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कॉलेजों में प्रोफेसर-छात्रों की हाजिरी के लिये आएगा जियो फेंसिंग सिस्टम
चर्चा में क्यों?
14 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड के उच्च शिक्षा एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव शैलेश बगोली ने बताया कि प्रदेश के दूर दराज के पर्वतीय इलाकों के डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों और छात्रों की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये जियो फेंसिंग हाजिरी सिस्टम लागू होगा। भविष्य में यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- सचिव शैलेश बगोली ने बताया कि प्रदेश के कुछ कॉलेजों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत की जा रही है। जियो फेंसिंग हाजिरी से मॉनिटरिंग आसान हो जाएगी। पायलट सफल रहा तो प्रदेशभर में इसे लागू किया जाएगा।
- विदित है कि इससे पहले परिवहन निगम अपने सभी बस अडन्नें पर इसे लागू कर चुका है, जिसके तहत बस अड्डे की जियो फेंसिंग की गई है।
- दरअसल, प्रदेश के तमाम दुर्गम इलाकों के डिग्री कॉलेज ऐसे हैं, जहाँ शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति का आँकड़ा काफी कमतर रहता है। महीने में कुछ दिन जाकर शिक्षक अपनी हाजिरी पूरी कर लेते हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिये ही जियो फेंसिंग हाजिरी सिस्टम लागू करने की तैयारी शुरू की गई है।
- उच्च शिक्षा विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर इस दिशा में काम करने जा रहा है। इसके तहत जो भी शिक्षक या छात्र कॉलेज परिसर में प्रवेश करेगा तो उसके मोबाइल से ही उसकी हाजिरी लग जाएगी। इसके लिये मोबाइल जियो फेंसिंग के दायरे में आना जरूरी है।
- जब कोई छात्र या शिक्षक अपने मोबाइल के साथ कैंपस में प्रवेश करेंगे तो उन्हें इसमें डाउनलोड किया गया हाजिरी का ऐप खोलना होगा। यह ऐप केवल कॉलेज के भीतर यानी जियो फेंसिंग दायरे में आने पर ही काम करेगा। इस ऐप को खोलने के बाद उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी आएगा। इसे फीड करेंगे तो ही हाजिरी लग जाएगी और जैसे ही छात्र, शिक्षक उस कैंपस से बाहर जाएंगे, उनका रिकॉर्ड स्वत: ही अपडेट हो जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि जियो फेंसिंग सैटेलाइट आधारित प्रणाली है, जिसमें एक विशेष क्षेत्र की जियो फेंसिंग यानी बाउंड्री बना दी जाती है। इस दायरे में जो भी डिवाइस आएगी, वह रिकॉर्ड में आ जाएगी। जियो फेंसिंग के भीतर आने पर ही मोबाइल का वह ऐप काम करेगा जो कि इससे संबंधित होता है।
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