अभावपरक दृष्टिकोण: उत्तराखंड वनाग्नि | उत्तराखंड | 16 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड सरकार से स्पष्टीकरण मांगा कि आग बुझाने के लिये केंद्रीय निधि का उपयोग क्यों नहीं किया गया।
मुख्य बिंदु:
- सर्वोच्च न्यायालय ने वनाग्नि से निपटने में उत्तराखंड सरकार द्वारा दिखाए गए 'अभावपरक' दृष्टिकोण पर उत्तराखंड के मुख्य सचिव को 17 मई को न्यायालय के समक्ष पेश होने के लिये बुलाया।
- शीर्ष न्यायालय ने निर्देश दिया कि कोई भी राज्य चुनाव ड्यूटी के लिये वन अधिकारियों या वन विभाग के वाहनों को तैनात नहीं करेगा।
- मुख्य सचिव से वन विभाग में बड़ी रिक्तियों, अग्निशमन उपकरणों की कमी और निर्वाचन आयोग द्वारा दी गई विशिष्ट छूट के बावजूद वन अधिकारियों की तैनाती के बारे में भी स्पष्टीकरण देने को कहा गया है।
- न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ जिसमें न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी और न्यायमूर्ति संदीप मेहता भी शामिल थे, ने कहा कि हालाँकि कई कार्य योजनाएँ तैयार की जाती हैं, लेकिन उनके कार्यान्वयन के लिये कोई कदम नहीं उठाया जाता है।
- वनाग्नि के कारण 1,300 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई।
- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिरूल लाओ-पैसे पाओ मिशन की शुरुआत की थी।
- इस अभियान के तहत, वनाग्नि को रोकने के लिये स्थानीय ग्रामीणों और युवाओं द्वारा वन में पड़े पिरूल (चीड़ के पेड़ की पत्तियाँ) को एकत्र किया जाएगा, उनका वज़न किया जाएगा तथा फिर निर्धारित पिरूल संग्रह केंद्र में संग्रहीत किया जाएगा।
चार धाम यात्रा | उत्तराखंड | 16 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में यमुनोत्री में भारी भीड़ तथा केदारनाथ और बद्रीनाथ मार्गों पर लंबी यातायात अवरोधों के चिंताजनक दृश्यों ने सरकार को चार धाम यात्रा के लिये अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक समाधानों को प्राथमिकता देने को मजबूर किया है।
मुख्य बिंदु:
- उत्तराखंड में चार धाम यात्रा में चार मंदिरों, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन शामिल हैं।
- चार धाम यात्रा का हिंदू धर्म में गहरा आध्यात्मिक महत्त्व है। यह यात्रा सामान्यतः अप्रैल/मई से अक्तूबर/नवंबर तक होती है।
- राज्य द्वारा एक "धार्मिक यात्रा प्राधिकरण" बनाने की योजना बना रहा है जो न केवल चार धाम यात्रा बल्कि काँवर यात्रा जैसी अन्य तीर्थयात्राओं को भी नियंत्रित किया जाएगा।
- प्राधिकरण सभी मुद्दों पर निर्णय लेगा, जैसे- दैनिक तीर्थयात्रियों की संख्या, मार्ग, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा तैनाती और अन्य सभी व्यवस्थाएँ तय करना।
- उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश की भाँति ही धार्मिक आयोजनों के लिये नियामक संस्था को अपनाने पर विचार कर रहा है और कार्यान्वयन से पहले यह उत्तर प्रदेश के मॉडल का अध्ययन करेगा।
चार धाम यात्रा
- यमुनोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
- समर्पित: देवी यमुना।
- गंगा नदी के बाद यमुना नदी भारत की दूसरी सबसे पवित्र नदी है।
- गंगोत्री धाम:
- स्थान: उत्तरकाशी ज़िला।
- समर्पित: देवी गंगा।
- सभी भारतीय नदियों में सबसे पवित्र मानी जाती है।
- केदारनाथ धाम:
- स्थान: रुद्रप्रयाग ज़िला।
- समर्पित: भगवान शिव।
- मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है।
- भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों (भगवान शिव के दिव्य प्रतिनिधित्व) में से एक।
- बद्रीनाथ धाम:
- स्थान: चमोली ज़िला।
- पवित्र बद्रीनारायण मंदिर का स्थान।
- समर्पित: भगवान विष्णु।
- वैष्णवों के पवित्र तीर्थस्थलों में से एक