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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 16 Jul 2022
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मध्य प्रदेश मंत्रिपरिषद के महत्त्वपूर्ण निर्णय

चर्चा में क्यों?

15 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए।

प्रमुख बिंदु

  • मंत्रिपरिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन योजना की स्वीकृति एवं निरंतरता प्रदान की जाए।
  • योजना से सिकलसेल रोगियों की रुग्णता और मृत्यु-दर को कम करने तथा हीमोग्लोबिनोपैथी के प्रसार को रोकने के लिये जेनेटिक काउंसलिंग, सिकलसेल एनीमिया, थैलीसिमिया और अन्य हीमोग्लोबिनोपैथी विकास हेतु समुदाय स्तर पर स्क्रीनिंग कर बीमारी की पहचान कर आवश्यक प्रबंधन सुनिश्चित किया जाएगा।
  • विदित है कि प्रदेश में हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन का गठन जून 2021 में किया गया था। इस योजना का विस्तार प्रदेश के सभी 89 जनजातीय विकासखंडों में किया जाएगा। यह योजना वर्ष 2022-23 से 2023-24 में क्रियान्वित होगी।
  • मंत्रिपरिषद ने चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल में पी.जी. सीट वृद्धि के लिये 116 करोड़ 90 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की। चिकित्सा महाविद्यालय, भोपाल के विभिन्न विभाग में चिकित्सा क्षेत्र के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिये कुल 134 पी.जी. सीट्स की वृद्धि होगी।
  • मंत्रिपरिषद ने भारत-ओमान रिफायनरी लिमिटेड द्वारा उत्पादित नेफ्था के उपयोग से एम.ओ.यू. के अनुसार फर्स्ट राइट ऑफ रिफयूजल के अधीन 19 नवंबर, 2020 से 5 वर्षों तक नेफ्था के उपयोग एवं ट्रेडिंग की सहमति प्रदान की।
  • मंत्रिपरिषद द्वारा सतना ज़िले की दौरी सागर मध्यम सिंचाई परियोजना लागत राशि 227 करोड़ 56 लाख रुपए सिचाई क्षेत्र 7,200 हेक्टेयर की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई।
  • परियोजना से सतना ज़िले की मझगवाँ तहसील के 15 ग्रामों के 7200 हेक्टेयर रकबे में भूमिगत पाइपलाइन द्वारा प्रेशराइज्ड पद्धति से रबी सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी एवं मंदाकिनी नदी के सतत प्रवाह के लिये आवश्यक जल उपलब्ध होगा।

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मध्य प्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम, 2019 में संशोधन

चर्चा में क्यों?

15 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में मंत्रिपरिषद ने औद्योगिक नीति निवेश प्रोत्साहन विभाग के अधीन विकसित/विकासाधीन एवं अविकसित भूमि के उचित एवं कुशल प्रबंधन के लिये नवीन मध्य प्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम, 2019 संशोधित करने का निर्णय लिया।

प्रमुख बिंदु

  • इसमें कंडिका 12(ii) स में औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि/भवन का आवंटन पारदर्शी एवं निष्पक्ष रूप से होने के साथ ही राजस्व में बढ़ोत्तरी हो, इसके लिये ‘प्रथम आओ प्रथम पाओ’ के स्थान पर ‘ई-बिडिंग’ प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है।
  • कंडिका 12(ii) (द), कंडिका 13(ii) कंडिका 13(III), कंडिका 13(अ) मध्य प्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम में अधिसूचित सेवा के अनुसार आशय-पत्र, आवंटन आदेश, पट्टाभिलेख निष्पादन, आधिपत्य आदि की समय-सीमा में संशोधन किया गया है।
  • कंडिका 13(vii) चिह्नित औद्योगिक क्षेत्रों में रिक्त भू-खंड के लिये किश्तों में भुगतान करने हेतु प्रावधान किया गया है।
  • कंडिका 19(ब) (II) हस्तांतरण प्रकरणों में 25 प्रतिशत निवेश राशि के साथ न्यूनतम राशि 50 करोड़ रुपए के विकल्प को शामिल किया गया एवं प्रस्तावित परियोजना में किये गए निवेश की स्थिति अनुसार पृथक्-पृथक् हस्तांतरण शुल्क का प्रावधान किया गया है।
  • कंडिका 20 को पुनरीक्षित करते हुए कंडिका 20(अ) एवं 20(ब) किया गया है। कंडिका 20(अ) में कार्यरत् इकाइयों की अनुपयोगी भूमि के हस्तांतरण के लिये न्यूनतम क्षेत्रफल को 500 वर्गमीटर के स्थान पर 1000 वर्गमीटर एवं कंडिका 20(ब) में बंद इकाइयों की अनुपयोगी भूमि के विभाजन एवं हस्तांतरण के लिये प्रावधान किया गया है।
  • कंडिका 24(अ) भू-खंड का समर्पण किये जाने की स्थिति में प्रत्याजी के साथ विकास शुल्क वापसी संबंधी प्रावधान को स्पष्ट करते हुए लघु उद्योग के प्रकरण में 6 वर्ष की समयावधि के बाद तथा मध्यम एवं बृहद् उद्योग के प्रकरण में 7 वर्ष के बाद परंतु 9 वर्ष के पूर्व समर्पण करने पश्चात् भी प्रब्याजी राशि वापस करने का प्रावधान किया गया है।
  • कंडिका 34 उद्योग अनुषांगिक प्रयोजन के लिये भूमि आवंटन की अधिकारिता संचालक मंडल को प्रत्यायोजित की गई है।

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सुरक्षा संचालन केंद्र की स्थापना

चर्चा में क्यों?

15 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य में मध्य प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम में स्टेट डाटा सेंटर के अंतर्गत एप्लीकेशंस/डाटा की सुरक्षा के लिये सुरक्षा संचालन केंद्र (Security Operations Centre) स्थापित करने का निर्णय लिया गया।

प्रमुख बिंदु

  • ज्ञातव्य है कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मध्य प्रदेश स्टेट डाटा सेंटर (MPSDC) संचालित है।
  • स्टेट डाटा सेंटर में विभिन्न विभागों के संचालित/संधारित सॉफ्टवेयर एप्लीकेशंस एवं उनसे संबंधित संवेदनशील तथा अन्य डाटा की साइबर सुरक्षा के लिये राज्य में एक सुरक्षा संचालन केंद्र का संचालन प्रबंधित सुरक्षा सेवा प्रदाता मॉडल पर संचालित किया जाएगा।
  • सुरक्षा संचालन केंद्र (SOC) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लि. (एमपीएसईडीसी) के अंतर्गत मध्य प्रदेश स्टेट डाटा सेंटर (MPSDC) में राज्य कंप्यूटर सिक्योरिटी इंसीडेंट रेस्पॉन्स ऑपरेशन सेंटर CSIRT को प्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्रदान करेगा।
  • सुरक्षा संचालन केंद्र] नेटवर्क ऑपरेशन केंद्र (NOC) के समान ही आईटी ऑपरेशन टीम की एक इकाई है, जो नेटवर्क ऑपरेशन केंद्र (NOC) से सहयोग कर क्रियान्वित रहती है।
  • सुरक्षा संचालन केंद्र के सदस्य सूचना प्रौद्योगिकी के विभिन्न आई.टी. सुरक्षा तंत्र अधो-संरचना और उसके ऑपरेशन के कार्य निष्पादित करते हैं।
  • नेटवर्क ऑपरेशन केंद्र (NOC) के साथ एस.ओ.सी. (SOC) द्वारा भी इंफ्रा टीम के आदेशों का दैनंदिन पालन करते हुए आईटी सुरक्षा के विभिन्न लक्ष्य की पूर्ति करेगा।
  • गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में स्टेट डाटा सेंटर में एप्लीकेशंस एवं एप्लीकेशन होस्ट संबंधी गंभीर जोखिमों से बचने में सुरक्षा संचालन केंद्र सहायक के रूप में कार्य करेगा।

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मध्य प्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 में संशोधन

चर्चा में क्यों?

15 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में मंत्रिपरिषद द्वारा खनिज साधन विभाग के अंतर्गत मध्य प्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 में प्रस्तावित संशोधन के संबंध में अनुमोदन प्रदान किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • इसमें जिला खनिज प्रतिष्ठान बोर्ड एवं कार्यकारी समिति के अध्यक्ष के रूप में जिला कलेक्टर को रखा जाएगा। बोर्ड एवं कार्यकारी समिति में सदस्य के रूप में लोकसभा तथा मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य के साथ राज्यसभा के सदस्य को भी शामिल किया जाएगा।
  • मध्य प्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 में वर्तमान में जिला खनिज प्रतिष्ठान में जमा राशि का नियम 13(2)(ड) अनुसार राज्य खनिज निधि में अंतरित करने का प्रावधान है।
  • भारत सरकार के निर्देशानुसार राज्य खनिज निधि का प्रावधान समाप्त किया जा रहा है, अत: पूर्व में जिला खनिज प्रतिष्ठान अंतर्गत राज्य खनिज निधि में जमा राशि का उपयोग किये जाने के लिये नियमों में प्रावधान किया गया है।
  • उपरोक्त के अतिरिक्त अन्य तकनीकी सुधार मध्य प्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 में किये गए हैं। प्रतिष्ठान के उद्देश्य अनुसार खनन प्रभावित क्षेत्रों में विविध विकासात्मक एवं कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के साथ स्थानीय लोगों को रोज़गार के अवसर सृजित हो सकेंगे।

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गौण खनिज नियम, 1996 में संशोधन

चर्चा में क्यों?

15 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में मंत्रिपरिषद द्वारा मध्य प्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 में संशोधन के संबंध में अनुमोदन प्रदान किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • वर्तमान में नियमों में ई-निविदा से उत्खनन पट्टा प्रदान करने की प्रक्रिया निर्धारित है। अब ई-निविदा से उत्खनि पट्टा एवं समेकित अनुज्ञप्ति पृथक्-पृथक् आवंटित करने का नियमों में संशोधन किया गया है।
  • निजी भूमि में वर्तमान नियम में अनुसूची-पाँच के उत्खनन पट्टा भूमि-स्वामी अथवा उसके सहमति धारक को आवंटित करने का प्रावधान है। वर्तमान प्रावधान में उत्खनन पट्टा ग्रांट करने से पूर्व भूमि-स्वामी को पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति का कार्य करना भी अनिवार्य किया गया है।
  • वर्तमान निर्धारित प्रक्रिया समेकित अनुज्ञप्ति ही है, इसलिये नियमों में निजी भूमि पर उत्खनन पट्टा प्रदान करने के शब्द के स्थान पर समेकित अनुज्ञप्ति का शब्द समाविष्ट किया जाना प्रावधानित किया गया है।
  • वर्तमान नियमों में शासकीय विभाग की अनुमति से सरकारी तालाब एवं अन्य संरचनाएँ तथा ग्राम पंचायत की अनुमति से उनके द्वारा निर्मित/संधारित तालाब एवं अन्य संरचनाओं से निकलने वाली कीचड़, गाद पर स्वयं के कार्यों के उपयोग के लिये रॉयल्टी एवं परिवहन अनुज्ञा की आवश्यकता नहीं है। अब निकलने वाली कीचड़, गाद के साथ मिट्टी पर भी रॉयल्टी एवं परिवहन अनुज्ञा की आवश्यकता नहीं होगी।
  • वर्तमान नियमों में उत्खनन पट्टा के लिये वर्ष के प्रथम माह की 20 तारीख तक देय अग्रिम मृत कर राशि एकमुश्त जमा करने का प्रावधान है। अब यह राशि अग्रिम दो किश्तों में पट्टाधारियों से जमा कराए जाने के प्रावधान किये गए हैं।
  • अनुसूची-एक, अनुसूची-दो एवं अनुसूची-पाँच में विनिर्दिष्ट खनिजों के शोधों (अनिवार्य भाटक, स्वामित्व, भूतल भाटक, जिला खनिज प्रतिष्ठान की राशि व अन्य देय राशि) के विलंब भुगतान पर 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज का भुगतान किया जा सकेगा।
  • उपरोक्त के अतिरिक्त अन्य तकनीकी सुधार मध्य प्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 में किये गए हैं, जिससे प्रदेश में खदानों के आवंटन में गति लाने, प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने तथा खनिज राजस्व में वृद्धि के साथ रोज़गार सृजन के अवसर उत्पन्न हो सकेंगे। 

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