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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 17 Feb 2022
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छत्तीसगढ़ के प्रत्येक ज़िले में आत्मानंद हिन्दी स्कूल खोलेगा

चर्चा में क्यों?

16 फरवरी, 2022 को छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वामी आत्मानंद सरकारी अंग्रेज़ी माध्यम स्कूलों की लोकप्रियता के बाद, प्रत्येक ज़िले में कम से कम एक हिन्दी माध्यम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने का निर्णय लिया।

प्रमुख बिंदु

  • आगामी शैक्षणिक सत्र से हिन्दी माध्यम के कुल 32 नए स्कूल अस्तित्व में आएंगे। निर्धारित स्कूलों के भवनों का नवीनीकरण किया जाएगा और स्कूलों को गुणात्मक के साथ सौंदर्य की दृष्टि से भी विकसित किया जाएगा।
  • स्वामी आत्मानंद के नाम पर स्कूलों को बहुउद्देशीय स्कूलों में अपग्रेड किया जाएगा।
  • ज्ञातव्य है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 74 हज़ार छात्रों के साथ 171 अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूल चल रहे हैं। जिसमें राज्य की राजधानी रायपुर में में ऐसे कुल तीन अंग्रेज़ी स्कूल शुरू किये गए हैं। इन विद्यालयों की स्थापना एक बड़ी सफलता सिद्ध हुई। पहले रायपुर के आरडी तिवारी स्कूल (हिन्दी) में केवल 57 बच्चे पढ़ रहे थे, लेकिन इसे स्वामी आत्मानंद सरकारी अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल के रूप में अपग्रेड करने के बाद, इसमें 1,000 छात्र हैं।
  • इन स्कूलों में दाखिल बच्चे आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों से हैं। छात्रों की फीस, किताबें और यूनिफॉर्म का पूरा खर्च सरकार वहन करती है।

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तीन नदियों के संगम पर शुरू हुआ ‘राजिम माघी पुन्नी मेला’

चर्चा में क्यों?

16 फरवरी, 2022 को छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने ‘राजिम माघी पुन्नी मेला’का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • ‘राजिम माघी पुन्नी मेला’ तीन नदियों (त्रिवेणी) के संगम पर शुरू हुआ, जिसमें भक्तों ने पवित्र स्नान किया और देवताओं की पूजा की। इसका समापन 1 मार्च को होगा।
  • उल्लेखनीय है कि राजिम शहर और उसका मंदिर तीन नदियों- सोंदूर, पर्री और महानदी के संगम पर स्थित है जिसे छत्तीसगढ़ का ‘प्रयागराज’माना जाता है। प्रत्येक वर्ष ‘माघ पुन्नी’ के दौरान, भक्त संगम पर पवित्र डुबकी लगाते हैं।
  • त्रिवेणी आरती के रचनाकार पंडित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने बताया कि माघ के महीने में सभी नदियों का जल गंगा स्वरूप हो जाता है और महानदी तो साक्षात् गंगा है। पुराणों में चित्रोत्पला कहकर इसकी स्तुति की गई है। त्रेतायुग में जगदंबा जानकीजी के द्वारा श्रीराम वनगमनकाल में इसके संगम के बीचोबीच बालू की रेत से शिवलिंग प्रतिष्ठापित किया गया था और उनका चित्रोत्पलेश्चर कहकर पूजन-अभिषेक किया गया था, जो कालांतर में कुलेश्वर हो गया।
  • इस मेले में राज्य और देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले संतों को ‘संत निवास’प्रदान किया गया है।
  • इस 14 दिवसीय मेले के लिये विशेष परिवहन और स्वच्छता, पेयजल, शौचालय और पार्किंग क्षेत्र सुनिश्चित किया गया है।
  • इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाएंगे, जिसके लिये राजीव लोचन मंदिर के पास मंच बनाया गया है।  

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