माई स्टेम्प योजना | छत्तीसगढ़ | 16 Oct 2021
चर्चा में क्यों?
14 अक्तूबर, 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में भारतीय डाक विभाग, छत्तीसगढ़ परिमंडल द्वारा ‘माई स्टेम्प योजना’ के तहत राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव पर डाक टिकट एवं विशेष आवरण का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- यह डाक टिकट देश के सभी बड़े डाकघरों के काउंटरों में उपलब्ध होगा तथा टिकट का संग्रहण करने वालों के लिये उपयोगी होगा।
- इस अवसर पर पोस्टमास्टर जनरल आर.के. जायभाय ने बताया कि विशेष आवरण छत्तीसगढ़ राज्य के 21वें स्थापना दिवस एवं इस दौरान 28, 29 और 30 अक्तूबर 2021 को राजधानी रायपुर में आयोजित हो रहे द्वितीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के उपलक्ष्य में जारी किया गया है।
- गौरतलब है कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आमंत्रण सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, केंद्रशासित प्रदेशों के उप-राज्यपाल/प्रशासक और जनजातीय कलाकारों को भेजा गया है।
- इस नृत्य महोत्सव में भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के जनजातीय कलाकारों द्वारा कला और संस्कृति की अपनी समृद्ध विरासत का प्रदर्शन किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ के राजकीय गमछे का किया लोकार्पण | छत्तीसगढ़ | 16 Oct 2021
चर्चा में क्यों?
14 अक्तूबर, 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य की पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने वाले छत्तीसगढ़ के राजकीय गमछे का लोकार्पण किया। शासकीय आयोजनों में यह गमछा अतिथियों को भेंट किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा संघ द्वारा ये गमछे टसर सिल्क एवं कॉटन बुनकरों तथा गोदना हस्त शिल्पियों द्वारा तैयार किये गए हैं।
- गमछे पर छत्तीसगढ़ के राजकीय पक्षी- पहाड़ी मैना, राजकीय पशु-वन भैंसा, मांदर, बस्तर के प्रसिद्ध गौर मुकुट और लोक नृत्य करते लोक कलाकारों के चित्र गोदना चित्रकारी से अंकित किये गए हैं।
- गमछे की डिज़ाइन में धान के कटोरे के रूप में प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ राज्य को प्रदर्शित करने के लिये धान की बाली तथा हल जोतते किसान को दर्शाया गया है। सरगुजा की पारंपरिक भित्ति चित्र कला की छाप गमछे के बार्डर में अंकित की गई है।
- गमछा तैयार करने के पारिश्रमिक के अलावा गमछे से होने वाली आय का 95 प्रतिशत हिस्सा बुनकरों तथा गोदना शिल्पकारों को दिया जाएगा।
- टसर सिल्क गमछे में बुनकर द्वारा ताने में फिलेचर सिल्क यार्न तथा बाने में डाभा टसर यार्न एवं घींचा यार्न का उपयोग किया गया है। गमछे की चौड़ाई 24 इंच तथा लंबाई 84 इंच है।
- इस टसर सिल्क गमछे की बुनाई सिवनी चांपा के बुनकरों द्वारा की गई है। गमछे की बुनाई के उपरांत उनमें सरगुजा की महिला गोदना शिल्पियों के द्वारा गोदना प्रिंट के माध्यम से डिज़ाइनों को उकेरा गया है।
- कॉटन गमछे को राज्य के बालोद, दुर्ग, राजनांदगांव के बुनकरों द्वारा हथकरघों पर बुनाई के माध्यम से तैयार किया गया है।
- गमछे में ताने में 2/40 काउंट का कॉटन यार्न तथा बाने में 20 माउंट का कॉटन यार्न उपयोग किया गया है। इसकी भी चौड़ाई 24 इंच तथा लंबाई 84 इंच है।
- एक सिल्क गमछे का मूल्य 1,534 रुपए (जी.एस.टी. सहित) निर्धारित है। सिल्क गमछे की बुनाई मज़दूरी 120 रुपए प्रति नग है, जबकि कॉटन गमछे का मूल्य 239 रुपए (जी.एस.टी. सहित) प्रति नग निर्धारित है।
- इन गमछों को राज्य के स्मृति चिह्न के रूप में मान्यता दिये जाने से बुनाई के माध्यम से 300 बुनकरों को तथा 100 गोदना शिल्पियों को वर्ष भर का रोज़गार प्राप्त होगा। कॉटन गमछे की बुनाई मज़दूरी 60 रुपए प्रति नग है।