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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 18 Mar 2023
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हरदोई में प्रस्तावित मेगा टेक्सटाइल पार्क को मंजूरी

चर्चा में क्यों?

17 मार्च, 2023 को भारत सरकार ने वस्त्र उद्योग के लिये 7 पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्र) पार्क स्थापित करने के लिये स्थलों की घोषणा की, जिसमें उत्तर प्रदेश का हरदोई ज़िला भी शामिल है।

प्रमुख बिंदु 

  • प्रदेश के हरदोई ज़िले में 1200 करोड़ की लागत से 1000 एकड़ में मेगा टेक्सटाइल पार्क बनने से वस्त्रोद्योग से जुड़े सारे कार्य व सुविधाएँ एक ही परिसर में उपलब्ध होंगी। इससे प्रदेश में 10 हजार करोड़ रुपए के निवेश व लाखों लोगों को रोज़गार मिलने की उम्मीद है।
  • पीएम मित्र के तहत उत्तर प्रदेश के हरदोई ज़िले में बनने वाले पार्क का नाम संत कबीर पीएम मित्र टेक्सटाइल एंड अपैरल पार्क होगा। इसके लिये प्रदेश को पाँच अरब रुपए मिलेंगे।
  • उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने देश के सात राज्यों तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में पीएम मित्र (प्रधानमंत्री मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल) पार्क स्थापित करने की मंजूरी दी है।
  • इन 7 स्थलों को पीएम मित्र पार्कों के लिये 18 प्रस्तावों में से चुना गया था, जो 13 राज्यों से प्राप्त हुए थे। इसके लिये पात्र राज्यों और स्थलों का मूल्यांकन एक पारदर्शी चयन प्रणाली द्वारा किया गया था, जो कनेक्टिविटी, मौजूदा इकोसिस्टम, वस्त्र/उद्योग नीति, इंफ्रास्ट्रक्चर, उपयोगिता सेवाओं आदि जैसे विभिन्न प्रकार के कारकों को ध्यान में रखते हुए वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर किया गया था।
  • इसके लिये पीएम गति शक्ति- बहु-राष्ट्रीय मास्टर प्लान के सत्यापन के लिये मोडल कनेक्टिविटी का भी उपयोग किया गया था।
  • केंद्र और राज्य सरकार के स्वामित्व वाली एक स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) प्रत्येक पार्क के लिये स्थापित की जाएगी, जिसमें 51 प्रतिशत अंश उत्तर प्रदेश सरकार का जबकि 49 प्रतिशत अंश भारत सरकार का होगा। एसपीवी परियोजना के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी।
  • वस्त्र मंत्रालय पार्क एसपीवी को विकास के लिये पूंजीगत सहायता के तौर पर प्रति पार्क 500 करोड़ रुपए तक की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
  • पीएम मित्र पार्क में इकाइयों का तेजी से कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करने के लिये प्रति पार्क 300 करोड़ रुपए तक का प्रतिस्पर्धी प्रोत्साहन समर्थन (सीआईएस) भी प्रदान किया जाएगा। मास्टर डेवलपर और निवेशक इकाइयों को अतिरिक्त प्रोत्साहन सुनिश्चित करने के लिये भारत सरकार की अन्य योजनाओं के साथ सम्मिश्रण की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
  • प्रदेश में टेक्सटाइल पार्क को पीपीपी मोड पर विकसित किया जाएगा। हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग को इसके लिये नि:शुल्क भूमि उपलब्ध करा दी गई है। एसपीवी में अपर मुख्य सचिव, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग, उत्तर प्रदेश शासन को मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
  • इस पार्क से लगभग 1 लाख प्रत्यक्ष एवं 2 लाख परोक्ष रोज़गार सृजित होने की उम्मीद है।

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एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित होंगे प्रदेश के 5 बस अड्डे

चर्चा में क्यों?

16 मार्च, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के बस अड्डों को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित करेगी। इसके लिये पीपीपी मॉडल के तहत निजी डेवलपरों द्वारा पहले चरण में 23 बस अड्डों के विकास की योजना के तहत पाँच बस अड्डों के लिये चयन प्रक्रिया संपन्न की गई है। 

प्रमुख बिंदु 

  • इन पाँच बस अड्डों को एयरपोर्ट की तर्ज पर सँवारने के लिये उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) को 1000 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुआ है।
  • इस निवेश के माध्यम से इन पाँचों स्थानों पर 2000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर सृजित होने की संभावना है। जल्द ही बाकी बचे बस अड्डों के लिये भी निजी डेवलपरों के चयन की कार्रवाई होगी।
  • विभाग को फरवरी में समाप्त हुई बिड प्रक्रिया के माध्यम से निवेश के कई प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिसमें वे निवेशक भी शामिल हैं, जिन्होंने यूपीजीआईएस में प्रस्ताव दिये थे।
  • मुख्य सचिव की अगुवाई वाली कमेटी ऑफ सेक्रेटरीज और फिर कैबिनेट के अनुमोदन के बाद इस पर काम शुरू हो जाएगा। अनुमान है कि इस माह के अंत तक उन्हें अनुमति पत्र (एलओआई) जारी कर दिया जाएगा।
  • जिन पाँच बस अड्डों को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित किये जाने के लिये डेवलपरों का चयन किया गया है, उनमें कौशांबी बस स्टेशन, लखनऊ का विभूति खंड बस स्टेशन, प्रयागराज का सिविल लाइंस बस स्टेशन, गाजियाबाद का पुराना बस स्टेशन और आगरा फोर्ट बस स्टेशन शामिल हैं।
  • इन बस स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिये ओमेक्स व एसपीजी बिल्डर्स समेत कई अन्य बिल्डर्स की बिड शामिल रही हैं। इनके माध्यम से जो निवेश प्रस्ताव मिले हैं उनके अनुसार कौशांबी बस स्टेशन में 245 करोड़, लखनऊ के विभूति खंड में 307 करोड़, प्रयागराज के सिविल लाइंस में 276 करोड़, पुराना गाजियाबाद बस स्टेशन में 114 करोड़ और आगरा फोर्ट बस स्टेशन में 22 करोड़ रुपए का निवेश होगा।
  • प्रदेश में बस स्टेशन को अब बस अड्डा कहकर संबोधित नहीं किया जाएगा। अब ये एयरपोर्ट की तरह ही बस पोर्ट कहलाएंगे। परिवहन निगम ने विभागीय कामकाज में इस शब्द का इस्तेमाल भी शुरू कर दिया है।
  • इसमें पब्लिक अनाउंसमेंट की भी व्यवस्था होगी, जबकि वीआईपी लाउंज, कैफेटेरिया, फूड कोर्ट, शॉपिंग मॉल्स, वेटिंग एरिया, एस्केलेटर, लिफ्ट जैसी सुविधाएँ भी इसमें विकसित की जाएंगी।
  • विभाग की भूमि पर 30 प्रतिशत हिस्से में ये डेवलपर्स मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में इसका संचालन करेंगे। बाकी बचे 70 प्रतिशत स्थान पर बसों का आवागमन और पार्किंग रहेगी। इन बस पोर्ट के मेंटेनेंस का कार्य इन्हीं डेवलपर्स के पास होगा।
  • बस स्टेशनों के आधुनिकीकरण के अलावा एक अन्य श्रेणी में कैटेगरी में भी परिवहन निगम को निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। यह श्रेणी आईटी से संबंधित है।
  • रोडवेज के जीएम (आईटी) यजुवेंद्र कुमार ने बताया कि जिन कंपनियों ने इस श्रेणी में रुचि दिखाई है उनमें एक कंपनी पेटीएम भी है जो एनसीएमसी कार्ड लांच करना चाहती है। यह कार्ड मेट्रो के मंथली कार्ड जैसा होगा, जिससे बार-बार टिकट लेने की आवश्यक्ता नहीं होगी।       

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