लखनऊ में 3,300 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश वाली दो राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शुभारंभ | उत्तर प्रदेश | 18 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
17 जुलाई, 2023 को केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उत्तर प्रदेश की राजधानी और देश के महत्त्वपूर्ण शहरों में से एक लखनऊ में 3,300 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश वाली दो राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- इन परियोजनाओं में मड़ियाँव-आई.आई.एम.राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर लखनऊ-सीतापुर खंड शामिल है। नवनिर्मित 4-लेन एलिवेटेड कॉरिडोर समय से छह महीने पहले पूरा हो गया है।
- इससे लखनऊ से सीतापुर तक बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी, भिटौली तिराहा और जानकीपुरम एक्सटेंशन पर भारी ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी और 30 मिनट से अधिक समय और ईंधन की बचत होगी। तीर्थयात्रियों को चंद्रिका देवी और नैमिषारण्य जाने में भी सुविधा होगी।
- अलीगढ़-कानपुर खंड के नवीगंज से मित्रसेनपुर तक 4-लेन सड़क के निर्माण से नवीगंज, कन्नौज, मित्रसेनपुर और आगे दिल्ली तक यातायात की सुविधा होगी। उत्तर प्रदेश के इत्र हब कन्नौज और आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- छिबरामऊ, गुरसहायगंज, जलालाबाद, मानीमऊ जैसे इलाकों में छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। कन्नौज के किसानों को छिबरामऊ, नवीगंज मंडी तक आवागमन में आसानी होगी और दिल्ली तक सीधी पहुँच आसान होगी।
राजस्थान विश्वविद्यालयों के अध्यापक (अस्थायी अध्यापकों का आमेलन) (संशोधन) विधेयक-2023 ध्वनिमत से पारित | राजस्थान | 18 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
17 जुलाई, 2023 को राजस्थान विधानसभा में राजस्थान विश्वविद्यालयों के अध्यापक (अस्थायी अध्यापकों का आमेलन) (संशोधन) विधेयक-2023 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक के माध्यम से स्क्रीनिंग कर पात्र अस्थायी अध्यापकों को नियमित किया जा सकेगा।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि इससे पूर्व वर्ष 2008 में राजस्थान विश्वविद्यालयों के अध्यापक (अस्थायी अध्यापकों का आमेलन) अध्यादेश लाया गया था। बाद में इस अध्यादेश का प्रतिस्थापक विधेयक विधानसभा में पारित कराया गया।
- इस अध्यादेश एवं अधिनियम के अंतर्गत विश्वविद्यालयों में अस्थायी रूप से कार्यरत 300 से अधिक शिक्षकों को स्क्रीनिंग कमेटी के माध्यम से पात्र पाए जाने पर संबंधित विश्वविद्यालयों की सेवा में स्थायी किया गया था।
- ज्ञातव्य है कि वर्ष 2008 से पूर्व विश्वविद्यालय में कार्यरत कुछ अस्थायी शिक्षक/योग प्रशिक्षक 2008 के अध्यादेश में कवर होने से रह गए। अत: राज्य सरकार ने ऐसे शिक्षकों एवं योग प्रशिक्षकों को स्क्रीनिंग कमेटी के माध्यम से पात्र पाए जाने पर स्थायी किये जाने का निर्णय लिया है।
- इसके लिये 2008 के आमेलन अधिनियम में अस्थायी शिक्षक की परिभाषा को संशोधित करने व मूल अधिनियम के द्वारा आमेलन हेतु निर्धारित 180 दिवस की अवधि में छूट देते हुए राजस्थान विश्वविद्यालयों के अध्यापक (अस्थायी अध्यापकों का आमेलन) (संशोधन) विधेयक-2023 लाया गया है।
राजीव गांधी फिनटेक डिजिटल संस्थान विधेयक-2023 ध्वनिमत से पारित | राजस्थान | 18 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
17 जुलाई, 2023 को राजस्थान विधानसभा में राजीव गांधी फिनटेक डिजिटल संस्थान विधेयक-2023 पर चर्चा के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
प्रमुख बिंदु
- राजस्थान के शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने विधानसभा में कहा कि जोधपुर में स्थापित किया जा रहा राजीव गांधी फिनटेक डिजिटल संस्थान वित्तीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्वस्तरीय मानक स्थापित करेगा। राज्य के युवाओं को इस क्षेत्र में प्रशिक्षित करने के लिये इस संस्थान की स्थापना की जा रही है।
- यह विश्वस्तरीय संस्थान डिजिटल वर्ल्ड में एक नई क्रांति साबित होगा। इससे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञ तैयार होंगे, जिन्हें दुनिया भर में रोज़गार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे।
- संस्थान आईटी क्रांति के सूत्रधार भारत रत्न स्व. राजीव गांधी के नाम से स्थापित किया जा रहा है।
- वर्तमान दौर में जहाँ साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं और निवेश व बीमा जैसे कार्यों के लिये लोगों को विशेषज्ञ सलाह की आवश्यकता बढ़ रही है, इस संस्थान से डिजिटल ज्ञानयुक्त वित्तीय प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ तैयार होंगे।
- राज्य सरकार ने अपने वित्तीय संसाधनों से संस्थान के लिये 672.45 करोड़ की राशि का प्रावधान किया है, जिसमें से 130 करोड़ की राशि व्यय भी की जा चुकी है। इसके लिये 97 बीघा भूमि आवंटित की जा चुकी है, जिस पर निर्माण कार्य जारी है।
- संस्थान में यूजीसी और एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त डिप्लोमा, डिग्री कोर्सेज उपलब्ध हो सकेंगे। यह संस्थान डिजिटल स्टेट यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित होगा, जहाँ सायबर एक्सपर्ट और डिजिटल एक्सपर्ट तैयार किये जाएंगे।
- साथ ही, संस्थान आईआईटी, एम्स के मानकों के अनुरूप विकसित किया जाएगा। यहाँ का प्रबंधन पूर्ण रूप से स्वायत्तशासी होगा।
- विदित है कि इससे पूर्व सदन ने विधेयक पर जनमत जानने के लिये परिचालित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकृत कर दिया।
प्रदेश में 11 मिलेट्स एवं खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिये 3 करोड़ 37 लाख रुपए का अनुदान | राजस्थान | 18 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
17 जुलाई, 2023 को राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने विधानसभा में बताया कि प्रदेश में 11 मिलेट्स एवं खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिये 3 करोड़ 37 लाख रुपयों की अनुदान सहायता दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- कृषि मंत्री ने बताया कि राजस्थान मिलेट्स प्रोत्साहन मिशन के तहत मिलेट्स प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिये किसी भी ज़िले से किसानों द्वारा आवेदन नहीं किया गया है। मिलेट्स एवं अन्य खाद्य सामग्री की प्रसंस्करण इकाइयों के लिये निजी कंपनियों के 20 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से 11 प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिये 3 करोड़ 37 लाख रुपयों की अनुदान सहायता दी गई है।
- उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2022-23 के बजट में राजस्थान मिलेट्स प्रोत्साहन मिशन की घोषणा की गई है।
- मिशन के अंतर्गत लघु एवं सीमांत किसानों को उन्नत किस्मों के नि:शुल्क बीज, सुक्ष्म पोषक तत्त्व एवं जैव कीटनाशी किट का अनुदानित दर पर वितरण, मिलेट्स की प्रथम 100 प्रसंस्करण ईकाइयों की स्थापना पर अनुदान, बाजरा व अन्य मिलेट्स के संवर्धन, प्रोत्साहन व नवीनतम तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने की दृष्टि से जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत मिलेट्स उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना आदि प्रावधान किये गए हैं।
- ज्ञातव्य है कि रागी, कंगनी, सावां, चीना, कोदो, कुटकी फसलें मिलेट्स के अंतर्गत शामिल हैं। इनकी पोषण गुणवत्ता के बारे में जन-जागरूकता कार्यक्रम प्रस्तावित किये गए हैं।
- राज्य की बीज उत्पादक संस्थाओं, राजस्थान राज्य बीज निगम लिमिटेड एवं राजस्थान राज्य तिलहन उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड के पास छोटे अनाजों जैसे रागी, कंगनी, सावां, चीना, कोदो, कुटकी के उन्नत बीज उपलब्ध नहीं है। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में ही इन बीजों को विकसित करने के लिये इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च, हैदराबाद से बीज मंगाए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने डीसीआरयूएसटी में 46 लाख की लागत से स्थापित 135 फीट ऊँचे तिरंगे का किया आरोहण | हरियाणा | 18 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
16 जुलाई, 2023 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने करीब 46 लाख रुपए की लागत से राज्य के सोनीपत ज़िले के मुरथल में स्थित दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीसीआरयूएसटी) में स्थापित 135 फीट ऊँचे तिरंगे का आरोहण किया।
प्रमुख बिंदु
- साथ ही, मुख्यमंत्री ने 35 करोड़ रुपए की लागत से नवनिर्मित अटल अकादमी एवं आईडिया लैब का भी लोकार्पण किया।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि डीसीआरयूएसटी में सबसे ऊँचा राष्ट्रीय ध्वज स्थापित किया गया है, जो एक गौरव एवं प्रेरणादायी परियोजना है। यहाँ से गुज़रते वक्त हाईवे से भी यह ध्वज राष्ट्रीयता के संदेश को प्रसारित करता हुआ दिखाई देगा। इस पर लाईट की विशेष व्यवस्था की गई है, जिससे यह दिन-रात 24 घंटे चमकता रहेगा। नये नियम के तहत इसे रात्रि के समय उतारने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अन्य परियोजनाओं की चर्चा करते हुए बताया कि विज्ञान एवं वास्तुकला को समर्पित अटल अकादमी एवं आईडिया लैब से शोध को बढ़ावा मिलेगा। डीसीआरयूएसटी के नाम में ही विज्ञान शामिल है, जो विशेष रूप से विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है।
- इस परियोजना में एआईसीटीई का विशेष रूप से सहयोग मिला है। आईडिया लैब की स्थापना से नए-नए विचारों को विकसित कर विज्ञान के माध्यम से जीवनशैली में उपयोगी बनाने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने खरखोदा में किया दादा कुशाल सिंह और ब्रिगेडियर होशियार सिंह की प्रतिमा का अनावरण | हरियाणा | 18 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
16 जुलाई, 2023 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य के सोनीपत ज़िले के खरखोदा उपमंडल में दादा कुशाल सिंह और ब्रिगेडियर होशियार सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया।
प्रमुख बिंदु
- समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि ये दोनों इस इलाके की महान शख्सियत हैं और दोनों की विशेषता इनका देश के प्रति और धर्म के प्रति निष्ठावान रहना है। इनकी गुरु भक्ति और बलिदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।
- विदित है कि वर्ष 1675 में जब श्री गुरु तेग बहादुर जी ने औरंगजेब के खिलाफ बिगुल फूँका तो दादा कुशाल सिंह ने धर्म निभाकर अपने शीश का बलिदान दिया था।
- इसी तरह, ब्रिगेडियर होशियार सिंह, जिन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से नवाज़ा गया है, उन्होंने वर्ष 1965 और 1971 की लड़ाइयों में भाग लिया और अपनी वीरता का परिचय दिया।
- मुख्यमंत्री ने बताया कि ब्रिगेडियर होशियार सिंह ने युद्ध विराम होते हुए भी पीछे हटने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि आज देश की सेना में हर दसवाँ व्यक्ति हरियाणा से है जो कि प्रदेश के युवाओं की देशभक्ति के प्रति लगन का ही परिणाम है। प्रदेश में 17 लाख ऐसे परिवार हैं जो पूर्व सैनिकों से संबंध रखते हैं।
- पूर्व सैनिकों के प्रति सच्ची निष्ठा रखते हुए प्रदेश सरकार ने 1971 की लड़ाई के बाद जितनी भी लड़ाइयाँ लड़ी गईं उन सभी में हुए शहीदों के परिवारों में से पिछले 8 सालों में 367 लोगों को नौकरियाँ प्रदान की गई है।
- शहीदों के परिवार को अनुग्रह राशि के तौर पर 50 लाख, आईईडी ब्लास्ट में शहीद होने पर उनके परिवार को 50 लाख, किसी भी युद्ध में घायल, शहीद के दिव्यांग के अलग-अलग पैमाने पर 15 लाख, 25 लाख और 35 लाख रुपए की सहायता राशि मुहैया कराई जाती है।
- इनके अलावा, द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हुए परिवारों को 10,000 रुपए मासिक पेंशन भी उपलब्ध कराई जा रही है।
पूर्वी भारत का सबसे बड़ा ओपन-एयर बटरफ्लाई पार्क | झारखंड | 18 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
16 जुलाई, 2023 को भगवान बिरसा जैविक पार्क (बिरसा चिड़ियाघर) के निदेशक जब्बार सिंह ने बताया कि पूर्वी भारत का सबसे बड़ा ओपन-एयर बटरफ्लाई पार्क जल्द ही भगवान बिरसा जैविक पार्क (बीबीबीपी) में जनता के लिये खोल दिया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- यह पार्क बीबीबीपी के परिसर में एक्वैरियम के ठीक सामने 19 एकड़ की विशाल भूमि पर बनाया गया है। भगवान बिरसा जैविक पार्क रांची शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है, जिसे बिरसा चिड़ियाघर के नाम से जाना जाता है।
- बटरफ्लाई प्रेमियों को मनोरंजन के साथ-साथ शैक्षिक मूल्य प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गए इस पार्क के पहले चरण का विकास कार्य लगभग पूरा हो चुका है। इस पार्क की अनुमानित लागत दो करोड़ रुपए है।
- पहले चरण में जो विकास कार्य किये गए हैं उनमें एक बटरफ्लाई कंजर्वेटरी, इसके अलावा आवास विकास जैसे पराग पौधों का रोपण, तितली पार्क के लिये पैदल मार्ग का निर्माण, एक तालाब और एक प्रवेश द्वार शामिल है। अभी पार्क में कुछ सुधारीकरण और अन्य कार्य चल रहे हैं। आने वाले चरणों में पार्क में और सुविधाएँ जोड़ी जाएंगी। इसे एक या दो महीने में जनता के देखने के लिये खोल दिया जाएगा।
- जब्बार सिंह ने बताया कि पार्क को हरे-भरे क्षेत्र में विकसित किया गया है, जो आगंतुकों को पारिस्थितिकी (Ecology) में तितलियों के महत्त्व के बारे में जागरूक करने में मदद करेगा। स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र में जैव विविधता की बढ़ती आवश्यकता के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने में तितलियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। अच्छी संख्या में तितलियों की मौजूदगी एक उत्तम प्राकृतिक वातावरण का सूचक है।
- वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार राँची, धनबाद और जमशेदपुर जैसे शहरी क्षेत्र वाहनों और उद्योगों की बढ़ती संख्या से प्रदूषित हैं। अशांति के प्रभाव को कम करने के लिये तितली या पारिस्थितिक पार्क जैसे विषयगत उद्यान समय की मांग है। पर्यावरण में तितलियों का अस्तित्व पौधों के परागणकर्त्ता, अन्य जानवरों के लिये भोजन स्रोत और वैज्ञानिक खोजों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- निदेशक जब्बार सिंह ने बताया कि झारखंड में तितलियों की 75 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। पार्क में अनुकूल वातावरण तैयार किया जाएगा ताकि तितलियाँ प्राकृतिक रूप से विकसित हो सकें। 900 वर्ग मीटर के क्षेत्र में एक ढका हुआ कंजर्वेटरी बनाया गया है ताकि उन्हें पक्षियों और किसी अन्य शिकार से बचाया जा सके।
- चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा झारखंड में पाई जाने वाली अधिकांश प्रजातियों जैसे ट्वनी कोस्टर, सार्जेंट, बुश ब्राउन, बैरोनेट, प्लेन टाइगर, लेमन पैंसी, कॉमन सेलर और अन्य को पार्क में रखने की कोशिश की जाएगी।
- गौरतलब है कि पार्क के पहले चरण को पूरा होने में लगभग छह साल लगे। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास ने 29 जून, 2017 को पार्क की नींव रखी थी। हालाँकि, परियोजना पर काम तीन साल बाद 2020 में शुरू हुआ। कोविड-19 महामारी के कारण परियोजना के क्रियान्वयन में ज्यादा देरी हुई।
- राँची के ओरमांझी क्षेत्र में 104 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस जैविक उद्यान में स्तनधारियों, सरीसृपों और पक्षियों की 83 प्रजातियों के लगभग 1,450 जानवर हैं।
मुख्यमंत्री ने गेड़ी दौड़ को हरी झंडी दिखाकर किया छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का शुभारंभ | छत्तीसगढ़ | 18 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
17 जुलाई, 2023 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर के ग्राम पंचायत नवागाँव में ‘हरेली पर्व’के अवसर पर गेड़ी दौड़ को हरी झंडी दिखाकर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित ‘हरेली’ कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के शुभंकर ‘बछरू’को लॉन्च किया। 36 नंबर की जर्सी और गले में सोहई की माला पहने बछरू छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की पहचान बनने के साथ-साथ छत्तीसगढ़िया संस्कृति को भी प्रदर्शित कर रहा है।
- गौरतलब है कि छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के आयोजन का ये दूसरा वर्ष है और इसकी लोकप्रियता को देखते हुए इस वर्ष पहली बार रस्सी कूद और कुश्ती जैसे खेल भी इसमें शामिल किये गए हैं। इस बार छत्तीसगढ़िया ओलंपिक 16 पारंपरिक मुकाबलों के साथ 6 चरणों में संपन्न होगी।
- छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में तीन अलग-अलग आयु वर्ग में 30 लाख से ज्यादा महिला एवं पुरूष प्रतिभागी हिस्सा लेंगे और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे।
- छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेल प्रतियोगिताएँ दलीय व एकल दो श्रेणी में आयोजित होंगी। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में दलीय श्रेणी में गिल्ली डंडा, पिटेूल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी और बांटी (कंचा) जैसी खेल विधाएँ शामिल की गई हैं। वहीं एकल श्रेणी की खेल विधा में बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भँवरा, 100 मीटर दौड़, लंबी कूद, रस्सी कूद एवं कुश्ती शामिल हैं।
- छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में सबसे पहले राजीव युवा मितान क्लब स्तर पर प्रतियोगिता 17 जुलाई से शुरू हुआ जो 22 जुलाई तक नॉकआउट पद्धति से चलेगा
- वहीं दूसरा स्तर ज़ोन है, जिसमें 8 राजीव युवा मितान क्लब को मिलाकर एक क्लब बनाया जाएगा। इसका आयोजन 26 जुलाई से 31 जुलाई तक होगा। विकासखंड एवं नगरीय क्लस्टर स्तर का आयोजन 7 अगस्त से 21 अगस्त तक होगा।
- ज़िला स्तर का आयोजन 25 अगस्त से 04 सितंबर तक होगा। संभाग स्तर का आयोजन 10 सितंबर से 20 सितंबर तक होगा और अंत में राज्य स्तर खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित होंगी, जिसका आयोजन 25 सितंबर से 27 सितंबर तक होगा।
- छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में आयु वर्ग को तीन वर्गों में बाँटा गया है। इसमें प्रथम वर्ग 18 वर्ष की आयु तक, दूसरा वर्ग 18-40 वर्ष आयु सीमा तक और तीसरे वर्ग में 40 वर्ष से अधिक उम्र के प्रतिभागी शामिल होंगे। इस प्रतियोगिता में महिला एवं पुरुष दोनों वर्ग में प्रतिभागी भाग ले सकेंगे।
- छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में विकासखंड व नगरीय क्लस्टर स्तर पर विजेता प्रतिभागियों से लेकर राज्य स्तर के विजेता प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र एवं पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी। विकासखंड व नगरीय क्लस्टर स्तर पर प्रथम आने वाले विजेता खिलाड़ियों को 1000 रुपए, द्वितीय स्थान पर 750 रुपए एवं तीसरा स्थान के लिये 500 रुपए की पुरस्कार राशि एवं प्रमाण-पत्र प्रदान किये जाएंगे।
- इसी तरह ज़िला स्तर पर प्रथम आने वाल विजेता प्रतिभागियों को 2000 रुपए की राशि, द्वितीय आने पर 1500 रुपए और तीसरे स्थान के लिये 1000 रुपए की राशि सहित प्रमाण-पत्र प्रदान किये जाएंगे।
- संभाग स्तर पर विजेता प्रतियोगियों को प्रथम आने पर 3000 रुपए, द्वितीय आने पर 2500 रुपए एवं तीसरे स्थान पाने वाले खिलाड़ियों को 2000 रुपए एवं प्रमाण-पत्र प्रदान किये जाएंगे।
- राज्य स्तर पर ओलंपिक के अंतिम आयोजन में प्रथम आने वाले प्रतिभागियों को 5000 रुपए, द्वितीय आने पर 4500 रुपए एवं तीसरे स्थान पर आने वाले खिलाड़ियों को 4000 रुपए की राशि और प्रमाण-पत्र प्रदान किये जाएंगे।
- विदित है कि पिछले बार के ओलंपिक में पूरे प्रदेश में अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिला। बच्चों से लेकर बुजुर्गों, महिलाओं एवं बच्चों ने इस प्रतियोगिता में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। गाँव-गाँव में पारंपरिक खेलों के प्रति एक अच्छा वातावरण निर्मित हुआ।
- उल्लेखनीय है कि लोक संस्कृति से जुड़े छत्तीसगढ़ का पहला तिहार (त्यौहार) हरेली है, जिसे प्रदेश भर में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन किसान खेती-किसानी के उपयोग में आने वाली कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं। हरेली में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक गेड़ी का आनंद लेते हैं।
हरेला पर्व-2023 | उत्तराखंड | 18 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
17 जुलाई, 2023 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वन विभाग की ओर से देहरादून के रायपुर में स्थित अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में आयोजित हरेला पर्व का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सराहनीय प्रयास करने वाले स्कूलों और वनपंचायतों को सम्मानित भी किया।
- वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि हरेला पर्व के उपलक्ष्य में इस वर्ष प्रदेश में आठ लाख पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है। यह अभियान 15 अगस्त तक चलेगा।
- उन्होंने पौध रोपण के साथ ही उनके संरक्षण की दिशा में भी विशेष ध्यान दिये जाने की बात कही। जिस सेक्टर में वृक्षों का सक्सेस रेट सबसे अधिक होगा, उस सेक्टर के वन दरोगा को सम्मानित किया जाएगा।
- प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक ने कहा कि 15 अगस्त को 1750 गाँवों में 75-75 पौधे लगाए जाएंगे। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों से अपील की कि पर्यावरण के संरक्षण में सभी एकजुट होकर कार्य करें और पौधे लगाकर सेल्फी विद प्लांट पोस्ट करें, जिससे हम अपनी भावी पीढ़ी को बता सकें कि हमने पर्यावरण संरक्षण के लिये क्या योगदान दिया।
- कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड प्राकृतिक रूप से समृद्ध राज्य है। यहाँ का हरेला पर्व सुख, समृद्धि, शांति, पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण का प्रतीक है। यह पर्व सामाजिक सद्भाव का पर्व और ऋतु परिवर्तन का भी सूचक है। हरेला एक ऐसा ही पर्व है, जो हमारी प्रकृति से निकटता को और अधिक प्रगाढ़ बनाता है।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सर्कुलर इकोनॉमी पर काफी जोर दिया है क्योंकि जल संरक्षण के क्षेत्र में भी सर्कुलर इकोनॉमी की बड़ी भूमिका है। जब ट्रीटेड जल को फिर से उपयोग किया जाता है, ताजा जल को संरक्षित किया जाता है तो उससे पूरे ईको सिस्टम को बहुत लाभ होता है।
उत्तराखंड में हिमालय की गर्मी से बनेगी बिजली | उत्तराखंड | 18 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
17 जुलाई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में हिमालय की गर्मी से जल्द ही बिजली उत्पादन होगा। इसके लिये पहली बार भू-तापीय ऊर्जा (जियोथर्मल एनर्जी) से बिजली उत्पादन पर काम शुरू किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- हिमालय की गर्मी से बिजली बनाने के लिये राज्य सरकार व ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) जल्द ही एमओयू साइन करेंगे। जल्द ही ओएनजीसी, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और आइसलैंड जियो सर्वे के विशेषज्ञों की टीम प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर जियोथर्मल एनर्जी की संभावनाएँ तलाश करने आएगी।
- ज्ञातव्य है कि उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर भू-तापीय ऊर्जा होने की संभावना है। पूर्व के अध्ययनों में भी ये बात सामने आ चुकी है।
- गौरतलब है कि पिछले महीने ओएनजीसी ने लद्दाख में भू-तापीय ऊर्जा प्रोजेक्ट स्थापित करने के लिये आइसलैंड जियो सर्वे नामक वैज्ञानिक व शोध संस्था के साथ एमओयू साइन किया है।
- इस दौरान ओएनजीसी की निदेशक (विस्तार) सुषमा रावत ने इसे ऊर्जा ज़रूरतें पूरी करने का एक अच्छा उपाय मानते हुए कहा कि हेतु देश के अन्य राज्यों में इसकी संभावनाएँ देखी जाएंगी। इसी क्रम में, उत्तराखंड सरकार अब ओएनजीसी के साथ मिलकर राज्य में जियो थर्मल एनर्जी पर काम शुरू करने जा रही है।
- विदित है कि वर्ष 2008 में गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रो. कैलाश भारद्वाज और प्रो. एससी तिवारी का एक शोधपत्र प्रकाशित हुआ था। इसमें उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में जियो थर्मल ऊर्जा की अपार संभावनाएँ जताई गईं थीं।
- उन्होंने अपने शोध में बताया था कि हिमालय के गर्भ में 121 से 371 डिग्री सेल्सियस तक ऊर्जा छुपी हुई है, जिसका उपयोग बिजली उत्पादन में किया जा सकता है।
- उन्होंने शोध में तपोवन जियोथर्मल स्प्रिंग के निकट धौलीगंगा के तीन किलोमीटर अपस्ट्रीम एरिया तीन ड्रिल का जिक्र किया है, जहाँ से 65-90 डिग्री सेल्सियस तापमान के गर्म पानी के चश्मे निकल रहे थे। यमुनोत्री के निकट भी एक जियोथर्मल स्प्रिंग से 88-90 डिग्री सेल्सियस गर्म पानी निकलता पाया गया था।
- वैज्ञानिकों का कहना था कि बदरीनाथ, गौरीकुंड और तपोवन के जियोथर्मल क्षेत्रों को विकसित किया जा सकता है।
- वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने वर्ष 2020 में हिमाचल और उत्तराखंड में जियोथर्मल स्प्रिंग पर बड़ा अध्ययन किया था वाडिया के निदेशक कालाचंद साईं ने बताया था कि किस तरह से उत्तराखंड में 40 और हिमाचल प्रदेश में 35 गर्म पानी के चश्मे चिह्नित किये गए हैं, जो कि भविष्य में ऊर्जा उत्पादन की दृष्टि से काफी कारगर साबित हो सकते हैं।
- उल्लेखनीय है कि प्रदेश में जल विद्युत परियोजनाएँ लंबे समय से लटकी हैं। अब राज्य सरकार इसके विकल्पों पर काम कर रही है ताकि भविष्य में राज्य में बिजली ज़रूरतों के हिसाब से उत्पादन किया जा सके।
- राज्य सरकार ओडिशा में कोयले से बिजली उत्पादन करेगी। इसके लिये यूजेवीएनएल-टीएचडीसी का संयुक्त उपक्रम बनाया जा रहा है। दूसरी ओर, बारिश के पानी से बिजली के लिये राज्य में पंप स्टोरेज पॉलिसी बनाई जा रही है। जिंदल समूह ने प्रदेश में चार ज़िलों देहरादून, नैनीताल, अल्मोड़ा और चंपावत में इसके लिये सर्वेक्षण पूरा कर लिया है।
- भू-तापीय ऊर्जा से देश में 10,600 मेगावाट बिजली उत्पादन की संभावनाएँ 15 साल पहले आँकी गई थीं। केन्या में 129 मेगावाट, इथोपिया में सात मेगावाट, पापुआ न्यू गिनी में 56 मेगावाट के प्रोजेक्ट को इसके उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है। अमेरिका (3676 मेगावाट) सहित दुनिया के 20 देश आज जियोथर्मल एनर्जी से बिजली उत्पादन कर रहे हैं।
- ऐसे बनती है भू-तापीय ऊर्जा से बिजली: जियोथर्मल एरिया में ड्रिल किया जाता है। यहाँ गर्म पानी के चश्मे की भाप से टरबाइन चलाकर बिजली उत्पादन होता है। इस भाप से बनने वाला पानी दोबारा ज़मीन के भीतर ही ड्रिल करके भेज दिया जाता है।
- वर्तमान में उत्तराखंड जल विद्युत निगम (यूजेवीएन) के तहत 1396.1 मेगावाट की जल विद्युत परियोजनाएँ चल रही हैं। 440.5 मेगावाट की जल विद्युत परियोजनाओं पर निर्माण कार्य चल रहा है। इसके अलावा, सौर ऊर्जा के करीब 60 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इसके सापेक्ष बिजली की मांग कई गुना अधिक है।