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राजस्थान निक्षय संबल योजना
चर्चा में क्यों?
16 मई, 2022 को राज्य के टीबी रोगियों को संबल एवं सामाजिक सहयोग उपलब्ध कराने के लिये राज्य सरकार द्वारा जन-सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से ‘राजस्थान निक्षय संबल योजना’ का शुभारंभ किया गया।
प्रमुख बिंदु
- राज्य क्षय अनुभाग द्वारा स्वास्थ्य भवन के सभागार में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के शासन सचिव डॉ. पृथ्वी की अध्यक्षता में राज्य टीबी फोरम की बैठक में इस योजना का शुभारंभ किया गया।
- इस अवसर पर शासन सचिव डॉ. पृथ्वी ने ‘राजस्थान निक्षय संबल योजना’ के पोस्टर का विमोचन भी किया।
- बैठक में डॉ. पृथ्वी ने राज्य के सभी उद्योगों, कॉर्पोरेट संस्थानों, जन प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संस्थाओं आदि से टीबी रोगियों और उनके परिवारों को पोषण, रोज़गारोन्मुखी एवं शैक्षणिक सहायता उपलब्ध कराने के कार्य में सहयोग करने और टीबीमुक्त प्रदेश बनाने में अपनी सामाजिक भागीदारी निभाने की अपील की।
- मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी ने टीबी उन्मूलन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये सामूहिक भागीदारी पर विशेष बल दिया। उन्होंने सभी टीबी रोगियों की एचआईवी एवं डायबिटीज की जाँच करने के निर्देश भी दिये।
- जन-स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. वी.के. माथुर ने कहा कि विभाग द्वारा राज्य के समस्त स्वास्थ्य केंद्रों पर पूर्व उपचारित रोगियों को टीबी चैंपियन के रूप में चिह्नित किया जा रहा है, जो क्षय रोगियों की समस्याओं के निदान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
- टीबी चैंपियन समुदाय में क्षय रोगियों की आवाज़ बनेंगे और विभाग द्वारा ‘निक्षय पोषण योजना’ के अंतर्गत पौष्टिक आहार हेतु दी जा रही सहायता राशि दिलाने में भी सहयोग करेंगे।
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‘चुप्पी तोड़ो-सयानी बनो’ अभियान
चर्चा में क्यों?
16 मई, 2022 को जयपुर ज़िला कलेक्टर राजन विशाल ने राजकीय उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय गणगौरी बाज़ार में ‘चुप्पी तोड़ो-सयानी बनो’ अभियान के द्वितीय चरण की शुरुआत की।
प्रमुख बिंदु
- ज़िला कलेक्टर ने बताया कि नागौर और अलवर ज़िले के बाद जयपुर में इस अभियान की शुरुआत की गई है।
- ‘चुप्पी तोड़ो-सयानी बनो’ अभियान के तहत ज़िले के 929 विद्यालय में कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग एक लाख 30 हज़ार किशोरी बालिकाओं द्वारा भाग लिया गया। कार्यशाला में प्रशिक्षित अध्यापिकाओं द्वारा माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई।
- कार्यशाला में राज्य सरकार की उड़ान योजना के अंतर्गत बालिकाओं को सैनेटरी नैपकीन नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई। अभियान के तहत कार्यशाला में प्रत्येक छात्रा को माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर बुकलेट व प्रत्येक राजकीय विद्यालय में ‘गुड टच बैड टच’ विषय पर पोस्टर एवं बैनर उपलब्ध करवाए गए।
- ज़िले में कक्षा 9 से 12वीं तक चयनित 3 हज़ार 716 बालिकाओं को हाईजीन एंबेसडर नियुक्त किया गया है। ये बालिकाएँ विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं के साथ ही अभिभावकों, जन-प्रतिनिधि, आँगनबाड़ी कार्यकर्त्ता, एएनएम, साथिन, आशा सहयोगिनी एवं विद्यालय नहीं जाने वाली बालिकाओं को भी जागरूक करेंगी।
- उल्लेखनीय है कि अभियान के द्वितीय चरण से पहले जयपुर ज़िले के प्रत्येक उपखंड एवं ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यशाला, प्रशिक्षण, जन-जागरूकता कार्यक्रम एवं अन्य गतिविधियों का आयोजन चरणबद्ध रूप से किया गया।
- इस अभियान के प्रथम चरण में राजकीय विद्यालय में कार्यरत् 2 हज़ार 223 अध्यापिकाओं को 14 से 16 मार्च तक प्रशिक्षण दिया गया था।
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देश का 52वाँ टाइगर रिज़र्व बना रामगढ़ विषधारी अभयारण्य
चर्चा में क्यों?
16 मई, 2022 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि राजस्थान के बूंदी ज़िले में स्थित रामगढ़ विषधारी अभयारण्य को देश का 52वाँ टाइगर रिज़र्व घोषित किये जाने की अधिसूचना जारी कर दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- अधिसूचना के बाद रामगढ़ विषधारी अभयारण्य राजस्थान का चौथा टाइगर रिज़र्व बन गया है। मौज़ूदा समय में राजस्थान में रणथंभौर, सरिस्का और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व हैं।
- गौरतलब है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38 के प्रावधान के अंतर्गत 5 जुलाई, 2021 को रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य व निकटवर्ती क्षेत्रों को टाइगर रिज़र्व बनाए जाने की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई थी।
- एनटीसीए द्वारा प्रदान की गई, स्वीकृति के क्रम में राज्य सरकार द्वारा रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व के क्रिटिकल टाइगर हैबीटैट (कोर) एवं बफर क्षेत्र के निर्धारण हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया।
- इस समिति द्वारा रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व, ज़िला बूंदी के कोर तथा बफर क्षेत्र के निर्धारण हेतु 24 जनवरी, 2022 को राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
- उल्लेखनीय है कि नए अधिसूचित रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व में पूर्वोत्तर में रणथंभौर टाइगर रिज़र्व और दक्षिण की तरफ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व के बीच बाघों का अधिवास शामिल है।
- राजस्थान सरकार ने इसे 20 मई, 1982 को राजस्थान वन्य प्राणी और पक्षी संरक्षण अधिनियम, 1951 की धारा 5 के अंतर्गत अभयारण्य घोषित किया था।
- यह अभयारण्य बाघ संरक्षण के अलावा पारिस्थितिकी तंत्र के साथ-साथ पुष्प प्रजातियों के लिये भी खासा प्रसिद्ध है। अभयारण्य में भारतीय भेड़िया, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, चीतल, सांभर, सुस्त भालू, गोल्डन जैकल, चिंकारा, नीलगाय, लोमड़ी, जंगली बिल्लियाँ, लंगूर, सांप, मगरमच्छ सहित 500 प्रकार के वन्यजीव मौज़ूद हैं।
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