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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 18 Sep 2023
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8वाँ दून इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल

चर्चा में क्यों?

  • 17 सितंबर, 2023 को देहरादून इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के आयोजक राजेश शर्मा ने बताया कि 8वाँ देहरादून इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का आयोजन 22 सितंबर से 24 सितंबर तक सिल्वर सिटी राजपुर रोड एवं तुलास इंस्टीट्यूट में किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • फिल्म फेस्टिवल के साथ-साथ उत्तराखंड टैलेंट हंट एवं आंगन बाज़ार एग्जिबिशन का आयोजन भी किया जाएगा।
  • देहरादून इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के आयोजक ने बताया कि इसमें दो ग्रुप रखे गए हैं। ग्रुप में आठ से 15 साल और 16 साल से ऊपर जिसमें प्रतिभागी अपनी कला जैसे कि डांस, एक्टिंग, पोएट्री, मिमिक्री और सिंगिंग आदि का प्रदर्शन करेंगे।
  • जीतने वाले प्रतिभागियों को अवॉर्ड और सर्टिफिकेट दिये जाने के साथ वोकल म्यूजिक और देहरादून इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के आने वाले प्रोजेक्ट में भी मौका मिलेगा।
  • विदित है कि पिछले आठ वर्षों से देहरादून इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का आयोजन होता आ रहा है। जिसमें अनेक नए-नए डायरेक्टर एवं प्रोड्यूसर को एक प्लेटफार्म देने की कोशिश की गई है।
  • उत्तराखंड से भी कई ऐसे डायरेक्टर और प्रोड्यूसर निकलकर आए हैं जो आज राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं। उत्तराखंड टैलेंट हंट के माध्यम से युवाओं को अन्य क्षेत्रों में भी अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका देने का एक प्रयास और किया जा रहा है।


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उत्तराखंड के चार कलाकारों को मिला संगीत नाट्य अकादमी अवार्ड

चर्चा में क्यों?

  • 16 सितंबर, 2023 को देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में 75 वर्ष से अधिक उम्र के 84 उत्कृष्ट कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी अमृत अवार्ड से सम्मानित किया, जिसमें उत्तराखंड के चार वयोवृद्ध कलाकार भी शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि ये वे कलाकार हैं, जिन्हें पहली बार किसी राष्ट्रीय सम्मान से नवाज़ा गया है।
  • सम्मान पाने वाले उत्तराखंड के चार वयोवृद्ध कलाकारों में भैरव दत्त तिवारी (79) और जगदीश ढौंडियाल (78) को लोक संगीत व नृत्य में अमृत अवार्ड दिया गया। जबकि नारायण सिंह बिष्ट (75) को लोक संगीत और जुगल किशेार पेटशाली (76) को उत्तराखंड की प्रदर्शन कला में समग्र योगदान के लिये अमृत अवार्ड से सम्मानित किया गया।
  • अवार्ड के रूप में कलाकारों को ताम्रपत्र, अंगवस्त्रम के अलावा एक लाख रुपए की नकद राशि दी गई।
  • इस अवसर पर उप राष्ट्रपति ने बताया कि इन कलाकारों ने अपनी संगीत विरासत की रक्षा कर युवा पीढ़ी को यही संदेश दिया है कि देश और भारतीयता से ऊपर कुछ भी नहीं। कुछ देशों की संस्कृति 500 से 600 सालों की है। लेकिन, गर्व की बात है कि भारत की संस्कृति 7000 वर्ष से भी अधिक पुरानी है।
  • जुगल किशोर पेटशाली: ये अल्मोड़ा ज़िले के निवासी हैं। इन्होनें राजुला-मालुसाही, मध्य हिमालय की अमर प्रेम गाथा और जय बाला मोरिया आदि पुस्तकें लिखीं।
  • नारायण सिंह बिष्ट:  ये चमोली ज़िले के निवासी हैं। इन्होनें उत्तराखंड की जागर परंपरा को आगे बढ़ाया।
  • जगदीश ढ़ौंढियाल: ये पौड़ी गढ़वाल ज़िले के निवासी हैं। इन्होनें नृत्य नाटिका कामायनी की लगभग 2500 अधिक प्रस्तुतियाँ दीं हैं।
  • भैरव दत्त तिवारी: ये अल्मोड़ा निवासी हैं तथा इन्होनें कुमाऊँनी लोक परंपरा में योगदान दिया है। इन्होंनें दूरदर्शन के लिये रसिक रमोला और हारु हीत नाटकों की प्रस्तुति तैयार कीं।


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