम पर, आवासीय परिसर का नाम हल्बा जनजाति के शहीद गेंदसिंह के नाम पर और लायब्रेरी व अध्ययन भवन को धुरवा समाज के शहीद वीर गुंडाधुर के नाम पर किया गया है। 
  • इसके साथ ही यहाँ मुख्यमंत्री की मौज़ूदगी में थिंक-बी और आईआईएम रायपुर, आईआईआईटी रायपुर, हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साईंसेज के साथ एमओयू किया गया। उद्यमिता और स्वरोज़गार के इच्छुक बस्तर के युवाओं के स्टार्टअप्स को प्रमोट करने के साथ ही उन्हें इंक्यूबेट करने के लिये यह एमओयू किया गया।

उत्तराखंड Switch to English

‘प्रीतम भरतवाण जागर, ढोल सागर इंटरनेशनल अकादमी’

चर्चा में क्यों?

17 अक्तूबर, 2021 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोक संस्कृति, जागर, ढोल सागर जैसी विधाओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से देहरादून नालापानी चौक में ‘प्रीतम भरतवाण जागर ढोल सागर इंटरनेशनल अकादमी’ का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इस अकादमी को 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की।
  • इस अकादमी में लोक संगीत, पारंपरिक ढोल दमाऊ, हुड़का डोर आदि में रुचि रखने वाले छात्र-छात्राओं और शोधार्थियों को नि:शुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिससे इन्हें उत्तराखंडी लोक संस्कृति को समझने एवं जानने का अवसर प्राप्त होगा और उत्तराखंड की संस्कृति को संरक्षित किया जा सकेगा।
  • इस अवसर पर ढोल कला विरासत को सँजोने वाले 107 वर्षीय ढोल सागर ज्ञाता शेरदास व 81 वर्षीय कलम दास सहित अन्य कलावंतों को सम्मानित किया गया।
  • गौरतलब है कि इस अकादमी के संचालक पद्मश्री जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण हैं। प्रीतम भरतवाण का जन्म देहरादून ज़िले के सिला गाँव में हुआ था। वे उत्तराखंड के एक लोक गायक कलाकार हैं। जागर, लोकगीत, पवांडा और घुयांल गाने के साथ ही ढोल, दमाऊ, हुड़का और डौर उत्तराखंडी वाद्य यंत्र थकुली बजाने में भी महारत हासिल कर चुके हैं।
  • इन्हें भारत सरकार ने जागर गायन के लिये वर्ष 2019 में पद्मश्री से सम्मानित किया था।

उत्तराखंड Switch to English

सैलून अकादमी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विधायक विनोद चमोली और एफ सैलून अकादमी की सीईओ प्राची कौशिक ने देहरादून में संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय फैशन और जीवन शैली प्रसारण टेलीविज़न चैनल फैशन टीवी (FTV) की एफ सैलून अकादमी का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु

  • FTV सैलून अकादमी, देहरादून के मालिक, तुषार प्रताप सिंह ने कहा कि इसका उद्देश्य एफ सैलून अकादमी के माध्यम से फैशन उद्योग को अपने सबसे असाधारण गुणवत्ता वाले पेशेवरों के साथ प्रस्तुत करने के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
  • FTV सैलून अकादमी द्वारा दिया जाने वाला प्रशिक्षण अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है तथा इन मानकों के अनुरूप ही उत्तराखंड के युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • FTV सैलून अकादमी के सीईओ प्राची कौशिक ने कहा कि पूरे भारत में अकादमी की 500+ फ्रेंचाइजी स्थापित किया जाएगा, जिसमें छात्र 100 से अधिक ब्यूटी कोर्स कर सकते हैं।
  • यह अकादमी न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पेशेवरों के उत्पादन तक सीमित है, बल्कि प्रति वर्ष 14 मिलियन नौकरियों का सृजन करके भारतीय बाज़ार में क्रांति लाएगी। 
  • उन्होंने कहा कि हम छात्रवृत्ति प्रदान करके समाज के कमज़ोर वर्ग, दिव्यांगों, गृहिणियों आदि के उत्थान के लिये विभिन्न सरकारी संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ जुड़ने की भी योजना बना रहे हैं।

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