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उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने जल शुल्क नियमावली-2022 को दी मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
16 अगस्त, 2022 को उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने जल शुल्क नियमावली-2022 को मंज़ूरी दी। इसके तहत अब विकास प्राधिकरणों की योजनाओं में भवन निर्माण के लिये नक्शा पास कराने के लिये 50 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से जल शुल्क देना होगा।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि पहले यह जल शुल्क लखनऊ और बनारस में नहीं लिया जाता था, लेकिन अब वहाँ के लोगों को भी इसका भुगतान करना होगा।
- नियमावली के मुताबिक ले-आउट प्लान के मामलों में जल शुल्क भूमि के कुल क्षेत्रफल के हिसाब से लिया जाएगा। बहुमंजिला भवन निर्माण पर सभी तलों व बेसमेंट को शामिल करते हुए कुल क्षेत्रफल के आधार पर इसे वसूला जाएगा।
- मौजूदा निर्मित क्षेत्र से अतिरिक्त निर्माण करने पर भी जल शुल्क देय होगा। जल शुल्क की दरों को हर साल एक अप्रैल से आयकर विभाग के कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के आधार पर पुनरीक्षित किया जाएगा।
- विकास प्राधिकरण, योजना के बाहर या जहाँ वह जलापूर्ति करने में असमर्थ होगा, वहाँ जल शुल्क देय नहीं होगा। वैधता अवधि के अंदर स्वीकृति के लिये प्रस्तुत पुनरीक्षित मानचित्र, जिसके लिये जल शुल्क पूर्व में भुगतान किया जा चुका है, उससे शुल्क नहीं लिया जाएगा।
- वैधता अवधि बढ़ाने की स्थिति में पूर्व में जमा शुल्क को समायोजित करते हुए नक्शा पास करने की तिथि से लागू दर पर शुल्क लिया जाएगा। वैधता अवधि के उपरांत पेश नक्शों के लिये पूर्व में जमा शुल्क के समायोजन के बाद उसके पास होने की तिथि से लागू दर पर जल शुल्क देय होगा।
- जल शुल्क 10 लाख रुपए तक होने पर एकमुश्त भुगतान करना होगा। इससे अधिक होने पर 10 लाख रुपए का भुगतान एकमुश्त और शेष को चार अर्द्धवार्षिक किस्तों में 9% ब्याज के साथ लिया जाएगा। इसके लिये बकाया राशि के समतुल्य बैंक गारंटी भी देनी होगी या उतने मूल्य की विक्रय योग्य भूमि प्राधिकरण के पक्ष में गिरवी रखनी होगी। शेष राशि का भुगतान होने पर बैंक गारंटी या बंधक भूमि छोड़ दी जाएगी। किश्तों के भुगतान में देरी पर 9% वार्षिक ब्याज के साथ 0 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि की दर से दंड ब्याज लिया जाएगा।
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