मंत्रिपरिषद की बैठक के महत्त्वपूर्ण निर्णय | छत्तीसगढ़ | 15 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
14 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ मंत्री (वेतन तथा भत्ता) अधिनियम, 1972 में संशोधन विधेयक, 2022 के प्रारूप का अनुमोदन के साथ ही कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए।
प्रमुख बिंदु
- मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य में प्रचलित मछली नीति के स्थान पर नई मछलीपालन नीति लागू करने का अनुमोदन किया गया। नवीन मछलीपालन नीति में मछुआरों को उत्पादकता बोनस दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
- प्रदेश में स्वीकृत सहायक आरक्षकों के पदों को समाप्त कर डिस्ट्रिक्ट स्ट्राइक फोर्स संवर्ग के सृजन की स्वीकृति के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। इससे पुलिस विभाग के सहायक आरक्षकों की वेतन संबंधी विसंगति दूर होगी और प्रदेश के समस्त सहायक आरक्षकों को नियमित वेतनमान प्राप्त होगा।
- स्थानांतरण नीति, 2022 के परिप्रेक्ष्य में यह निर्णय लिया गया कि इस संबंध में मंत्रिमंडलीय उप-समिति का गठन किया जाएगा, जिसके सुझाव/अनुशंसा के आधार पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा।
- प्रथम अनुपूरक अनुमान वर्ष 2022-2023 का विधानसभा में उप-स्थापन बाबत् छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक, 2022 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
- विधानसभा के माननीय अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष एवं सदस्यों के वेतन एवं भत्तों संशोधन विधेयक, 2022 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
- छत्तीसगढ़ मंत्री (वेतन तथा भत्ता) अधिनियम, 1972 में संशोधन विधेयक, 2022 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
- मुख्यमंत्री के स्वेच्छानुदान मद में प्रावधानित वार्षिक राशि 40 करोड़ रुपए की सीमा को बढ़ाकर 70 करोड़ रुपए किये जाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- वर्ष 2022-23 के लिये आबकारी राजस्व लक्ष्य एवं गोठान के विकास तथा अन्य विकास गतिविधियों के लिये अतिरिक्त राशि की आवश्यकता की प्रतिपूर्ति हेतु ‘अतिरिक्त आबकारी शुल्क’ में वृद्धि किये जाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- विघटित परिवहन निगम के अधिकारियों/कर्मचारियों की असामयिक मृत्यु होने पर आश्रित परिवार के सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने की प्रक्रिया में आवश्यक संशोधन किया गया।
- छत्तीसगढ़ भू-जल (प्रबंधन और विनियमन) विधेयक, 2022 के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पूर्व एवं पश्चात् मोटरयानों पर बकाया कर के एकमुश्त निपटान योजना-2020 (One Time Settlement) की मियाद अवधि 1 अप्रैल, 2022 से मार्च 2023 तक बढ़ाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- औद्योगिक एवं आर्थिक मंदी के दुष्प्रभाव के कारण एचह्वी-4 श्रेणी के स्टील उद्योग के अंतर्गत स्टेंड एलोन रोलिंग मिल को प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिये राज्य शासन द्वारा विशेष राहत पैकेज अंतर्गत ऊर्जा प्रभार में 1 जुलाई, 2022 से 31 मार्च, 2023 तक छूट दिये जाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- छत्तीसगढ़ विद्युत शुल्क अधिनियम, 1949 (क्रमांक ग सन् 1949) में और संशोधन विधेयक के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
नवीन मछलीपालन नीति को कैबिनेट ने दी मंज़ूरी | छत्तीसगढ़ | 15 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
14 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य में नवीन मछलीपालन नीति को मंज़ूरी दी गई।
प्रमुख बिंदु
- नवीन मछलीपालन का उद्देश्य राज्य में उपलब्ध संपूर्ण जल क्षेत्र को मत्स्यपालन के अंतर्गत लाते हुए मत्स्य उत्पादकता में वृद्धि करने के साथ ही गुणवत्तायुक्त मत्स्य बीज उत्पादन तथा मत्स्यपालन को बढ़ावा देकर लोगों को स्वरोज़गार प्रदान करना है।
- नवीन मछलीपालन नीति में राज्य के मछुआरों को उत्पादकता बोनस दिये जाने का प्रावधान भी किया गया है। उत्पादकता बोनस की यह राशि छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य महासंघ को जलाशयों एवं बैराज की नीलाम से प्राप्त होने वाली राशि की 25 प्रतिशत होगी।
- नवीन मछलीपालन नीति के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-
- राज्य में अलंकारिक मछलीपालन एवं गंबुसिया मछलीपालन को भी प्रोत्साहित किये जाने का प्रावधान नई नीति में किया गया है।
- राज्य स्थित अनुपयोगी खदानों को विकसित कर मछलीपालन हेतु उपयोग में लाया जाएगा।
- पंचायत राज्य व्यवस्था के अंतर्गत तालाबों/जलाशयों को मछलीपालन हेतु पट्टे पर देने के अधिकार के तहत 0 से 10 हेक्टेयर औसत जल क्षेत्र के तालाब/जलाशय ग्राम पंचायत द्वारा नियमानुसार 10 वर्षीय पट्टे पर प्रदान किये जाएंगे।
- 10 से 100 हेक्टेयर औसत जल क्षेत्र के तालाबों एवं जलाशयों को जनपद पंचायत द्वारा, 100 से 200 हेक्टेयर तक ज़िला पंचायत द्वारा, 200-1000 हेक्टेयर तक के जलाशय एवं बैराज को मछलीपालन विभाग द्वारा पट्टे पर आवंटित किया जाएगा।
- 1000 हेक्टेयर से अधिक के जलाशय/बैराज छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य महासंघ द्वारा खुली निविदा आमंत्रित कर 10 वर्ष के लिये पट्टे पर दिये जाएंगे।
- मत्स्य महासंघ द्वारा जलाशय एवं बैराज को पट्टे पर दिये जाने हेतु खुली निविदा से प्राप्त आय की 50 प्रतिशत राशि मछलीपालन विभाग के राजस्व खाते में देय होगी। शेष 50 प्रतिशत का 25 प्रतिशत हिस्सा स्थानीय स्तर पर मत्स्याखेट करने वाले मछुआरों को उत्पादकता बोनस के रूप में दिया जाएगा।
- नदियों एवं 20 हेक्टेयर से कम जल क्षेत्र वाले एनीकट/डीपपूल में नि:शुल्क मत्स्याखेट की व्यवस्था यथावत रहेगी।
- गोठानों हेतु निर्मित तालाबों में मछलीपालन का कार्य गोठान समिति या उनके द्वारा चिह्नित समूह द्वारा किया जाएगा।
- पंचायतों द्वारा लीज़ राशि में बढ़ोतरी प्रति 2 वर्ष में 10 प्रतिशत की वृद्धि कर निर्धारण किया जाएगा, जिसका उपयोग जनहित के विकास कार्यों में किया जाएगा।
- आदिवासी मछुआ सहकारी समिति में गैर-आदिवासी सदस्यों का प्रतिशत 33 से घटाकर 30 प्रतिशत करने प्रावधान किया गया है।
- अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासी मछुआ सहकारी समिति का अध्यक्ष का पद अनिवार्य रूप से अनुसूचित जन जाति के लिये आरक्षित रहेगा। समिति के उपाध्यक्ष पद हेतु मछुआ जाति के सदस्य को प्राथमिकता दी जाएगी।
- 0 से 10 हेक्टेयर औसत जल क्षेत्र के जलाशयों/तालाबों का आवंटन मछुआ समूह, मत्स्य सहकारी समिति एवं आजीविका मिशन के तहत गठित स्थानीय महिला समूह, मछुआ व्यक्ति व मत्स्य कृषक को प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।
- मछलीपालन में डिप्लोमा, स्नातक या स्नातकोत्तर व्यक्ति एवं बेरोज़गार युवा मछुआ व्यक्ति व मत्स्य कृषक माने जाएंगे।
- मछली बीज की गुणवत्ता नियंत्रण एवं प्रमाणीकरण हेतु राज्य में मत्स्य बीज प्रमाणीकरण अधिनियम बनाया जाएगा, जो मत्स्य बीज के उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा एवं बीज उत्पादन तकनीक की जानकारी देगा।
- मत्स्य बीज विक्रय करने वालों एवं उत्पादकों को मछलीपालन विभाग में पंजीयन कराना एवं विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा।
- राज्य में स्थित अनुपयोगी एवं बंद पड़ी खदानों को विकसित कर मछलीपालन हेतु स्थानीय बेरोजगारों को पट्टे पर दिया जाएगा। बड़ी खदानों में मछलीपालन को बढ़ावा देने हेतु केज स्थापना की पहल की जाएगी।
- सिंचाई जलाशयों में केज कल्चर योजना के क्रियान्वयन के लिये मछलीपालन विभाग पूर्णरूप से अधिकृत होगा, इसके लिये सिंचाई जलाशय को दीर्घ अवधि हेतु विभाग लीज़ पर दे सकेगा।