उत्तराखंड Switch to English
सोनप्रयाग-केदारनाथ तक बनेगा उत्तराखंड का सबसे लंबा रोपवे
चर्चा में क्यों?
16 अगस्त, 2022 को विनोद रांटा (वन भूमि सलाहकार, कार्यदायी संस्था ट्रेवेस्ट्रा कंपनी सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे) ने बताया कि उत्तराखंड में सबसे लंबे रोपवे सोनप्रयाग-केदारनाथ के निर्माण के लिये प्रारंभिक सर्वेक्षण कार्य पूरा हो चुका है।
प्रमुख बिंदु
- केदारनाथ के लिये 13 किमी. लंबे रोपवे निर्माण की ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधीन नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) ने एक कंपनी को सौंपी है।
- कार्यदायी संस्था के वन भूमि सलाहकार के साथ प्रशासन और वन विभाग द्वारा रोपवे निर्माण के लिये संयुक्त भूमि सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है।
- रोपवे निर्माण के लिये सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 11 हेक्टेयर भूमि अधिगृहित की गई है। 22 टॉवर के सहारे बनने वाले रोपवे की डिज़ाइन का लेआउट भी कार्यदायी संस्था ने तैयार कर लिया है।
- केंद्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय देहरादून से अनुमति के बाद कार्यदायी संस्था द्वारा रोपवे निर्माण के लिये 945 करोड़ रुपए की डीपीआर भेज दी जाएगी। मार्च 2023 से सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
- सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे पर चार स्टेशन गौरीकुंड, चीरबासा, लिनचोली और केदारनाथ में बनेंगे। रोपवे से एक समय में दो से ढाई हज़ार यात्री एकतरफा जा सकेंगे। सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोपवे से 13 किमी. की दूरी लगभग 30 से 35 मिनट में पूरी हो सकेगी।
- गौरतलब है कि वर्ष 2005 में रामबाड़ा-केदारनाथ रोपवे को मंज़ूरी मिली थी। तब उत्तरांचल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी ने भूमि सर्वेक्षण सहित अन्य औपचारिकताएँ भी पूरी की थीं। शासन को 70 करोड़ रुपए की धनराशि का प्रस्ताव भेजा था। शासन स्तर पर रोपवे निर्माण को पीपीपी मोड में कराने का निर्णय लिया गया, लेकिन किसी भी कंपनी ने निविदा नहीं डाली।
उत्तराखंड Switch to English
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना
चर्चा में क्यों?
16 अगस्त, 2022 को रेल विकास निगम के परियोजना प्रबंधक के. ओमप्रकाश मालगुडी ने बताया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के निर्माण में लगे रेल विकास निगम ने 50 किमी. लंबी सुरंग बनाकर तैयार कर दी है। कुल 125 किमी. लंबे ट्रैक का 105 किमी. हिस्सा सुरंगों के अंदर होगा।
प्रमुख बिंदु
- प्रबंधक के. ओमप्रकाश मालगुडी ने बताया कि 125 किमी. लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के नौ पैकेज में 80 प्रवेश द्वार होंगे, जिनमें से लगभग 50 प्रवेश द्वार तैयार हो चुके हैं।
- उन्होंने बताया कि किसी भी आपदा, जैसे- भूकंप, बाढ़ और आग से निपटने के लिये आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों की ओर से साइट स्पेसिफिक स्पेक्ट्रम स्टडी तैयार की गई है। इसे विदेशों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की ओर से जाँचा गया है।
- भूस्खलन से बचने के लिये पोरल स्टेबलाइज़ेशन किया गया है। सभी बातों को ध्यान में रखकर सुरंगों की डिज़ाइन तैयार की गई है। सभी पैकेज में पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान रखा गया है। किसी भी प्रकार की आपदा से बचने के लिये सुरंगों को सुरक्षित बनाया जा रहा है।
- ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में कुल 17 सुरंगें होंगी। 16 सुरंग एनएटीएम (न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मैथड) और सौड़ (देवप्रयाग) से जनासू तक 70 किमी. लंबी सुरंग का निर्माण टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) से किया जा रहा है।
- गौरतलब है कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर साल 2019 से काम शुरू हुआ था। यह 125 किमी. लंबी परियोजना है, जिसमें 105 किमी. रेललाइन सुरंगों के भीतर होगी। यह परियोजना पूरी तरह से ऋषिकेश से आगे कर्णप्रयाग तक पर्वतीय क्षेत्र में बनाई जा रही है।
- इस रेललाइन के लिये कुल 17 सुरंगों का निर्माण हो रहा है। इनमें जिन सुरंगों की लंबाई 6 किमी. से ज़्यादा है, उनके समानांतर एक निकासी सुरंग भी बनाई जा रही है। इस परियोजना में 7 एडिट टनल बनाई जाएँगी, जिनकी लंबाई 4 किमी. तक होगी।
Switch to English