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उत्तर प्रदेश में नई पर्यटन नीति-2022 को मिली मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
16 नवंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता से हुई कैबिनेट बैठक में राज्य की नई पर्यटन नीति-2022 को मंज़ूरी मिली।
प्रमुख बिंदु
- राज्य की नई पर्यटन नीति में होटल इंडस्ट्री के लिये निवेश आधारित सब्सिडी की व्यवस्था की गई है। 10 करोड़ रुपए तक के निवेश पर 2 करोड़ रुपए और 500 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश पर 40 करोड़ रुपए तक सब्सिडी दी जाएगी। इसमें होटलों को उद्योग का दर्जा मिलेगा तथा पानी, बिजली संपत्ति कर, सीवरेज टैक्स की दरें भी व्यवसायिक की जगह औद्योगिक होंगी।
- नई पर्यटन नीति के अंतर्गत भगवान राम से जुड़े सभी स्थलों को रामायण सर्किट, भगवान कृष्ण से जुड़े धार्मिक स्थलों को कृष्ण सर्किट के तौर पर विकसित किया जाएगा। जिन नए पर्यटन गंतव्यों का विकास किया जाएगा, इसमें रामायण सर्किट प्रमुख होगा।
- रामायण सर्किट में अयोध्या, चित्रकूट, बिठूर समेत अन्य धार्मिक स्थल शामिल होंगे। इन स्थलों को भगवान राम एवं माता सीता के प्रतीकों के तौर पर देखा जाता है।
- इसी तरह कृष्ण सर्किट में मथुरा, वृंदावन, गोकुल, गोवर्धन, बरसाना, नंदगाँव, बलदेव से लेकर अन्य धार्मिक स्थलों को जोड़ा जाएगा तथा बुद्धिस्ट सर्किट में कपिलवस्तु, सारनाथ, कुशीनगर, कौशांबी, श्रावस्ती, रामग्राम समेत अन्य स्थल शामिल होंगे।
- नई नीति में महाभारत सर्किट और शक्ति पीठ सर्किट की भी परिकल्पना की गई है, जिसमें हस्तिनापुर, कांपिल्य, एछत्र, बरनावा, मथुरा, कौशांबी, गोंडा, लाक्षागृह जैसे स्थानों को चुना गया है। शक्तिपीठ सर्किट के अंतर्गत विंधयवासिनी देवी, अष्टभुजा से लेते हुए देवीपाटन, नैमिषारण्य, माँ ललित देवी, माँ ज्वाला देवी, शाकुंभरी देवी सहारनपुर से शिवानी देवी चित्रकूट और शीतला माता मऊ का विस्तार होगा।
- कैबिनेट मंत्री एके शर्मा ने बताया कि पर्यटन से जुड़ी कई गतिविधियों को जो अभी तक पर्यटन की श्रेणी में नहीं आती थीं, उन्हें भी शामिल किया गया है। इनमें बजट होटल, हैरिटेज होटल, स्टार होटल, हैरिटेज, होमस्टे, इको टूरिज़्म की इकाइयाँ कारवाँ टूरिज़्म युनिट, पिलग्रिम डॉर्मेट्री, धर्मशालाएँ, वेलनेस रिसार्ट, ऑल वेदर सीजनल कैंप, जलाशय झील, वेलनेस टूरिज़्म, एडवेंचर टूरिज़्म जैसी कुल 22 एक्टिविटीज को नई नीति में स्थान मिला है।
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उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022
चर्चा में क्यों?
16 नवंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022 को मंज़ूरी दी गई, जिसमें सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के लिये कई अहम प्रावधान किये गए हैं। यह नीति पाँच वर्ष तक लागू रहेगी।
प्रमुख बिंदु
- उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2022 के क्रियान्वयन के लिये उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (यूपीनेडा) को नोडल एजेंसी नामित किया गया है।
- इस नीति के अंतर्गत सोलर पावर प्लांट की स्थापना के लिये सरकारी उपक्रमों को एक रुपए प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से ग्राम पंचायत व राजस्व भूमि दी जाएगी। निजी क्षेत्र में सोलर पार्क की स्थापना के लिये 15 हज़ार रुपए प्रति एकड़ प्रतिवर्ष की दर से 30 वर्ष के लिये पट्टे पर दी जाएगी।
- राज्य सरकार ने अगले पाँच वर्ष में सौर ऊर्जा से 22 हज़ार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। सोलर पार्क से 14,000 मेगावाट, सोलर रूफटॉप आवासीय से 4500 मेगावाट, सोलर रूफटॉप अनावासीय से 1500 मेगावाट तथा पीएम कुसुम योजना के तहत 2000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
- उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने निजी आवासों पर नेट मीटरिंग व्यवस्था के साथ ग्रिड संयोजित सोलर सिस्टम की स्थापना पर केंद्रीय वित्तीय सहायता के अलावा राज्य सरकार की ओर से 15 हज़ार रुपए प्रति किलोवॉट, अधिकतम 30,000 रुपए प्रति उपभोक्ता के राज्य अनुदान की अनुमन्यता को भी स्वीकृति दी है।
- सरकारी और शिक्षण संस्थानों के भवनों पर नेट मीटरिंग के साथ सोलर रूफटॉप अनुमन्य किया गया है। पीएम कुसुम योजना के तहत भी किसानों के लिये सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
- कैबिनेट ने सौर ऊर्जा इकाइयों की स्थापना के लिये खरीदी अथवा लीज पर ली जाने वाली जमीन देय स्टांप शुल्क में शत प्रतिशत छूट देने के साथ ही इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी से 10 वर्ष के लिये छूट प्रदान किये जाने की अनुमति दी है।
- सौर प्लांट को पर्यावरण अनापत्ति प्राप्त करने से छूट प्रदान करने, ग्रिड संयोजित सोलर पीवी परियोजनाओं को प्रदूषण नियंत्रण नियम के तहत स्थापना और संचालन की सहमति व एनओसी प्राप्त करने से छूट देने का निर्णय किया गया है।
- इस नीति के क्रियान्वयन के लिये उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (यूपीनेडा) को नोडल एजेंसी नामित किया गया है।
- इस नीति के अनुसार पाँच मेगावाट अथवा उससे अधिक क्षमता के स्टोरेज सिस्टम के साथ स्थापित सोलर पार्कों को ढाई करोड़ रुपए प्रति मेगावाट की दर से सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी।
- इस नीति के तहत अयोध्या शहर को मॉडल सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश के 16 नगर निगमों तथा नोएडा को भी सोलर सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा।
- इसके तहत संबंधित शहर की पारंपरिक ऊर्जा की अनुमानित कुल मांग की न्यूनतम 10 प्रतिशत बिजली शहर क्षेत्र में स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्रों से पूरी की जाएगी।
- इसके लिये नीति के अंतर्गत 2011 की नगर निगम क्षेत्र की जनगणना के अनुसार 100 रुपए प्रति व्यक्ति की दर से राज्य सरकार द्वारा नगर निगमों/नोएडा सिटी को सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिये वित्तीय सहायता दी जाएगी।
- सौर ऊर्जा संयंत्रों की रख-रखाव के लिये अतिरिक्त जनशक्ति का सृजन किया जाएगा। इसके लिये 30,000 युवकों को सौर ऊर्जा संयंत्रों के अनुरक्षण का प्रशिक्षण दिया जाएगा और उन्हें ‘सूर्य मित्र’का नाम दिया जाएगा। इस तरह इन ‘सूर्य मित्रों’के लिये रोज़गार भी सृजित होगा।
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