बिहार Switch to English
बिहार विधानमंडल में प्रबोधन कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
17 फरवरी, 2022 को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानमंडल के विस्तारित भवन स्थित सेंट्रल हॉल में विधानमंडल सदस्यों के लिये आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित किया।
प्रमुख बिंदु
- प्रबोधन कार्यक्रम का विषय था- ‘लोकतंत्र की यात्रा में विधायकों का उन्मुखीकरण एवं उत्तरदायित्व’।
- बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष एवं स्थापना दिवस के अवसर पर यह कार्यक्रम संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, लोकसभा तथा बिहार विधानसभा, सचिवालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया है।
- गौरतलब है कि वर्ष 2006 में पहला प्रबोधन कार्यक्रम हुआ था, जिसमें तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी मारगेट अल्वा शामिल हुई थीं। उस समय बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी थे।
- वर्ष 2011 के दूसरे प्रबोधन कार्यक्रम में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली शामिल हुए थे। तीसरे प्रबोधन कार्यक्रम में संसदीय मामले के विशेषज्ञ जे.सी. मल्होत्रा शामिल हुए थे।
- विदित है कि 22 मार्च, 1912 को बंगाल से बिहार और उड़ीसा अलग हुए तथा 1920 में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था। 7 फरवरी, 1921 को विधानमंडल की पहली बैठक हुई थी। विधानमंडल भवन के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में हाल ही में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
- अक्तूबर 2021, में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद शामिल हुए थे। उन्होंने बिहार विधानसभा परिसर में शताब्दी स्मृति स्तंभ का शिलान्यास किया था और बोधगया से लाए गए पवित्र बोधिवृक्ष के शिशु पौधे का रोपण किया था।
राजस्थान Switch to English
मुख्यमंत्री ने किया ‘राजस्थान स्वायत्त शासन’पत्रिका का विमोचन
चर्चा में क्यों?
17 फरवरी, 2022 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री निवास पर राजस्थान स्वायत्त शासन संस्था की पत्रिका ‘राजस्थान स्वायत्त शासन’ का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने पत्रिका के प्रकाशन के लिये संस्था के अध्यक्ष केवल चंद गुलेच्छा सहित अन्य पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि स्वायत्त शासन संस्थाओं के साथ ही अन्य विभागों के लिये भी यह पत्रिका संदर्भ पुस्तिका के रूप में उपयोगी साबित होगी।
- इस पुस्तक से स्वायत्तशासी संस्थाओं से जुड़े कार्यों के संबंध में आमजन को आवश्यक जानकारियाँ मिल सकेंगी।
- संस्था के सचिव पूर्व आईएएस प्रदीप बोरड़ ने बताया कि पत्रिका में स्वायत्तशासी संस्थाओं से संबंधित आदेश, निर्देश, परिपत्रों के साथ ही अन्य उपयोगी जानकारियों का समावेश किया गया है।
मध्य प्रदेश Switch to English
MPPSC परीक्षा में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर रोक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एमपीपीएससी परीक्षा में पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 27 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा दी है।
प्रमुख बिंदु
- हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और एमपीपीएससी को नोटिस जारी करते हुए ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण देने के निर्देश दिये हैं। साथ ही 27 प्रतिशत ओबीसी को आरक्षण देने पर स्पष्टीकरण भी मांगा है।
- याचिका में कहा गया कि ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने से कुल आरक्षण 63 प्रतिशत हो जायेगा। जो कि इंदिरा साहनी वाद में दिये गए आदेश का उल्लंघन है।
- गौरतलब है कि सामान्य वर्ग की छात्रा निहारिका त्रिपाठी ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर में 27 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ एक याचिका दायर की थी, जिसमें एमपीपीएससी द्वारा 31 दिसंबर, 2021 को जारी परीक्षा परिणाम को चुनौती दी थी।
- मध्य प्रदेश सरकार ने अगस्त 2021 में राज्य में पिछड़ा वर्ग के लिये विद्यार्थियों के 14 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था।
- सरकार द्वारा ओबीसी को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में पहले की तरह 14 प्रतिशत आरक्षण जारी रखने के लिये मार्च 2019 में अंतरिम आदेश दिया था। साथ ही हाईकोर्ट ने एमपीपीएससी के द्वारा विभिन्न पदों की परीक्षाओं की चयन सूची में भी ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने का अंतरिम आदेश दिया था।
- इसके अतिरिक्त हाईकोर्ट ने चार अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी।
- मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण के समर्थन में ईडब्ल्यूएस आरक्षण, न्यायिक सेवा में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण, एनएचएम भर्ती और महिला आरक्षण के संबंध में भी याचिकाएँ दायर की गई थीं। इन सभी याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसके बावजूद मध्य प्रदेश सरकार ने 31 दिसंबर, 2021 को एमपीपीएससी का परीक्षा परिणाम 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ जारी कर दिया था।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को मिले 6 नए जज
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ के मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ ने 6 नए जजों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलवाई।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने राष्ट्रपति को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 6 नए जजों की नियुक्ति की सिफारिश की थी। इन नए जजों में 3 वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और 3 न्यायिक अधिकारी हैं।
- अधिवक्ता वर्ग में जबलपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह बटेी, ग्वालियर के अधिवक्ता डीडी बंसल और इंदौर के अधिवक्ता मिलिंद रमेश फड़के को हाईकोर्ट में जज बनाया गया हैं।
- वहीं न्यायिक अधिकारी वर्ग में उज्जैन के प्रधान ज़िला जज प्रकाश चंद्र गुप्ता, इंदौर के न्यायिक अधिकारी दिनेश कुमार पालीवाल और बालाघाट के ज़िला जज अमरनाथ केसरवानी को हाईकोर्ट जज बनाया गया है।
- विदित है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या 53 है, लेकिन वर्तमान में 29 जज कार्यरत् थे, 6 नए जजों की नियुक्ति के बाद एमपी हाईकोर्ट में कार्यरत् जजों की संख्या बढ़कर 35 हो गई।
- हाईकोर्ट में जजों की संख्या बढ़ने से मुकदमों के निराकरण में तेज़ी आएगी।
हरियाणा Switch to English
आशा वर्कर्स को सबसे ज़्यादा मानदेय दे रहा हरियाणा
चर्चा में क्यों?
17 फरवरी, 2022 को हरियाणा सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा सरकार आशा कार्यकर्त्ताओं की जायज मांगों को लेकर बहुत संजीदा है, जिन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- प्रवक्ता के अनुसार हरियाणा सरकार विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर पारिश्रमिक प्रदान कर रही है, जो कि देश भर में सर्वाधिक है। इसी कड़ी में हरियाणा सरकार अन्य राज्यों की तुलना में आशा वर्कर्स को सर्वोत्तम पारिश्रमिक देने में भी शीर्ष पर है।
- संपूर्ण देश में हरियाणा की आशा कार्यकर्त्ताओं को राज्य सरकार द्वारा सबसे अधिक मानदेय राज्य बजट से दिया जा रहा है।
- वर्तमान में हरियाणा राज्य में कुल 20,001 आशा कार्यकर्त्ता, आशा पे-ऐप (ASHA PayApp) पर रजिस्टर्ड हैं, जिन्हें भारत सरकार के नियमानुसार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत ‘विभिन्न गतिविधियाँ करने के उपरांत केवल परफॉरमेंस बेस्ड इंसेंटिव’दिये जाने का प्रावधान है।
- परंतु हरियाणा सरकार ने राज्य बजट से आशा कार्यकर्त्ताओं के लिये अतिरिक्त मानदेय हेतु 154.45 करोड़ रुपए का प्रावधान निम्नलिखित रूप में किया हुआ है-
- 4000 रुपए मासिक निश्चित मानदेय
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्य-आधारित अर्जित मासिक राशि का 50 प्रतिशत अतिरिक्त मानदेय।
- कार्य-आधारित 7 प्रमुख गतिविधियों के लिये 750 रुपए अतिरिक्त मानदेय।
- आशा की मृत्यु उपरांत परिवार की आर्थिक सहायता के लिये तीन लाख रुपए।
- मार्च से नवंबर, 2021 तक 5033 (25.16 प्रतिशत) आशा कर्मियों को प्रति माह 10,000 रुपए से अधिक मानदेय दिया गया है, जिसमें से 38 आशा कर्मियों को प्रति माह 18,000 रुपए से अधिक, 318 आशा कर्मियों को 18,000 रुपए से 14,000 रुपए तक तथा 4677 आशा कर्मियों को 14,000 रुपए से 10,000 रुपए तक प्रति माह दिया गया है।
- इसी प्रकार, शेष 14968 आशा कर्मियों को 10000 रुपए से 6000 रुपए प्रति माह तक दिया गया है, जिनमें से 6000 रुपए प्रति माह लेने वाली आशा कर्मियों की संख्या पूरे राज्य में केवल 20 है।
- वहीं देश में सबसे पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (हरियाणा) द्वारा आशा वर्कर को एंड्रॉइड बेस्ड स्मार्ट फोन सीयूजी सिम 30 जीबी डाटा एवं असीमित टॉक-टाइम के साथ उपलब्ध करवाए गए हैं। ऐसा करने वाला हरियाणा देश का पहला प्रदेश है।
- उल्लेखनीय है कि आशा कार्यकर्त्ताएँ समाज के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करवाती हैं, परंतु राज्य में उनके स्वास्थ्य-कल्याणार्थ कोई योजना नहीं थी, इसीलिये हरियाणा सरकार ने उन्हें AB-PMJAY का लाभ देने निर्णय किया, इसके तहत आशा और उसके परिवार के सदस्यों को हरियाणा सरकार द्वारा पंजीकृत अस्पतालों में पाँच लाख रुपए प्रति वर्ष तक का इलाज करवाने कि सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा में निजी क्षेत्र में 75 फीसदी आरक्षण पर हाईकोर्ट की रोक को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द
चर्चा में क्यों?
17 फरवरी, 2022 को निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण देने के कानून पर रोक लगाने वाले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से कहा है कि एक महीने के अंदर इस मामले में निर्णय लेकर राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए और इस दौरान रोज़गार दाताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम न उठाया जाए।
- विदित है कि 15 जनवरी, 2021 को हरियाणा सरकार ने हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों का रोज़गार अधिनियम, 2020 राज्य में लागू किया था। यह कानून नौकरी चाहने वालों को निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है, जो ‘हरियाणा राज्य के निवासी’हैं।
- इसके बाद 3 फरवरी, 2022 को हाईकोर्ट ने इस निर्णय पर रोक लगा दी थी। फरीदाबाद इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के साथ अन्य ने हाईकोर्ट को बताया था कि उनके यहाँ कर्मचारियों का चयन योग्यता के अनुसार किया जाता है। हाईकोर्ट से कहा गया कि अगर कंपनियाँ अपने मनपसंद कर्मचारी नहीं चुन पाएंगी तो उनके कारोबार पर असर पड़ेगा।
- हाईकोर्ट में याचिकाकर्त्ता की तरफ से दलील दी गई थी कि अगर सरकार का यह फैसला लागू होता है तो रोज़गार को लेकर अराजकता फैल जाएगी और योग्य लोग वंचित रह जाएंगे। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी। इसके बाद हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दे दी।
- इस कानून के तहत निजी कंपनियाँ, सोसाइटियाँ, ट्रस्ट और साझेदारी फर्म भी शामिल हैं और यह उन नौकरियों पर भी लागू होता है, जो अधिकतम सकल मासिक वेतन या 30,000 रुपए तक की मज़दूरी प्रदान करती हैं। केंद्र या राज्य सरकारें या इन सरकारों के स्वामित्व वाला कोई भी संगठन अधिनियम के दायरे से बाहर है।
झारखंड Switch to English
क्रीड़ा प्रशिक्षण के लिये ज़िला एवं राज्यस्तरीय प्रतियोगिता से चयनित होंगे प्रतिभाशाली बच्चे
चर्चा में क्यों?
17 फरवरी, 2022 को झारखंड के खेलकूद एवं युवा कार्य निदेशालय द्वारा राज्य के समस्त ज़िला खेल पदाधिकारियों को कीड़ा प्रशिक्षण के लिये ज़िला एवं राज्यस्तरीय चयन प्रतियोगिता आयोजित करने का निर्देश दिया गया।
प्रमुख बिंदु
- राज्य के विभिन्न ज़िलों में संचालित आवासीय (हॉकी एवं तीरंदाज़ी को छोड़कर) एवं डे-बोर्डिंग क्रीड़ा प्रशिक्षण केंद्रों में प्रशिक्षुओं के चयन के लिये प्रतिभा चयन प्रतियोगिता 2021-22 का आयोजन होगा। यह आयोजन ज़िला से लेकर राज्यस्तर तक किया जाएगा।
- चयन प्रतियोगिता के तहत ज़िलास्तरीय प्रतियोगिता ज़िला मुख्यालय में 21 से 24 फरवरी 2022 तक एवं राज्यस्तरीय प्रतियोगियाता राँची में 1 से 4 मार्च, 2022 तक होगी।
- इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिये प्रतिभागी बालक/बालिका की उम्र सीमा 10 से 12 वर्ष के बीच होना अनिवार्य है। ज़िलास्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 20 बालक एवं 20 बालिका का चयन किया जाएगा। ये राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेंगे।
- राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करनेवाले चयनित बच्चों को मेडिकल परीक्षण से गुज़रना होगा। उसके बाद आवासीय प्रशिक्षण केंद्रों में रिक्ति के अनुसार प्रशिक्षुओं का चयन किया जाएगा।
- प्रतिभा चयन प्रतियोगिता में प्रशिक्षुओं का चयन बैटरी टेस्ट (NSTC), नॉर्म्स के आधार पर होगा। इस टेस्ट के ज़रिये प्रशिक्षुओं का शारीरिक वज़न अधिकतम 35 किलोग्राम, ऊँचाई अधिकतम 124 से 153 सेंटीमीटर होना अनिवार्य होगा। प्रशिक्षु 30 मीटर फ्लाइंग स्टार्ट, 6’10 मीटर शटल रन, बॉल थ्रो, वर्टिकल जम्प और 800 मीटर दौड़ में शामिल होंगे।
छत्तीसगढ़ Switch to English
तालाब गहरीकरण के दौरान प्राप्त हुई योग नरसिंह की विरल प्राचीन मूर्ति
चर्चा में क्यों?
17 फरवरी, 2022 को छत्तीसगढ़ के रायपुर ज़िले के आरंग विकासखंड के अंतर्गत ग्राम कुम्हारी में तालाब गहरीकरण के दौरान प्राप्त योग नरसिंह की विरल प्राचीन मूर्ति को संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग द्वारा रायपुर के घासीदास स्मारक संग्रहालय में लाया गया।
प्रमुख बिंदु
- योग नरसिंह की यह प्राचीन मूर्ति लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है और 4थी-5वीं सदी ईसवी की आँकी जा रही है। तालाब खुदाई के दौरान गुप्तकालीन पात्र परंपरा के मृद्भांड भी पाए गए हैं।
- गौरतलब है कि 15 फरवरी को सोशल मीडिया में प्रसारित ग्राम कुम्हारी ज़िला रायपुर से खुदाई में दौरान नरसिंह की प्राचीन प्रतिमा मिलने की खबर के आधार पर संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने विभागीय अधिकारियों की टीम बनाकर प्राप्त प्रतिमा और उसके प्राप्ति स्थल का निरीक्षण करने के निर्देश दिये थे।
- उप संचालक डॉ. पी.सी. पारख के नेतृत्व में पुरातत्त्ववेत्ता प्रभात कुमार सिंह, उत्खनन सहायक प्रवीन तिर्की की टीम कुम्हारी गाँव पहुँची और मूर्ति एवं प्राप्ति स्थल का मुआयना किया। बस्ती के उत्तर में बघधरा नामक देवस्थल के पास स्थित भाठा ज़मीन यह मूर्ति प्राप्त हुई थी।
- पुरातत्त्व विभाग के अनुसार यह अनूठी और विरल प्राप्त होने वाली मूर्ति है। इसे नरसिंह अथवा शांत नरसिंह भी कहा जाता है। ऐसी मुद्रा में देवता अकेले शांत बैठे हुए प्रदर्शित किये जाते हैं। आमतौर पर हिरण्यकश्यप का वध करते (पेट फाड़ते) हुए नरसिंह मूर्ति बहुतायत में मिलती है, लेकिन नरसिंह की इस रूप की प्रतिमा का शिल्पांकन अपेक्षाकृत कम हुआ है।
- लाल बलुआ पत्थर निर्मित इस मूर्ति का आकार 18×12.5×02 सेंटीमीटर है, जिसका निचला भाग अंशत: खंडित है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
गढ़कलेवा चौपाटी का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
17 फरवरी, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी ज़िला मुख्यालयों में छत्तीसगढ़ी एवं स्थानीय व्यंजनों के लिये गढ़कलेवा चौपाटी शुरू करने के निर्देश दिये। इसी कड़ी में ज़िला मुख्यालय बलरामपुर में सरगुजा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं रामानुजगंज विधायक बृहस्पत सिंह ने गढ़कलेवा चौपाटी का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- शुभारंभ के अवसर पर विधायक बृहस्पत सिंह ने महिला स्व-सहायता समूहों को स्वावलंबी बनाने पर ज़ोर देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महिला स्व-सहायता समूहों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए ज़िला मुख्यालय में गढ़ कलेवा चौपाटी की शुरुआत की गई है।
- ज़िला मुख्यालय में गढ़कलेवा चौपाटी खुलने से लोग छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के साथ-साथ स्थानीय व्यंजनों का भी स्वाद ले पाएंगे।
- इस गढ़कलेवा चौपाटी में लक्ष्मी स्वसहायता समूह, आम स्वसहायता समूह, जीवन पालन स्वसहायता समूह, दुर्गा स्वसहायता समूह एवं शिवशक्ति स्वसहायता समूह द्वारा विभिन्न व्यंजनों के स्टॉल लगाए गए हैं।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड के नौ ज़िलों में मतदान बढ़ा, चार में घटा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संपन्न हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में 2017 के मुकाबले नौ ज़िलों में मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि चार ज़िलों में गिरावट आई है। चमोली ज़िले में मतदान प्रतिशत में सबसे ज़्यादा बढ़ोतरी हुई है, जबकि गिरावट वाले ज़िलों में ऊधमसिंह नगर पहले नंबर पर है।
प्रमुख बिंदु
- विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी से कुछ ज़िले सबसे अधिक मतदान करने वाले ज़िलों की सूची में भी अपनी जगह बना पाए। राज्य में कुल 65.37 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें महिलाओं ने 67.20 प्रतिशत तथा पुरुषों ने 62.60 प्रतिशत मतदान किया।
- 2017 के विधानसभा चुनाव में कुल 75 लाख 12 हज़ार 559 मतदाता थे, जिनमें से 49 लाख 24 हज़ार 993 ने मतदान किया था। इस बार कुल 81 लाख 72 हज़ार 173 में से 53 लाख 42 हज़ार 462 ने मतदान किया है। 2017 में 39 लाख 33 हज़ार 564 पुरुषों में से 24 लाख 44 हज़ार 759, अर्थात् 62.15 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया था।
- इस बार 42 लाख 38 हज़ार 890 पुरुषों में से 26 लाख 53 हज़ार 642, अर्थात् 62.60 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया है। 2017 के चुनाव में 35 लाख 78 हज़ार 810 महिलाओं में से 24 लाख 80 हज़ार 218, अर्थात् 69.30 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था। इस बार 39 लाख 32 हज़ार 995 महिलाओं में से 26 लाख 42 हज़ार 930, अर्थात् 67.20 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया है। पुरुषों के मुकाबले 4.6 प्रतिशत अधिक महिलाओं ने मतदान किया है।
- उत्तराखंड में इस बार के विधानसभा चुनाव में 2017 के मुकाबले 70 में से 35 विधानसभा सीटों पर मतदान प्रतिशत बढ़ा तो 35 सीटों पर घटा है। जिन सीटों पर गिरावट आई है, उनमें बड़ी संख्या मैदानी ज़िलों की सीटों की हैं।
- 2017 चुनाव के सापेक्ष 2022 के चुनाव में मतदान प्रतिशत में गिरावट के नज़रिये से देखें तो उत्तरकाशी में एक, टिहरी में दो, देहरादून में पाँच, हरिद्वार में नौ, पौड़ी में तीन, पिथौरागढ़ में एक, बागेश्वर में एक, अल्मोड़ा में एक, नैनीताल में चार और ऊधमसिंह नगर में आठ विधानसभा सीटों पर इस बार गिरावट दर्ज की गई है।
- चंपावत ज़िले में दो सीटें हैं, जिनमें इस बार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। स्पष्ट है कि तो पर्वतीय ज़िलों में मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है, जबकि मैदानी ज़िलों में मतदान प्रतिशत गिरा है।
- मतदान में कुल 81,72,173 सामान्य और 94,471 सेवा मतदाता थे। सामान्य मतदाताओं में से कुल 53,42,462 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया, जो कुल मतदाताओं का 65.37 प्रतिशत है। साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव की तुलना में इस साल 0.19 फीसदी कम मतदान हुआ।
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