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छत्तीसगढ़ की अंकिता ने स्वतंत्रता दिवस पर यूरोप की सबसे ऊँची चोटी माउंट एलब्रूस पर फहराया तिरंगा
चर्चा में क्यों?
15 अगस्त, 2022 को स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के गौरवशाली अवसर पर छत्तीसगढ़ की अंकिता गुप्ता ने यूरोपीय महाद्वीप की सबसे ऊँची चोटी माउंट एलब्रूस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा दिया गया तिरंगा फहराया।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यूरोप जाने से पहले विगत 3 अगस्त को युवा पर्वतारोही अंकिता को अपने निवास में राष्ट्रीय ध्वज भेंट किया था।
- गौरतलब है कि यूरोपीय महाद्वीप की सबसे ऊँची चोटी माउंट एलब्रूस (पश्चिम) की ऊँचाई 5642 मीटर (18,510 फीट) है, यहाँ का तापमान -25 से -30 डिग्री सेल्सियस तक और हवा की गति 45 से 50 किमी. तक रहती है। इन विषम परिस्थितियों में भी 15 अगस्त की सुबह 5 बजकर 43 मिनट में तिरंगा लहराकर अंकिता ने आज़ादी की 76वीं वर्षगाँठ को और यादगार बना दिया।
- चोटी पर पहुँचकर अंकिता ने राज्य सरकार के न्याय एवं सशक्तीकरण के छत्तीसगढ़ मॉडल को प्रदर्शित किया। इसके बाद उन्होंने दूसरे ही दिन 16 अगस्त को यूरोप महाद्वीप में स्थित 5621 मीटर ऊँचे माउंट एलब्रूस (पूर्व) पर्वत पर सुबह 4 बजकर 23 मिनट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
- अंकिता गुप्ता मूलत: कवर्धा की रहने वाली हैं। वर्तमान में वह कबीरधाम ज़िले में पुलिस विभाग के अंतर्गत आरक्षक के पद पर कार्य कर रही हैं। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा अंकिता को यूरोप में पर्वतारोहण में शामिल होने के लिये पाँच लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई है।
- अंकिता गुप्ता ने कहा कि यह सफलता देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व शहीदों को समर्पित है। उन्होंने बताया कि विगत जनवरी माह में -39 डिग्री सेल्सियस पर लेह लद्दाख के यूटी कांगड़ी की 6080 मीटर ऊँची चोटी फतेह की थी। उनका लक्ष्य अब सातों महाद्वीपों की चोटी में तिरंगा फहराकर देश का मान बढ़ाना है।
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दलहनी फसलों के अनुसंधान एवं विकास पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
17 अगस्त, 2022 को छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित दोदिवसीय रबी दलहन कार्यशाला एवं वार्षिक समूह बैठक का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- इस दोदिवसीय रबी दलहन कार्यशाला में चना, मूंग, उड़द, मसूर, तिवड़ा, राजमा एवं मटर का उत्पादन बढ़ाने हेतु नवीन उन्नत किस्मों के विकास, अनुसंधान एवं उत्पादन तकनीकी पर विचार-मंथन किया जा रहा है।
- उल्लेखनीय है कि देश में दलहनी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये अनुसंधान एवं विकास हेतु कार्य योजना एवं रणनीति तैयार करने के लिये आयोजित इस कार्यशाला एवं वार्षिक समूह बैठक में देश के विभिन्न राज्यों के 100 से अधिक दलहन वैज्ञानिक शामिल हुए हैं।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डॉ. टी.आर. शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि केंद्र सरकार द्वारा भारत को दलहन उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने एवं इसका आयात कम करने के लिये विशेष प्रयास किये जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप देश में इस वर्ष 2 करोड़ 80 लाख मीट्रिक टन दलहन उत्पादन होने की संभावना है। गौरतलब है कि वर्ष 2016 में देश में 1 करोड़ 60 लाख मीट्रिक टन दलहन का उत्पादन होता था।
- उन्होंने दलहनी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये इसकी रोगरोधी एवं उन्नतशील किस्में उगाने तथा यंत्रीकरण के उपयोग में वृद्धि करने पर ज़ोर दिया।
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक डॉ. संजीव गुप्ता ने कहा कि धान के कटोरे के रूप में प्रख्यात छत्तीसगढ़ आज दलहन उत्पादन के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना रहा है। उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा दलहनी फसलों की नवीन उन्नतशील किस्में विकसित किये जाने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में उगाई जाने वाली तिवड़ा की फसल खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान समय में लगभग 11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में दलहनी फसलें ली जा रहीं हैं, जिनमें अरहर, चना, मूंग, उड़द, मसूर, कुल्थी, तिवड़ा, राजमा एवं मटर प्रमुख हैं।
- इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में दलहनी फसलों पर अनुसंधान एवं प्रसार कार्य हेतु तीन अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाएँ - मुलार्प फसलें (मूंग, उड़द, मसूर, तिवड़ा, राजमा, मटर), चना एवं अरहर संचालित की जा रहीं हैं, जिसके तहत नवीन उन्नत किस्मों के विकास, उत्पादन तकनीक एवं कृषकों के खेतों पर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन का कार्य किया जा रहा है।
- विश्वविद्यालय द्वारा अबतक विभिन्न दलहनी फसलों की उन्नतशील एवं रोगरोधी कुल 25 किस्मों का विकास किया जा चुका है, जिनमें मूंग की 2, उड़द की 1, अरहर की 3, कुल्थी की 6, लोबिया की 1, चना की 5, मटर की 4, तिवड़ा की 2 एवं मसूर की 1 किस्म प्रमुख हैं।
- कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा छत्तीसगढ़ की प्रमुख दलहन फसल तिवड़ा की दो उन्नत किस्में विकसित की गई हैं, जो मानव उपयोग हेतु पूर्णत: सुरक्षित हैं। दलहनी फसलों में यंत्रीकरण को बढ़ावा देने हेतु विश्वविद्यालय द्वारा नए कृषि यंत्र विकसित किये जा रहे हैं।
- इस अवसर पर प्रदेश के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ में दलहन फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये दलहन उगाने वाले किसानों को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिसके तहत धान की जगह दलहन उत्पादन करने वाले किसानों को प्रति एकड़ नौ हज़ार रुपए का अनुदान दिया जा रहा है।
- उन्होंने कहा कि दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार द्वारा किसानों से अरहर एवं उड़द की खरीदी समर्थन मूल्य 6600 रुपए की जगह 8000 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर की जा रही है।
- राज्य सरकार के प्रयासों से पिछले वर्षों में राज्य में दलहन के रकबे एवं उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है और आज 11 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में दलहन फसलों की खेती की जा रही है, जिसके आगामी दो वर्षों में बढ़कर 15 लाख हेक्टेयर होने की उम्मीद है।
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नया रायपुर में विद्युत उपकरणों की टेस्टिंग के लिये क्षेत्रीय टेस्ट प्रयोगशाला की होगी स्थापना
चर्चा में क्यों?
17 अगस्त, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में उनके निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान, बंगलूरू और छत्तीसगढ़ शासन के मध्य नवा रायपुर में विद्युत उपकरणों की टेस्टिंग के लिये राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशाला तथा परीक्षण केंद्र की स्थापना हेतु एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए।
प्रमुख बिंदु
- छत्तीसगढ़ ऊर्जा विभाग के सचिव अंकित आनंद और सीपीआरआई के एडिशनल डायरेक्टर बी.ए. सावले ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये।
- नवा रायपुर में केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान, बंगलूरू द्वारा स्थापित की जाने वाली क्षेत्रीय टेस्ट प्रयोगशाला मध्य भारत की सबसे बृहद् प्रयोगशाला होगी, जिसमें ट्रांसफॉर्मर, रुटीन टेस्ट, मीटर टेस्टिंग, ऑयल टेस्टिंग एवं समस्त विद्युत उपकरण के रुटीन टेस्ट की सुविधा होगी। वर्तमान में विद्युत उपकरणों को टेस्टिंग के लिये भोपाल भेजा जाता है।
- छत्तीसगढ़ में यह सुविधा उपलब्ध होने से समय एवं राजस्व में बचत होगी। इस प्रयोगशाला में विद्युत कंपनियों को टेस्टिंग में 20 प्रतिशत की रियायत दी जाएगी। प्रयोगशाला के अंतर्गत ट्रेनिंग सेंटर की भी स्थापना की जाएगी, जिसमें विद्युत कंपनियों एवं निजी संस्थानों के कर्मचारियों की तकनीकी दक्षता में वृद्धि होगी।
- प्रयोगशाला तथा परीक्षण केंद्र की स्थापना हेतु अटल नगर नया रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा नया रायपुर क्षेत्र के लेयर-2 ग्राम- तेंदुआ, सेक्टर-30 में 10 एकड़ भूमि का आवंटन किया गया है।
- प्रयोगशाला की स्थापना का कार्य 20 करोड़ 70 लाख रुपए की लागत से 36 माह में पूर्ण किया जाएगा।
- रायपुर में स्थापित होने वाली क्षेत्रीय टेस्ट लेबोरेटरी में हाई वोल्टेज लेबोरेटरी (इम्पल्स टेस्ट 400 केवी), रुटीन टेस्ट लेबोरेटरी फॉर ट्रांसफॉर्मर (10 एमवीए तक), टेम्परेचर राईज टेस्ट फेसिलिटी फॉर ट्रांसफॉर्मर (10 एमवीए तक), एनर्जी मीटर टेस्ट लेबोरेटरी फॉर स्मार्ट मीटर और साइबर सिक्यूरिटी टेस्ट लेबोरेटरी फॉर सबस्टेशन इक्यूपमेंट्स एंड स्मार्ट मीटर की सुविधा उपलब्ध होगी।
- उल्लेखनीय है कि केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान भारत सरकार, विद्युत मंत्रालय के अधीन गठित सार्वजनिक उपक्रम है। इस संस्थान द्वारा पावर सेक्टर के निर्माताओं एवं यूटिलिटी में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न सेवाओं, पावर सेक्टर में एप्लाइड रिसर्च को प्रोत्साहन तथा इंजीनियरिंग के क्षेत्र में दक्षता एवं विश्वसनीयता में सुधार हेतु परामर्श सेवाएँ दी जाती हैं।
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ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज़ी मुकाबले ‘द जंगल रंबल’ का राजधानी रायपुर में हुआ आयोजन
चर्चा में क्यों?
17 अगस्त, 2022 को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सरदार बलबीर सिंह जुनेजा स्टेडियम में अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज़ी मुकाबले ‘द जंगल रंबल’का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता के एक मुकाबले में पेशेवर भारतीय मुक्केबाज़ विजेंदर सिंह ने घाना के एलियासु सुले को हराया।
प्रमुख बिंदु
- अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज़ी मुकाबले ‘द जंगल रंबल’प्रतियोगिता में पाँच रोचक मुकाबले हुए। लाइट वेट ग्रुप में पहला मुकाबला अमेय नितिन और असद आसिफ खान के बीच हुआ। इस मुकाबले में असद ने बाजी मारी। वहीं दूसरा मुकाबला आशीष शर्मा और कार्तिक सतीश कुमार के बीच हुआ, जिसमें कार्तिक सतीश कुमार विजेता घोषित किये गए। तीसरा मैच शैकोम और गुरप्रीत सिंह के बीच हुआ। गुरप्रीत सिंह इस मैच के विजेता बने।
- मुक्केबाज़ी का चौथा मुकाबला सचिन नौटियाल बनाम फैजान अनवर के बीच हुआ। सचिन नौटियाल प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी फैजान के पंच से पस्त हुए और रिंग छोड़ बाहर चले गए। खेल के नियमों के तहत रेफरी ने फैजान को विजेता घोषित किया।
- बॉक्सिंग की इस प्रतियोगिता में सबसे ज़्यादा आकर्षण का केंद्र पेशेवर भारतीय मुक्केबाज़ विजेंदर सिंह और घाना के एलियासु सुले के बीच हुआ मुकाबला रहा। इस मैच में विजेंदर सिंह ने अपने तगड़े पंच से एलियासु सुले को मात दी। ‘द जंगल रंबल’के पाँचवें और इस आखिरी मुकाबले में केवल 02 मिनट 07 सेकेंड में ही एलियासु को धूल चटा दी।
- गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ये पहला पेशेवर मुक्केबाज़ी मुकाबला है। भारत के पहले पेशेवर मुक्केबाज़ विजेंदर सिंह इस मुकाबले के लिये बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण ले रहे थे।
- उल्लेखनीय है कि 8 जून को प्रोफेशनल मुक्केबाज़ विजेंदर सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र बघेल से मुलाकात की थी और छत्तीसगढ़ में प्रोफेशनल बॉक्सिंग मैच का आयोजन करने के लिये अनुरोध किया था। मुख्यमंत्री ने इस अनुरोध को स्वीकार किया था और उसी तारतम्य में मुख्यमंत्री की पहल पर राजधानी रायपुर में अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सिंग मुकाबला आयोजित किया गया। विजेंदर सिंह लगभग 19 महीनों के बाद रिंग में उतरे थे।
- छत्तीसगढ़ में खेलों को बढ़ावा देने के प्रयासों के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में खेल अकादमी की स्थापना की गई है और खेलों के लिये अलग से प्राधिकरण भी बनाया गया है। इससे आधारभूत सुविधाओं के विकास और खिलाड़ियों को सँवारने के काम एक साथ होंगे।
- बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में क्रिकेट का रोड सेफ्टी मैच हुआ। कई बड़े खिलाड़ियों ने अपने खेल का प्रदर्शन किया है। महिला हॉकी में पहले ही राज्य का प्रतिनिधित्व रहा है, अब कॉमनवेल्थ गेम्स में राज्य की बिटिया आरुषि कश्यप ने बैडमिंटन में मेडल जीता है। तीरंदाज़ी में भी यहाँ अनेक संभावनाएँ हैं। ऐसे आयोजनों से राज्य में खेलों को नया आयाम मिलेगा।
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