प्रदेश में 9 ऐतिहासिक धरोहरों को लग्जरी होटल समेत एडैप्टिव रीयूज एसेट्स में बदलने की प्रक्रिया शुरू | उत्तर प्रदेश | 17 Nov 2023
चर्चा में क्यों?
16 नवंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश को पर्यटन के लिहाज से देश का फेवरेट डेस्टिनेशन बनाने की दिशा में प्रदेश की चुनिंदा ऐतिहासिक धरोहरों को लग्जरी होटल सहित एडैप्टिव रीयूज एसेट्स में बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- इस कार्य को अंजाम देने के लिये एजेंसियों के निर्धारण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा कुल 490 करोड़ रुपए के निवेश के जरिये इन ऐतिहासिक धरोहरों का कायाकल्प किया जाएगा।
- कार्य योजना के अनुसार, लखनऊ के छतरमंजिल, मिर्जापुर के चुनार फोर्ट व झांसी के बरुआ सागर फोर्ट का 100 करोड़ रुपए के निवेश से कायाकल्प किया जाएगा।
- इसी प्रकार, लखनऊ की कोठी गुलिस्तान-ए-इरम, कोठी दर्शन विलास व कोठी रौशन-उद्-दौला में 50-50 करोड़ रुपए के निवेश से कायाकल्प किया जाएगा।
- प्रदेश में मथुरा के बरसाना स्थित जल महल सहित कानपुर देहात के शुक्ला तलाब व कानपुर नगर स्थित टिकैत राय बारादरी को भी 30-30 करोड़ रुपए के निवेश के जरिये एडैप्टिव रीयूज एसेट्स में तब्दील करने की योजना है।
- इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा राज्य के 10 राही टूरिस्ट बंगलों के भी विकास के लिये लीज आधारित प्राइवेट सेक्टर पार्टिसिपेशन (पीएसपी) की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसमें बाराबंकी के देवा शरीफ, सीतापुर के हरगाँव, शामली के कांढला, एटा के सोरों, बुलंदशहर के खुरजा, अमेठी के मुंशीगंज, एटा के पटना पक्षी विहार, बदायूँ के काछला, मिर्जापुर के चुनार व प्रतापगढ़ के भूपिया मऊ शामिल हैं।
- विदित हो कि राज्य सरकार द्वारा निजी क्षेत्रों के निवेश के माध्यम से विरासत संपत्तियों को उनका प्राचीन गौरव लौटाने की महत्त्वपूर्ण पहल की गई है। इसी क्रम में, इन स्थानों को वेलनेस सेंटर, हेरिटेज होटल, लग्जरी रिजॉर्ट्स, म्यूजियम, बुटीक रेस्तरां, मैरिज डेस्टिनेशन व वेडिंग वेन्यू, एडवेंचर टूरिज़्म स्पॉट, होमस्टे, थीमपार्क तथा अन्य पर्यटक व अतिथि इकाइयों में परिवर्तित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
विभागीय योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुँचाने में मधुबनी अव्वल और नालंदा सबसे नीचे | बिहार | 17 Nov 2023
चर्चा में क्यों?
15 नवंबर, 2023 को श्रम संसाधन विभाग ने राज्य भर में ज़िलों की रैंकिंग जारी की है। इसमें विभागीय योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुँचाने में मधुबनी ज़िला अव्वल जबकि नालंदा ज़िला सबसे निचले पायदान पर है।
प्रमुख बिंदु
- श्रम संसाधन विभाग की इस रैंकिंग में दूसरे नंबर पर दरभंगा और तीसरे नंबर पर समस्तीपुर ज़िला है।
- ज़िलों की क्रमवार रैंकिंग है- मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, भभुआ, शेखपुरा, पूर्णिया, सारण, जमुई, बेगूसराय, औरंगाबाद, बक्सर, खगड़िया, पूर्वी चंपारण, शिवहर, अरवल, वैशाली, रोहतास, किशनगंज, मुंगेर, सीवान, जहानाबाद, नवादा, अररिया, सुपौल, पश्चिम चंपारण, कटिहार, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, गया, सहरसा, पटना, भागलपुर, भोजपुर, लखीसराय, बांका, नालंदा।
- विभाग की ओर पिछले तीन माह से ज़िलों की मासिक रैंकिंग बनाई जा रही है, लेकिन पहली बार अक्तूबर में रैंकिंग को पब्लिक डोमेन में डाला गया है। अब विभाग ने निर्णय लिया है कि लगातार, जिस ज़िले की रैंकिंग खराब होगी, उस ज़िले के श्रम अधिकारियों से स्पष्टीकरण माँगा जाएगा।
- अधिकारियों के मुताबिक विभाग की योजनाओं के नौ मानकों पर ज़िलों का चयन किया गया है।
- लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया ऑनलाइन करने के लिये 20 अंक
- भवन निर्माण से संबंधित गतिविधियों के लिये 15 अंक
- भवन निर्माण से संबंधित सभी मज़दूरों के कार्य ऑनलाइन निबटाने के लिये 15 अंक
- असंगठित क्षेत्र के कामगारों से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये 10 अंक
- बाल श्रम से संबंधित गतिविधियों के लिये 10 अंक
- श्रम प्रवर्तन कार्यालय पर निगरानी के लिये 10 अंक
- कर वसूली के लिये 10 अंक
- विमुक्त बाल श्रमिकों के पुनर्स्थापन के लिये 5 अंक
- प्रवासी कामगारों के लिये 5 अंक
प्रदेश में पहली बार युवाओं को मिली मतदान केंद्र संभालने की ज़िम्मेदारी | मध्य प्रदेश | 17 Nov 2023
चर्चा में क्यों?
16 नवंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश चुनाव आयोग ने प्रदेश में पहली बार युवाओं को भी मतदान केंद्र संभालने की ज़िम्मेदारी दी है।
प्रमुख बिंदु
- चुनाव आयोग ने 371 मतदान केंद्र ऐसे बनाए हैं, जहाँ चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी 30 साल से कम आयु के अधिकारियों/कर्मचारियों के पास रहेगी।
- इसके अलावा चुनाव आयोग द्वारा 5 हज़ार 160 पिंक बूथ बनाए गए हैं। इन मतदान केंद्रों की ज़िम्मेदारी पूरी तरह से महिला मतदानकर्मी संभालेंगे।
- इसी प्रकार दिव्यांगों के सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी 183 मतदान केंद्रों की ज़िम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा 3 हज़ार आदर्श मतदान केंद्र और 60 ग्रीन मतदान केंद्र भी है।
- प्रदेश में पहली बार ग्रीन मतदान केंद्र बनाए गए है। ये केंद्र जबलपुर और बालाघाट ज़िलों में हैं। इनकी विशेषता यह है कि इन मतदान केंद्रों में प्लास्टिक या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले किसी भी सामान का इस्तेमाल नहीं किया गया है।