मध्य प्रदेश Switch to English
इंदौर के यशवंत सागर को मिला रामसर साइट का दर्जा
चर्चा में क्यों?
13 अगस्त, 2022 को केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा पाँच राज्यों के 11 जल-स्थलों को रामसर साइट का दर्जा दिया गया, जिसमें मध्य प्रदेश के इंदौर ज़िले का यशवंत सागर भी शामिल है।
प्रमुख बिंदु
- इसके साथ ही मध्य प्रदेश में अब चार रामसर साइट हो गई हैं। 3 अगस्त, 2022 को इंदौर ज़िले के सिरपुर तालाब को तथा 26 जुलाई, 2022 को शिवपुरी ज़िले के माधव राष्ट्रीय उद्यान में स्थित सांख्य सागर झील को रामसर साइट का दर्जा मिला था, जबकि भोपाल की बड़ी झील (बड़ा तालाब/भोज ताल) पहले से ही रामसर साइट घोषित है।
- केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा नामित किये गए 11 नए रामसर साइट्स में तमिलनाडु की चार, ओडिशा की तीन, जम्मू-कश्मीर की दो और मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र के एक-एक स्थल शामिल हैं। इनको मिलाकर भारत में अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के रामसर साइट्स की संख्या 75 हो गई हैं। ये आर्द्रभूमियाँ स्थल देश में 13,26,678 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हैं।
- उल्लेखनीय है कि 1971 में ईरान के रामसर में रामसर संधि पत्र पर हस्ताक्षर के अनुबंध करने वाले पक्षों में से भारत एक है। भारत ने 1 फरवरी, 1982 को इस पर हस्ताक्षर किये। विश्व में हो रहे जलवायु असंतुलन और परिवर्तन के दौर में रामसर साइट की भूमिका विश्व के पर्यावरण सुधार में अति महत्त्वपूर्ण है।
- 1982 से 2013 के दौरान, रामसर स्थलों की सूची में कुल 26 स्थलों को जोड़ा गया, हालाँकि, इस दौरान 2014 से 2022 तक, देश ने रामसर स्थलों की सूची में 49 नई आर्द्रभूमियाँ जोड़ी जा चुकी हैं।
- इस वर्ष (2022) के दौरान ही कुल 28 स्थलों को रामसर स्थल घोषित किया गया है। रामसर प्रमाण पत्र में अंकित स्थल की तिथि के आधार पर इस वर्ष (2022) के लिये 19 स्थल और पिछले वर्ष (2021) के लिये 14 स्थल हैं।
- तमिलनाडु में अधिकतम रामसर स्थलों की संख्या (14), इसके पश्चात उत्तर प्रदेश में रामसर के 10 स्थल हैं।
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आज़ादी की ‘गुमनाम नायिका’ सरस्वती राजामणि पर 10 साल की बेटियों ने लिखी पुस्तक
चर्चा में क्यों?
13 अगस्त, 2022 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 10 साल की दो बेटियों देवयानी और शिवरंजनी के साथ पौध-रोपण कर उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘सरस्वती राजामणि- एक भूली-बिसरी जासूस’ का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’में देवयानी और शिवरंजनी अपनी पुस्तक के जरिये भारत की सबसे कम उम्र की महिला जासूस सरस्वती राजामणि से परिचय करा रही हैं। देवयानी और शिवरंजनी जुड़वाँ बहनें हैं।
- इन्होंने महज 10 साल की उम्र में आज़ाद हिन्द फौज की जासूस सरस्वती राजामणि पर सचित्र पुस्तक लिखी है। देवयानी और शिवरंजनी का कहना है ‘इस वक्त जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, हमें उन लोगों को भी याद करना चाहिये, जिनके बारे में ज्यादा लिखा-पढ़ा नहीं गया है, जो हमारे गुमनाम नायक/नायिका हैं, स्वतंत्रता दिलाने में जिनका महत्त्वपूर्ण योगदान है, लेकिन हमें उसकी जानकारी नहीं है।
- उल्लेखनीय है कि साल 2021 में इन बच्चियों की पहली पुस्तक ‘सूर्य नमस्कार’प्रकाशित हो चुकी है, जिसे देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहा था।
- सरस्वती राजामणि आज़ाद हिन्द फौज की जासूस और बेहद कम उम्र की गुमनाम क्रांतिकारी थी। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बहुत प्रभावित किया था।
- सरस्वती राजामणि का जन्म बर्मा के एक संपन्न और देशभक्त परिवार में हुआ था। वे जब 16 साल की थीं, तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाषण से इतनी प्रभावित हुईं कि अपने सारे गहने आज़ाद हिन्द फौज को दान कर दिये थे।
- राजामणि का हौसला और जज्बा देखकर नेताजी ने उन्हें फौज का हिस्सा बना लिया। राजामणि ने अपनी दोस्त दुर्गा के साथ मिलकर ब्रिटिश कैंप की जासूसी की और कई महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ आज़ाद हिन्द फौज को दीं। इस दौरान कई अवसरों पर उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया लेकिन वह अपने ही देश में सम्मान न पा सकीं।
- देवयानी और शिवरंजनी कहती हैं कि एक युवा भारतीय को सरस्वती राजामणि का जीवन देशभक्ति, समर्पण, बहादुरी, वफादारी और बिना किसी डर के अपने सपनों को साकार करने की प्रेरणा देता है।
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