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स्टेट पी.सी.एस.

  • 17 May 2022
  • 1 min read
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उत्तर प्रदेश Switch to English

रिवैंपड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रमुख ऊर्जा सचिव और यूपीपीसीएल के अध्यक्ष एम देवराज ने बताया कि भारत सरकार द्वारा रिवैंपड वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के तहत मीटरिंग और अन्य संबंधित कार्यों के लिये निर्धारित धनराशि के माध्यम से पूरे स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने हेतु राज्यव्यापी अभियान शुरू किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • UPPCL द्वारा यह स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का उद्देश्य सकल तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान को कम करना है।
  • इसके तहत यूपीपीसीएल वाराणसी डिस्कॉम में 73,27,988 स्मार्ट प्रीपेड मीटर, लखनऊ डिस्कॉम में 75,28,737, आगरा डिस्कॉम में 53,54,069, मेरठ डिस्कॉम में 61,43,361 और केईएससीओ वितरण नेटवर्क में 62,500 मीटर स्थापित करेगी।
  • ‘एकीकृत बिजली विकास योजना’, ‘दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना’ और ‘प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना’ जैसी सभी मौज़ूदा बिजली क्षेत्र सुधार योजनाओं को मिलाकर एक अंब्रैला योजना रिवैंपड वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) प्रारंभ की गई है।
  • ग्रामीण विद्युतीकरण निगम और विद्युत वित्त निगम इस योजना के लिये नोडल एजेंसी हैं।
  • इस योजना में वितरण क्षेत्र में बिजली फीडर से लेकर उपभोक्ता स्तर तक एक अनिवार्य स्मार्ट मीटरिंग इकोसिस्टम का निर्माण करना तथा असंबद्ध फीडरों के लिये फीडर पृथक्करण हेतु वित्तपोषण करना शामिल है।
  • इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
    • 2024-25 तक अखिल भारतीय स्तर पर एटी एंड सी हानियों (अक्षम बिजली व्यवस्था के कारण परिचालन हानि) को 12-15% तक कम करना।
    • आधुनिक डिस्कॉम्स के लिये संस्थागत क्षमताओं का विकास करना।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान निक्षय संबल योजना

चर्चा में क्यों?

16 मई, 2022 को राज्य के टीबी रोगियों को संबल एवं सामाजिक सहयोग उपलब्ध कराने के लिये राज्य सरकार द्वारा जन-सहयोग प्राप्त करने के उद्देश्य से ‘राजस्थान निक्षय संबल योजना’ का शुभारंभ किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य क्षय अनुभाग द्वारा स्वास्थ्य भवन के सभागार में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के शासन सचिव डॉ. पृथ्वी की अध्यक्षता में राज्य टीबी फोरम की बैठक में इस योजना का शुभारंभ किया गया।
  • इस अवसर पर शासन सचिव डॉ. पृथ्वी ने ‘राजस्थान निक्षय संबल योजना’ के पोस्टर का विमोचन भी किया।
  • बैठक में डॉ. पृथ्वी ने राज्य के सभी उद्योगों, कॉर्पोरेट संस्थानों, जन प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संस्थाओं आदि से टीबी रोगियों और उनके परिवारों को पोषण, रोज़गारोन्मुखी एवं शैक्षणिक सहायता उपलब्ध कराने के कार्य में सहयोग करने और टीबीमुक्त प्रदेश बनाने में अपनी सामाजिक भागीदारी निभाने की अपील की।
  • मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी ने टीबी उन्मूलन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये सामूहिक भागीदारी पर विशेष बल दिया। उन्होंने सभी टीबी रोगियों की एचआईवी एवं डायबिटीज की जाँच करने के निर्देश भी दिये।
  • जन-स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. वी.के. माथुर ने कहा कि विभाग द्वारा राज्य के समस्त स्वास्थ्य केंद्रों पर पूर्व उपचारित रोगियों को टीबी चैंपियन के रूप में चिह्नित किया जा रहा है, जो क्षय रोगियों की समस्याओं के निदान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
  • टीबी चैंपियन समुदाय में क्षय रोगियों की आवाज़ बनेंगे और विभाग द्वारा ‘निक्षय पोषण योजना’ के अंतर्गत पौष्टिक आहार हेतु दी जा रही सहायता राशि दिलाने में भी सहयोग करेंगे।

राजस्थान Switch to English

‘चुप्पी तोड़ो-सयानी बनो’ अभियान

चर्चा में क्यों?

16 मई, 2022 को जयपुर ज़िला कलेक्टर राजन विशाल ने राजकीय उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय गणगौरी बाज़ार में ‘चुप्पी तोड़ो-सयानी बनो’ अभियान के द्वितीय चरण की शुरुआत की।

प्रमुख बिंदु

  • ज़िला कलेक्टर ने बताया कि नागौर और अलवर ज़िले के बाद जयपुर में इस अभियान की शुरुआत की गई है।
  • ‘चुप्पी तोड़ो-सयानी बनो’ अभियान के तहत ज़िले के 929 विद्यालय में कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग एक लाख 30 हज़ार किशोरी बालिकाओं द्वारा भाग लिया गया। कार्यशाला में प्रशिक्षित अध्यापिकाओं द्वारा माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई।
  • कार्यशाला में राज्य सरकार की उड़ान योजना के अंतर्गत बालिकाओं को सैनेटरी नैपकीन नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई। अभियान के तहत कार्यशाला में प्रत्येक छात्रा को माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर बुकलेट व प्रत्येक राजकीय विद्यालय में ‘गुड टच बैड टच’ विषय पर पोस्टर एवं बैनर उपलब्ध करवाए गए।
  • ज़िले में कक्षा 9 से 12वीं तक चयनित 3 हज़ार 716 बालिकाओं को हाईजीन एंबेसडर नियुक्त किया गया है। ये बालिकाएँ विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं के साथ ही अभिभावकों, जन-प्रतिनिधि, आँगनबाड़ी कार्यकर्त्ता, एएनएम, साथिन, आशा सहयोगिनी एवं विद्यालय नहीं जाने वाली बालिकाओं को भी जागरूक करेंगी।
  • उल्लेखनीय है कि अभियान के द्वितीय चरण से पहले जयपुर ज़िले के प्रत्येक उपखंड एवं ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यशाला, प्रशिक्षण, जन-जागरूकता कार्यक्रम एवं अन्य गतिविधियों का आयोजन चरणबद्ध रूप से किया गया।
  • इस अभियान के प्रथम चरण में राजकीय विद्यालय में कार्यरत् 2 हज़ार 223 अध्यापिकाओं को 14 से 16 मार्च तक प्रशिक्षण दिया गया था।

राजस्थान Switch to English

देश का 52वाँ टाइगर रिज़र्व बना रामगढ़ विषधारी अभयारण्य

चर्चा में क्यों? 

16 मई, 2022 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि राजस्थान के बूंदी ज़िले में स्थित रामगढ़ विषधारी अभयारण्य को देश का 52वाँ टाइगर रिज़र्व घोषित किये जाने की अधिसूचना जारी कर दी गई है।  

प्रमुख बिंदु 

  • अधिसूचना के बाद रामगढ़ विषधारी अभयारण्य राजस्थान का चौथा टाइगर रिज़र्व बन गया है। मौज़ूदा समय में राजस्थान में रणथंभौर, सरिस्का और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व हैं। 
  • गौरतलब है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38 के प्रावधान के अंतर्गत 5 जुलाई, 2021 को रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य निकटवर्ती क्षेत्रों को टाइगर रिज़र्व बनाए जाने की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई थी।   
  • एनटीसीए द्वारा प्रदान की गई, स्वीकृति के क्रम में राज्य सरकार द्वारा रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व के क्रिटिकल टाइगर हैबीटैट (कोर) एवं बफर क्षेत्र के निर्धारण हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। 
  • इस समिति द्वारा रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व, ज़िला बूंदी के कोर तथा बफर क्षेत्र के निर्धारण हेतु 24 जनवरी, 2022 को राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।   
  • उल्लेखनीय है कि नए अधिसूचित रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व में पूर्वोत्तर में रणथंभौर टाइगर रिज़र्व और दक्षिण की तरफ मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व के बीच बाघों का अधिवास शामिल है। 
  • राजस्थान सरकार ने इसे 20 मई, 1982 को राजस्थान वन्य प्राणी और पक्षी संरक्षण अधिनियम, 1951 की धारा 5 के अंतर्गत अभयारण्य घोषित किया था। 
  • यह अभयारण्य बाघ संरक्षण के अलावा पारिस्थितिकी तंत्र के साथ-साथ पुष्प प्रजातियों के लिये भी खासा प्रसिद्ध है। अभयारण्य में भारतीय भेड़िया, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, चीतल, सांभर, सुस्त भालू, गोल्डन जैकल, चिंकारा, नीलगाय, लोमड़ी, जंगली बिल्लियाँ, लंगूर, सांप, मगरमच्छ सहित 500 प्रकार के वन्यजीव मौज़ूद हैं।

मध्य प्रदेश Switch to English

संबल-2.0 योजना

चर्चा में क्यों? 

16 मई, 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री निवास कार्यालय से सिंगल क्लिक द्वारा प्रदेश के सभी ज़िलों के श्रमिक परिवारों को संबल योजना में 573 करोड़ 39 लाख रुपए राशि का अंतरण किया। 

प्रमुख बिंदु 

  • संबल 2.0 योजना, 2018 में प्रारंभ की गई, संबल योजना का ही परिवर्तित रूप है।    
  • संबल 2.0 के तहत नवीन पंजीयन प्रक्रिया में प्रदेश के लाखों तेंदूपत्ता संग्राहकों को भी असंगठित श्रमिक के रूप में शामिल किया गया है। साथ ही, इसमें वे श्रमिक भी नए सिरे से आवेदन कर सकेंगे, जिन्हें पूर्व में अपात्र घोषित कर दिया गया था।   
  • असंगठित क्षेत्र के लाखों श्रमिकों को अनुग्रह सहायता योजना में दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर परिवार को 4 लाख रुपए की राशि दी जाती है। सामान्य दशा में मृत्यु होने पर भी 2 लाख रुपए, स्थाई अपंगता पर 2 लाख रुपए तथा आंशिक अपंगता पर एक लाख रुपए प्रदान किये जाते हैं। अंतिम संस्कार सहायता के रूप में 5 हज़ार रुपए की राशि दी जाती है। 
  • योजना के तहत, जो महिलाएँ प्रसव के समय पर्याप्त आराम नहीं कर पातीं, उन्हें योजना में 16 हज़ार रुपए की राशि दी जाएगी। प्रसव के पूर्व दी जाने वाली सहायता पहले 4 हज़ार और प्रसव के पश्चात् दी जाने वाली सहायता राशि 12 हज़ार रुपए है।  
  • योजना के पात्र वे सब श्रमिक हैं, जिन्हें भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा योजना, ग्रेच्युटी आदि सामाजिक सुरक्षा का लाभ प्राप्त नहीं होता है।

हरियाणा Switch to English

हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग

चर्चा में क्यों?

16 मई, 2022 को हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग द्वारा 1 जुलाई, 2020 से 30 जून, 2021 की अवधि के दौरान राशन कार्ड जारी करने के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग से संबंधित मामलों में हुई देरी के संबंध में कार्यवाही करते हुए एक मामले में 10,000 रुपए का जुर्माना लगाने का निर्णय लिया गया।

प्रमुख बिंदु

  • हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग का गठन राज्य सरकार द्वारा 31 जुलाई, 2014 को जारी अधिसूचना के तहत किया गया था।
  • यह आयोग हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 12(1) और (2) के तहत गठित एक सांविधिक निकाय है।
  • इस आयोग में 1 मुख्य आयुक्त और अधिकतम 4 आयुक्त होंगे, जो हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 के प्रभावी कार्यान्वयन की देखरेख करेंगे।
  • एचआरटीएस अधिनियम, 2014 ने लोगों को एक प्रभावी सेवा वितरण तंत्र के माध्यम से परेशानीमुक्त, पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से सेवाओं का अधिकतम लाभ उठाने का अधिकार दिया है।

छत्तीसगढ़ Switch to English

खाद्य मंत्री ने किया बायोडायवर्सिटी पार्क का उद्घाटन

चर्चा में क्यों?

16 मई, 2022 को छत्तीसगढ़ के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री अमरजीत भगत ने अंबिकापुर ज़िले के मैनपाट विकासखंड की ग्राम पंचायत रोपाखर में बायोडायवर्सिटी पार्क का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु

  • मैनपाट विकासखंड की ग्राम पंचायत रोपाखर में वन विभाग द्वारा करीब एक करोड़ रुपए की लागत से 100 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित किया जा रहा है।
  • 1-1 हेक्टेयर क्षेत्र में कैक्टस एवं बैंबू पौधे तथा करीब 2 हेक्टेयर में औषधीय पौधे लगाए जाएंगे। इसके साथ ही यहाँ निरीक्षण पथ, गार्ड क्वाटर्स सहित अन्य निर्माण कार्य भी कराए जा रहे हैं।
  • खाद्य मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि मैनपाट में पर्यटन को बढ़ावा देने की कड़ी में बायोडायवर्सिटी पार्क भी जुड़ गया है। इस पार्क में पर्यटकों को प्रकृति के विविध रूप देखने को मिलेंगे।

उत्तराखंड Switch to English

ग्लेशियर पिघलने से अलकनंदा के जलस्तर में एकाएक वृद्धि

चर्चा में क्यों?

16 मई, 2022 को चमोली ज़िले में अलकनंदा नदी के जलागम क्षेत्र के ग्लेशियर पिघलने से नदी का जलस्तर एकाएक बढ़ गया, जिससे ज़िले में एक नई आपदा को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।

प्रमुख बिंदु

  • स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अलर्ट जारी कर लोगों को घाटों से हटाने के साथ ही एसडीआरएफ की टीम घाटों पर तैनात की गई है।
  • गौरतलब है कि गत वर्ष फरवरी में उत्तराखंड के चमोली ज़िले के तपोवन-रैनी क्षेत्र में एक ग्लेशियर के टूटने से धौली गंगा और अलकनंदा नदियों में बड़े पैमाने पर फ्लैश फ्लड (Flash Flood) की घटना देखी गई थी, जिससे ऋषिगंगा बिजली परियोजना को काफी नुकसान पहुँचा था।
  • अलकनंदा नदी के जलस्तर में वृद्धि के लिये सतोपंथ तथा अलकापुरी बांक में ग्लेशियरों का तेज़ी से पिघलना उत्तरदाई है।
  • अलकनंदा गंगा की दो मुख्य धाराओं में से एक है। दरअसल अलकनंदा और भागीरथी नदी देवप्रयाग में मिलने के बाद संयुक्त रूप से गंगा के नाम से जानी जाती हैं।
  • अलकनंदा सतोपंथ ग्लेशियर से निकलती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियों में धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिंडर आदि शामिल हैं।

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