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स्टेट पी.सी.एस.

  • 17 Aug 2022
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उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने जल शुल्क नियमावली-2022 को दी मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

16 अगस्त, 2022 को उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने जल शुल्क नियमावली-2022 को मंज़ूरी दी। इसके तहत अब विकास प्राधिकरणों की योजनाओं में भवन निर्माण के लिये नक्शा पास कराने के लिये 50 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से जल शुल्क देना होगा।

प्रमुख बिंदु 

  • गौरतलब है कि पहले यह जल शुल्क लखनऊ और बनारस में नहीं लिया जाता था, लेकिन अब वहाँ के लोगों को भी इसका भुगतान करना होगा।
  • नियमावली के मुताबिक ले-आउट प्लान के मामलों में जल शुल्क भूमि के कुल क्षेत्रफल के हिसाब से लिया जाएगा। बहुमंजिला भवन निर्माण पर सभी तलों व बेसमेंट को शामिल करते हुए कुल क्षेत्रफल के आधार पर इसे वसूला जाएगा।
  • मौजूदा निर्मित क्षेत्र से अतिरिक्त निर्माण करने पर भी जल शुल्क देय होगा। जल शुल्क की दरों को हर साल एक अप्रैल से आयकर विभाग के कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के आधार पर पुनरीक्षित किया जाएगा।
  • विकास प्राधिकरण, योजना के बाहर या जहाँ वह जलापूर्ति करने में असमर्थ होगा, वहाँ जल शुल्क देय नहीं होगा। वैधता अवधि के अंदर स्वीकृति के लिये प्रस्तुत पुनरीक्षित मानचित्र, जिसके लिये जल शुल्क पूर्व में भुगतान किया जा चुका है, उससे शुल्क नहीं लिया जाएगा।
  • वैधता अवधि बढ़ाने की स्थिति में पूर्व में जमा शुल्क को समायोजित करते हुए नक्शा पास करने की तिथि से लागू दर पर शुल्क लिया जाएगा। वैधता अवधि के उपरांत पेश नक्शों के लिये पूर्व में जमा शुल्क के समायोजन के बाद उसके पास होने की तिथि से लागू दर पर जल शुल्क देय होगा।
  • जल शुल्क 10 लाख रुपए तक होने पर एकमुश्त भुगतान करना होगा। इससे अधिक होने पर 10 लाख रुपए का भुगतान एकमुश्त और शेष को चार अर्द्धवार्षिक किस्तों में 9% ब्याज के साथ लिया जाएगा। इसके लिये बकाया राशि के समतुल्य बैंक गारंटी भी देनी होगी या उतने मूल्य की विक्रय योग्य भूमि प्राधिकरण के पक्ष में गिरवी रखनी होगी। शेष राशि का भुगतान होने पर बैंक गारंटी या बंधक भूमि छोड़ दी जाएगी। किश्तों के भुगतान में देरी पर 9% वार्षिक ब्याज के साथ 0 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि की दर से दंड ब्याज लिया जाएगा।

मध्य प्रदेश Switch to English

गौहर महल में चरखा-चाक उत्सव का शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

16 अगस्त, 2022 को मध्य प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड एवं माटी-कला बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में गौहर महल में चरखा-चाक उत्सव का शुभारंभ मध्य प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष जितेंद्र लिटोरिया ने किया। यह उत्सव 28 अगस्त, 2022 तक चलेगा।

प्रमुख बिंदु

  • अध्यक्ष जितेंद्र लिटोरिया ने कहा कि माटी-कला बोर्ड के माध्यम से परंपरागत माटी शिल्प को प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है। माटी शिल्पी सामाजिक व्यवस्था के अभिन्न अंग हैं। इनकी शिल्प-कला को संगठित रूप से बाज़ार मुहैया कराने का कार्य बोर्ड द्वारा इस उत्सव के माध्यम से किया जा रहा है।
  • इसके साथ ही हथकरघा बुनकरों द्वारा परंपरागत चरखा के माध्यम से उत्पादित सूत के बने कपड़ों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • उल्लेखनीय है कि गौहर महल मध्य प्रदेश के भोपाल शहर के बड़े तालाब के किनारे वी.आई.पी. रोड पर शौकत महल के पास स्थित है। इस तिमंज़िले भवन का निर्माण भोपाल राज्य की तत्कालीन शासिका नवाब कुदसिया बेगम (सन् 1819-37) ने 1820 ई. में कराया था। यह वास्तुकला का खूबसूरत नमूना है। कुदसिया बेगम का नाम गौहर भी था, इसलिये इस महल को ‘गौहर महल’ के नाम से जाना जाता है।
  • यह महल भोपाल रियासत का पहला महल है। इस महल की खासियत यह है कि इसकी सजावट भारतीय और इस्लामिक वास्तुकला को मिलाकर की गई है। यह महल हिंदू और मुगल कला का अद्भुत संगम है।

मध्य प्रदेश Switch to English

डीपीटी/टीडी टीकाकरण अभियान का शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

16 अगस्त, 2022 को मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने भोपाल के कमला नेहरू कन्या स्कूल सभागार में डीपीटी/टीडी टीकाकरण अभियान के राज्यस्तरीय कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इसके साथ ही उन्होंने अभियान पर केंद्रित पोस्टर का विमोचन भी किया।

प्रमुख बिंदु

  • डीपीटी, टिटनेस और डिप्थीरिया जैसी जानलेवा बीमारी से बचाने के लिये यह टीकाकरण अभियान 31 अगस्त तक चलेगा।
  • स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि मध्य प्रदेश डिप्थीरिया उन्मूलन में अग्रणी राज्यों में से एक है। डीपीटी और टीडी के टीके 36 लाख किशोर-किशोरियों को लगाए जाएंगे। टीका 5 से 6 वर्ष, 10 वर्ष और 16 वर्ष के बच्चों को लगाया जाना है। स्कूल और आँगनबाड़ी केंद्रों में नि:शुल्क टीके लगाए जाएंगे।
  • स्वास्थ्य मंत्री ने जन-प्रतिनिधियों, शिक्षकों और पालकों से अभियान में शत-प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण करवाने में सहयोग करने की अपील की।
  • डीपीटी (डीटीपी और DTwP भी) संयोजित टीकों की एक श्रेणी को संदर्भित करता है, जो मनुष्यों को होने वाले तीन संक्रामक रोगों (डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खांसी) और टिटनेस) से बचाव के लिये दिये जाते हैं।
  • ' D ' का मतलब डिप्थीरिया, ' T ' का मतलब टिटनेस और ' P ' का मतलब पर्टुसिस है। ये तीनों बैक्टीरिया से होने वाली गंभीर बीमारियाँ हैं। डिप्थीरिया और पर्टुसिस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती हैं, जबकि टिटनेस कट और घावों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।
  • टीडी टीका टिटनेस और डिप्थीरिया से बचाव के लिये दिया जाता है। यह केवल 7 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बच्चों, किशोरों और वयस्कों के लिये दिया जाता है। टीडी आमतौर पर हर 10 साल में बूस्टर खुराक के रूप में दिया जाता है, या गंभीर या गंदे घाव या जलने की स्थिति में 5 साल बाद दिया जाता है।
  • ज्ञातव्य है कि डिप्थीरिया एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण होता है, जो नाक और गले की श्लेष्मा झिल्ली को प्रभावित करता है। यह एक छाले के रूप में दिखाई देता है और गले में सूजन आना, गले में दर्द होना, कुछ खाने-पीने में दर्द होना, इसके लक्षण हैं। इस संक्रमण से बचने के लिये टीका बहुत ज़रूरी है।
  • टिटनेस आमतौर पर पूरे शरीर में मांसपेशियों के दर्दनाक कसने का कारण बनता है। टिटनेस के कारण जबड़ा बंद हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित अपना मुँह नहीं खोल सकता और न ही निगल सकता है।
  • पर्टुसिस (काली खांसी) गंभीर खांसी का कारण बनता है। इससे शिशुओं के लिये खाना, पीना या सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। पर्टुसिस से निमोनिया, आक्षेप, मस्तिष्क क्षति और मृत्यु हो सकती है।  

हरियाणा Switch to English

मुख्यमंत्री ने गुरुग्राम में स्वीडन के इंग्का सेंटर्स के उत्तर भारत में पहले आइकिया ‘मिक्स्ड यूज़ कमर्शियल प्रोजेक्ट’ के निर्माण का शुभारंभ किया

चर्चा में क्यों?

16 अगस्त, 2022 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भारत में स्वीडन के राजदूत क्लास मोलिन की उपस्थिति में गुरुग्राम में स्वीडन के इंग्का सेंटर्स के उत्तर भारत में पहले आइकिया ‘मिक्स्ड यूज़ कमर्शियल प्रोजेक्ट’ का भूमि पूजन कर इसके निर्माण का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु 

  • लगभग 3500 करोड़ रुपए के निवेश से बनने वाले मिश्रित उपयोग वाले इस आइकिया प्रोजेक्ट का निर्माण गुरुग्राम के सेक्टर 47 में किया जाएगा।
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रोजेक्ट उत्तर भारत तथा इस क्षेत्र के ग्राहकों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये एक विश्वस्तरीय रिटेल एवं लेज़र गंतव्य होगा। इससे निवेश के साथ-साथ रोज़गार और व्यापार के अवसरों में भी वृद्धि होगी।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में आइकिया जो भी बेचता है, उसका 27 प्रतिशत वह स्थानीय स्रोतों से लेता है, जिसे आने वाले वर्षों में 50 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य है। इस तरह की पहल जहाँ एक ओर स्थानीय युवाओं को रोज़गार के ज़्यादा अवसर उपलब्ध करवाएँगी, वहीं दूसरी ओर इससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
  • मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की निवेशक हितैषी नीतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार व्यवस्था में ‘एक्ट’ अर्थात् अकांटेब्लिटी, कम्युनिकेशन और ट्रांसपेरेंसी में विश्वास रखती है। इन उद्देश्यों को पाने के लिये प्रभावी और सतत् संवाद, जल्द निर्णय लेने के लिये मंथन और वर्तमान व्यवस्था में डिजिटल सिस्टम स्थापित करके पारदर्शी प्रणाली विकसित की गई है।
  • आइकिया इंडिया की सीईओ सुसान पल्वरर ने कहा कि दिल्ली एनसीआर में अपने व्यवसाय द्वारा लोगों, पर्यावरण और स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ पहुँचाने के लिये हमारी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता है। इंग्का सेंटर्स के साथ हम होम फर्निशिंग बाज़ार में वृद्धि करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देंगे और लोगों को रिटेल का बेजोड़ अनुभव प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि हम किफायती, खूबसूरत, बेहतरीन डिज़ाइन वाले सतत् होम फर्निशिंग उत्पाद व सेवाएँ उपलब्ध करवाएँगे।
  • इस प्रोजेक्ट में इंग्का सेंटर्स 400 मिलियन पाउंड, अर्थात् 3500 करोड़ रुपए निवेश करेगा। यहाँ पर बेहतरीन रिटेल, वर्कस्पेस और सामुदायिक कार्यक्रमों के लिये स्पेस होंगे। प्रोजेक्ट से लगभग 2500 नौकरियों का सृजन होने की उम्मीद है। 

छत्तीसगढ़ Switch to English

मुख्यमंत्री ने 61 पत्रकारों को श्रमवीर सम्मान से किया सम्मानित

चर्चा में क्यों?

16 अगस्त, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी रायपुर के न्यू सर्किट हाउस के कॉन्क्लेव हॉल में आयोजित श्रमवीर सम्मान 2022-23 समारोह में जांजगीर-चांपा ज़िले के ग्राम पिहरीद में राहुल साहू के रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान रिकॉर्ड 109 घंटे जीवंत कवरेज करने वाले 61 पत्रकारों को श्रमवीर सम्मान से सम्मानित किया।

प्रमुख बिंदु 

  • इस कार्यक्रम का आयोजन भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व वेब मीडिया का राष्ट्रीय संगठन) की छत्तीसगढ़ इकाई द्वारा किया गया।
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पत्रकारों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिलाने के लिये जल्द पहल की जाएगी। पत्रकारों की इस मांग का अध्ययन कर शीघ्र उचित निर्णय लिया जाएगा।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र या बजट सत्र में पत्रकार सुरक्षा कानून लाया जाएगा।
  • वर्तमान में मरीज़ों के इलाज के लिये सहायता उपलब्ध कराने हेतु राज्य शासन द्वारा विभिन्न योजनाएँ संचालित की जा रही हैं।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि जांजगीर-चांपा के पिहरीद गाँव में बालक राहुल साहू के बोरवेल में गिरने की घटना के समय शासन-प्रशासन के साथ सभी लोगों (पत्रकार, व्यवसायी, समाजसेवी) ने, जिससे जो बन पड़ा सहायता की। 109 घंटे लंबे समय तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद राहुल का सकुशल लौट आना देश में इकलौता उदाहरण है।
  • इस लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान पत्रकारों ने अनेक कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करते हुए पल-पल की सकारात्मक रिपोर्ट़िग की और पूरे प्रदेश, देश और दुनिया तक सूचना पहुँचाई।

छत्तीसगढ़ Switch to English

मुख्यमंत्री ने आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ पर जनसंपर्क विभाग द्वारा आयोजित छायाचित्र प्रदर्शनी का किया शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

15 अगस्त, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी रायपुर के कचहरी चौक स्थित टाउन हॉल में जनसंपर्क विभाग द्वारा आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ पर आयोजित छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ किया।  

प्रमुख बिंदु 

  • यह प्रदर्शनी देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले छत्तीसगढ़ के महान क्रांतिकारियों की स्मृति में आयोजित की गई है।
  • इस प्रदर्शनी में आज़ादी की लड़ाई में छत्तीसगढ़ के क्रांतिकारियों का योगदान, अमर क्रांतिकारियों के महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़, स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनकी जीवन यात्रा, जंगल सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन एवं स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों में उनके योगदानों को प्रदर्शित किया गया है।
  • छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह, छत्तीसगढ़ के मंगल पांडे कहे जाने वाले हनुमान सिंह, शहीद वीर गुंडाधुर, श्री बिरसा मुंडा, वीर सुरेंद्र साय, ठाकुर प्यारे लाल सिंह, श्री ई. राघवेंद्र राव, डॉ. खूबचंद बघेल, श्री यतियतन लाल, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव, बैरिस्टर छेदीलाल, पं. माधवराव सप्रे, श्री परसराम सोनी, श्री रामप्रसाद पोटाई, महंत लक्ष्मी नारायण दास, श्री बिसाहू दास महंत, श्री धनीराम वर्मा, श्री वामनराव बलिराम लाखे, सेठ शिवदास डागा, पंडित रविशंकर शुक्ल, रायपुर की प्रथम महिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राधा बाई सहित छत्तीसगढ़ के अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान को सचित्र प्रदर्शित किया गया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के छत्तीसगढ़ प्रवास से जुड़ी जानकारी भी सचित्र प्रदर्शित की गई है।
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को यह जानना बेहद ज़रूरी है कि छत्तीसगढ़ के महान क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। यह प्रदर्शनी आज की पीढ़ी को इससे अवगत कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी।
  • गौरतलब है कि 15 से 21 अगस्त तक कचहरी चौक स्थित टाउन हॉल में यह प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। हमर तिरंगा अभियान पर केंद्रित फिल्म का प्रदर्शन भी प्रदर्शनी स्थल पर किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ Switch to English

राज्य के 422 स्कूलों में लागू होगी स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना

चर्चा में क्यों?

15 अगस्त, 2022 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के विद्यार्थियों को बेहतर एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने के लिये आगामी शिक्षा सत्र के पूर्व राज्य के 422 स्कूलों में ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना’ लागू किये जाने की घोषणा की, जिसमें से 252 स्कूल बस्तर एवं सरगुजा संभाग में होंगे।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना’ से स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति आई है। विगत वर्ष राज्य सरकार ने 51 स्कूलों से यह योजना प्रारंभ की थी, जो अब बढ़ाकर 279 स्कूलों तक पहुँच चुकी है। इनमें से 32 स्कूल हिन्दी माध्यम के हैं तथा 247 स्कूलों में हिन्दी के साथ अंग्रेज़ी माध्यम में भी शिक्षा दी जा रही है।
  • इस वर्ष 2 लाख 52 हज़ार 600 बच्चों ने इन स्कूलों में प्रवेश लिया है, जिनमें 1 लाख 3 हज़ार बच्चे अंग्रेज़ी माध्यम तथा 1 लाख 49 हज़ार 600 बच्चे हिन्दी माध्यम के हैं।
  • इस योजना की सफलता को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि अधिक-से-अधिक स्कूलों को इस योजना के अंतर्गत लाया जाएगा। आगामी शिक्षा सत्र के पूर्व 422 स्कूलों में यह योजना लागू होगी, जिनमें से 252 स्कूल बस्तर एवं सरगुजा संभाग में होंगे और इनमें दंतेवाड़ा ज़िले के शत-प्रतिशत शासकीय हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूल होंगे।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि नवा रायपुर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बोर्डिंग स्कूल स्थापित करने की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है।
  • बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिये राज्य सरकार ने हिन्दी के अलावा 16 स्थानीय भाषाओं में तथा 4 पड़ोसी राज्यों की भाषाओं में पाठ्य पुस्तकें प्रकाशित कराई हैं।
  • ‘नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक योजना’ के तहत कक्षा पहली से कक्षा दसवीं तक सभी शासकीय-अशासकीय शालाओं तथा कक्षा आठवीं तक मदरसों के बच्चों को लगभग 52 लाख पाठ्य पुस्तकें प्रदान की जा रही हैं।
  • नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली 1 लाख 55 हज़ार छात्राओं को इस वर्ष नि:शुल्क साइकिल देने का लक्ष्य रखा गया है।
  • स्कूली शिक्षा को रोज़गारमूलक बनाने के लिये उसका आईटीआई के साथ समन्वय किया गया है, ताकि स्कूली शिक्षा और आईटीआई प्रशिक्षित होने का प्रमाण-पत्र एक साथ प्राप्त हो सके। इस योजना के तहत 114 हायर सेकेंडरी स्कूलों को जोड़ा जा चुका है।
  • उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये 1 हज़ार 459 सहायक प्राध्यापकों, क्रीड़ा अधिकारियों और ग्रंथपालों की नियुक्ति की गई है। अतिथि व्याख्याताओं का मानदेय बढ़ाया गया है। सभी ज़िलों में कन्या महाविद्यालय खोलने के क्रम में मुंगेली ज़िले में नया कन्या महाविद्यालय प्रारंभ किया गया है।

उत्तराखंड Switch to English

सोनप्रयाग-केदारनाथ तक बनेगा उत्तराखंड का सबसे लंबा रोपवे

चर्चा में क्यों?

16 अगस्त, 2022 को विनोद रांटा (वन भूमि सलाहकार, कार्यदायी संस्था ट्रेवेस्ट्रा कंपनी सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे) ने बताया कि उत्तराखंड में सबसे लंबे रोपवे सोनप्रयाग-केदारनाथ के निर्माण के लिये प्रारंभिक सर्वेक्षण कार्य पूरा हो चुका है।

प्रमुख बिंदु 

  • केदारनाथ के लिये 13 किमी. लंबे रोपवे निर्माण की ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधीन नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) ने एक कंपनी को सौंपी है।
  • कार्यदायी संस्था के वन भूमि सलाहकार के साथ प्रशासन और वन विभाग द्वारा रोपवे निर्माण के लिये संयुक्त भूमि सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है।
  • रोपवे निर्माण के लिये सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 11 हेक्टेयर भूमि अधिगृहित की गई है। 22 टॉवर के सहारे बनने वाले रोपवे की डिज़ाइन का लेआउट भी कार्यदायी संस्था ने तैयार कर लिया है।
  • केंद्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय देहरादून से अनुमति के बाद कार्यदायी संस्था द्वारा रोपवे निर्माण के लिये 945 करोड़ रुपए की डीपीआर भेज दी जाएगी। मार्च 2023 से सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
  • सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे पर चार स्टेशन गौरीकुंड, चीरबासा, लिनचोली और केदारनाथ में बनेंगे। रोपवे से एक समय में दो से ढाई हज़ार यात्री एकतरफा जा सकेंगे। सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोपवे से 13 किमी. की दूरी लगभग 30 से 35 मिनट में पूरी हो सकेगी।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2005 में रामबाड़ा-केदारनाथ रोपवे को मंज़ूरी मिली थी। तब उत्तरांचल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी ने भूमि सर्वेक्षण सहित अन्य औपचारिकताएँ भी पूरी की थीं। शासन को 70 करोड़ रुपए की धनराशि का प्रस्ताव भेजा था। शासन स्तर पर रोपवे निर्माण को पीपीपी मोड में कराने का निर्णय लिया गया, लेकिन किसी भी कंपनी ने निविदा नहीं डाली। 

उत्तराखंड Switch to English

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना

चर्चा में क्यों?

16 अगस्त, 2022 को रेल विकास निगम के परियोजना प्रबंधक के. ओमप्रकाश मालगुडी ने बताया कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के निर्माण में लगे रेल विकास निगम ने 50 किमी. लंबी सुरंग बनाकर तैयार कर दी है। कुल 125 किमी. लंबे ट्रैक का 105 किमी. हिस्सा सुरंगों के अंदर होगा।

प्रमुख बिंदु 

  • प्रबंधक के. ओमप्रकाश मालगुडी ने बताया कि 125 किमी. लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के नौ पैकेज में 80 प्रवेश द्वार होंगे, जिनमें से लगभग 50 प्रवेश द्वार तैयार हो चुके हैं।
  • उन्होंने बताया कि किसी भी आपदा, जैसे- भूकंप, बाढ़ और आग से निपटने के लिये आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों की ओर से साइट स्पेसिफिक स्पेक्ट्रम स्टडी तैयार की गई है। इसे विदेशों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की ओर से जाँचा गया है।
  • भूस्खलन से बचने के लिये पोरल स्टेबलाइज़ेशन किया गया है। सभी बातों को ध्यान में रखकर सुरंगों की डिज़ाइन तैयार की गई है। सभी पैकेज में पर्यावरण, स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान रखा गया है। किसी भी प्रकार की आपदा से बचने के लिये सुरंगों को सुरक्षित बनाया जा रहा है।
  • ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में कुल 17 सुरंगें होंगी। 16 सुरंग एनएटीएम (न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मैथड) और सौड़ (देवप्रयाग) से जनासू तक 70 किमी. लंबी सुरंग का निर्माण टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) से किया जा रहा है।
  • गौरतलब है कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर साल 2019 से काम शुरू हुआ था। यह 125 किमी. लंबी परियोजना है, जिसमें 105 किमी. रेललाइन सुरंगों के भीतर होगी। यह परियोजना पूरी तरह से ऋषिकेश से आगे कर्णप्रयाग तक पर्वतीय क्षेत्र में बनाई जा रही है।
  • इस रेललाइन के लिये कुल 17 सुरंगों का निर्माण हो रहा है। इनमें जिन सुरंगों की लंबाई 6 किमी. से ज़्यादा है, उनके समानांतर एक निकासी सुरंग भी बनाई जा रही है। इस परियोजना में 7 एडिट टनल बनाई जाएँगी, जिनकी लंबाई 4 किमी. तक होगी।

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