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स्टेट पी.सी.एस.

  • 18 May 2023
  • 2 min read
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उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश में स्थापित होगा ‘फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड इनोवेशन इंस्टीट्यूट’

चर्चा में क्यों?

17 मई, 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश में फार्मास्युटिकल सेक्टर के विकास की संभावनाओं पर चर्चा के दौरान फार्मा सेक्टर में शोध-अनुसंधान को एवं मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिये प्रदेश में एक नवीन संस्थान फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड इनोवेशन इंस्टीट्यूट की स्थापना के लिये आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।

प्रमुख बिंदु  

  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि फार्मा मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों की संख्या में उत्तर प्रदेश देश का छठा सबसे बड़ा राज्य है, अब लक्ष्य देश में अग्रणी राज्य बनने का है। इसी प्रकार देश में फार्मा मैन्युफैक्चरिंग में अभी राज्य का योगदान 2 प्रतिशत का है, जिसे 10-12 प्रतिशत तक पहुँचाने की आवश्यकता है।  
  • उन्होंने कहा कि प्रदेश में आईआईटीआर, सीडीआरआई, सीमैप और एनबीआरआई जैसे उच्चस्तरीय शोध संस्थान क्रियाशील हैं, जबकि एसजीपीजीआई, केजीएमयू जैसे अकादमिक संस्थान भी हैं। नियोजित प्रयासों से बीते कुछ वर्षों में लखनऊ बायोफार्मा हब के रूप में उभरकर आया है।  
  • फार्मास्युटिकल सेक्टर के लिये एकेटीयू व अन्य प्राविधिक शिक्षण संस्थान मानव संसाधन उपलब्ध कराने में सक्षम हैं। प्रदेश में फार्मा पार्क निर्माण की कार्यवाही चल रही है तथा मेडिकल डिवाइस पार्क का भी निर्माण किया जाएगा।  
  • उन्होंने कहा कि दवा उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षण संस्थानों, रिसर्च लैब और इंडस्ट्री, तीनों क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ऐसे में फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड इनोवेशन इंस्टीट्यूट की स्थापना की जानी चाहिये। यह संस्थान मूलत: शोध और नवाचार पर केंद्रित होगा, साथ ही सेक्टर से संबंधित अन्य संस्थानों व इंडस्ट्री के बीच सेतु का काम करेगा। 
  • उन्होंने अधिकारियों को फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड इनोवेशन इंस्टीट्यूट के स्वरूप के संबंध में विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने और राजधानी लखनऊ में इसके लिये उपयुक्त भूमि चिह्नित करने के निर्देश दिये। 

उत्तर प्रदेश Switch to English

लखनऊ में बनेगी देश की पहली नाइट सफारी

चर्चा में क्यों? 

17 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के कुकरैल के जंगलों में सिंगापुर की तर्ज़ पर देश की पहली नाइट सफारी और नए चिड़ियाघर की स्थापना के लिये केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) ने अनुमति-पत्र जारी कर दिया है।

प्रमुख बिंदु  

  • विदित है कि कैबिनेट ने पिछले साल अगस्त में कुकरैल में नाइट सफारी बनाने और राजधानी के चिड़ियाघर को भी वहीं स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी। तभी से वन विभाग इनकी स्थापना के लिये सभी तरह की एनओसी हासिल करने व औपचारिकताएँ पूरी करने में लगा हुआ था। 
  • उल्लेखनीय है कि कुकरैल के जंगल 2027.46 हेक्टेयर में फैले हुए हैं। यहाँ 350 एकड़ में देश की पहली नाइट सफारी तैयार होगी। 150 एकड़ में प्राणि उद्यान बनेगा। इसके लिये 1000 एकड़ ज़मीन ऐसी चिह्नित की गई है, जिससे वनक्षेत्र के मूल स्वरूप को कोई नुकसान नहीं होगा। 
  • दोनों परियोजनाओं पर करीब 1500 करोड़ रुपए की लागत आएगी। सीजेडए का अनुमति-पत्र मिलने के बाद अब वन विभाग परियोजनाओं की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिये किसी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सलाहकार की सेवाएँ लेगा। 
  • सलाहकार नियुक्त करने के लिये भी खुली निविदा से प्रस्ताव मांगे जाएंगे। ये कार्य इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) मोड में किये जाएंगे। यानी, जो फर्म नाइट सफारी व चिड़ियाघर की स्थापना का ठेका लेगी, उसे तय मानकों पर सभी काम खुद करना होगा। इसके लिये ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किये जाएंगे, क्योंकि कोई विशेषज्ञ एजेंसी अभी देश में इस काम के लिये मौज़ूद नहीं है।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान हाउसिंग बोर्ड को मिला ‘द गोल्डन ग्लोब टाइगर अवार्ड्स’

चर्चा में क्यों?

16 मई, 2023 को मलेशिया के पूलमैन क्वालालमपुर सिटी सेंटर होटल एंड रेजिडेंसेस में आयोजित कार्यक्रम में वर्ल्ड एचआरडी काउंसिल के निर्णायक मंडल ने राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के दो प्रोजेक्टों का चयन ‘बेस्ट एनवायरनमेंट फ्रेंडली प्रोजेक्ट्स’और ‘बेस्ट इनोवेटिव प्रोजेक्ट ऑफ द ईयर’के रूप में करते हुए बोर्ड को ‘द गोल्डन ग्लोब अवार्ड्स फॉर एक्सीलेंस एंड लीडरशिप’से सम्मानित किया है।  

प्रमुख बिंदु  

  • आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा प्रशासनिक व्यस्तता के चलते स्वयं सम्मान समारोह में उपस्थित नहीं हो पाए अत: यह पुरस्कार मुख्य अभियंता प्रथम केसी मीणा, अतिरिक्त मुख्य अभियंता संजय पूनिया और अमित अग्रवाल ने ग्रहण किया।  
  • वर्ल्ड एचआरडी कॉन्ग्रेस ने मानसरोवर स्थित सिटी पार्क को ‘बेस्ट एनवायरनमेंट फ्रेंडली प्रोजेक्ट्स’ और प्रताप नगर स्थित कोचिंग हब को ‘एक्सीलेंस इन इनोवेशन’ की श्रेणी के लिये चयनित किया है। 
  • गौरतलब है कि राजस्थान आवासन मंडल के आयुक्त पवन अरोड़ा की अगुवाई में पिछले चार वर्षों में मंडल को कुल 17 अवार्ड मिल चुके हैं। इनमें मकान विक्रय में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, स्कॉच अवार्ड-2021, अवार्ड ऑफ एक्सीलेंसी, नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल द्वारा सम्मान, नेशनल हाउसिंग अवार्ड, आई.बी.सी. और ‘स्टार ऑफ गवर्नेंस-गोल्ड अवार्ड’ और नरेडको द्वारा दिये ‘रियल एस्टेट कॉन्क्लेव’जैसे प्रतिष्ठित अवार्ड शामिल हैं।


राजस्थान Switch to English

प्रदेश के प्रत्यक्ष प्रभार मंदिरों के अंशकालीन पुजारियों के मानदेय में वृद्धि

चर्चा में क्यों?

16 मई, 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिरों के अंशकालीन पुजारियों के मानदेय में वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।  

प्रमुख बिंदु  

  • मुख्यमंत्री ने देवस्थान विभाग के अधीन आने वाले राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिरों के अंशकालीन पुजारियों के मानदेय में वृद्धि के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी है। इससे पुजारियों का मानदेय 3 हज़ार रुपए प्रतिमाह से बढ़कर 5 हज़ार रुपए प्रतिमाह हो जाएगा।  
  • मुख्यमंत्री के इस निर्णय से पुजारियों को आर्थिक संबल मिलेगा।  
  • साथ ही, देवस्थान विभाग के अधीन 593 मंदिरों में पोशाक, रंग-रोगन, मरम्मत तथा उन्नयन संबंधी कार्यों के लिये 5.93 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रावधान को भी स्वीकृति दी है।  
  • उल्लेखनीय है कि आत्मनिर्भर मंदिरों के अंशकालीन पुजारियों का मानदेय 3 हज़ार रुपए से बढ़ाकर 5 हज़ार रुपए पूर्व में ही किया जा चुका है। 
  • प्रस्ताव के अनुसार, 390 राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिर तथा 203 राजकीय आत्मनिर्भर मंदिरों के लिये 5.93 करोड़ रुपए (प्रति मंदिर 1 लाख रुपए तक) की स्वीकृति दी गई है। उक्त स्वीकृति से मंदिरों में विभिन्न उन्नयन कार्य किये जाएंगे। 
  • राज्य सरकार द्वारा प्रदेशवासियों की आस्था को देखते हुए मंदिरों को सुदृढ़ करने के लिये पोशाक, रंग-रोगन एवं मरम्मत कार्य करवाए जा रहे हैं।   
  • मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2023-24 के बजट में पुजारियों के मानदेय में वृद्धि तथा मंदिरों के मरम्मत, उन्नयन कार्या के संबंध में घोषणा की गई थी।  

राजस्थान Switch to English

प्रत्येक संभाग में स्थापित होगा सलीम दुर्रानी आवासीय स्पोर्टस स्कूल

चर्चा में क्यों?

17 मई, 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में खेलों का वातावरण बनाने तथा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिये राज्य के प्रत्येक संभाग में सलीम दुर्रानी आवासीय स्पोर्टस स्कूल स्थापित करने के वित्तीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।

प्रमुख बिंदु  

  • प्रस्ताव के अनुसार, प्रदेश के बीकानेर, कोटा, अजमेर, उदयपुर एवं भरतपुर संभाग में सलीम दुर्रानी आवासीय स्पोर्टस स्कूल स्थापित किये जाएंगे, जिसके लिये 69.20 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई है। 
  • मुख्यमंत्री के इस निर्णय से खिलाड़ियों को खेल के लिये उपयुक्त वातारण मिल सकेगा तथा संभाग स्तर पर आवासीय स्पोर्टस स्कूल होने से खिलाड़ियों को नज़दीक ही खेल सुविधाएँ उपलब्ध हो सकेंगी। 
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने बजट वर्ष 2023-24 में प्रत्येक संभाग में स्पोर्टस स्कूल खोलने की घोषणा की थी। प्रदेश के जयपुर एवं जोधपुर संभाग में आवासीय खेल स्कूल प्रारंभ करने की स्वीकृति पूर्व में ही दी जा चुकी है।

मध्य प्रदेश Switch to English

चौथे ‘राष्ट्रीय जल पुरस्कार’ में जल संसाधनों के प्रबंधन, संरक्षण एवं संवर्धन के कार्यों में मध्य प्रदेश को ‘सर्वश्रेष्ठ राज्य’ का पुरस्कार

चर्चा में क्यों? 

17 मई, 2023 को मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय द्वारा मध्य प्रदेश को जल-संसाधन के बेहतर उपयोग, जल-संरचनाओं के संरक्षण एवं संवर्धन में उत्कृष्ट कार्य के लिये राष्ट्रीय जल पुरस्कार, 2022 की ‘सर्वश्रेष्ठ राज्य’ श्रेणी में प्रथम स्थान के लिये चुना गया है।

प्रमुख बिंदु  

  • उल्लेखनीय है कि जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा चौथे राष्ट्रीय जल पुरस्कार के अंतर्गत राज्यों, संगठनों, व्यक्तियों आदि को 11 अलग-अलग श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे। 
  • इन श्रेणियों में ‘सर्वश्रेष्ठ राज्य’, ‘सर्वश्रेष्ठ ज़िला’, ‘सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत’, ‘सर्वश्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय’, ‘सर्वश्रेष्ठ मीडिया (प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक)’, ‘सर्वश्रेष्ठ स्कूल’, ‘कैंपस उपयोग के लिये सर्वश्रेष्ठ संस्थान (संस्थान/आरडब्ल्यूए/धार्मिक/उच्च शिक्षा संगठन)’, ‘सर्वश्रेष्ठ उद्योग’, ‘सर्वश्रेष्ठ एनजीओ’, ‘सर्वश्रेष्ठ जल उपयोगकर्त्ता संघ’ और ‘सीएसआर गतिविधियों के लिये सर्वश्रेष्ठ उद्योग’ शामिल हैं।  
  • विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार विजेताओं को प्रशस्ति-पत्र, ट्रॉफी और नकद पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं। पहला, दूसरा और तीसरा स्थान पाने वाले विजेताओं के लिये नकद पुरस्कार क्रमश: 2 लाख रुपए, 1.5 लाख रुपए और 1 लाख रुपए है।
  • सर्वश्रेष्ठ राज्य श्रेणी में विभिन्न घटकों-जल जीवन मिशन एवं जल शक्ति अभियान की उपलब्धियों, जल-संसाधन के संरक्षण एवं संवर्धन के प्रयास, वाटर पॉलिसी, सिंचाई के परंपरागत तरीकों के स्थान पर माइक्रो इरीगेशन तकनीकी का प्रयोग, नवीन माइक्रो इरीगेशन प्रोजेक्ट्स का क्रियान्वयन, जल उपयोग की दक्षता (एफीशिएंसी), जल-संरचनाओं का पुनरुद्धार, सीवेज एवं औद्योगिक अपशिष्ट पानी को उपचारित कर पुन: उपयोग आदि क्षेत्रों में प्रयासों एवं उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जाता है। 
  • राष्ट्रीय जल पुरस्कार (एनडब्ल्यूए), सरकार की ‘जल समृद्ध भारत’ की परिकल्पना को पूरा करने के काम में देश भर में राज्यों, ज़िलों, व्यक्तियों, संगठनों आदि द्वारा किये गए अनुकरणीय कार्यों और प्रयासों की पहचान करने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिये दिये जाते हैं।  
  • इसका उद्देश्य जनता को पानी के महत्त्व के बारे में जागरूक करना और उन्हें सर्वोत्तम जल उपयोग प्रथाओं को अपनाने के लिये प्रेरित करना है।  
  • राष्ट्रीय जल पुरस्कारों का उद्देश्य हितधारकों को देश में जल संसाधन प्रबंधन के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना है, क्योंकि सतही जल और भूजल जल चक्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  
  • इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिये विभाग ने वर्ष 2018 में राष्ट्रीय जल पुरस्कारों का पहला संस्करण पेश किया। पुरस्कार वितरण समारोह 25 फरवरी, 2019 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया और 14 श्रेणियों के तहत 82 विजेताओं को सम्मानित किया गया।  
  • दूसरा राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2019 में आयोजित किया गया, जिसमें भारत के उपराष्ट्रपति ने 16 श्रेणियों में 98 विजेताओं को 11-12 नवंबर, 2020 को सम्मानित किया।  
  • तीसरा राष्ट्रीय जल पुरस्कार 29 मार्च, 2022 को आयोजित किया गया, जिसमें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 11 श्रेणियों में 57 विजेताओं को सम्मानित किया। तीसरे राष्ट्रीय जल पुरस्कार में जल संरक्षण की दिशा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिये ‘सर्वश्रेष्ठ राज्य’ श्रेणी में उत्तर प्रदेश को पहला पुरस्कार मिला था। 

हरियाणा Switch to English

रोहतक और गौड़ ब्राह्मण विद्या प्रचारिणी सभा के बीच समझौते का हुआ आदान-प्रदान

चर्चा में क्यों?

16 मई, 2023 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की उपस्थिति में नगर निगम रोहतक की 15.37 एकड़ भूमि गौड़ ब्राह्मण विद्या प्रचारिणी सभा को 2 लाख रुपए प्रति वर्ष की दर से 33 वर्षों की लीज पर आवंटित करने हेतु नगर निगम रोहतक और गौड़ ब्राह्मण विद्या प्रचारिणी सभा के बीच समझौता हुआ और दस्तावेज़ एक्सचेंज किये गए।

प्रमुख बिंदु  

  • गौड़ ब्राह्मण विद्या प्रचारिणी सभा की लंबे समय से चली आ रही इस मांग को पूरा किया गया है, जिससे इस भूमि का उपयोग मौज़ूदा शैक्षणिक संस्थान के विस्तार के लिये किया जाएगा। 
  • सभा के पदेन सचिव डॉ. जयपाल शर्मा ने बताया कि सभा 100 से अधिक शिक्षण संस्थाएँ चला रही हैं और समाज के सभी वर्गों को शिक्षा प्रदान कर रही है। वर्तमान में संस्था द्वारा एक स्नातक महाविद्यालय, 1 बी.ए. महाविद्यालय तथा 1 विद्यालय चलाया जा रहा है। इन संस्थानों में लगभग 3700 छात्र अध्ययन कर रहे हैं। 
  • विदित है कि गौड़ ब्राह्मण विद्या प्रचारिणी सभा को वर्ष 2008 में पहरावर ज़मीन लीज़ पर दी गई थी, लेकिन उसके बाद नगर निगम रोहतक बना और यह ज़मीन निगम के अधीन आ गई। लीज़ राशि का भी भुगतान नहीं हुआ। इस बीच हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने ज़मीन का अधिग्रहण किया, विवाद बढ़ा और एचएसवीपी ने ज़मीन को रिलीज़ कर दिया। 
  • हाल ही में करनाल में आयोजित भगवान परशुराम महाकुंभ में इस ज़मीन को नए सिरे से गौड़ ब्राह्मण विद्या प्रचारिणी सभा को देने की घोषणा की गई थी। कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव को मंज़ूरी देकर अब स्वीकृति-पत्र एवं लीज़ दस्तावेज़ सभा को सौंपे गए हैं। 
  • सभा इस ज़मीन का उपयोग शिक्षण संस्थान बनाने के लिये करेगी। लीज़ में 5 साल का समय दिया गया है। यदि 5 साल में भी संस्थान का निर्माण नहीं हो पाता तो और 5 साल का समय दिया जाएगा। 
  • उल्लेखनीय है कि भगवान परशुराम महाकुंभ के दौरान कई घोषणाएँ की गई जिसमें से अधिकांश पूरी हो गई हैं। इनमें भगवान परशुराम के नाम पर एक विशेष स्मारक डाक टिकट जारी करना, कैथल में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज का नाम भगवान परशुराम के नाम पर करना और परशुराम जयंती पर राजपत्रित अवकाश की घोषणा करना शामिल है।  
  • इसके अलावा, पुजारी-पुरोहित कल्याण बोर्ड की स्थापना का काम पाइपलाइन में है, जिसे जल्द ही पूरा किया जाएगा।


हरियाणा Switch to English

हरियाणा वन विभाग लगाएगा 3 लाख 78 हज़ार 250 पौधे

चर्चा में क्यों?

16 मई, 2023 को हरियाणा वन विभाग के एक प्रवक्ता द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश को हरा-भरा बनाने के लिये 90 किस्मों के 3 लाख 78 हज़ार 250 पौधे लगाए जाएंगे, जिन्हें मानसून की पहली बारिश के बाद लगाया जाएगा।  

प्रमुख बिंदु  

  • पौधारोपण में मुख्य रूप से औषधीय पौधे, फल देने वाले, छाया देने वाले व लकड़ी देने वाले पौधे लगाए जाएंगे। 
  • प्रवक्ता ने बतया कि पंचायती ज़मीन, मुख्य मार्ग, स्कूल, कॉलेज, श्मशान घाट, खेल के मैदान, सरकारी शिक्षण संस्थान आदि में मानसून आने के बाद पौधारोपण किया जाएगा। पौधारोपण में पौधागिरि के तहत 75 हज़ार, जल शक्ति के तहत 1 लाख व 75 हज़ार पौधे नि:शुल्क दिये जाएंगे। 
  • इस कार्य में जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों, विद्यालयों का भी सहयोग लिया जाएगा। 
  • विदित है कि पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिये पौधारोपण ज़रूरी है। पौधे हवा को शुद्ध करते हैं, पानी का संरक्षण करते हैं, जलवायु नियंत्रण में मदद करते हैं व मिट्टी को संरक्षित करने के अलावा पर्यावरण को कई अन्य तरीकों से भी लाभान्वित करते हैं। 
  • पौधे जीवन देने वाली ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और जानवरों द्वारा छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं। ये फल, लकड़ी, फाइबर, रबर आदि और भी बहुत कुछ प्रदान करते हैं। पेड़ हवा से कणों को फिल्टर भी करते हैं, इस प्रकार इसे स्वच्छ और जहरीले पदार्थों से मुक्त बनाते हैं।

झारखंड Switch to English

‘मुख्यमंत्री ग्रामीण गाड़ी योजना’

चर्चा में क्यों?

16 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड में दूर-दराज के दुर्गम ग्रामीण इलाकों में लोगों को सुलभ परिवहन मुहैया कराने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री ग्रामीण गाड़ी योजना’की शुरुआत होने जा रही है।  

प्रमुख बिंदु  

  • इस योजना के तहत वैसे इलाकों में सरकार वाहन चलाएगी जहाँ लोगों को प्रखंड या ज़िला मुख्यालय जाना हो तो गाड़ी पकड़ने के लिये कम से कम 25 किमी. की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती है।  
  • विदित है कि प्रदेश में दूर-दराज के इलाकों से ग्रामीण प्रखंड या ज़िला मुख्यालय पहुँचने के लिये अपने घर से तड़के ही निकल पड़ते हैं। 20-25 किमी. का सफर पैदल तय करने के बाद मुख्य सड़क तक पहुँचते हैं और तब उन्हें वाहन मिलता है।  
  • प्रखंड या ज़िला मुख्यालय में काम निपटाकर घर वापस लौटने में अक्सर देर रात हो जाती है। ऐसे में उनका समय और खर्च बचाने के लिये राज्य सरकार ‘मुख्यमंत्री ग्रामीण गाड़ी योजना’शुरू करने पर विचार कर रही है। इसके लिये सभी ज़िलों में वाहन मालिकों से बातचीत जारी है। 
  • सभी ज़िला परिवहन पदाधिकारियों ने वाहन मालिकों के साथ पहले दौर की बैठक कर ली है। वाहन मालिकों को ‘मुख्यमंत्री ग्रामीण गाड़ी योजना’से अवगत कराया है। वहीं, वाहन मालिकों ने भी विभाग को अपनी चिंता और समस्याओं से अवगत कराया है।  
  • विभाग ने आश्वासन दिया है कि जिन रूट्स पर वाहन चलाना है उसका विशेष परमिट दिया जाएगा और वाहन मालिकों का हित भी देखा जाएगा।  
  • गौरतलब है कि पिछले दिनों कैबिनेट की मीटिंग में राज्य सरकार ने राज्य के सुदूर ग्रामीण इलाकों में वाहन चलाने का प्रस्ताव पास किया था। परिवहन मंत्रालय ने ज़िला डीटीओ के साथ मिलकर उन इलाकों की पहचान भी कर ली है जहाँ वाहन चलाया जाना है।  
  • ज्ञातव्य है कि झारखंड में अधिकांश इलाका वनक्षेत्र है। सुदूर पहाड़ी गाँव हैं। वहाँ तक पहुँचना काफी दुर्गम है। लोगों को वाहन पकड़ने के लिये कई किमी. चलना पड़ता है। खासतौर पर महिलाओं के लिये यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी काफी खतरनाक है।


उत्तराखंड Switch to English

राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को वापस लेगी सरकार

चर्चा में क्यों?

16 मई, 2023 को उत्तराखंड की खेल मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि राज्य के पहले राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को 30 साल के लिये लीज पर देने के बाद सरकार अब इसे वापस लेगी। विभाग को इसके लिये सरकार से सैद्धांतिक सहमति मिल गई है।  

प्रमुख बिंदु  

  • विभाग के अधिकारियों के अनुसार कंपनी ने तय सेवा शर्तों को पूरा नहीं किया। यही वजह है कि स्टेडियम को वापस लिया जा रहा है। 
  • खेल विभाग के निदेशक जितेंद्र सोनकर के मुताबिक, वर्ष 2016-17 में करीब 253 करोड़ रुपए की लागत से इस स्टेडियम का निर्माण किया गया था। यह राज्य का पहला अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम है, जिसे कुछ शर्तों के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी को लीज पर दिया गया था।  
  • विदित है कि यह कंपनी देश की प्रमुख अवसंरचना विकास और वित्त कंपनी है। सरकारी क्षेत्र की इस कंपनी की 40 सहायक कंपनियाँ हैं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम को लीज पर लेने के बाद कंपनी का दिवालिया निकल गया और उसने सेवा शर्तों को पूरा नहीं किया। 
  • कंपनी की ओर से एक ऐसा खाता खोला जाना था, जिसमें जमा धनराशि को बिना सहमति के निकाला नहीं जा सकता था, लेकिन खाता नहीं खोला गया। कंपनी को स्टेडियम परिसर में 2.8 एकड़ भूमि पर खेल अवस्थापनाओं के विकास के लिये दी गई थी, इसे भी पूरा नहीं किया गया। इसके अलावा महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कालेज में आइस स्केटिंग रिंक को संचालित किया जाना था, इसे भी शुरू नहीं किया गया। 
  • साढ़े सात प्रतिशत ग्रॉस राजस्व पर दिये इस स्टेडियम को लेकर जो सेवा शर्तें थीं उसे पूरा न किये जाने से करोड़ों की लागत से बने इस स्टेडियम का ठीक से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा था। यही वजह है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में स्टेडियम को वापस लेने और इसका प्रस्ताव कैबिनेट में लाने की मंजूरी मिली है। 
  • गौरतलब है कि अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने देहरादून स्थित राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को वर्ष 2018 में होमग्राउंड के तौर पर अपनाया था। उस दौरान यहाँ कई टी-20 अंतर्राष्ट्रीय मैच हुए। इसके अलावा क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने भी स्टेडियम को होमग्राउंड के रूप में चुना था। 
  • राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को वापस लेने के बाद इसे पीपीपी मोड में दिया जाएगा। संबंधित कंपनी से जो लेनदेन है उसे कैबिनेट में लाया जाएगा।


छत्तीसगढ़ Switch to English

गोबर पेंट से बनी पेंटिंग लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज

चर्चा में क्यों?

16 मई, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में विश्व पृथ्वी दिवस पर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में इको क्लब के विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई गोबर की पेंटिंग को ‘लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड’में दर्ज किया गया है।  

प्रमुख बिंदु  

  • इको क्लब के विद्यार्थियों द्वारा गोबर पेंट से एक घंटे में 3600 वर्ग फीट की पेंटिंग बनाई गई, जिसे ‘गोबर पेंट से बनी सबसे बड़ी पेंटिंग’के रूप में ‘लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड’ में दर्ज किया गया है। 
  • गौरतलब है कि विश्व पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल, 2023 के अवसर पर इको क्लब के विद्यार्थियों ने ‘इनवेस्ट इन आवर प्लैनेट’थीम पर लाईफ अभियान के तहत एक घंटे में यह पेंटिंग बनाई थी।  
  • यह पेंटिंग राजधानी रायपुर के एक मॉल में 100 से अधिक बच्चों ने बनाई थी।  
  • छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण पर 2 दिवसीय जागरूकता अभियान भी चलाया गया था।


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