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बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 16 Mar 2023
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बिहार में लागू हुआ फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन

चर्चा में क्यों?

15 मार्च, 2023 को बिहार राज्य फार्मेसी काउंसिल के नवनिर्वाचित सदस्य अर्जेश राज श्रीवास्तव ने बताया कि देश के अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन-2015 लागू हो गया। फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन को लागू करने वाला बिहार देश का चौथा राज्य बन गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन के लागू होने की जानकारी पटना उच्च न्यायालय को दी है। इसके लागू होते ही अब बिहार में फॉर्मा क्लीनिक खुलने का भी रास्ता साफ हो गया है। इस क्लीनिक के खुलने से दवाखाने में विक्रेता दवाओं की जानकारी देने पर शुल्क वसूल सकेंगे।
  • विदित है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से हाल ही में फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 और संशोधन 2021 के सभी प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने का आदेश जारी किया गया है। यह कानून अभी देश के तीन राज्यों- केरल, कर्नाटक और दिल्ली में लागू है।
  • उल्लेखनीय है कि यह रेगुलेशन भारत के राजपत्र में 16 जनवरी, 2015 को ही अधिसूचित किया गया।
  • ज्ञातव्य है कि इस रेगुलेशन को लागू करने के लिये बिहार के एक फार्मासिस्ट मुकेश कुमार ने पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। यहाँ से पक्ष में फैसला नहीं आने पर सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई। अंतत: सर्वोच्च न्यायालय ने पटना उच्च न्यायालय को बिहार में फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन का अनुपालन हो रहा है या नहीं, इसे देखने का निर्देश दिया। इसी क्रम में राज्य सरकार ने फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन लागू करने संबंधी आदेश जारी कर दिया।
  • बिहार राज्य फार्मेसी काउंसिल के नवनिर्वाचित सदस्य अर्जेश राज श्रीवास्तव ने बताया कि इस केंद्रीय विधान के प्रभाव में आते ही बिहार फार्मासिस्ट संवर्ग नियमावली प्रभावहीन हो गई है। फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन के लागू होने से फार्मेसी निर्देशालय के गठन का रास्ता साफ हो गया है।
  • फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन में फार्मासिस्ट, सीनियर फार्मासिस्ट, चीफ फार्मासिस्ट और औषधि सूचना भेषजज्ञ के पदों का सृजन होगा। साथ ही इन विभिन्न पदों की योग्यता, इनका प्रयोजन, कर्तव्य, पर्यवेक्षण, औषधियों का उचित भंडारण, प्रबंधन, वितरण, उचित उपयोग, रोगी की देखभाल, समीक्षा मूल्यांकन हेतु दिशा-निर्देश दिया गया है।
  • इसके अंतर्गत सृजित पदों का कार्यस्थल भी तय होगा। विशेषज्ञों के अनुसार इस रेगुलेशन के अक्षरश पालन होने से स्वस्थ बिहार की कल्पना को साकार करने में मदद मिलेगी।
  • फार्मेसी प्रैक्टिस हेतु फार्मासिस्टों को उनके कार्य क्षेत्र के अनुसार चार समूह (कम्युनिटी फार्मासिस्ट, हॉस्पिटल फार्मासिस्ट, ड्रग इन्फॉर्मेशन फार्मासिस्ट और क्लिनिकल फार्मासिस्ट) में बाँटा गया है।
  • धारा - 5 के अनुसार राज्य फार्मेसी काउंसिल राज्य में दवा निर्माण और वितरण के स्थलों की जाँच कर सकता है। दवा निर्माण और वितरण वाले स्थल पर फार्मासिस्ट कार्यरत हैं कि नहीं, इसकी जाँच कर इसकी सूचना काउंसिल के निबंधक के माध्यम से राज्य व केंद्रीय फार्मेसी काउंसिल को सूचना दी जानी है। इससे अवैध दवा कारोबार पर भी अंकुश लगेगा।

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