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उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने तबादला नीति, 2022 को दी मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
14 जून, 2020 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक में तबादला नीति, 2022 को मंज़ूरी दे दी गई। इस नीति के तहत 15 से 30 जून तक तबादले किये जाएंगे। यह नीति वर्ष 2022-23 के लिये है।
प्रमुख बिंदु
- इसके तहत समूह क और ख के अधिकारियों द्वारा जनपद में 3 वर्ष और मंडल में 7 वर्ष पूरे होने पर स्थानांतरण की व्यवस्था की गई है।
- समूह क और ख के स्थानांतरण संवर्गवार कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों की संख्या के सापेक्ष अधिकतम 20 प्रतिशत और समूह ग व घ के संवर्गवार कार्यरत कार्मिकों की संख्या के अधिकतम 10 प्रतिशत तक की सीमा तक किये जा सकेंगे।
- समूह ख और ग के कार्मिकों के स्थानांतरण मेरिट बेस्ड ऑनलाइन ट्रांसफर सिस्टम के आधार पर किये जाने की व्यवस्था की गई है।
- समूह ग के कार्मिकों के पटल परिवर्तन व क्षेत्र परिवर्तन विषयक शासनादेश को कड़ाई से पालन करने की व्यवस्था की गई है।
- बैठक में पुलिस के 40 हज़ार पदों पर भर्ती के प्रस्ताव को भी मंज़ूरी दे दी गई। बैठक में कृषि, उच्च शिक्षा, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, पर्यटन एवं संस्कृति सहित विभिन्न विभागों के करीब डेढ़ दर्जन प्रस्तावों पर चर्चा हुई।
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर ताजनगरी में 8 लाख लोग करेंगे योग
चर्चा में क्यों?
15 जून, 2022 को ताजनगरी आगरा के ज़िलाधिकारी प्रभु एन. सिंह ने बताया कि इस वर्ष आगरा ज़िले में लगभग 150 स्थानों पर 8 लाख से अधिक लोग योग करेंगे।
प्रमुख बिंदु
- पर्यटन स्थल, स्मारक, पार्क व अन्य खुले स्थानों पर करीब 8 लाख लोग योग करेंगे। इसके लिये विभागों को लक्ष्य बाँटा गया है।
- विभागों के अलावा एनजीओ, सामाजिक व शैक्षणिक संस्थाएँ भाग लेंगी। समन्वय के लिये मजिस्ट्रेट, एसडीएम, एडीएम व अन्य अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है।
- ज़िलाधिकारी ने बताया कि फतेहपुर सीकरी, आगरा किला, एत्माद-उद-दौला व अन्य पर्यटन स्थलों पर भव्य आयोजन होगा। विभागों के अलावा एनजीओ, सामाजिक व शैक्षणिक संस्थाएँ भाग लेंगी।
- मुख्य योग शिविर ग्राम पंचायत स्तर से विकास खंड, तहसील व ज़िलास्तर पर होंगे। योग अभ्यास की सामूहिक एवं व्यक्तिगत सूचना आयुष कवच एप पर अपलोड की जाएगी।
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नि:शक्त संतान की आय कम होने पर जीवन भर पेंशन देगी राज्य सरकार
चर्चा में क्यों?
15 जून, 2022 को राज्य सरकार द्वारा जारी शासनादेश में कहा गया है कि दिवंगत सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी की नि:शक्त संतान जीवन भर पारिवारिक पेंशन की हकदार होगी।
प्रमुख बिंदु
- राज्य शासन ने राज्य सरकार के सेवानिवृत्त या मृत कर्मचारियों व पेंशनरों की मानसिक या शारीरिक नि:शक्तता से ग्रस्त संतान को पारिवारिक पेंशन के संबंध में आय के मानदंड तय किये हैं।
- आदेश के अनुसार यदि नि:शक्त संतान की समग्र आय साधारण दर पर स्वीकार्य पारिवारिक पेंशन व उस पर स्वीकार्य महंगाई राहत से कम है तो उसे यह लाभ मिलेगा।
- ऐसे मामलों में वित्तीय लाभ इस शासनादेश के जारी होने की तिथि से देय होगा और सरकारी कर्मचारी, पेंशनभोगी या पूर्व पेंशनभोगी की मृत्यु की तारीख से शुरू होने वाली अवधि के लिये कोई बकाया स्वीकृत नहीं होगा।
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अब ज़मीन दान देने वालों के नाम से अस्पतालों का हो सकेगा नामकरण
चर्चा में क्यों?
14 जून, 2022 को उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाई गई नई नियमावली को मंज़ूरी दी गई, जिसके तहत यदि कोई व्यक्ति अपनी ज़मीन अस्पताल के लिये दान करता है तो संबंधित अस्पताल का नामकरण उसके या उसके परिजन के नाम पर किया जा सकेगा।
प्रमुख बिंदु
- प्रदेश में अब तक सरकारी अस्पतालों का निर्माण ग्राम समाज अथवा अन्य सरकारी ज़मीन पर किया जाता है। यह ज़मीन आबादी क्षेत्र से काफी दूर होती है। ऐसे में यहाँ चिकित्सक व चिकित्साकर्मी रहने से कतराते हैं। सुनसान इलाके में अस्पताल होने से उनकी सुरक्षा भी प्रभावित होती है।
- स्वास्थ्य विभाग के सर्वे में यह बात सामने आई कि यदि आबादी क्षेत्र में अस्पताल रहे तो उसके रख-रखाव व सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था हो सकेगी। इसके मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल निर्माण के लिये भूमि अधिग्रहण एवं क्रय किये जाने के संबंध में नई नियमावली तैयार की है। इस नियमावली के तहत आबादी क्षेत्र में अब स्वास्थ्य विभाग ज़मीन खरीद कर अस्पताल बनवा सकेगा।
- इसी तरह यह भी विकल्प दिया गया है कि यदि कोई व्यक्ति आबादी क्षेत्र की ज़मीन दान में देता है तो संबंधित अस्पताल का नामकरण उसके या उसके परिजन के नाम से किया जा सकेगा। भू-स्वामी अस्पताल के लिये आबादी क्षेत्र की ज़मीन दान करके उतनी ही सरकारी ज़मीन दूर-दराज के क्षेत्र में हासिल भी कर सकता है।
- नई नियमावली में यह भी व्यवस्था की गई है कि नए अस्पताल का निर्माण कराते वक्त यह देखा जाएगा कि संबंधित क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में पहले से कोई सरकारी अस्पताल न हो। इसी तरह सामुदायिक एवं ज़िला अस्पताल से भी दूरी के मानक तय किये गए हैं।
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