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नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को पुन: अधिसूचित नहीं करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
17 अगस्त, 2022 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनहित को ध्यान में रखते हुए नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को पुन:अधिसूचित नहीं करने के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान की। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से हज़ारों आदिवासियों का 30 वर्षों का संघर्ष समाप्त होगा।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि 1964 में शुरू हुए नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा 1999 में अवधि विस्तार किया गया था।
- नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में लातेहार ज़िला के करीब 39 राजस्व ग्रामों द्वारा आमसभा के माध्यम से राज्यपाल को भी ज्ञापन सौंपा गया था, जिसमें नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से प्रभावित जनता द्वारा बताया गया था कि लातेहार व गुमला ज़िला पाँचवी अनुसूची के अंतर्गत आते हैं। यहाँ पेसा एक्ट 1996 लागू है, जिसके तहत ग्रामसभा को संवैधानिक अधिकार प्राप्त है।
- इसी के तहत नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के प्रभावित इलाके के ग्राम प्रधानों ने प्रभावित जनता की मांग पर ग्रामसभा का आयोजन कर नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के लिये गाँव की सीमा के अंदर की ज़मीन सेना के फायरिंग अभ्यास हेतु उपलब्ध नहीं कराने का निर्णय लिया था। साथ ही नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को आगे और विस्तार न कर विधिवत् अधिसूचना प्रकाशित कर परियोजना को रद्द करने का अनुरोध किया था।
- गौरतलब है कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से प्रभावित जनता द्वारा पिछले लगभग 30 वर्षों से लगातार नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को रद्द करने हेतु विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा था। वर्तमान में भी प्रत्येक वर्ष की भाँति नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में 22-23 मार्च को विरोध-प्रदर्शन किया गया था।
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