प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 17 May 2023
  • 0 min read
  • Switch Date:  
उत्तराखंड Switch to English

ब्रांडेड उत्पादों के बिलों को भी ‘बिल लाओ इनाम पाओ’योजना में किया जाएगा शामिल

चर्चा में क्यों?

15 मई, 2023 को उत्तराखंड राज्य कर आयुक्त इकबाल अहमद ने बताया कि ‘बिल लाओ इनाम पाओ’योजना को नवंबर 2023 तक बढ़ाने के साथ ही राज्य सरकार ने नॉन ब्रांडेड बिलों की शर्त को खत्म कर दिया है। अब ब्रांडेड उत्पादों के बिलों को भी योजना में शामिल किया जाएगा।  

प्रमुख बिंदु  

  • विदित है कि ग्राहकों को जीएसटी बिल लेने के लिये प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘बिल लाओ इनाम पाओ’योजना को एक सितंबर 2022 में शुरू की गई थी।  
  • अभी तक योजना में नॉन ब्रांडेड कपड़े, मिठाइयाँ, रेस्टोरेंट, ड्राई फ्रूट, ब्यूटीपार्लर, लॉन्ड्री सेवाओं व उत्पादों के जीएसटी बिल शामिल किये जा रहे थे, लेकिन अब ब्रांडेड समेत सभी सामान की खरीद के जीएसटी बिलों से योजना में इनाम पाने का मौका मिलेगा। योजना का मेगा लकी ड्रॉ नवंबर 2023 में निकाला जाएगा।
  • राज्य कर आयुक्त इकबाल अहमद ने बताया कि यदि उपभोक्ता ब्रांडेड कंपनी के सामान के अलावा घर की ज़रूरत के सामान भी खरीदता है तो जीएसटी बिल को BLIP एप पर अपलोड कर सकता है। उसके बाद लकी ड्रॉ से हर महीने 1500 विजेताओं को स्मार्ट फोन, स्मार्ट वॉच और इयरफोन इनाम में दिये जाएंगे।  
  • एक सितंबर 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक अपलोड किये बिलों पर मेगा लकी ड्रॉ निकाले जाएंगे, जिनमें विजेताओं को कार, मोटरसाइकिल, लैपटॉप, स्मार्ट टीवी समेत कई आकर्षक इनाम दिये जाएंगे। 
  • ऑनलाइन खरीद से प्राप्त जीएसटी बिलों को इस योजना में शामिल नहीं किया जाएगा। सीधे विक्रेता से वस्तुओं, सेवाओं के बिलों को योजना में शामिल होंगे। इन बिलों को BLIP एप पर अपलोड करना होगा। अपलोड किये गए प्रत्येक अपलोड बिल पर उपभोक्ताओं को प्वाइंट दिये जाएंगे, जो पुरस्कार, कैश बैक, डिस्काउंट कूपन के रूप में होंगे।  
  • योजना में ऐसे जीएसटी पंजीकृत व्यापारियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा, जिनके प्रतिष्ठान से सर्वाधिक बिल अपलोड किये जाएंगे।    

उत्तराखंड Switch to English

वन्यजीवों से फसलों को बचाने के लिये अब होगी बॉयो-फेंसिंग

चर्चा में क्यों 

16 मई, 2023 को उत्तराखंड वन विभाग के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि राज्य में वन्यजीवों द्वारा होने वाले फसलों के नुकसान को कम करने के लिये सौर ऊर्जा बाड़ की जगह अब बॉयो-फेंसिंग को बढ़ावा दिया जाएगा।  

प्रमुख बिंदु  

  • बॉयो-फेंसिंग को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार की ओर से इसके लिये सेल गठित करने के साथ ही विशेष अधिकारी नियुक्त किये जाने के निर्देश दिये गए हैं। यह सेल बायो-फेंसिंग को बढ़ावा देने के साथ ही इन विषयों पर शोध भी करेगी। 
  • कैंपा फंड में ही इसके लिये बजट की व्यवस्था की जाएगी। अलग-अलग फेंसिंग के लिये पौधों की प्रजाति का अध्ययन कराया जाएगा। 
  • ज्ञातव्य है कि अब तक फसलों को नुकसान से बचाने के लिये सौर ऊर्जा बाड़ ही लगाई जाती थी, लेकिन इसे लगाने में खर्च अधिक आता है। विभाग की ओर से एक बार बाड़ लगाने के बाद इसे ग्रामीणों को सौंप दिया जाता है। ठीक से रखरखाव नहीं होने के कारण यह बाड़ जल्दी ही खराब हो जाती है और लाभार्थियों को अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाते हैं। 
  • इस समस्या से बचने के लिये बीते दिनों मुख्य सचिव डॉ. सुखबीर सिंह संधु ने कैंपा (वनारोपण निधि प्रबंधन व योजना प्राधिकरण) संचालन समिति की बैठक में वनाधिकारियों को बॉयो-फेंसिंग बाड़ को बढ़ावा देने के निर्देश दिये थे। 
  • प्रदेश में खासतौर पर जंगली सूअर, हाथी और बंदर फसलों को नुकसान पहुँचाते हैं। जिस क्षेत्र में जिस वन्यजीव का आतंक अधिक है, उस क्षेत्र में उसी के अनुरूप बॉयो-फेंसिंग की जाएगी। 
  • मौसम, जलवायु और भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए अलग-अलग जगह पर अलग-अलग बॉयो-फेंसिंग की जाती है। इसमें आमतौर पर काला बाँस, कांटा बाँस, राम बाँस, जेरेनियम, लेमनग्रास, विभिन्न प्रकार के कैक्टस, यूफोरबिया एंटीकोरम (त्रिधारा), डेविल्स बैकबोन, पूर्वी लाल, क्लेरोडेंड्रम इनर्मिस, बोगनविलिया, करौंदा, जेट्रोफा करकस, डुरंटा इरेक्टा, हाईब्रिड विलेट्री, लीलैंड सरू और हेमेलिया आदि शामिल हैं। 
  • देहरादून वन प्रभाग के वनाधिकारी नीतीशमणि त्रिपाठी ने बताया कि बॉयो-फेंसिग का प्रयोग वर्ष 2015 में लैंसडाउन में किया गया था, जो सफल रहा। कुछ समय पहले रामनगर में भी यह तरीका अपनाया गया। इस प्रकार की फेंसिंग अनेक देशों में प्रयोग की जा रही है।
  • इसके तहत मधुमक्खी पालन का बॉयो-फेंसिंग के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें मधुमक्खी के डिब्बों को खेत के किनारे ज़मीन पर रखने के बजाय पेड़ों या खूंटों की मदद से ज़मीन से ऊपर एक तार की सहायता से लटका दिया जाता है। जैसे ही कोई जानवर इस तार को हिलाता है, मधुमिक्खयाँ बाहर आकर उस पर हमला कर देती हैं। हाथियों को खेतों से दूर रखने में यह तरीका कारगर साबित हुआ है। 
  • इसलिये बेहतर होती है बॉयो-फेंसिंग: 
    • सौर ऊर्जा बाड़ से सस्ती पड़ती है तथा लगाने के बाद रखरखाव का बहुत ज्यादा झंझट नहीं।
    • विभिन्न प्रकार की बाड़ से विभिन्न प्रकार के उत्पादन भी मिलते हैं।
    • भूमि का कटाव रोकती हैं।
    • यह दीवार बनाने या गड्ढे खोदने से ज्यादा सस्ता सौदा है।

उत्तराखंड Switch to English

बाबा केदार के धाम में स्थापित होगा 60 क्विंटल वजनी काँसे का भव्य ऊँ

चर्चा में क्यों? 

16 मई, 2023 को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के ज़िलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि भगवान आशुतोष के द्वादश ज्योतिर्लिंग केदारनाथ के गोल प्लाजा में 60 क्विंटल वजनी काँसे का भव्य ऊँ की आकृति स्थापित की जाएगी।   

प्रमुख बिंदु  

  • ज़िलाधिकारी ने बताया कि ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण तथा लोक निर्माण विभाग ने हाइड्रा मशीन की मदद से ऊँ आकृति को गोल प्लाजा में स्थापित करने के लिये ट्रायल किया, जो पूरी तरह से सफल रहा। जल्द ही इसे स्थायी रूप से स्थापित कर दिया जाएगा। 
  • विदित है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ को सुरक्षित करने के साथ ही भव्य रूप से सँवारा जा रहा है। इन दिनों धाम में दूसरे चरण के कार्य जोरों पर चल रहे हैं। पहले चरण में मंदिर परिसर के विस्तार के साथ ही मंदिर मार्ग और गोल प्लाजा का निर्माण किया गया था। 
  • केदारनाथ स्थित गोल प्लाजा, जो मंदिर से लगभग ढाई सौ मीटर पहले संगम के ठीक ऊपर स्थित है, पर ऊँ की आकृति को स्थापित किया जा रहा है। केदारनाथ गोल प्लाजा में ऊँ की आकृति स्थापित होने से वहाँ की भव्यता और भी बढ़ जाएगी।
  • 60 क्विंटल वजनी काँसे से ऊँ की आकृति को गुजरात के बड़ौदा में बनाया गया है। 
  • ऊँ की आकृति को पूरी तरह से सुरक्षित करने के लिये इसके चारों तरफ से तांबे से वेल्डिंग की जाएगी। साथ ही, मध्य हिस्से के साथ ही किनारों को भी सुरक्षित किया जाएगा, जिससे बर्फबारी से इसे नुकसान न हो। एक सप्ताह में ऊँ आकृति को स्थायी रूप से स्थापित कर दिया जाएगा।


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow